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दोस्तो और मेरी प्यारी भाभियों और लड़कियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। आप सबने मेल किया.. उसके लिए बहुत धन्यवाद।
मेरा नाम यश है, मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और मैंने अभी बी.ए.के दूसरे वर्ष के एग्जाम दिए हैं। मेरी हाइट साढ़े पांच फुट है और रंग सांवला है। मेरे लण्ड का साइज़ काफी बड़ा और मोटा है।
मेरी पिछली स्टोरी ‘पंजाबन भाभी को जन्म दिन पर चूत चुदाई का तोहफा‘ नाम से प्रकाशित हुई थी, यह कहानी उससे आगे की घटना है।
जो नए दोस्त मेरी कहानी पढ़ रहे हैं मैं उनके लिए अभी तक की कहानी को संक्षिप्त में लिख देता हूँ।
मैं एग्जाम के बाद अपनी मौसी के घर गया था उनकी बिल्डिंग में रहने वाली प्रीत भाभी से मेरी आँखें लड़ गई थीं और मैं उनको चोद कर उनकी जवानी का मजा लेने लगा था।
उनकी एक सहेली नेहा भाभी भी मुझको पसंद आ गई थीं और साथ में एक भाभी प्रिया भी दिलकश माल थीं। इसमें से एक दिन बारिश की रात में मैं छत पर प्रीत को चोद रहा था.. तभी मैंने देख लिया था कि नेहा भाभी हम दोनों की चुदाई देख रही हैं। मुझे समझ आ गया था कि अब नेहा की चूत मुझसे दूर नहीं है।
अब आगे..
प्रीत की चुदाई करने के बाद प्रीत और मैं नीचे चले गए। मैंने नेहा को देखा था.. वो नाटक कर रही थी.. पर सेक्सी बहुत लग रही थी। फिलहाल मैं भी बहुत थक गया था तो मैं भी अपने कमरे में जाकर सो गया।
सुबह 8 बजे दरवाजे की घन्टी बजी तो देखा मौसी थीं- अभी तक सो रहे हो.. चलो नीचे आओ! वे इतना बोल कर नीचे चली गईं।
मौसी के जाते ही प्रीत घर में आ गई.. और मेरे गले लग कर मुझे चुम्बन करने लगी। वो बोली- थैंक्स.. तुम बहुत अच्छे हो यश.. सच में यार रात में बहुत मजा आया।
मैंने भी कहा- चलो.. तो फिर से मजे ले लेते हैं। प्रीत बोली- नहीं.. अभी मुझे कुछ काम से जाना है.. सॉरी बेबी.. आज भी सेक्स करने का मन है.. और रात को भी था.. पर काम है.. तो जाना ही होगा।
इतने में मैं बोला- क्या तुम आज रात को भी नहीं होगी? प्रीत बोली- नहीं यार.. कुछ जरूरी काम है। ‘फिर मेरा क्या होगा?’
प्रीत बोली- अभी तुम मुझे ये बताओ कि उस टाइम तुम किसका जिक्र कर रहे थे कि उसके साथ सेक्स करना है। मैं बोला- मेरी हेल्प करोगी? प्रीत बोली- ओके.. पर उसका नाम तो बताओ? मैंने बोला- पहले तो नेहा भाभी और फिर एक और है..
प्रीत- ओए होए.. तो नेहा पर भी दिल आया हुआ है तुम्हारा? मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है यार.. जब तुम सामने होती हो.. तो कोई दिखता ही नहीं है। फिर प्रीत बोली- दूसरी कौन है? मैं बोला- प्रिया है।
प्रीत बोली- ओए होए.. प्रिया से भी करोगे? मैंने कहा- हाँ.. यार वो भी तो बहुत मस्त माल है.. और मुझे आपकी हेल्प चाहिए। ‘ओके..’
मैंने कहा- आप नेहा से खुल कर बात करती हो.. तो उसको तो आप आराम से मना सकती हो। इतने में प्रीत भाभी बोली- मैं भी तुमको नेहा के बारे में ही कुछ बात बताने आई हूँ। मैंने कहा- बताओ क्या बात है? प्रीत बोली- नेहा भी तुमसे सेक्स करना चाहती है.. पर वो शर्माती है और उसे डर है कि किसी को पता न चल जाए.. वो तो कब से तैयार है। उसने मुझे किचन वाली बात भी बताई थी। मैंने कहा- थैंक यू जान!
