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मेरा नाम अली है.. मैं देहरादून से हूँ। यह मेरे सच्ची कहानी है.. जो कि मैं आज आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूँ। मुझसे कोई भूल हो तो उसे नजरअंदाज करके मुझे माफ़ कर देना। मुझे उम्मीद है कि ये वाकिया आप लोगों को पसंद आएगा।
मैं एक पीजी में रहता हूँ और मेरे सामने एक भाभीजान रहती थीं.. उनका नाम रेहाना था। वो काफ़ी सुन्दर थीं और बहुत सेक्सी थीं।
मैं उन्हें देखते ही फिदा हो गया था। क्या मस्त बॉडी थी उनकी.. एकदम गोरे हाथ.. गोल फेस और उनके मम्मे तो बहुत मस्त थे। उनका शौहर जाकिर कुछ ढीला सा था और लगता था कि आज तक वो भाभी को अच्छे से टच भी नहीं कर सका होगा।
भाभी की मचलती जवानी से रस टपकता था, वो एक बहुत ही मजेदार और सुन्दर औरत थीं। उनका फिगर 34-28-36 का रहा होगा।
मैं उन्हें खिड़की से हमेशा देखता रहता था और उन पर लाइन भी मारता था। वो बस मुस्कुरा देती थीं.. लेकिन मेरी उनसे कोई बात नहीं हो पाती थी।
फिर मैंने एक दिन उन्हें खिड़की से ही इशारा किया। वो मुझे देख कर दूसरी तरफ देखने लगीं.. मैं डर गया कि कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए।
लेकिन फिर वो अचानक खिड़की पर आईं और हाथ से इशारा करने लगीं। फिर उन्होंने एक पेपर मुझे दिखा कर खिड़की से नीचे फेंका और मुझे इशारा किया कि पेपर उठा लो।
मैं गया और पेपर ले आया। उसमें जो लिखा था वो पढ़ कर मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। उसमें लिखा था मैं आपको पसंद करती हूँ और अगर तुम मुझे पसंद करते हो.. तो मेरे पति के जाने के बाद मेरे घर आ जाना।
वो भी पेइंग गेस्ट थीं इसलिए उनके घर पर भी कोई नहीं रहता था। उनका कोई बच्चा भी नहीं था.. और होता भी कैसे.. जब पति ही बेकार था।
मैं जल्दी से फ्रेश हुआ और अच्छा सा बन कर कुछ ही देर में भाभी के घर पर चला गया। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला.. वो मुस्कुरा कर मेरा चेहरा देख रही थीं। शायद वो चूत की आग को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थीं.. इधर मेरा भी लण्ड पैंट में हरकत कर रहा था।
जैसे मैं अन्दर गया.. मैंने भाभी का हाथ पकड़ लिया और उसे सहलाने लगा। वो हाथ छुड़ाना चाहती थीं.. पर मैंने नहीं छोड़ा और उन्हें अपनी ओर खींच लिया।
वो अचानक से मेरे ऊपर गिर गईं और मैंने उन्हें संभालने के चक्कर में अपना हाथ उनकी गाण्ड पर रख दिया। उनकी ‘आह..’ निकल गई और फिर वो उठने लगीं। वो इठला कर कहने लगीं- जल्दी क्या है.. आप बैठो.. मैं आपके लिए पानी लाती हूँ।
मैंने उन्हें छोड़ दिया और वो रसोई में चली गईं।
जब वो आईं.. तो बहुत सेक्सी स्माइल दे रही थीं। वो पानी पिलाने के बाद गिलास लेकर वापिस जाने लगी तो मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन पर किस करने लगा। उनकी साँसें तेज हो गईं और उन्होंने गिलास को नीचे छोड़ दिया।
मैं उनकी गर्दन पर चुम्मी करने लगा और मैंने धीरे-धीरे उनकी गर्दन को काटना शुरू कर दिया। वो ‘आहें’ भरने लगीं और इसी बीच मेरा लण्ड उनकी गाण्ड की गोलाइयों में रगड़ने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं समझ गया कि यह चूत तो बहुत गर्म है। मैंने धीरे से उनकी गाण्ड को सहलाना शुरू कर दिया।
उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ना चाहा.. पर मैंने धीरे-धीरे उनकी गाण्ड को दबाना जारी रखा। फिर उनकी सलवार के ऊपर से ही मैंने उनकी गाण्ड के बीच में ही उंगली करना शुरू कर दी। वो कामुक आहें भरने लगीं।
कुछ देर के बाद मैंने उनकी सलवार खोल दी और उनकी पैन्टी के ऊपर से ही भाभी की गाण्ड सहलाने लगा।
वो बहुत आवाज़ निकालने लगीं और मेरे लण्ड को पकड़ लिया। फिर मैंने उनकी पैन्टी को थोड़ा सा नीचे किया और उनकी गाण्ड को किस करने लगा।
फिर धीरे-धीरे मैंने अपनी जीभ रेहाना भाभी की गोरी गाण्ड के छेद पर रख दी। मैंने उनकी गाण्ड को ऊपर से जीभ से चाटनी शुरू कर दी। मुझे बहुत मजा आ रहा था और भाभी की भी चुदास बढ़ रही ठी।
कुछ देर गाण्ड का मज़ा लेने के बाद मैंने धीरे से उन्हें सीधा किया और उनके रस भरी चूत को चूसना शुरू कर दिया। भाभी की चूत पहले ही पानी छोड़ चुकी थी।
मैंने उनकी चूत के होंठों को खोला और अपनी जीभ बिल्कुल चूत के बीच में घुसेड़ दी। भाभी की टाँगें काँपने लगीं और इधर मेरा लौड़ा भी पैंट में दर्द करने लगा।
मैंने चूत के अन्दर धीरे-धीरे अपने जीभ डाल दी और वो पागलों की तरह मेरे बालों को पकड़ कर मेरा सर अपनी चूत में अन्दर घुसाने लगीं और जोरों से ‘आहें..’ भरने लगीं। उनकी मादक सीत्कारें पूरे कमरे में गूँजने लगीं।
उनकी चूत से काफ़ी पानी निकल रहा था.. उनकी चूत भी काफ़ी टाइट थी। फिर मैंने भाभी की चूत में उंगली पेल दी और कुछ देर अन्दर-बाहर करने लगा। उनको बहुत मजा आ रहा था।
मैंने ऊपर उनकी तरफ देखा.. वो अपने होंठों को काट रही थीं.. और मेरी आँखों में देख रही थीं। उनकी आँखों में चुदाई का नशा साफ दिख रहा था।
फिर मैंने उनकी चूत से उंगली निकाली और सीधे उनके मुँह में डाल दी। भाभी मेरी उंगली को बहुत प्यार से चूसने लगीं.. जैसे मेरा लौड़ा चूस रही हों। इस दरमियान मैंने नीचे से उनकी चूत को भी चाटना जारी रखा।
शायद अब भाभी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वो पहली बार बोलीं- प्लीज़ अली, अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल दो। वो मेरा लौड़ा हाथ में पकड़ कर दबाने लगीं, उन्होंने इतनी जोर से दबाया कि मेरे भी ‘आहह..’ निकल गई।
अब मैंने अपनी पैन्ट निकाल दी। भाभी मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लौड़े को किस करने लगीं और अपनी जीभ लौड़े पर घुमाने लगीं। भाभी ने मेरा लौड़ा बाहर निकाला और मुँह में ले लिया।
उनकी चुदास इतनी तेज थी कि वो किसी कुतिया की तरह मेरा लवड़ा चूसे जा रही थीं और बीच-बीच में वो मेरे लौड़े को काट भी रही थीं। उन्होंने मेरा लौड़ा चूस-चूस कर लाल कर दिया था।
अब मैंने अपना लौड़ा उनके मुँह से निकाला और उनकी चूत पर रख दिया। मैंने अपने लौड़े को उनकी चूत की दरार पर रखा और ऊपर से नीचे तक फेरा।
मेरा सुपारा भाभी की चूत की लाइन पर घूम रहा था और वो मादक आहें भर रही थीं, वो कह रही थीं- आह्ह.. अब डाल भी दो अली.. मेरी जान.. आई लव यू!
