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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम महेश कुमार है, मैं सरकारी नौकरी करता हूँ।
मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं.. जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है। अगर होता भी है.. तो यह मात्र संयोग ही होगा।
यह कहानी मेरे पहले सेक्स अनुभव की है। यह मेरी और मेरी प्यारी पायल भाभी की कहानी है और मेरी पायल भाभी को तो आप जानते ही हैं.. जिसकी कहानी ‘मेरी आप बीती’ आप पहले ही पढ़ चुके हैं।
बात उस समय की है.. जब मैं बारहवीं में पढ़ता था। उस समय मैं बहुत डरपोक और शर्मीला लड़का था।
शादी में जब मैंने पहली बार भाभी को दुल्हन के रूप में देखा तो बस देखता ही रह गया था। वो दुल्हन के लिबास में स्वर्ग की किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं.. बिल्कुल दूध जैसा सफेद रंग, गोल चेहरा, सुर्ख गुलाबी पतले पतले होंठ, बड़ी-बड़ी काली आँखें.. पतली और लम्बी सुराहीदार गर्दन.. काले घने लम्बे बाल.. बड़े-बड़े सख्त उरोज.. पतली बलखाती कमर.. गहरी नाभि.. पुष्ट और भरे हुए बड़े-बड़े नितम्ब।
हालांकि उस समय मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था.. मगर फ़िर भी भाभी मुझे बहुत अच्छी लगीं।
भाभी ने आते ही सारे घर की जिम्मेदारी सम्भाल ली। भाभी सारा दिन घर के कामों में व्यस्त रहती थीं.. और जब कभी समय मिलता तो मेरी पढ़ने में भी सहायत करती थीं। भाभी ने बी.एससी. कर रखी थी इसलिए मैं भी पढ़ाई में कोई दिक्कत आने पर भाभी से पूछ लेता था। स्कूल से आने के बाद मैं भी भाभी के घर के कामों में हाथ बंटा देता था।
भाभी मना करती थीं और कहती थीं- तुम बस पढ़ाई करो.. ये सब तो मैं अपने आप कर लूँगी।
मेरे भैया चाहते थे कि मैं आर्मी में आफीसर बनूँ और यह बात उन्होंने भाभी को भी बता रखी थी इसलिए भाभी हमेशा मुझे पढ़ने के लिए बोलती थीं। मैं भी पढ़ने में काफ़ी तेज था.. हमेशा स्कूल में अव्वल आता था।
समय के साथ-साथ मैं और भाभी एक-दूसरे से बिल्कुल खुल गए थे, अब तो हम एक-दूसरे से हँसी-मज़ाक भी कर लेते थे। मगर अभी तक मैंने भाभी के बारे में गलत नहीं सोचा था और वैसे भी सेक्स के बारे में मुझे इतना कुछ पता भी नहीं था।
लेकिन मेरे एक-दो दोस्त थे जो कि सेक्स के बारे में बहुत कुछ जानते थे, वे तो लड़कियों के साथ सेक्स भी कर चुके थे। उन्होंने ही मुझे पहली बार औरत कि अश्लील और नंगी तस्वीर दिखाई थी और हस्तमैथुन करना भी सिखाया था।
एक बार स्कूल से आते समय हम सारे दोस्त सेक्स के बारे में बातें कर रहे थे कि तभी मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा- तू तो ऐसे ही घूम रहा है जबकि तेरे तो घर में ही जबरदस्त माल है। मैंने कहा- मतलब?
