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पहले भाग में आपने पढ़ा कि रेस्तराँ में पहुंच कर हमने क्या गुल खिलाए, कैसे मैंने वहाँ जूसी का स्वर्णामृत पिया… अब आगे:
करीब चालीस पैंतालीस मिनट के रास्ते भर जूसी रानी मेरे अकड़े लौड़े को सहलाती रही या मुझे नोचती रही और मैं उसके चूचों को दबाता रहा।
घर आते आते तक दोनों ही कामोत्तेजना से बेहाल हो चुके थे।
घर आकर मैंने सिर्फ इतनी देर इंतज़ार किया जितना समय ड्राइवर को कार हमारी पार्किंग में लगा के चाभी देने में लगा।
इधर ड्राइवर गया, उधर मैंने जूसी रानी को भींच कर ड्राइंग रूम के कारपेट पर ही पटक दिया, आनन फानन में मैंने अपने कपड़े उतार कर न जाने किधर को फेंके और फिर झटके से जूसी रानी को भी नंगी कर दिया।
जूसी रानी बुरी तरह से काम विह्वल थी, उसने नंगी होने में पूरा सहयोग किया।
जूसी रानी से लिपट कर मैंने बेसाख्ता उसके होंठ चूसने आरम्भ किये, उसके हाथ मेरे लौड़े को थाम चुके थे, रानी अपनी स्वादिष्ट जीभ चुसा रही थी और अपना मुखामृत मेरे मुंह में दिये जा रही थी।
मैंने होंठ चूसते चूसते ही रानी की चूचियाँ हौले हौले सहलानी शुरू कीं, रानी चिहुंक उठी, भरे भरे, मस्त, मुलायम और मनमोहक स्तन थे रानी के!!! नर्म और मुलायम थे लेकिन पिलपिले नहीं थे।
मैंने हौले से निप्पलों पर उँगली फिराई, दोनों निप्पल अकड़े हुए थे, ऐंठन से तने हुए थे और दो तोपों की तरह सीधे सामने को निशाना साधे थे मानो चुनौती दे रहे हों कि आओ और हमें उमेठ उमेठ कर अकड़न से मुक्ति दो!
मैंने हौले से जूसी रानी के सख्ताई हुई चूचियों को सहलाया, रानी ज़ोर से चिहुंक उठी और एक आह उसके मुंह से निकली। मैंने चूचुक दोनों हाथों में थाम के अंगूठे से निप्पल दबाने शुरू किये, रानी और ज़ोर से आहें भरने लगी।
अब वो लौड़े को हिला रही थी, खाल आगे पीछे कर रही थी।
मैंने रानी के कान के पीछे अपनी जीभ गीली करके फिराई, मैंने उसके कान की लौ को चूसा और फिर जीभ कान के अंदर घुमाई।
जूसी रानी कसमसाते हुए ‘ऊँ…ऊँ…ऊँ.!’ करने लगी।
मैंने उसकी चूचियाँ निचोड़नी शुरू कीं, पहले मैं हौले हौले निचोड़ रहा था, रानी ने आहें भरनी शुरू कर दीं। उसने अपनी टांगें मेरी टांगों से कस के लपेट दीं।
मैंने चूची अब थोड़ा ज़ोर से दबाईं, रानी को और मज़ा आया और वो सिसकारियां भरने लगी।
मैंने चूचियाँ निचोड़ते हुए जूसी रानी के पेट को चाटना आरम्भ किया, पेट पर जीभ गीली कर मैं दाएं से बायें चाटता एक सिरे से दूसरे सिरे तक! उस सिरे पर पहुंच कर फिर चाटता हुआ वापस आता।
इस चटाई ने तो जूसी रानी को बौरा दिया और वो अजीब अजीब सी आवाज़ें ऐसे निकाल रही थी जैसे उसका गला भिंच गया हो।
मैं अब चूचियों को पूरी ताक़त से दबा रहा था, साथ साथ जूसी रानी के पेट को चाटते हुए अब मैं उसकी नाभि तक जा पहुंचा था, जीभ टाइट करके मैंने उसकी नाभि में घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगा।
फिर क्या था मज़े से पागल होकर जूसी रानी ने टांगें छटपटानी शुरू कर दीं। मैंने अपने दोनों अंगूठे जूसी रानी की चूचुक में पूरी ताक़त से गाड़ दिये। वो मस्ता के बार बार राजे राजे राजे पुकारने लगी, बोली- अरे सूअर के बच्चे, मैं ज़ोरों से झड़ रही हूँ… कितना झाड़ेगा… चूत का सारा जूस निकाल गया… कुत्ते… हाय हाय हाय!
