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दोस्तो, मेरा नाम राज है और मैं इंदौर का रहने वाला हूँ. यह हिंदी एडल्ट स्टोरी मेरी और मेरी विधवा बुआ के बीच हुई एक रंगीन घटना यानी बुआ की चुदाई पर आधारित है, जिसके बाद मेरे लंड से बुआ की चूत की प्यास बुझ गई.
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ कि कैसे मैंने अपनी बुआ को पटा कर उनका गेम बजाया.
मेरी बुआ जी की शादी उस समय हुई जब मेरी कम उम्र थी, लेकिन मैं अपनी बुआ को बचपन से ही पसन्द करता था. मेरी बुआ जी की शादी भी बड़ी धूमधाम से हुई थी, पर शादी के कुछ ही महीनों के बाद मेरी बुआ विधवा हो गई थीं.
फिर बुआ को मेरे दादाजी गाँव में अपने घर पर वापस ले कर आ गए.
मैं अपनी बुआ की मादकता के बारे में बताना चाहूँगा. मेरी बुआ की लंबाई 5 फुट 3 इंच है, एकदम दूध सा सफेद रंग, होंठ तो एकदम गुलाब की पंखुड़ियों की तरह इस कदर मस्त हैं कि देखते ही खा जाने का मन करता है. ऊपर से उनके गालों पर बनने वाले डिंपल और ही जानलेवा हैं. उनके चुचे इतने बड़े हैं कि दोनों तो एक हाथ में आ ही नहीं सकते. उनकी चूत और चूतड़ को देख कर तो हिजड़े भी सोचेंगे कि काश हमारे पास भी लंड होता तो इस काम की देवी की चूत का पान करते. साथ ही बुड्डे और जवान लड़कों की हालत का तो आप लोग अंदाज़ा लगा ही सकते हो. कुल मिलकर कहें तो उनका साइज़ 36-32-36 का बड़ा ही मदमस्त है.
जब भी बुआ मेरे घर पर आतीं तो मुझसे बहुत प्यार से बात करती थीं. हम सबको इस तरह दिखाती थीं कि उन्हें कोई दुख नहीं है, पर हम सब जानते थे कि उन्हें अन्दर ही अन्दर अपने अकेलेपन का कितना दुख है. उनके इस अकेलेपन से मुझे नफ़रत होने लगी और मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं अपनी ही बुआ से प्यार कर बैठा. शुरूआत में तो मैं उनसे सिर्फ़ प्यार ही करता था और कुछ नहीं. पर दिन ऐसा आया कि मेरी जिंदगी ही बदल गई.
एक बार मैं अपने दादाजी के पास रहने गाँव रहने गया. मुझे वहां देख कर सब खुश हुए. रात को खाना खाने के बाद मैं जल्दी सोने के लिए चला गया क्योंकि रास्ते का सफ़र तय करने से मुझे थकावट के कारण जल्दी नींद आ गई.
रात में जब मेरी आँख खुली तो मैं बाथरूम गया तो देखा कि बुआ जी के कमरे से आवाजें आ रही थीं. तो मैंने खिड़की से अन्दर देखा तो मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई. बुआ अन्दर नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थीं और वो अपनी चूत और अपने मम्मों को दबा रही थीं. साथ ही कुछ अजीब सी आवाज़ें भी निकाल रही थीं- आआ आआ आआ आआऊऊ ऊऊ ऊऊ ऊऊओस्श्श श्श्श्शश ऊऊ ऊऊ ऊऊ ऊऊओ..
बुआ अपनी चूत में मूली को डाल कर अन्दर बाहर कर रही थीं और ज़ोर ज़ोर से अपने स्वर्गवासी पति को गालियां दे रही थीं. मैं उन्हें पहली बार इस हालत में देख कर दंग रह गया. मैं उन्हें इस हालत में देखने में इतना खो गया कि ना जाने कब मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया और मैं मुठ मारने लगा. उधर बुआ जी भी अपने मूली वाले लंड महाराज से मज़े लेने में व्यस्त थीं और इधर मैं अपने लंड महाराज को शांत करने में लगा रहा.
