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अन्तर्वासना के सभी नर और नारियों को राहुल श्रीवास्तव का प्यार भरा नमस्कार! मैं राहुल मुंबई से एक प्रतिष्ठित कंपनी में सेल्स एंड मार्केटिंग हेड हूँ। यह मेरी तीसरी कहानी है.. पहले आप ट्रेन में मिली अंजान लड़की संग मस्ती और जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना पढ़ चुके हैं।
आप सबके सामने एक नई कहानी ले कर प्रस्तुत हूँ। दरअसल बात कुछ साल पहले की कुंवारे राहुल और कुंवारी कन्या पायल के बीच की है.. जब हम आगरा में रहते थे।
यह कहानी उन सभी कुंवारे लण्ड और चूत को समर्पित है.. जो अपने पहले सम्भोग के लिए प्रयास कर रहे हैं। ईश्वर करे उनको जल्द ही लण्ड और चूत के संगम में डुबकी लगाने का अवसर मिले।
जब मैंने नई-नई नौकरी की थी और मुझे आगरा में ज्वाइन करने के लिए कहा गया था। मैं कंपनी के काम से दिल्ली बहुत आता-जाता था।
इस दौरान हम दोनों ने यानि मैंने और पायल ने दिल्ली में जा कर अपना-अपना कौमार्य खोया। किस तरह पायल तैयार हुई.. कैसे मैंने उसको सेक्स के लिए तैयार किया.. ये सब आपको यहाँ पर मिलेगा।
सबसे पहले आप सबको यह बता दूँ कि कहानी में जगह.. नाम.. हीरो और हीरोइन घटनाक्रम बिल्कुल सत्य हैं। हाँ.. उन पलों को रोचक और इस मंच के पाठकों की पसंद के अनुसार तड़का अवश्य लगाया है।
यह मेरे और पायल के बीच के पहले सम्भोग की गाथा है। आज भी जब उन पलों को याद करता हूँ.. तब मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है और उसको याद करके मुठ मार लेता हूँ। आज मुझे पता नहीं वो कहाँ है.. पर यदि वो इस कहानी को पढ़ रही हो.. तो वो भी उन पलों को याद कर रही होगी।
आगरा के सिकंदरा में किराए का मकान लिया.. जिसमें ऊपरी मंजिल में मकान-मालिक का परिवार और नीचे के दो रूम के सैट में मैं और पीछे के दो रूम के सैट में एक अरोरा परिवार रहता था।
अरोरा साहब के परिवार में मियां-बीवी, एक लड़का और एक लड़की पायल (उम्र 19 साल) रहते थे। उनका लड़का इंग्लैंड में रहता था। हम दोनों के बीच में मकान का आँगन कॉमन था।
पायल एक अल्हड़ सी.. कमनीय काया की स्वामिनी थी। तकरीबन 5’3″ लम्बे कद की उस हिरनी का फिगर 32B-28-30 का था। वो पंजाबी थी.. तो गोरी और मस्त थी जैसा कि ज्यादातर पंजाबी लड़कियाँ होती हैं।
पायल हर समय घर पर ही रहती थी और मैंनेजमेंट के एंटरेन्स एग्जाम की तैयारी कर रही थी। पिता जॉब पर जाते और देर रात लौटते थे, उसकी माँ एक स्कूल में टीचर थीं और शाम के वक़्त ट्यूशन पढ़ाती थीं।
हम दोनों अक्सर बातें करते थे, मेरा उनके घर पर बहुत आना-जाना था, अक्सर मैं उनके घर पर ही खाना खाता था। सच कहूँ तो मेरा दिल पायल पर आ गया था, मैं उसको चोदना चाहता था.. पर उसकी इच्छा का मुझको पता नहीं था। बस इतना मालूम था कि उसको मेरा साथ अच्छा लगता है।
कभी-कभी मैं उसको इधर-उधर छूने भी लगा था.. वो बिल्कुल बुरा नहीं मानती थी.. बल्कि वो एक स्माइल भी देती थी।
एक दिन मैं अपने काम पर नहीं गया और घर पर ही था.. पर यह बात उन सब को पता नहीं थी। करीब 11 बजे जब मैं आँगन में गया.. तो देखा कि पायल सिर्फ तौलिया में खड़ी थी, वो अभी नहा कर ही निकली थी, तौलिया उसके सीने पर बंधा था और वो जाँघों तक ही था।
मैं सन्न रह कर सिर्फ उसको देखता रह गया। वो भी सन्न रह गई। कुछ पलों में उसको होश आया और वो अन्दर भाग गई।
मैं भी कुछ समय के लिए समझ नहीं सका कि क्या करूँ। फिर मैं भी उसके पीछे उसके कमरे में गया और देखा कि वो वैसे ही खड़ी है और उसकी सांसें तेज-तेज चल रही हैं।
मेरे मन में काम-वासना का संचार हो गया। मेरा लण्ड खतरनाक तरीके से खड़ा हो गया था। मैं धीरे से उसके पीछे गया और उसकी नग्न गर्दन पर अपने होंठ रखा कर हल्का सा चुम्बन दिया।
वो काँप से गई और कहने लगी- आप जाओ यहाँ से..
