Attendance Ke Liye Chudwaya – Part 1

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हैलो दोस्तो, मैं अर्शदीप कौर उर्फ चुद्दकड़ अर्श फिर से अपनी चुदाई की गर्मा-गर्म कहानी लेकर हाजिर हूं। ये कहानी मेरे और मेरे कॉलेज के एक प्रोफेसर के बीच हुए सेक्स की कहानी है।

ये कहानी बीकॉम पहले साल की है तब मैंने अपने एक प्रोफेसर से चुदाई कर के अपनी हाजिरी पूरी करवाई थी। बीकॉम पहले साल कॉलेज में मैं ज्यादातर अपने नए-नए बनाए ब्वॉयफ्रेंडज़ के साथ कहीं इधर-उधर चुदवाने चली जाती थी। मेरी इस आदत की वजह से कॉलेज में मेरी हाजिरी बहुत कम थी। मेरी परीक्षा आने वाली थी और मेरा रोल नंबर कम हाजिरी की वजह से रोक लिया। मुझे अपने पापा के साथ कॉलेज में आकर कम हाजिरी की वजह बता कर और जुर्माना देकर रोल नंबर ले जाने को बोला गया।

जुर्माना देने की बात कोई मायने नहीं रखती थी वो चाहे ज्यादा भी होता मैं भर देती। लेकिन पापा को साथ लाने की प्रोब्लम थी, मैं घर से रोज़ कॉलेज केलिए आती थी लेकिन कॉलेज की जगह लड़कों के साथ चुदाई करवाने और नशा करने निकल जाती थी तो पापा को क्या वजह बता कर साथ लाती। मैं रात को अकेली बैठ कर सोचने लगी लेकिन कोई बहाना नहीं मिल रहा था जो पापा को बोल कर साथ ले जाती। तब मैंने खुद ही कुछ करने का सोचा।

मैंने कई स्टूडेंट्स से सुन रखा था कि जिस प्रोफेसर ने रोल नंबर देना है वो ठरकी किस्म का आदमी है और लड़की देखकर बहुत जल्दी फिस्ल जाता है। उस से चूत के बदले कॉलेज का कोई भी काम निकलवाना बहुत आसान है।

मैंने ये तरीका अजमाने की सोची और अगले दिन की पूरी प्लानिंग करके सो गई। सुबह मैं घर से तैयार होकर निकल आई और सीधे कॉलेज पहुंच गई। आज कॉलेज में सिर्फ वो प्रोफेसर और कम हाजिरी वाले स्टूडेंट्स ही आने थे।

जब मैं कॉलेज पहुंची तो वो प्रोफेसर और कुछ स्टूडेंट्स अपने घरवालों के साथ आए थे करीब ऊक घंटे में प्रोफेसर ने उन सब स्टूडेंट्स को रोल नंबर दे दिए जो घरवालों के साथ आए थे और जो मेरे जैसे थे उनको साफ मना कर दिया। मुझे एक बार डर लगा कि मुझे भी रोल नंबर नहीं मिलेगा और डांट कर भगा देगा। फिर भी मैं हिम्मत करके उसके रूम में आ गई। मैंने दरवाजा खोला और अंदर आने को पूछा, प्रोफेसर ने मुझे हां बोला और काग़ज़ देखने लगा।

मैंने उसको आज पहली बार देखा था। उसका नाम रवि था और करीब 5 फुट 9 इंच कद का आदमी था। उसकी आयु करीब 45 साल और रंग गोरा था। उसका चेहरा क्लीन शेव और बालों पर काला रंग लगा हुआ था तथा नज़र का चश्मा लगा हुआ था। उसका पेट थोड़ा-सा लटका हुआ लेकिन चेहरा सुंदर था। जैसे ही मैं अंदर गई तो अपना चश्मा ठीक करके मेरी तरफ देखकर कहा हां बोलो। मैंने उससे कहा सर मैं कल रोल नंबर लेने नहीं आ सकी क्या आज मिल सकता है।

मैंने उस टाईम टाईट नीले रंग की जींस, सफेद बॉडी फिट शर्ट और सफेद रंग के हाई हील के सैंडिल पहने हुए थे। मेरी शर्ट बूब्ज़ से बहुत टाईट थी ऐसा लग रहा था कि मेरे बूब्ज़ शर्ट के बटन तोड़ कर बाहर निकल आएंगे और शर्ट थोड़ी झीनी थी, मेरी नीले रंग की ब्रा नीचे से दिख रही थी। उसने चश्मा नीचे सरका कर मेरे बदन को ऊपर से नीचे नक निहारते हुए उसकी नज़र मेरे बूब्ज़ पर अटक गईं।