कुछ देर के बाद बुआ जी के मूली लंड महाराज ने उनको शांत कर ही दिया और इधर मेरे लंड महाराज ने भी अपना गुस्सा थूक दिया, जो ज़मीन पर गिरा पड़ा था.
अब मैं अपने कमरे में आकर बुआ जी के नंगे जिस्म को याद कर रहा था कि मेरे लंड महाराज फिर से बुआ की चूत लेने के लिए ताव में आ गए और फिर मुझे उन्हें मुठ मार के शांत करना पड़ा.
फिर 3 दिन गाँव में बुआ जी के साथ रह कर उनके अंगों के खूब दर्शन किए. लेकिन लंड महाराज कहाँ दर्शन से मानने वाले थे, उन्हें तो अपनी चूत रानी से मिलने की जल्दी थी. पर वहां कुछ काम ना बन सका.
अगली सुबह मैं वापस अपने शहर इंदौर आ गया, लेकिन मैं अपने साथ बुआ जी का नंबर लाया. अब तो मैं रोज बुआ जी से बात करता. बातें यहाँ तक होने लगीं कि थोड़ा ज्यादा ही हंसी मज़ाक की बातें हो जातीं.
कुछ दिनों बाद मेरा जन्मदिन आया और पिताजी ने अपने सभी रिश्तेदारों को बुलाया, उनमें से मुझे और मेरे लंड महाराज को केवल एक ही का इंतजार था वो थीं मेरी बुआ जी.
शाम तक सभी लोग आ चुके थे, पर मेरी जान अभी तक नहीं आई थीं. फिर 5 मिनट के बाद एक खूबसूरत सी अप्सरा मेरे सामने आ करके खड़ी थी, वो मेरी जान बुआ थीं, जो काली साड़ी में कातिल लग रही थीं. उन्हें इस काम की देवी के रूप में देख कर मेरे लंड महाराज भी उनकी वंदना करने लगे. मैंने उसी समय सोच लिया कि आज अपने लंड महाराज को उनकी चूत रानी से मिला कर ही चैन की सांस लूँगा.
रात के दस बजे सभी लोग चले गए. सोने की इस प्रकार व्यवस्था हुई कि माँ और पापा तो अपने कमरे में चले गए और मैं और बुआ जी आपस में बातें करने के लिए मेरे कमरे में आ गए. हम दोनों सोफे पर एक साथ बैठे हुए थे तभी मैंने एक शरारत की, मैंने उनका हाथ पकड़ कर कहा- बुआ, आज तो आप बड़ी कातिल लग रही हो और आज की पूरी पार्टी में आपसे सुन्दर कोई था ही नहीं.. मेरा तो मन करता है कि आपको प्यार कर लूँ… काश मैं आपका भतीजा ना हो कर आपका पति होता तो मैं आज आपको सारी रात प्यार करके अपने आपको दुनिया का सबसे खुशनसीब बंदा समझ लेता.. पर क्या करूँ, मैं कुछ नहीं कर सकता.
तभी मैंने देखा कि बुआ की आँखों से आँसू निकल पड़े थे. मैंने पूछा कि क्या हुआ बुआ आप रो क्यों रही हैं? उन्होंने कहा- अगर तू मुझ से प्यार करके खुशनसीब होता, तो मैं आज किसी के प्यार पाने के लिए तरसती नहीं. और यह बोल कर बुआ ज़ोर से रोने लगीं, तो मैं उन्हें अपने आगोश में लेकर उन्हें शांत करने की कोशिश करने लगा.