मैं कुछ बोलता तभी किसी ने उसके घर की घंटी बजाई और मैं जल्दी से अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद मैंने बहुत कोशिश की.. पर उसने अपना दरवाज़ा नहीं खोला। फिर बात आई-गई हो गई।
पर इसके बाद वो मेरे सामने ज्यादा नहीं आती थी। अकेली तो बहुत कम आती थी.. पर हम दोनों की नज़रें बदल गई थीं। वो अब मुझको बहुत प्यार भरी नज़रों से देखती थी, मैं भी रोज़ उसकी याद में लण्ड का रस निकल देता था। पर मुझको कोई मौका नहीं मिल रहा था कि मैं कुछ कर पाऊँ।
मैं हर संभव कोशिश कर रहा था कि कोई मौका मिले और इत्तफ़ाक़ से ऐसा मौका मिल भी गया। हुआ यह कि पायल को दो एग्जाम पेपर देने दिल्ली जाना था। पर उन लोगों को पंजाबी होने के बावजूद दिल्ली का कुछ भी नहीं पता था।
तब उसकी माँ ने मेरे को बुलाया- बेटा, तुम तो दिल्ली बहुत जाते हो.. क्या तुम रोहणी नाम की जगह जानते हो? मैं- हाँ क्यों? पायल की माँ- बेटा पायल के एग्जाम का सेंटर है वहाँ.. क्या तुम पायल और अंकल के साथ जाकर उसे एग्जाम दिला दोगे? मैं- हाँ क्यों नहीं..
मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया कि चलो कुछ पल साथ रहने का मौका मिलेगा और पायल के दिल की बात जानने में भी आसानी होगी।
पायल की माँ- ठीक है फिर मैं तुम तीनों का रिजर्वेशन करवा देती हूँ। मैं- ठीक है।
हम सबको एक हफ्ते बाद निकलना था। मैं खुश था.. मैं भी तैयारी में जुट गया। मैंने एहतियातन एक कंडोम का पैकेट.. नारियल के तेल की शीशी.. आई पिल का पैकेट रख लिया था.. शायद जरूरत पड़ जाए।
आखिर वो पल भी आ गया जब हमको निकलना था, रात की ट्रेन दादर अमृतसर एक्सप्रेस थी, हम सब स्टेशन आ गए। हम सबकी 2 AC में सीट बुक थीं।
सुबह हम लोग जब दिल्ली पहुँचने वाले थे.. तभी पायल के घर से मकान-मालिक का फ़ोन आया कि पायल की माँ गिर गई हैं.. उनके पैर में काफी चोट आई है।
यह सब सुन कर हम सब घबरा गए.. पर जब मैंने अपने मकान-मालिक से बात की.. तब पता चला कि वो लोग उनको हॉस्पिटल ले गए हैं और अब वो ठीक हैं, दोपहर के बाद उनके पैर का ऑपरेशन होगा.. और उन्होंने बोला कि अंकल का आना जरूरी है।
यह सोच कर हम सबने लौटने का प्लान बनाया.. पर अंकल बोले- अकेला मैं लौट जाता हूँ.. तुम पायल को एग्जाम दिला कर कल आ जाना।
पर मैंने कहा- नहीं.. हम सब वापस चलते हैं। तब अंकल बोले- बेटा अब जो होना था.. वो हो गया और पायल की पूरे साल की मेहनत बेकार हो जाएगी.. इसका साल भी ख़राब होगा।
पायल- पर पापा ऐसा कैसे हो सकता है.. मैं कैसे राहुल के साथ.. पर उसके पापा ने उसे बीच में ही रोक के समझाया- बेटा देखो, साल मत ख़राब करो और मैं तो वापस जा ही रहा हूँ न? मैं- अंकल मैं कैसे पायल के साथ रुकूँगा?