फिर मैंने प्रीत को कुछ मिनट तक चुम्बन किए। सच में यार प्रीत के लब हैं ही इतने मस्त कि बस चूसने को ही मन करता है।
अब इतना कह कर प्रीत मुझसे गले लग कर और एक चुम्बन देकर चली गई और मैं भी अब नीचे आ गया।
शायद नेहा कुछ काम कर रही होगी.. मैं ये सोच कर उसके घर नहीं गया। सोचा बाद में जाऊंगा.. अभी उसका पति होगा।
मैंने नीचे जा कर नाश्ता किया और 12 बजे फिर से ऊपर वाले कमरे में जा कर आराम करने लगा.. क्योंकि जब से आया हूँ.. तो बस चुदाई ही कर रहा था। अब मुझे क्या पता कि मेरे लण्ड को अभी और बहुत सारा काम करना बाकी है।
मैं सोच रहा था कि अब नेहा की चुदाई का रास्ता बिल्कुल साफ़ है।
दो बजे करीब दरवाजे की घन्टी बजी, मैं कंप्यूटर पर मूवी देख रहा था, दरवाजा खोला तो नेहा भाभी थीं। वो आज तो और भी मस्त माल लग रही थीं, सफ़ेद रंग का सूट पहना हुआ था। आज तो नेहा भाभी ने भी क़यामत ही ला दी थी मैं बस नेहा भाभी को ही देखे जा रहा था।
इतने में नेहा- क्या हुआ देवर जी? मैंने कहा- कुछ नहीं.. आज तो आपने अपने देवर के होश ही उड़ा दिए। नेहा बोली- अच्छा जी.. ऐसा क्या हुआ? मैंने कहा- हुआ तो नहीं.. पर मौका मिले तो बहुत कुछ हो सकता है। नेहा शर्मा गई और बोली- क्या हो सकता है? मैंने कहा- अन्दर तो आओ.. तभी बता सकता हूँ।
फिर नेहा आकर बिस्तर पर बैठ गई और हम दोनों ने कुछ देर बात की। पता चला कि अभी और दो दिन नेहा का पति घर पर नहीं आएगा.. और आज वो किसी रिश्तेदार के घर जा रही है।
मैंने नेहा भाभी को कुछ देर रोकने के लिए कॉफ़ी का बहाना किया और कहा- भाभी अभी टाइम है.. तो क्या आपके हाथों की कॉफ़ी मिलेगी। नेहा बोली- हाँ क्यों नहीं.. अभी बनाती हूँ। वो रसोई में चली गई.. मैंने कहा- भाभी जब तक मैं नहा लेता हूँ। नेहा भाभी बोली- ओके।
मैं जानबूझ कर तौलिया नहीं ले गया और नहा लिया।
फिर मैंने जोर से आवाज दे कर कहा- भाभी में गलती से बिस्तर पर तौलिया भूल गया हूँ.. क्या मुझे आप तौलिया दे दोगी। भाभी बोली- अभी देती हूँ।
जैसे ही भाभी ने तौलिया देने के लिए हाथ दिया.. मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला और नेहा भाभी का हाथ पकड़ कर बाथरूम में खींच लिया और उनको पीछे से ही गर्दन पर जोर-जोर से चुम्बन करने लगा। साथ ही एक हाथ उनके चूचों को भी दबा रहा था.. दूसरे हाथ से उनके कुरते के ऊपर से ही उनकी चूत को सहला रहा था।
नेहा मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी.. पर नेहा भाभी के मन भी मुझसे मजे लेने का था। वो ऊपर से दिखावा कर रही थी और बोल रही थी- ओह.. यश छोड़ो मुझे.. क्या कर रहे हो.. यह गलत है।
मैं नेहा की चूत को और जोर-जोर से सहला रहा था.. जिससे नेहा भाभी अब शांत होती जा रही थी और गर्म हो रही थी। वो बोल रही थी- यश ये ठीक नहीं है।
मैंने उसकी एक न सुनी और नेहा को सीधा करके नेहा के होंठों पर अपने होंठ रख कर जोर-जोर से चूसने लगा। अभी भी भाभी दिखावा करने के लिए दबी सी आवाज में बोल रही थी’- यश ये गलत है।
