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नमस्ते दोस्तो,
सबसे पहले तो आप सब पाठकों का दिल से थैंक्स जिन्होंने मेरी कहानी निशा की बहन लताशा की चुदाई को पसंद किया।
अब मैं आपके साथ एक और एक्सपीरियेन्स शेयर करना चाहता हूँ कैसे मेरे दोस्त की माँ ने मुझे गिफ्ट दिया।
जैसा कि आपको पता ही है कि मैं दिल्ली में रहता हूँ और सेक्स का मुझे बड़ा शौक है। यह कहानी आज से करीब 6 साल पहले की है। मेरा एक दोस्त था.. जिसका नाम सिद्धू था। उसके घर पर उसकी मॉम.. 2 बहनें और एक छोटा भाई था। सिद्धू के पापा एक सरकारी नौकरी में थे और उसके भाई-बहन स्कूल जाते थे।
सिद्धू अपने घर पर सबसे बड़ा था। मैं और वो एक साथ कॉलेज में पढ़ाई करते थे। इसके साथ ही हमने कंप्यूटर क्लास भी शुरू कर रखी थी। मेरा अक्सर उसके घर पर आना-जाना था। लेकिन मैंने कभी भी बुरी नज़र से उसकी माँ और बहन को नहीं देखा था।
कॉलेज के बाद सिद्धू सरकारी जॉब की तैयारी में जी जान से लग गया.. लेकिन मुझे सरकारी जॉब में कोई इंटरेस्ट नहीं था।
सरकारी जॉब पाने के चक्कर में सिद्धू सुबह से लेकर रात तक पढ़ाई करता रहता था.. जिसका नतीज़ा ये हुआ कि उसको सरकारी जॉब मिल गई और उसकी पोस्टिंग दिल्ली से बाहर हो गई। लेकिन मेरा सिद्धू के घर आना-जाना जारी था, मैं महीने में एकाध बार चला जाता था।
सिद्धू की मम्मी को जब भी कोई सामान आदि लाना होता था तो वो मुझे फोन करती थीं कि रवि ये ला दो वो ला दो.. क्योंकि मार्केट उनके घर से दूर थी.. इसलिए वो सामान लाने के लिए मुझे बोलती थीं।
ऐसे करते-करते दो साल गुजर गए.. एक दिन सिद्धू की माँ का फोन आया और बोलीं- मुझे एक जरूरी सामान मंगवाना है। मैं बोला- बोलो आंटी.. क्या लाना है? लेकिन सिद्धू माँ खुल कर बोल नहीं रही थीं।
मैं बोला- आंटी बोलो न.. क्या लाना है? आंटी थोड़ा हिचकिचा रही थीं.. मेरे फोर्स करने पर आंटी बोलीं- रवि मुझे ब्रा ला दोगे.. क्योंकि मेरी सारी ओल्ड ब्रा फट गई है और मुझे मार्केट जाने को टाइम नहीं मिल रहा है।
यह सुनते ही मैं एक मिनट के लिए हिल गया.. लेकिन फिर मैंने हिम्मत करके बोला- आंटी किस साइज़ की लानी है? आंटी बोलीं- 42 नम्बर की.. मैंने ‘हाँ’ कर दी।
आंटी बोलीं- रवि क़िसी को बताना मत कि मैंने तुमसे ये चीज़ मँगवाई है। मैं समझ गया.. और हिम्मत करके बोल दिया- आंटी एक शर्त पर लाऊँगा। ‘क्या शर्त?’ ‘अगर आप मुझे पहन कर देखाओगी तो..’ आंटी हँस कर बोलीं- पहले ला तो दो..
मैंने उस दिन शाम को ब्रा खरीदी और रात भर सोचता रहा कि क्या सच में कल मैं आंटी को ब्रा में देख पाऊँगा।
खैर.. जैसे-तैसे रात गुज़री.. अगले दिन मैं 9 बजे तैयार हो गया.. क्योंकि आंटी का फोन जो आना था। ठीक 9.30 पर आंटी का फोन आया। ‘कब आओगे?’ मैं बोला- आंटी मैं तो रेडी हूँ.. आप बोलो.. कब आऊँ और अंकल ऑफिस चले गए क्या? तो बोलीं- वो सुबह ही चले गए.. सिद्धू की बहनें भी गईं.. वो एक बजे स्कूल से आएंगी। मैं बोला- ठीक है.. मैं अभी आ रहा हूँ।
मैंने जल्दी से बाइक निकाली और दस बजे आंटी के घर पहुँच गया। जैसे घर के अन्दर घुसा.. आंटी नाइट गाउन में थीं। आंटी का फिगर एकदम साफ़ नज़र आ रहा था।
उनके मोटे-मोटे मम्मे और उभरी हुई गाण्ड..
उस दिन मैंने पहले बार आंटी को इस नज़र से और घूरते हुए देखा था।
मेरे लिए आंटी पानी ले आईं.. तो मैंने बोला- आंटी ये रहा आपका सामान..
