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नमस्कार मित्रो, मेरा नाम मल्लिका रॉय है। आपने मेरी कहानी छिपी अन्तर्वासना की पूर्ति कनाडा में के दोनों भागों को बहुत सराहा उसका बहुत बहुत धन्यवाद।
यह कहानी पढ़ने के बाद एक महिला मित्र ने मुझे उनकी कहानी भेजी और उसे प्रकाशित करने के लिए बोला। कहानी मुझे भी अच्छी लगी तो मैंने हाँ कह दिया लेकिन उनके कहने पर मैंने इसके पात्रों के नाम बदले हुए हैं। इसमें आपको क्या सबसे अच्छा लगा, यह जरूर बताइये।
सुनिए उन्ही के मुख से-
मेरा नाम दीपिका है, उम्र 34 साल है हाइट 5.5 फीट, मेरे पति की उम्र 36 साल हाइट 5.8 फीट है। हमारी शादी को 16 साल हो गए हैं, यानि कि 18 वर्ष की उम्र होते ही मेरे घरवालों ने मेरी शादी कर दी थी, तब मैं सेक्स के बारे में थोड़ा ही जानती थी।
मैंने सिर्फ मेरे पति के साथ ही सम्भोग किया है और उनके साथ ही करुँगी, वे मुझे हर तरह से खुश रखते हैं, मैं भी उनसे बहुत खुश हूँ। मैं अभी भी दुबली हूँ किसी एक्ट्रेस की तरह, मम्मे जरूर बहुत बड़े और तने हुए हैं इतने कि पतिदेव दोनों हाथों में भरकर चूसते हैं, निप्पल भूरे हैं, चूत हमेशा साफ रखती हूँ।
बात इसी वर्ष गर्मी है जब उज्जैन में कुम्भ का आयोजन हो रहा था और गर्मी भी कहर ढा रही थी। हम दोनों वहाँ से स्नान करके आ गए, इसके बाद मेरे परिवार के बाकी सदस्य भी चले गए, मेरे 2 बेटे हैं, उनको भी उनके साथ भेज दिया था, उनका पूरे सप्ताह का प्रोग्राम था।
अब घर पर हम दोनों पति पत्नी ही रह गए थे। पहला दिन तो निकल गया था और घर के काम करके मैं बहुत थक गई थी।
रात को पतिदेव ने मुझे बहुत देर तक चूमा, प्यार किया और मैं उनसे चिपक कर सो गई।
अगली सुबह मैंने पति को ऑफिस के लिए तैयार होने के लिए बोला तो उन्होंने कहा कि उन्होंने छुट्टी ले ली है, पूरे हफ्ते तक ऑफिस नहीं जायेंगे, मेरे साथ ही रहेंगे। यह सुनकर मेरे मन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई और ख़ुशी से पूरी ताकत के साथ उनके गले लग गई।
फिर मैं खाना बनाने किचन में गई जैसे ही मैंने फ्रिज खोला तो उसमें 8-9 दूध के पैकेट रखे हुए थे, मैंने पतिदेव से पूछा कि इतने सारे पैकेट क्यों लाये हैं, उन्होंने सिर्फ यही कहा- इन्हें गर्म करके रख देना! मैंने वैसा ही किया।
घर के सब काम से फुर्सत पाकर मैं बेडरूम की सफाई करने लग गई। तभी पतिदेव ने पीछे से मेरी कूल्हे पर चपत लगाई और मेरी साड़ी भी निकाल दी और हल्का पसीना भी पौंछ दिया और ए. सी. ओन कर दिया।
उनकी ऐसी हरकतें आम बात है, अब मैं ब्लाउज और पेटीकोट में रह गई थी। उन्होंने एक दुपट्टा ( क्योंकि मैं सलवार कुर्ती भी पहनती हूँ, जब पतिदेव बोलते हैं सिर्फ तभी) एक तरफ रखकर उसे उठाने के लिए मना कर दिया।
थोड़ी देर बाद वो 2 ग्लास में दूध लाये और बेड पर बैठ कर पीने लगे मैं भी उनकी गोदी में बैठ गई। आधा ग्लास पीने के बाद उन्होंने मेरी तरफ बढ़ाया, तो मैंने कहा- आप ही पिलाइये।
उन्होंने खुद अपने हाथ से आधा ग्लास दूध मुझे पिलाया इसी तरह दूसरा ग्लास भी पिलाया।