अब मैं उसके कुरते को थोड़ा ऊपर करके उसकी कमर को प्यार से सहलाने लगा और उसकी गर्दन पर जोर-जोर से चुम्बन करने लगा जिससे नेहा अब गर्म होने लगी थी और अब उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।
फिर मैंने नेहा के कुरते के अन्दर हाथ डाल दिया और उसके चूचों को सहलाने लगा था.. कभी दबा भी देता था।
नेहा ने भी अब विरोध करना बंद कर दिया, वो ‘ह्ह्ह्ह.. ऊओह्ह्ह..’ कर रही थी।
मैंने भी कसके नेहा को पकड़ लिया और फिर उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। मैं एक हाथ नेहा की पीठ को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके गोल-गोल चूचे दबा रहा था।
कुछेक मिनट तो उसको मैंने होंठों पर चुम्बन किया.. फिर मैंने नेहा के कुरते को उतार दिया और देखा कि उसने नीले रंग की ब्रा पहनी हुई है।
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मैं एकदम से उसके गर्दन और सीने पर चुम्बन करने लगा.. नेहा सिसकारियाँ लेने लगी- ऊऊहह.. ऊह्ह..
नेहा ने अपना हाथ मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया और मेरे लण्ड को निकाल लिया, वो मेरे लण्ड को आगे-पीछे करने लगी।
मैंने अब नेहा की पजामी को भी नीचे कर दिया। नीचे देखा तो भाभी ने लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी उनकी गाण्ड एकदम गोरी-चिट्टी थी।
मैंने नेहा भाभी का चेहरा देखा तो नेहा मुझे देख कर शर्मा रही थी। मैं कामातुर होकर उसके होंठों को कभी-कभी काट लेता.. तो वो छटपटाने लगती। नेहा बोली- हनी जो भी करना है.. जल्दी करो.. मुझे देर हो रही है।
मैंने जल्दी से भाभी को नीचे घुटने के बल बैठा दिया और लण्ड को नेहा को चूसने को कहा.. तो वो मना करने लगी। फिर कुछ देर मैंने नेहा को मनाया, नेहा ने मेरे लण्ड को जैसे ही पकड़ा मेरा लण्ड तो उसकी चूत की आस में एकदम टाइट हो गया।
मैंने नेहा भाभी को फिर से लण्ड को चूसने को कहा.. तो इस बार नेहा आराम-आराम से लण्ड को ऊपर से चूमने लगी थी। मैं उसके मुँह में लण्ड को डाल कर जोर-जोर से धक्के मारने लगा।
अब मैंने नेहा के सर को पकड़ लिया.. और जोर-जोर से उसके मुँह की चुदाई करने लगा। कुछ देर ऐसे ही नेहा के चूसने के बाद मैंने माल सारा उसके मुँह में निकाल दिया।
वो मुझसे छूटने का प्रयास करने लगी, मैंने कहा- बेबी नेहा जान.. कहाँ जा रही हो.. अभी तो असली चुदाई बाकी है। नेहा बोली- यार अभी तो मुझे थोड़ा काम है.. पर आज पूरी रात मैं तुम्हारी हूँ.. जो मर्जी कर लेना। मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया- अच्छा अच्छा ठीक है।
अब मैं नेहा को ही देखे जा रहा था, वह बोली- बेबी.. आज रात 11 बजे मैं आपके पास आऊँगी, ओके? मैंने कहा- चलो यार अभी लण्ड को भी आराम दे देते हैं।
वो अपने कपड़े पहन कर चली गई और मैं भी नीचे चला गया। दिन गुजरा और रात का खाना खाकर मैं ऊपर आ गया।
