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अन्तर्वासना के पाठकों सभी को मेरा प्रणाम.. मेरा नाम आरिफ है। मेरा कद 6 फुट 3 इंच है.. रंग गोरा है। मैं आपको उन दिनों की कहानी सुनाने जा रहा हूँ.. जब मैं 12 वीं क्लास में था। मैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में पढ़ता था।
हमारे पड़ोस में एक बड़ा परिवार रहने के लिए आया था, उस परिवार में बहुत लोग थे। दो भाई.. उनकी माँ.. दोनों भाइयों की बीवियां.. बड़े भाई की 4 बेटियां.. और छोटे भाई का एक लड़का.. चारों बेटियां एकदम जबरदस्त हैं। उनके साथ ही उनके एक चाचा भी हैं.. जिनकी एक सेक्सी सी बीवी है.. उनका नाम रजिया चाची है। उनकी उम्र 30 साल है.. फिगर 36-34-36 का है।
जब भी वे मेरे सामने आतीं.. तो मेरी धड़कन बढ़ जाती थी। उनका पति कमजोर किस्म का शख्स था। वो रजिया जैसी फिट औरत को संतुष्ट नहीं कर सकता था। शायद इसलिए रजिया चाची मेरी तरफ बहुत ही कामुक अंदाज़ से देखती थीं लेकिन पहले-पहल मैंने उन पर उतना गौर नहीं किया था।
एक दिन रजिया चाची छत पर थीं.. मेरा भी किसी काम से छत पर जाना हुआ.. तो मैंने देखा कि रजिया चाची नहाकर अपने बाल सुखा रही हैं।
उस समय वो सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में ही थीं। क्या मस्त माल लग रही थीं एकदम मस्त लौंडिया के जैसे.. क्या चूचियाँ थीं उनकी.. जिसको भी चूसने को मिल जाएं.. तो समझो लॉटरी ही लग जाए।
मेरी नज़रें उनकी चूचियों पर गड़ गई। मेरे लण्ड का सब्र टूट रहा था.. मैं उन्हें देखता हुआ अपने लण्ड को जेब में हाथ डालकर जेब के अन्दर से ही सहला रहा था, उनकी चूचियों को मैं इतना गौर से देख रहा था कि मुझे पता ही नहीं चला कि वो कितने समय से मुझे देख रही थीं।
एकदम से उनकी आँखों की तरफ मेरी नज़र गई.. तो वो मुस्कुरा उठीं। उसके बाद हम जब भी एक-दूसरे की तरफ देखते तो मुस्कुराने लगे। एक हफ्ता ये खेल चला।
एक दिन रजिया चाची छत पर कपड़े सुखाती नज़र आईं.. उन्होंने मुझे देख लिया था.. तब भी वो अनजान बनकर कपड़े सुखाती रहीं और बड़ी अदाएं दिखाना शुरू कर दीं। कभी अंगड़ाई लेकर साइड से चूचियों को दिखातीं.. कभी खुजली के बहने चूचियों को मसलतीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
ये सब देखकर मेरा लम्बा लण्ड सलामी देने लगा।
मैंने भी लण्ड को सहलाते हुए रजिया चाची से कहा- क्या बात है.. रजिया आंटी.. मौसम के बहुत मज़े ले रही हो? तब रजिया ने जवाब दिया- मेरे कैसे मजे.. मेरी तो किस्मत ही खराब है.. सास डांटती रहती है.. पति में इतनी हिम्मत नहीं है कि अलग लेकर रह सके.. वो बस अपने पति के बारे में बुराई करने लग गईं।
मुझे हरी झण्डी नज़र आने लगी थी, मैंने उनसे कहा- खाली समय में मेरे घर पर आ जाया करो।
दूसरे दिन वो मेरे घर पर आईं.. घर में मैं अकेला ही था। रजिया चाची को मैंने सोफे पर बैठने को कहा और हम बातें करने लगे।
मेरी नज़र बार-बार रजिया आंटी के स्तनों पर जा रही थी। रजिया आंटी भी मेरी ओर देख रही थीं.. उनके सुडौल स्तनों को देखकर मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था। ये रजिया चाची भी देख रही थीं।
उन्होंने रोमाँटिक अंदाज़ में कहा- तुम कितनी अच्छी बातें करते हो.. काश मुझे तुम्हारे जैसा पति मिल जाता.. मेरा पति मुझे किसी भी बात में खुश नहीं रख पाता।
मैंने अपने लण्ड को सहलाते हुए कहा- आप ग़लती सुधार भी तो सकती हो। उसने कहा- क्या करूँ.. एक बच्चा भी तो पैदा कर रखा है.. और अब तो मेरा पति मेरी तरफ देखता भी नहीं है।
उनकी आँखों से आंसू निकलने लगे। मैं रजिया चाची के करीब आया और उनकी आँखों को पोंछने लगा। मैंने गाल पर हाथ फेरते हुए कहा- चिंता मत कीजिए.. हम हैं ना आपके लिए..