दूध पीने के थोड़ी देर मैंने चूमा, किस करते करते उन्होंने मेरा ब्लाउज़ और पेटीकोट भी निकाल फेंके और मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया। उस दिन मैंने ब्रा पेंटी नहीं पहनी थी।
और फिर मुझे चूम कर, नाभि चाटकर ही गर्म कर दिया पर मैंने उन्हें तड़पाना चाहती थी क्योंकि तड़पाने के बाद उन्हें बहुत गुस्सा आता है और वो मुझे और भी ज्यादा जोश के साथ चोदते हैं।
मैं दीवार के सहारे खड़ी हो गई, पतिदेव भी गर्म हो गए थे पर उन्होंने कपड़े नहीं उतारे थे और वो बार बार मेरी गांड में 2 उंगली डालकर गांड को चोद रहे थे।
आपको बता दूँ कि 16 वर्षों की शादीशुदा जिंदगी में मैंने मेरी कुंवारी गांड को पतिदेव के लण्ड से दूर रखा है। उंगली से चोदते चोदते भी मेरी गांड में हल्का सा दर्द हो रहा था।
इतनी देर में मैंने उन्हें कुछ सामान लाने के लिए बोल दिया, उन्हें गुस्सा आ गया और गुस्से में ही मेरे दोनों कूल्हों पर 8-9 चपत मार कर सामान लेने दुकान पर चले गए और कमरे को बाहर से बन्द कर दिया। लेकिन ये चपत मुझे मीठी सी जलन दे रही थी।
उसके बाद मैं नंगी ही फिर से बेडरूम की सफाई करने लगी।
आधे घण्टे बाद पतिदेव सामान लेकर कमरे में आये और आते ही मेरे एक हाथ से मेरे गले को पकड़कर दीवार के सहारे खड़ा कर मुझे पागलों की तरह किस करने लगे और दूसरे हाथ से मेरी चूत को मसलने लगे।
मैं उनके इस हमले को समझ नहीं पाई थी, 2 मिनट में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया पर उनका मेरा गला पकड़कर किस करना जरी था और चूत में उंगली करना भी।
मेरी योनि के रज से उनकी उंगली गीली हो गई थी पर उन्होंने चूत मसलना रोका नहीं था, 5 मिनट तक मेरी चूत मसलने के दौरान मैं दूसरी बार झड़ी।
उन्होंने भी किस करना रोक दिया था, लेकिन तब मैं मदहोश हो चुकी थी और काफी गर्म भी लेकिन मैंने उन्हें उकसाना चाहा। उनके बाएं गाल पर तेजी से एक थप्पड़ लगाया, गाली दी- मादरचोद कहीं के! फिर एक थप्पड़ और मारा।
उन्होंने मेरे बाल पकड़कर मुझे बिस्तर पर पटक दिया, मैं कभी कभी सेक्स करते समय उन्हें जोश दिलाने के लिए गालियाँ देती रहती हूँ।
मेरे करीब आने पर मैंने भी उनके बाल पकड़कर उनके गाल पर एक और तेज थप्पड़ मारा, बदले में उन्होंने भी मुझे गाल पर एक तमाचा जड़ दिया और फिर पागलों की तरह मुझे चूमने लगे, वो भी इस तरह कि दोनों के चेहरे थूक से गीले हो गए थे।
अचानक किस करते करते उन्होंने मेरी चूत पर भी थप्पड़ मारने शुरू कर दिए, मैंने मदहोशी में उनके बाल कसकर पकड़े और भी तेजी से किस करने लगी, लेकिन थूक निकलना जारी था।
अचानक ही उन्होंने दूर हट कर मुझे पेट के सहारे लेटाकर मेरे दोनों हाथ को पीठ की कसकर बांध दिए। यह मेरे लिए नया नहीं था पर जो मैं चाहती थी वो उसके बिलकुल उल्टा हुआ, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।
मुझे कुतिया बनाकर मेरी चूत चाटने लगे मेरे मुंह से सिर्फ सिसकारियाँ निकल रही थी और गालियां भी दे रही थी। वो मेरी चूत चाटने के साथ साथ मेरी गांड को भी उंगली से चोद रहे थे।