मैं बोला- चुप रह कुतिया, चुपचाप पड़ी रह और मज़ा भोग… फालतू बक बक की तो हरामज़ादी की मां चोद दूंगा… इतना कह के मैंने उसकी झांटों को चाटना शुरू किया।
रानी तड़पे जा रही थी और कुछ कुछ बके जा रही थी और साथ साथ झड़े जा रही थी।
अब मैंने रानी की चूत के होंठों पर ध्यान दिया, चूत के होंठ ज़्यादा बड़े नहीं थे और गुलाबी गुलाबी थे। देखते ही अब मुझ पर पागलपन छा गया।
मैंने होंठ चौड़े किये तो पूरी तरह रस से रिसती हुई, बहुत हल्के गुलाबी रंग की चूत के जो दर्शन हुए तो यारो, मेरा क्या हाल हुआ, मैं बता नहीं सकता।
बुर से रस फफक फफक कर बहे जा रहा था। चूत के होंठों के ऊपर के कोने में उसके स्वर्ण रस का छेद दिखा जो कि ढका हुआ था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
रानी बार बार मेरा नाम पुकारे जा रही थी।
स्वर्ण रस के छेद की खाल को ज़रा सा उपर खींच कर मैंने छेद को नंगा कर दिया और अपनी जीभ अकड़ा के ज़ोर से छेद पर मारी। बस क्या था जूसी रानी तो जैसे बिदक गई… इतनी ज़ोर से सीत्कारें भरीं कि मैं डर गया कि कहीं पड़ोसी न सुन लें कि इस घर में चुदाई का मस्त खेल हो रहा है।
मैंने बार बार ज़ोर ज़ोर से स्वर्ण रस के छेद पर जीभ के ताबड़तोड़ प्रहार किये तो रानी दसियों बार झड़ी, अब गिड़गड़ाने करने लगी कि राजे अब तो बख्श दे अब तो मज़ा भी बर्दाश्त नहीं हो रहा!
मैं बोला- क्यों अब क्यों गांड फटी… अभी रुक ज़रा चूत में लंड ठोकने दे… अभी तो रो रही थी लंड दे लंड दे लंड दे अब क्या हुआ… पड़ी रह चुपचाप… एक शब्द भी निकला तो तेरी मां को चोदूंगा तेरे सामने… हराम की ज़नी… रांड!
मैं उसकी जाँघों के बीच घुटनों के बाल बैठा और एक ही शॉट में लंड चूत में ठोक दिया। रानी ने एक चीख मारी और तड़पने लगी ज़ोर ज़ोर से अपना सिर इधर से उधर हिलाने लगी।
रानी की चूत से बेतहाशा रस निकल रहा था।
जैसे ही लौड़ा घुसा एक ज़ोर से पिच्च की आवाज़ आई और काफी सारा रस छलक के चूत से बाहर आ गया।
हम दोनों के कटि प्रदेश जूसी रानी के चूतरस से भीग गए। चूत बहुत टाइट थी, किसी किशोरावस्था में लड़की जैसी, क्योंकि दो साल पहले ही चूत रिपेयर करवाई थी। डॉक्टरनी इतनी बदमाश थी कि हरामज़ादी ने चूत टाइट करते समय चूत से निकली खाल की ही एक छोटी सी थैली बना के उसमें रानी का खून भर दिया था। चलते समय साली मुझे आंख मार के बोली थी कि सर आपको एकदम सुहाग रात जैसा मज़ा आएगा। सेक्स जब करोगे तो ब्लड भी निकलेगा जैसा सुहागरात को निकला था।
बाद में मैंने उस बहनचोद चुदक्कड़ डॉक्टरनी को भी पटाकर अपनी रानी बना लिया था।
मैं जूसी रानी के ऊपर लेट गया और उसका मुंह चूमते चूमते धक्के लगाने शुरू किये। मैं धक्कों की स्पीड मिक्स कर रहा था, कभी कुछ धक्के हौले हौले, फिर कुछ धक्के तेज़ और फिर एक या दो धक्के बहुत तगड़े।
जूसी रानी फिर से मस्ता गई थी, बोलना चाहती थी लेकिन मैंने उसका मुंह अपने मुंह से बंद कर रखा था।
जूसी रानी भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी। दन दन दन धक्के पे धक्का, धक्के पे धक्का, और धक्के पे धक्का!!!