पैकेट पकड़ कर आंटी अन्दर चली गईं, वो थोड़ी देर बाद आकर मेरे सामने बैठ गईं।
मैंने बोला- आंटी पहन कर चैक तो कर लो। बोलीं- कोई नहीं.. मैं बाद में कर लूँगी। मैं बोला- आंटी.. आपने बोला था.. पहन कर दिखाओगी.. आंटी बोलीं- नहीं.. मैंने तो नहीं बोला था।
फिर मैं चुप होकर बैठ गया। आंटी को लगा.. शायद मैं नाराज़ हो गया हूँ।
आंटी बोलीं- क्या हुआ? मैं बोला- कुछ नहीं.. मूड अपसैट हो गया। बोलीं- क्यों? मैं बोला- मैंने कितने ख्वाब देखे थे कि आप ब्रा पहना कर दिखाओगी.. तो आंटी बोलीं- चल मैं अभी आती हूँ.. तू टीवी देख।
करीब 5 मिनट बाद आंटी आईं। वे मेरे सामने नाइट गाउन में आ गईं और बोलीं- ले देख ले। मैं बोला- दिखाओ..
तो आंटी ने अपना गाउन ऊपर कर दिया और जल्दी से नीचे गिरा दिया। मैं एक मिनट के लिए देखता रह गया। क्या सेक्सी लग रही थीं आंटी।
मैं बोला- आंटी आपने तो जल्दी से गिरा दिया.. कम से कम अच्छे से देखने तो देतीं। आंटी मना करने लगीं।
मैं हिम्मत करके उठा और आंटी के पास चला गया और बोला- दिखाओ न.. आंटी बोलीं- दिखा तो दिया.. मैं बोला- आंटी पास से देखना है।
आंटी फिर मना करने लगीं.. लेकिन मैं हिम्मत करके आंटी का गाउन ऊपर को उठाने लगा, आंटी बोलीं- रवि प्लीज़ मत करो.. प्लीज़.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
लेकिन मैं नहीं माना, मैंने आंटी को बिस्तर पर लेटा दिया और उनका गाउन पूरा ऊपर कर दिया। आंटी मना करती रहीं और मैं आंटी का गाउन ऊपर करता रहा।
धीरे-धीरे मैंने आंटी का गाउन पूरा ऊपर कर दिया। अब आंटी मेरे सामने उसी वाइट ब्रा में थीं.. जो मैं खरीद कर लाया था। उन्होंने स्किन कलर की पैन्टी पहनी हुई थी। आंटी ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपना गाउन नीचे करने के कोशिश करती रहीं।
मैंने हिम्मत करके आंटी के मम्मों पर हाथ रख दिया और आंटी के दूसरे मम्मे पर किस करने लगा। आंटी मना करने लगीं.. लेकिन मैं बोला- आंटी आज मना मत करो..
धीरे-धीरे आंटी ने अपने आपको ढीला छोड़ दिया। मैंने एक हाथ आंटी की चूत पर रख दिया और पैन्टी के ऊपर से चूत को सहलाने लगा।
अब आंटी कुछ नहीं बोल रही थीं.. शायद वो गर्म हो रही थीं। मैं अनकंट्रोल हो चुका था। मैंने जल्दी से अपनी शर्ट, पैंट और बनियान उतारकर अंडरवियर में हो गया और आंटी के ऊपर चढ़ गया। अब मैं आंटी के मम्मों को ब्रा के ऊपर से ही सक करने लगा और आंटी की चूत पर अपना लण्ड को सैट करके बैठकर हल्के-हल्के रगड़ने लगा।
आंटी मस्त हो गईं तो मैंने आंटी के गाउन को पूरा निकाल दिया और आंटी की ब्रा खोल दी। उनके गोरे-गोरे मम्मों को देख कर मैं पागल सा हो गया, मैं उनके चूचों को और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
आंटी बोलीं- रवि आराम से करो.. काटो मत..
मैं आंटी के होंठों पर किस करने लगा.. कुछ मिनट किस करने के बाद मैं वापिस चूचे चूसने लगा और ‘बूब-सकिंग’ करते-करते मैं आंटी की नाभि पर जीभ फेरने लगा.. तो आंटी मचलने लगीं।
अब में धीरे-धीरे मैं नीचे की तरफ बढ़ा और आंटी की चूत को पैन्टी के ऊपर से चाटने लगा।
फिर मैंने आंटी को उल्टा लिटा दिया। आंटी की बड़ी सी गांड देखकर मैं रुक ना पाया और आंटी की कमर पर किस करता-करता उनकी गांड पर पहुँच गया.. और चूतड़ों पर हल्के से काट दिया। आंटी एकदम से चिहुंक गईं।
अब मैंने अपना अंडरवियर उतार दिया और पैन्टी के अन्दर से चूतड़ों पर रगड़ने लगा।
फिर मैंने आंटी को सीधा किया और उनकी पैन्टी को उतार दिया.. उनकी चूत एकदम साफ़ थी।
मैं उनकी चिकनी चूत को चाटने लगा और साथ-साथ एक फिंगर डालकर चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। आंटी तो एकदम मदहोश हो चुकी थीं, शायद पहली बार क़िसी ने उनकी चूत चाटी होगी।
फिर मैं उनके सिरहाने बैठकर उनके मम्मों को चूसने लगा। मेरा लण्ड आंटी के होंठों पर टच हो रहा था.. तो आंटी अपना मुँह इधर-उधर कर रही थीं।
मैंने आंटी को बोला- आंटी लण्ड चूसो न। आंटी ने मना कर दिया लेकिन मैं बोला- सिर्फ़ एक मिनट..