लेकिन अब मेरी सब्र की सीमा टूट चुकी थी, मैंने उन्हें मेरी चूत में लण्ड फंसाने के लिए कहा, पर वो इतनी जल्दी कहाँ मानने वाले थे, वो तुरन्त ही नंगे होकर मेरे सामने आये, उनका लण्ड अभी आधा ही खड़ा हुआ था, उन्होंने उसे चूसने के लिए बोला पर मुझसे अब और नहीं सहा जा रहा था।
तभी वो एक और दुपट्टा अलमारी से निकाल कर लाये और लण्ड चूसने के लिए फिर से बोला, मुझे पता था कि बिना उनका लण्ड मुंह में लिए वो मुझे नहीं चोदेंगे, पहले तो लंड को मुंह के करीब लाते और दूर हटा लेते, ऐसा करने में उन्हें बड़ा मजा आ रहा था।
पर मेरे सब्र की सीमा टूट रही थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मेरी हालत देखकर उन्होंने तुरन्त ही उनका लण्ड मेरे मुंह में डाल दिया, उनके लण्ड की लम्बाई 8.5 इंच और मोटाई 3-3.5 इंच है जो मेरे मुँह में पूरी तरह से सिर्फ वो ही भर सकते हैं।
पूरा लण्ड मुँह में भरने के बाद मेरे मुंह को भी बुरी तरह से चोदने लगे जो की मेरे गले से टकराने के बाद भी थोड़ा बाहर था। पतिदेव मेरे मुँह को इतनी तेज चोद रहे थे कि मेरा मुँह भी दुखने लगा था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही उनका लण्ड पूरी तरह से तैयार हो गया। कुछ थूक भी मुँह से बाहर निकल रहा था जो बीच बीच में मेरे मुँह पर ही पौंछ देते और दुपट्टे से मेरा मुंह बांध दिया।
शायद झटके से मेरी चीख ज्यादा तेज नहीं निकले इसलिए… लेकिन मेरा सोचना गलत था। मुझे वे फिर कुतिया बनाकर मेरी चूत चोदने लगे और सिर्फ 2 झटकों में ही उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में समा गया जो सीधा बार बार मेरी बच्चेदानी से लग रहा था।
मेरी चीख निकल गई थी पर मुंह पर कपड़ा बंधा होने से वो वहीं पर दब कर रह गई। मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि 40-50 धक्कों के बाद मेरी चूत ने अपना रस बहा दिया।
अब वो होने वाला था जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था, उन्होंने लण्ड निकाल कर मेरी चूत को एक कपड़े से साफ किया फिर उनके लण्ड को और मेरी कमर कुछ ज्यादा ही कसकर पकड़ी फिर मेरी चूत मारने लगे।
10-15 धक्के लगाने के बाद अचानक ही उन्होंने लण्ड को मेरी गांड के छेद पर टिका दिया और पूरी ताकत और बेरहमी से गांड घुसा दिया, लगभग 2 इंच मेरी गांड में घुसाने के बाद लण्ड बाहर निकाला और फिर अंदर डाल दिया।
इसी तरह 4 बार में उन्होंने पूरा लण्ड गाण्ड में अंदर तक डाल दिया और लण्ड बाहर निकालकर अलग बैठ गए। मुश्किल से 7-8 सेकंड लगे होंगे ये सब करने में।
ये सब मैं बिल्कुल सहन नहीं कर पाई और इतना दर्द हो रहा था कि बिन पानी की मछली की तरह बिस्तर पर ही तड़पने लगी, दर्द से मेरे आंसू निकलने लगे बिस्तर पर पैर पटकने लगी।
यहाँ तक की बिस्तर पर चारों ओर घूम गई थी पूरी ताकत से रोने भी लग गई थी लेकिन दुपट्टे से मुंह बंधा होने के कारण आवाज ज्यादा बाहर नहीं निकल पाई और कमरे में ही दब कर रह गई।
