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मैं पड़ोसन भाभी के घर गया था कि नंगी भाभी अचानक मेरे सामने आ गई। यह इत्तेफाक मेरे साथ हुआ था.
दोस्तो, मैं शशांक अग्रवाल 6’4″ का हट्टा-कट्टा लौंडा हूँ। आज मैं आप लोगों को अपनी पहली चुदाई सुनाने जा रहा हूँ जो कि एक इत्तेफाकन ही हुई थी।
बात उन दिनों की है.. जब मैं 12 वीं क्लास का एग्जाम दे कर गर्मियों की छुट्टी में दादी के पास गाँव गया हुआ था।
वहाँ पड़ोस में एक भाभी रहती थीं.. जिनका नाम तिलोत्तमा है.. वो नेचर से बहुत अच्छी थीं। उस टाइम उनकी उम्र करीब 28 साल की रही होगी। एकदम फिट बॉडी.. गदराया बदन था.. उनका कोई बच्चा नहीं था। उनके पति बिजली विभाग में कार्यरत थे।
मेरी उनसे बात हमेशा होती रहती थी या ये कहा जाए कि मेरे पूरे टाइम पास के लिए एक वह ही थीं। जैसा कि आप सभी जानते है गांव में बहुत बोर लगने लगता है..
उस दौरान टीवी पर बहुत मैच आने थे। घर का टीवी ख़राब था.. तब वो पड़ोसी भाभी याद आईं.. जिनके पास मैं तुरंत निकल पड़ा।
उनके घर पहुँचा.. तो उनका दरवाजा बंद था। मैंने दरवाजे को हाथ लगाया.. तो वो खुल गया.. शायद ठीक से बंद नहीं था। मैं अन्दर गया.. आवाज़ लगाई.. कोई नहीं था।
मैंने ध्यान ना देते हुए हॉल में टीवी ऑन किया और मैच देखने लगा।
हॉल से लगा हुआ बाथरूम था.. जिसका दरवाज़ा अचानक खुला और मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
मैंने देखा कि तिलोत्तमा भाभी पूरी नंगी हालत में बाहर आ रही थीं और अचानक मुझे देखकर अपने हाथों से अपना तन ढकने लगीं। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने नजरें हटाईं.. नंगी भाभी भी जल्दी से अपने बेडरूम की ओर भागीं, मैं भी शर्मवश वहाँ से घर भाग आया।
अब बार-बार मुझे वही दृश्य नज़र आने लगा.. मैं सो नहीं पाता था, हर जगह मुझे सिर्फ नंगी तिलोत्तमा भाभी नज़र आतीं। लेकिन उनसे मिलने की हिम्मत नहीं होती थी।
एक दिन शाम को मैं अपने घर की छत पर टहल रहा था.. वो अपनी छत पर कुछ काम से आईं.. उन्होंने मुझे इशारे से बुलाया.. जाने का मन तो था.. पर मैं नहीं गया।
जैसे-तैसे 3 दिन हो गए.. फिर एक पड़ोस का बच्चा मुझे बोला- आपको भाभी ने बुलाया है.. उनका टीवी खराब हो गया है।
इस बार मैं गया.. वो घर के बाहर ही थीं। मैं उनसे जाकर मिला.. तो वो बोलीं- आजकल आते क्यों नहीं हो? चलो घर पर बैठो.. मैं चाय बनाकर लाती हूँ।
मैंने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।
मैं अन्दर गया तो टीवी चल रहा था मुझे सब समझ आ गया। अब मैं भी भाभी से थोड़ा फ्रैंक होना चाह रहा था। इतने में वे चाय लेकर आईं और मेरे बगल में बैठ गईं और फिर बातें करने लगीं।
धीरे-धीरे बातें बढ़ने लगीं.. गर्लफ्रेंड के बारे में भी पूछा। फिर उन्होंने कहा- तुम उस दिन भाग क्यों गए? इतना कहते ही वे मेरे और पास आकर मुझसे चिपक कर बैठ गईं।
मैंने जैसे ही उनकी तरफ चेहरा किया.. हमें एक-दूसरे की साँसें महसूस होने लगीं। मैंने अब भी कुछ ना कहा.. वो खुद ही बोल पड़ीं- मुझे नंगी देखकर तुम्हें कुछ हुआ नहीं?