तो उन्होंने मुँह खोल दिया.. मैंने अपना लंड अन्दर डाल दिया। थोड़ी देर लौड़ा चुसवाने के बाद मैं उठकर उनकी चूत के पास आ गया और चूत को दुबारा चाटने लगा।
आंटी गरमा गईं और बोलीं- रवि अब करो.. और ना तड़पाओ।
तो मैंने आंटी की टाँगें अपने कन्धों पर रखीं और अपना लंड आंटी की चूत के छेद पर रख कर ज़ोर से झटका लगा दिया। आंटी थोड़ा सा हिलीं.. मैंने फिर एक झटका दिया और लंड पूरा अन्दर पेल दिया, एक पल रुकने के बाद मैं आंटी को धकापेल चोदने लगा। अब मैं आंटी के ऊपर पूरा लेट कर उनको चोद रहा था।
मेरे और आंटी का एक-एक अंग आपस में मिल रहे थे, मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था।
कुछ मिनट बाद जब मैं झड़ने लगा तो मैंने आंटी से पूछा- माल कहाँ लेना है? आंटी बोलीं- बाहर ही निकालना।
मैंने ‘ओके’ बोला और समापन के धक्के लगाने लगा.. फिर जैसे ही मेरा निकलने को हुआ.. तो मैंने अपना सारा वीर्य आंटी के पेट और चूत के ऊपर छोड़ दिया।
झड़ने के बाद मैं वापिस उनके ऊपर ही ढेर हो गया.. थोड़ी देर बाद मैं ऊपर से उठा और अपना लंड साफ़ किया।
अब आंटी मुझसे बोलीं- यह बात क़िसी को पता नहीं लगनी चाहिए और अब मुझे भूल तो नहीं जाओगे। मैंने आंटी से बोला- नहीं आंटी.. अब तो मैं रोज़ आया करूँगा।
आंटी उठीं और बोलीं- मेरी ब्रा और पैन्टी पकड़ा दो। मैं बोला- पकड़ाना क्या आंटी, पहना भी देता हूँ।
आंटी हँस पड़ीं।
फिर मैंने आंटी को अपने हाथों से ब्रा पहनाई और पैन्टी भी.. फिर आंटी ने अपना गाउन पहना और किचन में चाय बनाने के लिए चली गईं।
मैं कपड़े पहन का वहीं बैठ गया और टीवी देखता रहा।
थोड़ी देर बाद मैं फिर से चुदाई के तैयार हो गया तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं भी किचन में चला गया। मैंने आंटी का गाउन ऊपर करके फिर अपना लंड आंटी की गाण्ड में रगड़ने लगा।
आंटी बोलीं- अब नहीं रवि.. मैं थक गई हूँ।
लेकिन मैंने उनकी नहीं सुनी और गाउन ऊपर करके आंटी की पैन्टी को नीचे खींच दिया।
आंटी ने कुछ नहीं कहा तो मैंने उन्हें किचन में ही झुका दिया और लण्ड पेल कर उनकी चुदाई करने लगा।
दूसरा राउंड होने की वजह से इस बार मेरा लण्ड देर तक आंटी को चोदता रहा। इस बीच आंटी एक दो बार झड़ गई थीं।
इस बार मैंने बिना बोले अपना माल आंटी की चूत में छोड़ दिया। जैसे ही मेरी एक बूँद आंटी के अन्दर गिरी.. आंटी अपने को मुझसे छुड़ाने लगीं लेकिन मैंने उनको कसकर पकड़ लिया और अपना सारा रस आंटी की चूत में छोड़ दिया।
जब मैंने अपनी पकड़ ढीली की.. तो आंटी बोलीं- तुमने अन्दर क्यों छोड़ा.. अगर मैं प्रेग्नेंट हो गई तो? मैंने बोला- आंटी, आप समझदार हो, प्रेगनेंट कैसे होते हैं.. आपको पता है।
आंटी हँस कर बोलीं- तुम तो बड़े बदमाश निकले।
फिर हम दोनों ने चाय पी। जब मैं वापिस आने लगा.. तो आंटी बोलीं- आते रहना.. मैं बोला- जी आंटी.. अब तो रोज़ आना पड़ेगा.. आप बस फोन कर दिया करो कि घर पर कोई नहीं है।
उस दिन से लेकर आज तक मैं आंटी को चोद रहा हूँ लेकिन आंटी ने कभी अपनी गांड नहीं मारने दी। इस बार मेरा आंटी की गाण्ड मारने का पूरा मन है।
आंटी की गाण्ड मारी या नहीं.. ये मैं आपको अपनी अगली स्टोरी में बताऊँगा। अपने मेल ज़रूर भेजिएगा! [email protected]
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