उसने मुझे सामने कुर्सी पर बैठने को कहा और मैं सेक्सी अंदाज में गांड हिलाते हुए आगे बढी़ और कुर्सी पर बैठ गई। वो चलते हुए मेरी भरी हुई जांघों को घूर रहा था। उसकी आंखों में भरी वासना मैंने देख ली थी और मैं समझ गई कि मेरा काम निकल आएगा।

जैसे ही मैं कुर्सी पर बैठी तो उसने मेरा नाम वगैरह पूछा और मैंने बता दिया। वो रजिस्टर देखने लगा तभी मैंने अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल लिए और आगे को झुक कर बैठ गई। तभी उसने रजिस्टर देखकर मेरी तरफ देखकर बोला कि तुम्हारी हाजिरी बहुत कम है रोल नंबर नहीं मिल सकता। अपने घरवालों को साथ लेकर आने को कहा लेकिन उसके बोलने में सख्ती नहीं थी और उसकी नज़र बार बार मेरी शर्ट से बाहर छलक रहे बूब्ज़ पर घूम रही थी। मैंने उससे बेनती की कि प्लीज़ रोल नंबर मुझे दे दे चाहे जुर्माना ज्यादा ले ले।

उसने कहा जुर्माना तो इतना ही है लेकिन रोल नंबर लेने केलिए कॉलेज का यही नियम है और उसकी नज़र मेरे बूब्ज़ के बीच की दरार में अटकी हुई थी। मैंने सीधे सीधे बोलना सही समझा और प्रोफेसर से कहा यो आपको चाहिए वो मेरे पास है और जो मुझे चाहिए आपके पास है तो अदला-बदली कर लेते हैं। प्रोफेसर ऐसे बोला जैसे उसकी कोई चोरी पकडी़ गई हो क्या मतलब।

मैंने कहा मतलब साफ है सर मुझे रोल नंबर चाहिए जो आपके पास है और मैंने अपने बूब्ज़ पर हाथ रखकर कहा आपको ये चाहिए जिसको कितनी देर से आप हसरत भरी नज़र से देख रहे हो। वो मेरी तरफ गौर से देखने लगा और मैंने आगे और कहा कि सौदा बुरा नहीं है सर।

वो कुछ देर चुप बैठा रहा और मैं समझ चुकी थी कि काम बन चुका है। लोहा गर्म था और मुझे सिर्फ चोट मारनी थी। मैंने अपनी शर्ट के बटन बंद किए और खड़ी हो कर कहा ठीक है सर अगर नियमों से चलना है तो कल घरवालों के लेकर आ जाऊंगी और बाहर की तरफ चलने लगी। जैसे ही मैं पीठ घुमा कर चलने लगी तो पीछे से बोला अरे डियर सुनो तो। मैंने कहा मैं सुनने ही आई थी लेकिन आप बोले ही नहीं। वो बोला कि वो सोच रहा था कि कहीं चला जाए या कॉलेज के किसी कमरे में कर लें।

मैंने सोचा अगर कॉलेज के कमरे में गए तो मजा नहीं आएगा और दिल में किसी के आने का डर बना रहेगा। मैंने कहा सर यहां कॉलेज में नहीं कहीं और चलते हैं जब चुदाई करनी ही है तो मजे से करेंगे यहां न आपको मजा आएगा न मुझे बस टाईम पास वाला काम हो जाएगा कहीं और चलते हैं। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे हैं।

उसने कहा ठीक है मेरे घर चलते हैं यहां कोई काम नहीं और घर में भी कोई नहीं है। मैंने कहा ठीक है सर और प्रोफेसर ने अपने कमरे को ताला लगाकर मुझे बाहर मेन गेट पर रुकने को बोला। मैं मेन गेट पर खड़ी हो गई और कुछ देर में वो भी अपना स्कूटर लेकर मेरे पास आ गया। मैं उसके पीछे बैठ गई और हम दोनों उसके घर आ कर अंदर चले आए।