इन 4 झटकों से ही इतना दर्द हो रहा था, जितना मेरे पहले बच्चे के जन्म के समय भी नहीं हुआ था। इस दर्द का अनुभव सिर्फ पहले बच्चे को जन्म देने वाली माँ ही कर सकती है दूसरा कोई नहीं।
5 मिनट ऐसे ही तड़पने के बाद मेरा दर्द और रोना थोड़ा कम हुआ तो मैं पतिदेव की तरफ देखने लगी जो कोने पर ही कुर्सी पर बैठे हुए उनका लण्ड सहला रहे थे और मुझे तड़पता और रोता हुआ देखकर बहुत हँस भी रहे थे।
तभी मेरे करीब आकर मेरे दोनों निप्पलों को मसलने लगे, मुझे आनन्द आने लगा था पर गांड का दर्द ज्यादा हो रहा था। फिर उन्होंने दुपट्टा मुँह से खोलकर उनके मोबाइल से कुछ फ़ोटो ली और मुझे किस करने लगे।
तब तक उनका लण्ड ढीला पड़ चुका था, उन्होंने लंड मेरे मुंह में रख दिया, मैंने कराहते हुए ही मना कर दिया तो उन्होंने गांड को दबाना शुरू कर दिया।
और जैसे कोई बच्चा चीखता है वैसे मैं चीखने लगी। उन्होंने फिर लण्ड मुँह में लेने के लिए कहा।
अब मैं मरती क्या ना करती… लण्ड को मुंह में ले लिया और फिर वो मेरे मुंह को फिर से चोदने लगे। मेरा मुंह बांधकर एक बार और मुझे कुतिया बनाया और फिर पूरी ताक़त से एक झटके में ही लण्ड मेरी गांड में उतार दिया।
मैं एक बार और छटपटाने लगी और इस बार भी उन्होंने मुझे पहले की तरह छोड़ दिया और अलग हो गए, मुझे इस बार पहले से भी ज्यादा रोना आ गया था।
उन्होंने कहा- आज कुंवारी गांड चोदने का आनन्द ही दिला दिया, 16 साल की तड़प अब मिटने वाली है, अब तुझे निचोड़ के रखना ही पड़ेगा, आज तुझे बचाने के लिए तो तेरे सास-ससुर भी यहाँ पर नहीं हैं।
आपको बताना चाहूंगी कि कई बार जब मेरा मूड चुदाई का नहीं होता था तब पतिदेव जरूर सेक्स करते थे और चूत भी सुजा देते थे। इस बात को मैंने मेरी सास को अप्रत्यक्ष बताया तो समझ जाती थी और मुझे अपने कमरे में ही सुलाती थी। पर आज तो सच में ही…
अब वो मेरे करीब आने लगे, मैं उन्हें सर हिला कर मना करने लगी और पीछे सरकने लगी, पर उन्होंने मुझे पकड़ लिया और मैं छुटने की कोशिश करने लगी पर बचती भी कब तक, जितना कोशिश कर सकती थी की… पर मेरे प्यारे पतिदेव आज पूरा शक्ति कपूर बने थे।
मैं समझ चुकी थी कि ऐसे ही नहीं छोड़ने वाले नहीं थे, तो मैंने भी हार मान ली। मेरे पति ने मुझे घोड़ी बना दिया और इस बार उन्होंने थोड़ी नरमी से गांड में लण्ड डाला था और धीरे धीरे धक्के लगा रहे थे और गति तेज कर दी।
लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, मैं रोती हुई गांड मरवा रही थी, पर मेरे पतिदेव पर मेरे रोने का और मेरे दर्द का कोई भी फर्क नहीं पड़ रहा था, पता नहीं उन्हें रोने से कौन सी ऊर्जा मिल रही थी, वो धक्के पे धक्के मारते जा रहे थे।
15 मिनट तक घोड़ी बने रहने के कारण मैं थक गई थी और अचानक ही मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं वही गिर गई।
तभी पतिदेव ने एक जोरदार थप्पड़ मेरे चूतड़ पर मारा, उसका असर मेरी गांड पर हुआ और मैंने दर्द सर कराहते हुए गांड ऊँची कर दी और रोने लगी।
मेरी गांड इस कदर सूज चुकी थी कि हल्का हाथ भी लगाये तो मैं छटपटाने लग जाऊँ!