तो वो बोला- तेरी भाभी है ना.. और वैसे भी तेरे भैया आर्मी में हैं.. जो कि बहुत कम ही तेरी भाभी के साथ रहते हैं। तेरे भैया के जाने के बाद तेरी भाभी का दिल भी तो सेक्स के लिए करता होगा। इस पर मेरे सारे दोस्त हँसने लगे।
उस समय तो मैंने उनकी बातों को मजाक में उड़ा दिया.. मगर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरा भाभी के प्रति नजरिया ही बदल गया।
उस दिन मैं और भाभी ऐसे ही बातें कर रहे थे और बीच-बीच में एक-दूसरे से मजाक भी कर रहे थे कि तभी भाभी ने मेरी बगल में गुदगुदी कर दी और हँसने लगीं। मैं भी भाभी को गुदगुदी करना चाहता था.. इसलिए मैंने भाभी को बिस्तर पर गिरा दिया और दोनों हाथों से उनकी कमर में गुदगुदी करने लगा।
भाभी हँस-हँस कर दोहरी हो गईं और उन्होंने अपने दोनों घुटने मोड़ लिए.. जिससे उनकी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उलट गए और उनकी दूध सी गोरी जांघें और काले रंग की पैन्टी दिखने लगी.. जिसे देखते ही मेरे रोम-रोम में एक तूफ़ान सा उठने लगा और मेरा लिंग उत्तेजित हो गया।
भाभी ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक करे और हँसते हुए कहने लगीं- तुम बहुत शरारती हो गए हो। वे उठ कर कमरे से बाहर चली गईं।
भाभी जा चुकी थीं.. मगर मुझे तो जैसे सांप सूँघ गया था। मेरे सामने अब भी भाभी की नँगी गोरी जांघें और उनकी काली पैन्टी घूम रही थी।
कुछ देर बाद भाभी खाने की प्लेट लेकर कमरे में आईं और मुस्कुराते हुए कहा- चलो खाना खा लो। उन्होंने खाने की प्लेट को बिस्तर पर रख दी और मेरे पास ही बैठ गईं।
मैं चुपचाप उठ कर खाना खाने लगा.. मगर मेरा लिंग अब भी उत्तेजित था.. जो कि मेरी हाफ़ पैंट में उभरा हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा था जिसे मैं बार-बार दबा कर भाभी से छुपाने की कोशिश कर रहा था।
शायद भाभी को भी मेरी हालत का अहसास हो गया था.. इसलिए भाभी ने हँसते हुए कहा- कुछ चाहिए.. तो आवाज दे देना.. मैं रसोई में जा रही हूँ।
मुझे रह-रह कर उस दिन वाली मेरे दोस्तों की बातें याद आने लगीं और वो सही भी कह रहे थे।
इस घटना ने मेरा सब कुछ बदल कर रख दिया, अब मैं भाभी को वासना की नजरों से देखने लगा। अब मैं भाभी के अधिक से अधिक पास रहने की कोशिश करता रहता। इसका अहसास शायद भाभी को भी हो गया था.. मगर भाभी कुछ नहीं कहती थीं।
हमारे घर में दो ही कमरे हैं जिसमें से एक कमरे में मम्मी-पापा रहते हैं और दूसरे कमरा भाभी का है। मैंने ड्राईंग रूम में ही अपना बिस्तर लगा रखा है और वहीं पढ़ाई करता हूँ।
एक बार रात को पढ़ते समय गणित का एक प्रश्न मुझसे हल नहीं हो रहा था इसलिए पूछने के लिए मैं भाभी के पास चला गया और भाभी के कमरे का दरवाजा बजा कर उनको बताया।
मगर भाभी ने दरवाजा नहीं खोला और कहा- अभी मैं सो रही हूँ.. कल बता दूँगी।
मैं वापस आ कर फिर से अपनी पढ़ाई करने लगा.. मगर कुछ देर बाद भाभी ने पता नहीं क्या सोचकर दरवाजा खोल दिया और कमरे से ही आवाज देकर मुझे बुला लिया।
मैं कमरे में गया तो देखा कि भाभी ने काले रंग की पतली सी एक नाईटी पहनी हुई थी.. जिसमें से उनकी नीले रंग की ब्रा और पैन्टी यहाँ तक कि टयूब लाईट की रोशनी में उनका दूधिया गोरा बदन स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
भाभी का यह उत्तेजक रूप देखकर मेरी हालत पतली होने लगी और मेरे लिंग ने उत्तेजित होकर मेरी हाफ़ पैंट में उभार सा बना लिया। मैं बस भाभी को ही देखे जा रहा था। शायद भाभी ने भी मेरी हाफ़ पैंट में मेरे लिंग के उभार को देख लिया था।
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- बोलो क्या पूछना है? मेरी आवाज नहीं निकल रही थी इसलिए मैंने हाथ के इशारे से किताब में वो प्रश्न बता दिया और भाभी मुझे बिस्तर पर बिठा कर समझाने लगीं।
मगर मेरा ध्यान पढ़ने में कहाँ था.. मैं तो बस भाभी को ही देखे जा रहा था और मेरा लिंग तो मेरी हाफ पैंट को फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था।
कुछ देर में ही भाभी ने वो सवाल हल कर दिया और कहा- समझ आ गया? मैंने झूठ-मूठ में ही ‘हाँ’ कह दिया जबकि मैंने तो ठीक से किताब की तरफ भी नहीं देखा था.. मैं तो बस भाभी के अंगों को ही देखे जा रहा था। भाभी ने कहा- तो फिर चलो अब मुझे सोना है।
भाभी के कमरे से आने को मेरा दिल तो नहीं हो रहा था.. मगर फिर भी मैं वहाँ से आ गया और भाभी ने फिर से दरवाजा बन्द कर लिया।
भाभी के गोरे बदन को देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरे लिंग ने तो पानी छोड़-छोड़ कर मेरे अण्डरवियर को भी गीला कर दिया था.. मगर अब क्या करें?