मैंने उनको किस किया.. ओर अपने लौड़े को भाभी की चूत के मुँह पर हल्का सा दबा दिया, मेरा लौड़ा एक इंच भाभी की चूत में घुस गया। उन्होंने अपने मुँह से ‘आईईईई..’ की आवाज़ निकाली।
उन्होंने अचानक से अपने हाथ मेरी झांटों पर रख दिए और कहने लगीं- बहुत दर्द हो रहा है.. मेरे शौहर तो आज तक कुछ नहीं कर पाए हैं.. जरा धीरे करो।
मैंने अब धीरे-धीरे लौड़ा चूत में आगे- पीछे करना शुरू कर दिया।
कुछ देर ऐसे ही हल्के-हल्के करने के बाद उनकी आहें.. कराहों.. में बदल गईं और शायद अब वो एंजाय करने लगीं थीं। मैंने भी चुदाई की स्पीड तेज कर दी और धक्के लगाना शुरू कर दिए।
मैं उनके होंठों को भी चूसता रहा.. ताकि उनकी आवाज़ कोई ना सुने।
अब वो सामान्य हो गई थीं और अपने हाथ को हटा कर मेरी कमर पर रख लिया था। उनका ये सिगनल मिलते ही मैंने लौड़ा बाहर निकाला और एक तेज़ धक्का मार दिया। मेरा लौड़ा पूरा का पूरा भाभीजान की चूत में जड़ तक चला गया।
मैंने भाभी के मुँह में अपनी उंगली डाल दी और उन्होंने उसे लौड़े की तरह चूसना चालू कर दिया। इधर मेरा लौड़ा चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
वो तेज-तेज मोनिंग करने लगीं और आप आहें भरने लगीं- आई.. आह.. उहह.. ओईईईई.. मैं उनकी चूत में लौड़ा पेले जा रहा था, वो खुल कर लौड़े को चूत में ले रही थीं, बोले जा रही थीं- आह्ह.. अली.. चोदो.. मुझे.. और जोर से चोदो.. फक मी.. फक मी।
ऐसे करते-करते उनकी चूत का रस छूट गया और उन्होंने मेरी गाण्ड पर हाथ रख लिया। उनकी चूत में मेरा लौड़ा अब भी अन्दर-बाहर हुए जा रहा था।
उनका पानी निकलने के समय उनकी बॉडी एकदम अकड़ गई थी, उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जोर से भींच लिया।
अब भाभी के आँखों में नशा साफ़ दिख रहा था और अब मैं भी अपना पानी छोड़ने वाला था। मैंने भाभी से कहा- मैं फिनिश होने वाला हूँ। तो उन्होंने कहा- मेरे मुँह में रस डाल दो।
मैंने अपना लौड़ा उनकी चूत से निकाला और उनके मुँह में दे दिया। कुछ ही पल के बाद मेरे लौड़े ने भाभी के मुँह में पानी की धार मार दी, भाभी का पूरा मुँह मेरे रस से भर गया।
भाभी ने उसे तौलिया में निकाल दिया और फिर बाथरूम में कुल्ला करके आ गईं.. फिर आकर मेरे ऊपर लेट गईं। अब हम दोनों एक साथ लेट गए और किस करने लगे।
भाभी ने उस दिन मुझसे 3 बार ओर चुदवाया।
इसके बाद तो हम दोनों हमेशा मौका मिलते ही चुदाई करने लगे। भाभी भी मुझसे बहुत खुश थीं और मैंने उन्हें चूत चुदाई का पूरा मजा जो दिया था और उनकी बेरंग जिंदगी में असली ख़ुशियां भर दी थीं।
मैंने भाभी को बाद में बहुत चोदा.. वो मैं फिर कभी बताऊँगा। मुझे ईमेल कीजिएगा। [email protected]
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