मैंने धीरे-धीरे हाथ उनके मम्मों पर रख दिए.. जिसकी वजह से वो भी गर्म हो रही थीं और उन्होंने कोई विरोध भी नहीं किया। इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं धीरे-धीरे अपने हाथ से उन्हें सहलाने लगा।
उनकी सांसें तेज चलने लगीं और उनकी चूचियां टाइट हो गईं। उन्होंने बड़े प्यार से मुझसे कहा- तुम कितने अच्छे हो.. यह कहते हुए उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और धीरे-धीरे मेरे लण्ड की ओर हाथ बढ़ाने लगीं।
हम दोनों ही इतने गर्म हो चुके थे कि अब हमसे रहा नहीं जा रहा था।
हम दोनों एक-दूसरे को यूं ही सहलाते रहे और मैंने उनके करीब अपने होंठ ले जाते हुए कहा- आप बहुत सुन्दर हो। उन्होंने मुझे ‘थैंक्स’ कहा। मैं उनके सामने से आ गया और एक हाथ उनके बालों में डालते हुए अपने होंठों को उनके होंठों पर रख दिए। उन्होंने ‘उम्म’ करते हुए आँखें बंद कर लीं और मेरे लण्ड को पकड़ लिया।
हम दोनों की गर्म साँसें चल रही थीं। मैं उनकी चूचियों को दबाता हुआ उनके होंठों को दीवानों की तरह चूमने लगा। वो भी बहुत ही जोश में मेरा साथ दे रही थीं।
मैं अब चूमता हुआ उनकी पैरों की ओर बढ़ा.. और उनके पैर को चूमता हुआ धीरे-धीरे उनकी साड़ी ऊपर उठाता हुआ उनकी पिंडली को चूमने लगा।
धीरे-धीरे और ऊपर बढ़ता हुआ मैं उनकी जाँघों तक पहुँच गया। अब हमारा सब्र का बाँध टूटने लगा था।
मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट को निकाल कर अलग कर दिया और उनकी चूत को पूरा आज़ाद कर दिया। उन्होंने भी समय खराब ना करते हुए मेरी टी-शर्ट को उतार कर फेंक दिया और पैन्ट भी उतार डाली।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे हो गए, मैं उनकी चूत के चारों तरफ अपनी उंगली गोल-गोल फेरने लगा। उन्होंने कहा- बस करो यार.. तड़पाना छोड़ो.. मुझे जल्दी से चोद डालो।
मैं उनकी दोनों रानों को फैलाकर उनकी टांगों के बीच में बैठते हुए अपना मूसल लण्ड उनकी चूत पर रखकर सहलाने लगा। वो बहुत ही तड़प कर कहने लगीं- अब डाल भी दो.. मुझसे रहा नहीं जा रहा है।
मैं ऐसे ही कुछ देर तक उन्हें तड़पाता रहा, बाद में मैंने धीरे से सुपारा अन्दर डाल दिया।
हमने एक-दूसरे को इतना कसकर पकड़ लिया कि पत्थर भी अगर हमारे बीच रखते तो चूर-चूर हो जाता।
रजिया चाची की चूत बहुत ही टाइट थी.. शायद कई महीनों से चुदी नहीं थी। मैंने ज़ोर से झटका मारा और उनकी चूत को चीरता हुआ मेरा लण्ड अन्दर चला गया.. जिसकी वजह से रजिया चाची ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगीं- हाय.. बचा लो.. उईईईई.. मार दिया.. अहह..
मैंने उनकी बांहों में हाथ डाल दिए और घोड़ा बनकर उन्हें चोदता रहा। उन्होंने मेरे बालों में हाथ डाल दिए.. होंठों पर होंठ रख दिए.. और हम एक-दूसरे को चूसते हुए चुदाई करते रहे।
कभी मैं उनके हाथों को सहलाता.. तो कभी बांहों को.. तो कभी चूचियां दबाता। हम दोनों मीठे दर्द से कराह रहे थे.. पूरे कमरे में हमारी आवाजें गूँज रही थीं।
कुछ देर के बाद हम दोनों झड़ ग़ए और बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ करके तैयार हो गए। इसके बाद रजिया चाची मुझे एक किस देकर चली गईं।
अब जब भी हम दोनों को मौका मिलता.. हम ज़रूर चूत चुदाई करते हैं।
मुझे ईमेल कीजिएगा। [email protected]
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