रात को 11:15 हो रहे होंगे.. मैं कमरे में बेचैनी से उसका वेट करने लगा और फिर 11:30 हुए होंगे कि नेहा ने दरवाजे पर दस्तक दी।
उसने लाल रंग का नाईट सूट पहना हुआ था.. क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थी। मैंने दरवाजे से ही उसको उठा लिया और बिस्तर पर उसको पीठ के बल लेटा दिया। अगले ही पल मैं नेहा को जोर-जोर से होंठों पर चुम्बन कर रहा था।
उसने शरारत से मेरी ओर देखा तो मैंने कहा- तुम इतनी खूबसूरत हो.. बस तुमको प्यार किए बिना रहा नहीं जा रहा है।
फिर मैं नेहा के ऊपर लेट गया और उसके चूचों को जोर-जोर से दबाने लगा। मैंने उसके लबों पर अपने लब रख दिए और जोर-जोर से चूसने लगा। नेहा मेरा पूरा साथ दे रही थी।
फिर मैंने अब उसका नाइट सूट उतार दिया और देखा तो नेहा ने सूट के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था।
जैसे ही उसके नाइट सूट को निकाला तो देखा कि उसके एकदम सफ़ेद और चिकने चूचे मेरे स्वागत के लिए थिरक रहे थे। मैंने भी देर न करते हुए उसके चूचों को पकड़ लिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
अब नेहा सिसकारियाँ लेने लगी- अअअअ.. आआआअ.. ह्ह्ह्ह्ह्ह.. ऊऊऊ… ओह्ह्ह्ह्.. और जोर-जोर से चूसो ऊओ.. बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं उसकी सीत्कार सुन कर और उत्तेजित हो उठा था, मैं उसके एक चूचे को जोर-जोर से दबाए जा रहा था।
नेहा अब बहुत गर्म हो गई थी.. पर मैं उसे और गर्म करना चाहता था। मैं अब नेहा की टाँगों के बीच में आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा।
अब मैं उसकी टाँगों को चुम्बन कर रहा था.. चूमते हुए मैं हल्का सा ऊपर को हुआ और उसकी नाभि पर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमाने लगा।
नेहा- ऊओह्हह्ह.. ऊओह्हह्ह.. यू किलर.. डू मोर.. आह्ह..
इसके साथ ही मैं उसके पूरे नंगे बदन पर अपना हाथ चला रहा था।
अभी इतना हुआ ही था कि नेहा बोली- यश अब डाल भी दो ना.. सच में यार तुम तरसाते भी बहुत हो और अब तक तुमने मुझे मजा भी बहुत दिया है।
मैं दुबारा उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसकी चूत के दाने को चाटने लगा।
नेहा भड़क उठी- आअह्ह्ह ऊओह्हह्हह ऊओह्ह्ह आआह्ह्ह्ह और चाटो.. और जोर-जोर से चाटो.. अह्ह्ह्ह्..
मैं जोर-जोर से उसके चूत के दाने को चाटने लगा, देखा कि उसकी चूत गीली हो गई है.. तो अब उसकी चूत को जीभ डाल कर चाटने लगा।
नेहा जोर-जोर से सांस लेने लगी और वो पैरों को फैला कर सिसकारियाँ ले रही थी- ऊऊहह.. आआहह.. ऊओह्ह्ह.. भाभी की चूत को मैंने चाट-चाट कर लाल कर दिया तो नेहा बोली- यार तुम तो काफी अच्छे खिलाड़ी हो। मैंने कहा- अभी तो खेल बाकी है मेरी जान!
नेहा की चूत को मैंने खोला और अपनी दो उंगलियों में क्रीम लेकर उसकी चूत में मलने लगा.. उसकी चूत काफी टाइट थी। फिर मैंने एक उंगली जैसे ही उसकी चूत में डाली.. नेहा की दर्द भरी आवाज निकल गई- ओओह्ह्ह..