तभी मुझे एक तरीका सूझा और मैंने फिर से भाभी के कमरे का दरवाजा बजा दिया। भाभी ने दरवाजा खोल कर मुस्कुराते हुए पूछा- अब क्या हुआ? मैंने कहा- भाभी एक बार फिर से बता दो.. मुझसे नहीं हो रहा है।
भाभी फिर से मुझे वो सवाल समझाने लगीं.. मगर मेरा ध्यान तो भाभी पर ही था और वैसे भी मैं पढ़ने भी कहाँ आया था.. मैं तो भाभी की पारदर्शी नाईटी से दिखाई देते उनके अंगों को देखने आया था।
कुछ देर में ही भाभी ने वो सवाल फिर से हल कर दिया, मुझे फिर से उनके कमरे से आना पड़ा। कुछ देर बाद मैंने एक नया सवाल लेकर फिर से भाभी का दरवाजा बजा दिया।
इस बार भाभी दरवाजा खोलकर हँसने लगी और हँसते हुए कहा- फिर से.. मैंने कहा- नहीं.. ये दूसरा है।
शायद भाभी समझ गई थीं कि मैं बार-बार क्यों आ रहा हूँ इसलिए वो हँसने लगीं और हँसते हुए कहा- सारी पढ़ाई आज ही करनी है क्या?
मेरे बार-बार भाभी का दरवाजा बजाने की आवाज सुनकर पापा अपने कमरे से बाहर आ गए और पापा के आते ही भाभी दरवाजे के पीछे छुप गईं।
पापा ने मुझे डांटते हुए कहा- क्यों परेशान कर रहा है भाभी को? मैंने कहा- मैं तो बस पढ़ने आया था। पापा ने कहा- तो फिर बार-बार दरवाजा क्यों बजा रहा है? मैंने बताया- वो सवाल पूछने के लिए आना पड़ता है।
पापा ने कहा- तुम कल से अपनी भाभी के कमरे में ही बिस्तर क्यों नहीं लगा लेते हो.. वो तुम्हारी खबर भी लेती रहेगी और तुम्हें पढ़ा भी देगी।
इतना कह कर पापा वापस अपने कमरे में चले गए। भाभी के कमरे में बिस्तर लगाने की बात से मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि अब तो रात भर भाभी के साथ ही रहूँगा।
पापा के जाते ही मैं अपना सामान भाभी के कमरे में लाने लगा.. मगर भाभी ने मना कर दिया और हँसते हुए कहा- अभी रात को रहने दो.. मैं कल तुम्हारा सामान यहाँ ले आउँगी.. अभी तो ये बताओ तुम्हें पूछना क्या है?
मैंने एक नया सवाल भाभी के सामने रख दिया.. मगर भाभी ने कहा- तुम्हें पहले वाला समझ आ गया? मैंने जल्दी से ‘हाँ’ कह दिया। भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- तो ठीक है जरा मुझे पहले वाला करके तो दिखाओ?
मैं हल करने तो लग गया.. मगर मुझे आ नहीं रहा था और आता भी कहाँ से मैंने ठीक से देखा ही कहाँ था।
भाभी को पता चल गया था कि मुझे वो सवाल नहीं आ रहा है और मैं बार-बार उनके पास किसलिए आ रहा हूँ.. इसलिए वो जान-बूझकर मेरी खिंचाई कर रही थीं।
भाभी हँसने लगीं और कहा- अभी सो जाओ.. कल पढ़ लेना।
मैं चुपचाप भाभी के कमरे से वापस आ गया और आकर सो गया। मैं सोचने लगा कि अब तो भाभी मुझे अपने कमरे में कभी नहीं सुलाएंगी और डर भी लग रहा था कि कहीं भाभी ये सब मम्मी-पापा को ना बता दें।
साथियो, भाभी के संग मेरी अन्तर्वासना का दौर चल तो रहा था.. पर मुझे बेहद डर भी लग रहा था।
अगले भाग में कहानी किस मोड़ पर आती है यह जानेंगे.. मेरे साथ बने रहिए और अपने ईमेल जरूर भेजिए। [email protected]
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