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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को निखिल शर्मा का नमस्कार! मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ और मैं भी आप सब की तरह ही अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ कर मुठ मारता हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है। मॉम और डैड के तलाक के बाद यूँ तो मैं हमेशा से अकेला ही रहा हूँ.. पर अकेले रहने का कभी सुख नहीं मिला। मैं लखनऊ में भी अपने फ्लैट पर अकेले ही रहता हूँ और ज्यादातर फ्लैट के अन्दर ही रहता हूँ, पड़ोसियों को तक नहीं जानता।
पर वो कहते हैं ना.. कि मियाँ हर कुत्ते की रात आती है, मेरी भी एक ऐसी ही रात आई।
मैं रात में 2 बजे तक गेमिंग कर रहा था.. तभी मैंने देखा कि पीने का पानी खत्म हो गया है। अब रात में 2 बजे कहाँ जाऊँ? मैं सीढ़ियों से उतर ही रहा था कि सामने वाले फ्लैट की लाइट जलती दिख गई।
मैंने बेल बजाई और वो निकल कर आई। अब आप लोग सोच रहे होंगे कि वो कौन? अब मुझे क्या पता.. मैंने भी पहली बार घंटी बजाई थी।
वो निकल कर आई और कुछ पूछती रही.. पर मैं तो किसी और ही दुनिया में था।
उसे देखकर मेरी आंखें तो खुली की खुली रह गई थीं। पिंक टॉप और ब्लू शॉर्ट्स में दूध सी सफ़ेद हसीना.. स्ट्रॉबेरी से गुलाबी होंठ.. उसके टॉप को फाड़ते हुए 36 बी साइज के नुकीले चूचे.. नागिन सी बलखाती हुई कमर.. वो कमाल थी यार।
तभी उसने जोर से बोला- ओ हैलो.. तब मैं होश में आया और बोतल दिखाते हुए बोला- पानी चाहिए।
वो बोतल लेकर मुड़ी और जो उसकी गाण्ड मेरी तरफ हुई.. मैं अपने आप ही उस गाण्ड के पीछे खिंचा चला गया। उसने पूछा- इतनी रात में क्या कर रहे हो? मैंने बताया- पढ़ाई। ‘हम्म..’ फिर मैंने पूछा- तुम इतनी रात में क्या कर रही हो? तो उसने बोला- स्कूल का कुछ काम बाकी था.. वही निपटा रही थी।
इतनी सेक्सी माल और वो भी टीचर! मेरा तो जैकपॉट लग गया था।
पानी ले कर मैं ऊपर आ गया.. पर लण्ड और लण्ड का चैन तो नीचे ही छूट गया था।
फिर उसके बाद से तो रोज ही मेरे घर में कुछ न कुछ खत्म होने लगा, वो भी सब समझने लगी थी।
एक दिन मैं बियर ले कर आ रहा था तभी उसने देख लिया और बोली- पार्टी है क्या? मैंने बोला- नहीं.. सिर्फ मैं ही हूँ। वो बोली- मैं भी आ सकती हूँ? मैंने कहा- बिल्कुल।
हम लोगों ने एक-एक बियर ही पी होगी.. कि तभी उसने बताया कि उसका बॉयफ्रेंड उसको बिल्कुल टाइम नहीं देता.. उसका मन भर गया है। मैंने बोला- तो कोई ऐसा ढूंढ लो.. जिसका मन खाली हो। ‘किधर मिलेगा ऐसा?’