अंकल- देखो राहुल तुम समझदार हो और जिम्मेदार भी हो.. तुम जरूर ठीक से एग्जाम दिला दोगे और फिर एक दिन की ही तो बात है.. कल तो रात तक तुम आ ही जाओगे।
फिर हम दोनों ने मिल कर अंकल को आगरा की ट्रेन में बिठा दिया और वो ट्रेन के जाने के बाद हम दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा। मैंने देखा कि पायल अपनी माँ के लिए बहुत परेशान है। मैं- देखो घबराओ नहीं.. सब ठीक हो जाएगा.. और तुम सिर्फ अपने एग्जाम पर ध्यान दो और बाकी सब भगवान पर छोड़ दो.. जो होगा वो अच्छा ही होगा। पायल- हाँ पर..
मैं- देखो अंकल गए हैं . और भी लोग है वहाँ.. वो सब उनकी ठीक से देखभाल करेंगे। तुम परेशान होगी.. तो तुम्हारा पेपर भी ख़राब होगा और फिर माँ क्या सोचेगी.. इसलिए तुम सिर्फ एग्जाम में ध्यान दो और फिर मैं हूँ ना। पायल- हाँ तुम साथ तो हो।
यह कह कर उसके मासूम से चेहरे पर मुस्कान आ गई। यह देख कर मैं खुश हो गया और उसका हाथ हल्के से पकड़ कर बाहर चल दिया। जैसे ही मैंने उसका हाथ पकड़ा.. उसने मेरी तरफ देखा.. पर बोली कुछ नहीं।
मैंने पहाड़गंज में होटल श्री राम में एक AC रूम ले लिया। यह वही होटल था जहाँ मैं अक्सर दिल्ली आकर रुकता था.. सो हमको रूम आसानी से मिल गया।
एग्जाम पेपर दिन में 3 बजे से था और हमको 2 बजे तक वहाँ पहुँचना था।
मैंने टाइम देखा तो सिर्फ 6 बज रहे थे मेरे पास उसको पटाने के लिए बहुत टाइम था।
कमरे में आकर मैंने चाय आर्डर की और हम दोनों बैठ कर उसकी मम्मी के बारे में बात करने लगे। मैंने देखा कि पायल बहुत ही ज्यादा परेशान थी और नर्वस भी थी। शायद मेरे साथ अकेले कमरे में होने की बात को जान कर वो ज्यादा दिक्कत में थी।
यह देख कर मैंने भी उसको प्रभावित करने के लिए एक चाल चली, मैंने उससे कहा- देखो पायल, तुम इस तरह परेशान होगी तो तुम्हारा पेपर ख़राब हो जाएगा और तुम मैंनेजमेंट नहीं कर पाओगी। वो चुप रही।
फिर मैं थोड़ा रुक कर बोला- और एक बात.. इस बात के लिए मत परेशान हो कि तुम मेरे साथ अकेली हो और मैं तुम्हारे साथ कुछ कर दूँगा। तुम मेरी जिम्मेदारी हो और मैं उसको बखूबी निभाऊँगा।
मेरी इस बात का असर तुरंत हुआ, वो हल्के से मुस्कराई और मेरी तरफ देख कर बोली- मैं जानती हूँ।
जहाँ तक मेरा मन था.. मैं यह बात जानता था कि इससे अच्छा मौका मेरे को कभी नहीं मिलेगा। जब मैं इस अल्हड़ से कुंवारी पंजाबी कन्या को चोद सकता हूँ।
पर कैसे? इस बात का जवाब मेरे पास भी नहीं था। एक बात तो पक्की थी कि मुझे पायल को चोदना था।
आगे मैं लिखूंगा कि इस कोशिश में क्या हुआ। आपके कमेंट्स का इन्तजार में रहूँगा। कहानी जारी है। [email protected]
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