पर वो और ज़ोर से रोने लगीं तो मुझसे उनका ये दर्द बर्दाश्त ना हुआ. मैंने उनसे कहा- मैं आपसे प्यार से बहुत प्यार करता हूँ. और उनके गालों और होंठों को चूमने लगा. इस पर उन्होंने मुझे धक्का देकर दूर कर दिया और बोलने लगीं- ये तुम क्या कर रहे हो? तुम्हें शर्म नहीं आती अपनी बुआ से ऐसी हरकत करते हुए? मैंने उनसे कहा कि बुआ मैं आपसे सच में बहुत प्यार करता हूँ… और आज से नहीं, जब से आप अकेली हुई है तब से ही प्यार करता हूँ. मैं नहीं जानता कि मेरे में इतनी हिम्मत कहाँ से आई है, लेकिन मैं आपसे सच बोल रहा हूँ और अगर आप मुझे नहीं मिलीं तो मैं आपकी कसम खाकर बोलता हूँ कि मैं मर जाऊँगा. और मैं भी रोने लगा.
तभी पता नहीं कि बुआ जी को क्या हुआ, वो मेरे पास आकर मेरे होंठों पर किस करने लगीं और मैं भी उनसे चिपक गया. हम दोनों एक दूसरे के चुंबन में ऐसे खो गए कि दो जिस्म एक जान हों. दस मिनट के प्यार भरे चुंबनों से ही हम दोनों की आत्मा सुख का अनुभव महसूस कर रही थी. फिर जो हुआ उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता, ऐसा सुखद आनन्द आ रहा था.
मैं और बुआ दोनों फिर चुंबन करते हुए बिस्तर पर गिर पड़े और मैंने एक ही झटके में बुआ की साड़ी निकाल कर उनके दोनों स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही उनका मर्दन करने लगा. बुआ तो एक प्यासी मछली की तरह बहक रही थीं. मैंने उनका ब्लाउज भी फाड़ कर फेंक दिया और देखा कि काली ब्रा में कैद दो बड़े बड़े आम फड़फड़ा रहे थे. मैं तो उन पर भूखे शेर की भांति टूट पड़ा.
बुआ ने भी मेरा साथ देते हुए मेरा सिर अपने स्तनों में रगड़ना शुरू कर दिया और ‘उह्ह उह अहह उफ़ उम्म्म..’ करने लगीं. बुआ अपने होंठ अपने दांतों से दबाने लगीं. मैं उनके एक स्तन का तो चूस रहा था और दूसरे का मर्दन कर रहा था, जिससे बुआ की कामुक आवाजों की गति में तेजी होने लगी.
फिर मैंने मेरे एक हाथ से उनके पेटीकोट को उनके जिस्म से अलग कर दिया और मुझे उस प्यारी सी जन्नत के दीदार हुए जिसे लोग चुत, भोसड़ा, फुद्दी और जाने किन किन नामों से उसकी पूजा करते हैं और काम की देवी से उसके दर्शनों की कामना करते हैं. आज वो जन्नत मेरे सामने थी.
मैंने समय ना गंवाते हुए अपने मुख से उस चूत को प्रसाद पाने की क्रिया में लगा दिया. मैंने जैसे ही बुआ की चूत को चाटना शुरू किया, वैसे ही बुआ की सीत्कारें बढ़ने लगीं. वो ज़ोर ज़ोर से कहने लगी- आह.. मादरचोद… बहन के लंड… चूस ले मेरी चूत.. चाट ले भोसड़ी के इसे.. वो जोश के कारण बड़ाबड़ा रही थीं- आआअ ऊऊओ श्श्श्शश्श्ह्स.. ओइ ओइओइ ऊऊ ओईइ ऊइओई ओइओइ ओओइओइ.. चाट साले चाट और चाट चाट कर इसका कचूमर बना दे..
बुआ की इन रंगीन बातों से मेरा योनि मर्दन और अधिक प्रभावी होता जा रहा था. फिर दस बारह मिनट के योनि मर्दन के बाद मुझे मेरी मेहनत का फल प्राप्त हुआ जिसे लोग योनि रस, काम रस.. नाना प्रकार के शब्दों की पदवी देते हैं. मैंने योनि रस की एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाने दी.
अब बारी थी बुआ जी की, उन्होंने मेरे कपड़ों को क्षण भर में ही मुझसे अलग कर दिया और मेरे लिंग महाराज को भी भोगने को निकल पड़ीं. जब उन्होंने मेरे लंड महराज को अपने मुँह में लिया तो मैं तो ना जाने किस दुनिया के किस आनन्द की प्राप्ति कर रहा था. इसका वर्णन संभव नहीं है.