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोलता गया ‘जब से तुमको देखा है.. साला पानी भी तुम्हारे ही हाथ का अच्छा लगता है.. सोते जागते सारे टाइम तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ और तुमको इतना ज्यादा प्यार करना चाहता हूँ.. जितना तुम सोच भी नहीं सकती।’ यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
यह बोलते-बोलते मैंने उसे कसकर हग कर लिया। वो थोड़ा पीछे हटी.. तो मैंने उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो कुछ सोच पाती.. इससे पहले ही मैंने उसके होंठों का रस चूसना शुरू कर दिया और बस चूसता रहा।
जैसे ही उसने थोड़ा सा मुँह खोला.. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अन्दर डाल दी। उसकी साँस काफी तेज हो गई थी.. तो मैंने उसके गले और कान पर अपनी जीभ फिराना शुरू कर दिया।
वो थोड़ा ही गर्म हुई थी कि मैंने उसके गले से होते हुए टॉप के ऊपर से उसके चूचे चूसने शुरू कर दिए। तभी मैंने अपना एक़ हाथ धीरे से टॉप के अन्दर डालकर चूचों को मसलना चालू कर दिया।
अब मेरा मुँह उसके मुँह पर था और हाथों से उसका टॉप उतार रहा था। ओफ्फो.. पिंक कलर की कप वाली ब्रा में क्या लग रहे थे। मैंने तुरंत ब्रा उतार फेंकी और उसकी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया.. क्या सॉफ्ट थे एकदम रुई के गोले।
मैंने एक चूचे को मुँह में भर लिया और एक को हाथ से दबाने लगा। चूचे दबाते-दबाते मेरा हाथ अपने आप नीचे होता गया.. लोवर और पैंटी से होता हुआ मेरा हाथ चूत के मुँह पर पहुँच गया।
चूत काफी चिपचिपी हो गई थी और उसमें से कामरस बह रहा था। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने एक ही झटके में लोवर पैंटी सब उतार फेंके और उसकी दोनों टाँगें फैलाकर चूत की खुश्बू में मदहोश होने लगा।
मैंने उसकी चूत में जैसे ही उंगली डाली.. उसकी चीख़ निकल गई.. तो मैंने उंगली हटाकर उसकी क्लाइटोरिस को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। अब कभी मैं उसकी चूत को चाटता और कभी उसे जीभ से ही चोदता।
वो बस सिसकारियाँ लेती रही। तभी मैं खड़ा हुआ तो उसने तुरंत मेरा लोवर फ़ाड़ता हुआ लण्ड पकड़ लिया, लोवर और चड्डी नीचे खिसका दी। मेरा लण्ड देखकर सोच में पड़ गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ? तो बोली- बहुत बड़ा है.. मुँह में नहीं ले पाऊँगी। मैंने कहा- कोई बात नहीं.. हाथ से ही कर दो।
उसने मेरे लण्ड को दोनों हाथों से पकड़ कर झटके देना शुरू कर दिया और ऊपर से ही चाटने लगी। फिर पता नहीं उसको क्या हुआ.. वो लण्ड मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। शुरू में तो आधा ही ले पाई.. पर धीरे-धीरे पूरा लण्ड मुँह के अन्दर ले लिया।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. तो मैंने उसे दोनों टाँगें पकड़कर उठाया और बिस्तर पर पटक दिया और टाँगें फैलाकर लण्ड डालने लगा। अभी सिर्फ सुपाड़ा ही गया था कि उसकी चीख निकल गई।
फिर मैंने धीरे-धीरे पूरा लण्ड घुसा दिया और आराम से चोदने लगा.. पर आराम से चोदने में मजा कहाँ.. तो मैं भी 20 -30 झटकों के बाद जानवरों की तरह चोदने लगा।
वो चिल्लाने लगी.. कभी ‘आऐईई..’ तो कभी ‘आआआहह..’ पर मैं कहाँ मानने वाला था.. जानवर तो जानवर। फिर उस पोज़ में जब मैं थक गया.. तो मैंने उसे दोनों टांगों से उठाकर अपने लण्ड पर बैठा लिया और नीचे से जानवरों की तरह पेलने लगा।
इस बार लण्ड सीधे गर्भाशय से टकरा रहा था और उसे भी मजा आने लगा था। वो भी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर मजे से चुदवा रही थी।
कुछ धक्कों के बाद इस पोज़ में भी मैं थक गया.. तो मैंने उसे कुतिया बनने को कहा और वो तुरंत गाण्ड झुका कर कुतिया बन गई।
अब मैंने उसके पीछे आकर जो कुत्ते जैसे चोदना चालू किया.. तो वो सच में किसी कुतिया की तरह ही लगातार चिल्लाने लगी- आआहह.. आआहह..
मैं बिना रुके पूरी ताकत से चोदता रहा, फिर अचानक उसने बोला- मैं झड़ने वाली हूँ। मैंने कहा- मैं भी.. और हम दोनों साथ में झड़ गए।
बस एक बार क्या चुदाई हुई तो समझो आए दिन उसका गेम बजने लगा।
यह थी मेरी कहानी.. आपको कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं। मैं आगे भी कहानियाँ लिखता रहूँगा। आपका अपना निखिल शर्मा [email protected]
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