तभी पतिदेव ने मुझसे खड़े होने के लिए कहा पर मैं तो हिलने की स्थिति में भी नहीं थी, मैं बिस्तर पर ही पड़ी रही, उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी जांघ पर हाथ फेरने लगे मुझे दर्द होने लगा।
मैं सर हिलाकर मना कर रही थी पर उन्होंने मेरा एक पैर उनके कन्धे पर रख दिया मेरी तो मानो जैसे प्राण ही नहीं निकले बाकी और सब कुछ हो गया, इतना दर्द हो रहा था।
एक पैर कन्धे पर रखने के बाद उन्होंने लण्ड फिर गांड में डालकर इस तरह का संतुलन बनाया कि मैं गिर नहीं जाऊं… और चोदने लगे। इस आसन में भी उन्होंने मुझे 10 मिनट चोदा, तब उन्होंने मेरे हाथ और मुँह को खोल दिया, तब मुझे थोड़ी राहत मिली।
इसके बाद मुझे जैसे तैसे फिर बिस्तर पर ले जाकर घुटनों के सहारे खड़ा किया और मेरे पीछे आकर लण्ड गांड में डाला और मेरे मम्मों को कसकर दबाने लगे।
मैंने उनकी कलाइयाँ पकड़ रखी थी, वो मेरे मम्मों को दबाकर ही मेरी गांड चोदने लगे। लेकिन इतनी देर तक चोदने के बाद भी पतिदेव अभी तक झड़े नहीं थे, यह बात मेरे दिमाग जरूर में घूम रही थी।
इस आसन के बाद उन्होंने मुझे घुमाया और अब सामने से वो घुटनों के बल बैठ गए और मुझे उनकी गोद में बैठाया पर चोदा मेरे मम्मों को पकड़कर ही। और मेरे पूरे शरीर में सिर्फ मेरे दोनों हाथ ही अब काम करने लायक थे तो मैंने उन्हें पकड़ रखा था।
मेरा रोना अभी तक जारी था, तभी उन्होंने बोला- मैं झड़ने वाला हूँ मुँह में झड़ जाऊँ?
यह सुन कर तो मुझे ख़ुशी हुई, पर अचानक ही उन्होंने लण्ड गांड से निकालकर चूत में डाल दिया और चूत चोदने लगे। 5 मिनट में ही मेरी चूत में पानी छोड़ दिया।
अब पतिदेव की बारी थी झड़ने की, उन्होंने भी लण्ड निकालकर मेरे मुँह में डाल दिया और मुंह को भी मेरी गांड की तरह बेरहमी से चोदने लगे।
उनका लण्ड इतना मोटा है कि मेरा मुँह बहुत बुरी तरह दुखने लगा था, 2 मिनट मुँह को चोदने के बाद लण्ड मुँह से बाहर निकालकर सारा वीर्य मेरे चेहरे पर गिरा दिया और अपने हाथ से ही मेरे चेहरे का फेशियल कर दिया।
1 घण्टे से भी अधिक समय लगा उन्हें झड़ने में… पता नहीं कौन सी गोली खाकर चोद था मुझे!
लगभग 15 मिनट तक मैं ऐसे ही बिस्तर पर पड़ी दर्द से रोती रही और पतिदेव मेरे बालों को सहला रहे थे और मुझे सॉरी बोल रहे थे पर मुझे उन पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
15 मिनट बाद जब घड़ी में देखा तो 2 बज रहे थे। मुझे सू सू आ रही थी पर मैं चल तो दूर हिल भी नहीं पा रही थी।
थोड़ी देर बाद पतिदेव 2 ग्लास में दूध लेकर आये जो पता नहीं कब किचन में लेने चले गए थे। एक ग्लास मुझे पीने के लिए बोला, मैं दर्द और गुस्से से बिना कुछ बोले उनकी तरफ देखती रही, पर कर कुछ नहीं सकती थी, मेरा पूरा बदन टूट चूका था।
हारकर मैंने उन्हे मुझे बाथरूम तक ले जाने के लिए कहा, वो मुझे बाथरूम तक ले गए और वापस ले आये, पर मेरा गुस्सा अभी तक कम नहीं हुआ था।
खैर मैंने दूध लिया और फटाफट पी गई पतिदेव भी सारा दूध पी गए उसके बाद खाना लाये और खाना खाने के बाद फिर एक ग्लास दूध अपने हाथों से पिलाया।
दूध पीने के बाद मुझे नींद आ रही थी, पता नहीं कब सो गई।
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