कुछ देर बाद मेरे लंड महाराज ने भी बुआ को अपना प्रसाद दे ही दिया. अब बुआ मुझसे बोलीं- जान अब बर्दाश्त से बाहर है.. ये जलन इससे बुझा दे और मेरी इस प्यारी सी चूत का भोसड़ा बना दे. मैंने भी देखा कि लोहा दोनों तरफ ही गर्म है तो क्यों ना अब संपूर्ण तन का मिलन, बुआ की चुदाई हो ही जाए!
मैंने बुआ की कमर के नीचे तकिये को लगा कर उनके पैरों को अपने कंधों पर रख कर जैसे ही लंड को चूत में घुसाया, लंड बार बार फिसल कर बाहर आ जा रहा था क्योंकि बुआ की चूत तो कुंवारी ही जैसी थी.
फिर मैंने अपने जन्मदिन के केक की क्रीम को हाथ की दो उंगली में लगा कर चूत में अन्दर बाहर करने लगा, जिससे बुआ की चूत का थोड़ा मुँह खुल गया. इसके साथ ही ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर लगा कर चूत में घुसेड़ने लगा पर मेरा लंड 2.5 इंच मोटा होने के कारण अन्दर जाने में बुआ को दर्द का अनुभव हो रहा था. बुआ चिल्लाने लगीं- उई फाड़ दी… माँ के लौड़े.. उम्म्ह… अहह… हय… याह…
फिर मैंने बुआ के होंठों पर अपने होंठों को रख कर उन्हें चूमने लगा और तभी एक ज़ोरदार झटके में ही बुआ की साँस अटक गई. उनकी आँखों से आँसू निकल रहे थे. अगले बमपिलाट झटके पर वो एकदम से चीख कर बोलीं- आह फाड़ दी… माँ के लौड़े.. पर अभी उनको ये प्यारा और मीठा दर्द एक बार और सहन करना था क्योंकि अभी तो आधा ही लंड अन्दर गया था. फिर एक और ज़ोरदार झटके के साथ मेरा पूरा का पूरा 7 इंच लंबा लंड बुआ की चूत में समा चुका था. मैं बुआ के रसीले होंठों और स्तनों का चुंबन और मर्दन करता रहा, कुछ देर बाद बुआ सामान्य हुईं और तूफ़ानी दौर शुरू हुआ.
मैंने अपने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और बुआ भी नीचे से मेरा साथ दे रही थीं. अब तो बुआ चूतड़ों को उठा-उठा कर चुदाई करवाने लगीं. बुआ ज़ोर ज़ोर से गालियाँ दे रही थीं- चोद साले चोद… जितनी गांड में दम है ना, पूरी लगा कर चोद.. मेरे राजा.. मेरी चूत का बजा दे बाजा, मिटा दे इसकी खुजली और बना दे इसका भोसड़ा…
मैं भी उनको बोला- रांड कहीं की.. अब तक ना जाने कितनों से चुदा रही होगी.. ले बहन की लौड़ी चुद मेरे घोड़े जैसे लंड से.. “हाँ मेरे भतीजे राजा चोद मुझे अपनी कुतिया रांड समझ कर… और इसी तरह हमेशा मुझे चोदते रहना.. उई मा उई माँ उफ़फ्फ़ चोद मेरे लंड के राजा..”
हमारी बीस मिनट की चुदाई में वो तीन बार झड़ चुकी थीं, फिर मैंने भी 10-15 जोरदार झटके मार कर अपना गर्म लावा बुआ की चूत में ही डाल दिया. इस तरह से मैंने अपनी सगी बुआ को चोदा.
मैंने बुआ की ओर देखा तो उनकी आँखों में प्यार के आँसू और चेहरे पर मलाई चाट चुकी बिल्ली जैसा भाव था.
प्लीज़ मेरी बुआ की चुदाई की इस पहली हिंदी एडल्ट स्टोरी पर अपने कमेंट्स करना न भूलें. [email protected]
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