वो मुझे सीधे अपने बैॅडरूम में ले गया और मुझे बैॅड पर बैठा कर रसोई से पानी ले आया। उसने मुझे कहा अर्श तुम कुछ देर यहां बैठो मैं आता हूं। मैंने कहा ठीक है सर तो बोला सर नहीं रवि बोलो जानूं मैंने कहा ठीक है रवि डार्लिंग और जल्दी आना। वो बाहर के गेट को ताला लगा कर चला गया। मुझे मालूम था कि वो सेक्स की गोली या कुछ ऐसा ही लेने गया है।

मैंने भी पर्स से सेक्स की गोली निकाल कर खा ली और जल्दी से पर्स में रखा शराब का हॉफ निकाल कर पी लिया। उसके बाद मैंने रूम को गौर से देखा वहां पर एक डबल बैॅड, एक काफी बड़ा सोफा, बड़ा-सा टेबल, बड़ी-सी एलईडी और एलईडी के साथ लगा हुआ कंम्प्यूटर आदि लगे हुए थे। मैंने टीवी चालू किया और देखते देखते प्रोफेसर का इंतजार करने लगी। करीब आधे घंटे के बाद प्रोफेसर वापिस आ गया तब तक शराब और गोली के असर से सेक्स मेरे अंग अंग में आग लगा रहा था।

प्रोफेसर ने बाहर के गेट को ताला मारा और रूम में आ गया। मैंने कहा बहुत देर लगा दी रवि डार्लिंग तो उसने कंडोम का पैकेट मुझे देते हुए कहा ये लेने गया था डार्लिंग। मैंने कंडोम साईड पर रखते हुए कहा ये क्या ले आए डार्लिंग जो मजा बिना कंडोम के चुदाई में आता है वो इसे लगा कर नहीं आएगा। मैंने उससे कहा इसे लगा कर अपनी बीवी से चुदाई कर लेना मेरे साथ ऐसे ही चलेगा। प्रोफेसर खुश हो गया और बोला मैं भी बिना कंडोम लगाए ही चुदाई करना चाहता था लेकिन तुम मना न कर दो तो ले आया।

मैंने कंडोम का पैकेट उठा कर उसको दे दिया ताकि संभाल कर रख दे। वो पैकेट को अलमारी में रखते हुए बोला कि आज बिना कंडोम की चुदाई बहुत सालसालों के बाद करने वाला है और जो लड़कियां आज तक मिली हैं सब बिना कंडोम की चुदाई से डरती थीं और उसकी बीवी भी कंडोम लगाकर ही चुदाई करती है क्योंकि अब कोई और बच्चा नहीं चाहते। प्रोफेसर ने मुझे पूछा क्या मुझे डर नहीं लगता कहीं कुछ हो न जाए।

मैंने हंसते हुए कहा कुछ तो तभी होगा अगर वीर्य चूत में जाएगा और वीर्य को गांड या मुंह में भी छोड़ सकते हैं। हां अगर कंट्रोल न हुआ और वीर्य चूत में ही गिर गया तो गर्भ निरोधक गोली ले लूंगी लेकिन चुदाई का मजा लेने केलिए कोई समझौता नहीं। तभी जैसे प्रोफेसर को करंट सा लगा हो और बोला तुम मेरा लंड अपने मुंह और गांड में भी लोगी तो मैंने कहा जब तक लंड तीनों छेदों की जबरदस्त चुदाई न करे तब तक क्या चुदाई हुई। प्रोफेसर ने मुंह ऊपर करके कहा वाह भगवान आज तो मजा आ जाएगा क्या गर्म लड़की मिली है।

मैंने उसकी तरफ हैरानी से देखते हुए पूछा क्या आपने आज तक अपने लंड को किसी लड़की की गांड या मुंह में नहीं दिया। प्रोफेसर ने कहा कसम से आज तक तेरे जैसी गर्म लड़की मिली ही नहीं जो इतने मजे से चुदाई करवाती हो बस चूत चुदाई के बाद भाग जाती हैं। मेरी बीवी को कई बार बोला भी है लेकिन वो मानती ही नहीं। मैंने कहा कोई बात नहीं डार्लिंग आज जैसे दिल करे वैसे चुदाई करना और खुद मजा लेना तथा मुझे भी देना।