मैंने नेहा से कहा- बेबी आपकी चूत तो बहुत टाइट है.. क्या भैया चुदाई नहीं करते? नेहा बोली- तीन हफ्ते से सेक्स ही नहीं किया और वो तो कुछ देर तक मुझे चोद-चाद कर सो जाते हैं। तुम्हारी बात ही अलग है यार.. इतना मजा मुझे अभी तक मेरे पति ने नहीं दिया। मैंने कहा- नेहा बेबी अभी तो असली मजा देना बाकी है।
अब मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. फिर जल्दी ही मैंने दो उंगलियाँ डाल दीं। नेहा की मस्त आहें निकलने लगीं- ओओह्ह्ह..
मैं अब जोर-जोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा। नेहा और मस्ती में आवाज निकालने लगी- ऊऊह्ह्ह ह्ह.. कुछेक मिनट मैं ऐसे ही उंगली अन्दर-बाहर करता रहा। मैंने देखा कि नेहा झड़ गई थी।
उसकी चूत में मैंने ढेर सारी क्रीम लगा दी और अपने लण्ड पर भी लगा ली और लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। कुछ देर रगड़ने पर नेहा बोली- यश अब डाल भी दो यार.. कितना तरसाते हो तुम।
मैंने नेहा की चूत पर अपना लण्ड रखा और जोर से धक्का मारा। नेहा चीख उठी- ओओहह.. आह्ह्ह्ह्ह।
थोड़ा सा लण्ड नेहा की चूत में चला गया था। अब मैंने देर ना की और हल्का सा लण्ड बाहर निकाल कर एक और जोर से धक्का लगा दिया। ‘आआह्ह्हूओ.. ऊओईईईईईई.. फाड़ दी!’ उसकी चीख निकल गई और आँखों से आंसू निकलने लगे।
मैं दो मिनट ऐसे ही उसके चूचों को चूसने लगा। कुछ ही पलों बाद नेहा अपनी गाण्ड हिला रही थी.. तो मैंने भी धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए।
इसी के साथ मैं उसके चूचों को भी दबा रहा था और नेहा ‘ऊओह्हह्ह.. आअह्ह्ह.. ऊओईई.. ह्हह्हाआ..’ की जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने लण्ड को बाहर निकाला और पूरी ताकत से नेहा की चूत में धक्का मार दिया। नेहा- म्मम्मम्मीईई.. मर्र गग्गईई… ऊऊईईई.. आह.. धीरे करो राजा..
नेहा मस्ती में चुदते हुए आवाजें निकाले जा रही थी। जब वो ऐसी आवाजें निकालती.. तो और जोर-जोर से उसकी चुदाई करने लगता।
करीब 5 मिनट ऐसे ही चुदाई की.. अब मैंने नेहा की एक टांग को ऊपर अपने कंधे पर किया और फिर से उसकी जोर से चुदाई करना शुरू कर दिया। नेहा की मस्ती बढ़ने लगी- आह्ह्ह.. ऊऊईईईईह.. ऐसे ही.. और चोदो.. और जोर से.. ऊहह..
कुछ देर के लिए मैं रुका और अब मैंने नेहा को घोड़ी बना दिया। पीछे से उसकी कमर इतनी मस्त लग रही थी.. कि उसकी गोरी-गोरी गाण्ड को देख कर और भी जोश आ रहा था। मेरा पूरा लण्ड नेहा की प्यारी चूत में था और उसकी गाण्ड भी बहुत चमक रही थी, मेरा उसकी गाण्ड मारने का मन हो आया।
मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर दी और जोर-जोर से नेहा की चुदाई करने लगा। नेहा की चुदाई की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं- ऊऊह.. ह्ह्ह्ह्हा.. अह्हूऊऊ.. चोदो और जोर-जोर से.. ऊऊओह्हह ह्ह्हाआ ऊऊऊ और जोर-जोर से.. ऊओह्हह्हह!
नेहा और मैं दोनों ही पसीने से पूरे नहा गए थे, नेहा बोली- आआह्ह्ह्ह.. यश.. ऊओह्ह्ह.. मेरा काम होने वाला है। मैंने भी अपनी फुल स्पीड में नेहा की चुदाई करना चालू कर दिया। कुछ ही धक्के मारे ही होंगे कि मैंने सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।
अभी कहानी जारी है दोस्तो… अभी तक की कहानी कैसी लगी मेल जरूर करें। [email protected]
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