जूसी रानी ने मेरी पीठ पर मस्ती में अपने नाखून गाड़ दिये और ज़ोर ज़ोर से खरोंचें लगा दीं, उसने अपना मुंह मेरे मुंह से अलग किया और एक बार फिर ज़ोर से नाखूनों से मेरी पीठ को खुरचा।
भिंची भिंची आवाज़ में बोली- मां के लौड़े… इतने ज़ोर से होंठ चूस रहा था… मेरी सांस बंद कर दी… बस झड़ने वाली हूँ म़ैं… अब धक्का दे हाँ दे.. दे… दे… हाँ हाँ ऐसे ही… दिये जा राजे… हाय राजे मेरा बदन कहाँ उड़े जा रहा है!
रानी इतने ज़ोर से स्खलित हुई कि चूतड़ उछाल उछाल कर उसने बेड हिला के रख दिया, यहाँ तक कि उसकी सु सु भी निकल गई। उसका स्वर्ण रस धडा धड़ छूटा और हम दोनों की जाँघें भीग गईं, बिस्तर भी भीग गया। उसके स्वर्ण रस की गर्मी जैसे ही मुझे महसूस हुई म़ैं भी चरम सीमा पर पहुंच गया और झड़ गया, ढेर सारा लावा रानी की चूत में भर गया। मैं निढाल होकर उसके ऊपर ढेर हो गया।
बहुत देर तक हम यूं ही पड़े रहे, फिर म़ैं उठा, देखा लंड बाहर फिसल चुका था और मुरझा के ज़रा सा हो गया था।
मैंने उसकी चूत और चूत के आस पास का शरीर चाट के साफ किया और अपना लुल्ला रानी के पास ले आया। उसने भी चाट के सब साफ कर दिया।
कुछ समय रेस्ट करने के बाद जूसी रानी ने मेरी एक लंबी चुम्मी लेकर कहा- राजे तू यहीं रुक… मुझे कुछ करना है… सिर्फ दो तीन मिनट में जब मैं बुलाऊँ तो बेडरूम में आ जाना!
मैंने पूछा- बहनचोद कुतिया, इस वक़्त क्या करना है तुझको?’
जूसी रानी ने एक मुक्का मेरी छाती पर मारा और बोली- मादरचोद बिलकुल बहस नहीं करनी है…एक भले कुत्ते की भांति अपनी मालकिन की आज्ञा चुपचाप मान लेनी है… जैसे बोला वैसे ही यहाँ पड़ा रह या बैडरूम के बाहर इंतज़ार कर… मैं आवाज़ दूंगी तब आ जाना अंदर.’
‘जो हुकम मालकिन साहिबा!’ कह कर मैं उसको गोदी में उठाकर बेडरूम में ले गया। बिस्तर पर नंगी जूसी रानी को लिटा के मैं कमरे के बाहर खड़ा होकर अपनी रानी के आदेश का पालन करने लगा। यारों रानियों का गुलाम बल्कि उनका कुत्ता बन के रहने में बहुत सुख है।रानियां भी मस्त होकर बेहद मज़ा लुटाती हैं।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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