प्रोफेसर बोला आज तो मैं जी भर कर अपने दिल के अरमान पूरे करूंगा और तुझे भी जी भर के मजा दूंगा। तभी प्रोफेसर बोला मैंने तो आस ही छोड़ दी थी कि मुझे कभी लड़की के मुंह और गांड के छेद को चोदने का सुख कभी मिलेगा और इसी सुख को पाने केलिए कई बार रंडियों के पास भी गया लेकिन कभी बात नहीं बनी।

मैंने प्रोफेसर के मुंह पर हाथ रखकर कहा जो हुआ उसे भूल जाओ आज अपने डार्लिंग को चुदाई का ऐसा मजा दूंगी कि सब लड़कियों और अपनी बीवी तक को भूल जाओगे और मुझे याद किया करोगे। मैंने उसके मुंह से हाथ हटाकर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। मैं बैॅड पर बैठी थी और वो बैॅड पर हाथ रखे आगे झुककर खड़ा था।

ऐसे होंठ चूमने में दिक्कत हो रही थी। मैं बैॅड से खड़ी होकर उसको पीछे धकेलती हुई सोफे के पास ले गई और धक्का देकर सोफे पर गिरा दिया। मैं अपने घुटने मोड़ कर उसकी गोद में आ गई और उसके होंठ चूमने लगी। प्रोफेसर मेरी शर्ट के ऊपर से मेरी पीठ सहलाते हुए मेरे होंठ चूमने लगा। कुछ देर हम आराम से होंठों का रसपान करते रहे और धीरे-धीरे बहुत जोश आ गया।

हम एकएक-दूसरे के होंठों को मुंह में भरकर चूसने लगे और एक-दूसरे की जीभ से जीभ टकरा कर मजे लेने लगे। सेक्स का जोश ज्यादा हो रहा था हम एक-दूसरे के मुंह में जीभ डालकर मुंह में घुमाते और होंठों को जोर से चूसते।

कुछ देर बाद हम चुदाई के नशे में पागल हो गए हम एक-दूसरे की जीभ को मुंह में भरकर जोर जोर से चूसने लगे और होंठों को मुंह में लेकर निचोड़ने लगे तथा बीच बीच में होंठों को दांतों से हल्का हल्का काटने लगे। पूरे रूम में पुचचचचच पुचचचचच की आवाज आने लगी। इन आवाजों से हमारा जोश और बढ़ने लगा तथा हम और जोर से एक-दूसरे के मुंह का तथा होंठों का रसपान करने लगे।

चूमा चाटी का खेल खेलते हुए मुझे पता ही नहीं चला कि कब प्रोफेसर ने आगे से मेरी शर्ट के बटबटन खोल दिए। मुझे तब पता चला जब प्रोफेसर ने मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्ज़ जोर से दबा दिए। उसके बूब्ज़ दबाते ही मेरे मुंह से मस्ती भरी चीख निकल गई और मैं बारी बारी से प्रोफेसर के कानों को मुंह में लेकर चूसने और जीभ से चाटने लगी। अपने कानों पर मेरे होंठों एवं जीभ का नर्म स्पर्श पाकर प्रोफेसर के मुंह से कामुक आवाजें निकलने लगीं।

मैं प्रोफेसर के सिर से पकड़ कर उसकी गालों को अपने रसीले होंठों से चूमने लगी तथा गालों पर जीभ घुमा घुमा कर चाटने लगी। प्रोफेसर ने मेरे हाथ नीचे कर के मेरी शर्ट निकाल दी और मेरी ब्रा की हुक खोलकर ब्रा निकाल कर सूंघने लगा। उसने मेरी ब्रा बैॅड पर फेंक दी और मैंने प्रोफेसर का सिर ऊपर करके उसकी गर्दन पर अपने गुलाबी होंठ रख दिए।

मैं प्रोफेसर की गर्दन को कभी होंठों से चूमती कभी जीभ से चाटती तथा कभी मुंह में भरकर चूसती और वो मेरी चिकनी मुलायम एवं गोरी पीठ को सहलाते हुए कामुक आंहें भरने लगा। मुझे प्रोफेसर के जिस्म से आ रही कामुक महक पागल कर रही थी और मैं काम वासना में डूबी हुई उसकी शर्ट के बटन खोलकर गर्दन तथा छाती को चूमने एवं चाटने लगी।

पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी, मेरी मेल आई डी है “[email protected]”.

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