उनका हाथ मेरी जांघ को सहला रहा था.. मेरा लौड़ा तो अब बाँधने से भी ना बंधे। मैंने आव देखा ना ताव.. तिलोत्तमा भाभी को पकड़ा और चुम्बन कर दिया।
वो बोलीं- बड़ी जल्दी में हो.. इतनी जल्दी क्या है.. चाय तो पी लो.. मैंने कहा- चाय को डाल अपनी बुर में तिलोत्तमा डार्लिंग.. अब कंट्रोल नहीं हो रहा है।
‘कंट्रोल तो मुझे भी उस दिन से नहीं हो रहा.. तेरे भईया की भी नाईट डयूटी लग गई है.. सुबह घर आते हैं दो महीनों से प्यासी हूँ.. और अब तो उनसे कुछ होता भी नहीं है.. चलो मेरे बेडरूम में..’
उनके इतना कहते ही मैंने उनको उठाया और बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया। उसके बाद मैं उनके बड़े-बड़े मम्मों को दबाने लगा।
साड़ी में वो फंस सी रही थीं.. इसलिए मैंने उनकी साड़ी को निकाल फेंका, अब वो ब्लाउज और पेटिकोट में थीं।
मैंने ब्लाउज से उनके मम्मों को आजाद किया। हाय.. कितने सॉफ्ट थे.. मन कर रहा था.. चबा जाऊँ.. पर मुँह में लेकर चूसने लगा।
वो क्या सिसकारियां ले रही थीं.. सुन कर लौड़ा फनफना रहा था। उन्होंने मुझे सीने से चिपका लिया फिर हम एक-दूसरे को किस करने लगे।
इसी बीच में मैंने भाभी की चूत में हाथ डाला.. जो कि पूरा पानी छोड़ चुकी थी। चूत का मैदान मलाईदार हो गया था।
मेरा भी पहली बार था.. इसलिए लौड़ा कंट्रोल से बाहर हुआ जा रहा था।
उसने कहा- रुको एक मिनट..
भाभी ने अपना पेटिकोट उतार दिया और नंगी भाभी में मेरे भी बाकी के कपड़े उतार दिए और फिर मेरा लण्ड देख कर तो उछल सी गईं, बोलीं- वाह.. आज मेरी प्यास बुझेगी इस मोटे लौड़े से।
मैंने मुँह में लेने को कहा.. पर उन्होंने सिर्फ मेरे लौड़े को किस किया, तकिये के नीचे से कंडोम निकाल कर मुझे दिया.. मैंने कंडोम लगाया और फिर वो चूत पसार कर लेट गईं।
वो थोड़ी छोटी पड़ रही थीं.. तो मैंने भाभी की गांड के नीचे दो तकिये लगा दिए, हाथ से भाभी की चूत को फैला कर लौड़ा फिट किया। मैं ऊपर ऊपर से लण्ड को चूत में रगड़ रहा था।
भाभी गर्म हो चुकी थीं.. बोलीं- शशांक अब चोद भी दो.. मुझे फाड़ दो.. मेरी चूत को चोद दो.. बना लो मुझे अपनी रांड.. इतना सुनते ही मैंने एक जोर का धक्का मारा.. मेरा आधा लौड़ा भाभी की चूत में घुस गया।
भाभी जोर-जोर से चिल्लाने लगीं- आह्ह.. फाड़ दिया रे.. मर गई आह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह.. मैंने फिर एक धक्का मारा.. अब पूरा लम्बा लण्ड उनकी चूत में जड़ तक घुस गया।
मैंने उनके मुँह को अपने मुँह में ले लिया.. जिससे उनकी पूरी आवाज़ दब गई। कुछ पलों के बाद ही वो उछल-उछल कर चुदाई के मजे लेने लगीं।
अजीब-अजीब सी आवाजें भी निकालने लगीं- आह्ह.. चोदो.. चोद डालो.. फाड़ दो चूत मेरी.. अपने मूसल से.. आह्ह.. चुदाई धकापेल चल रही थी.. इस बीच वो दो बार झड़ गई थीं। थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया।
लम्बी चुदाई के बाद हम थक चुके थे.. तो दोनों नंगे निढाल हो कर लेट गए। कुछ मिनट बाद कपड़े पहने.. और फिर मैं घर आ गया।
फिर जब तक मैं गांव में रहा.. चुदाई का खेल जारी रहा और आज इस बात को 3 साल हो गए हैं। मज़े की बात तो ये है कि आज उनका एक बेटा है। अब भी जब भी जाना होता है.. टाइम मिलते ही चुदाई कर ही लेते हैं।
यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था नंगी भाभी की चुदाई का! [email protected]
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