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पिछले पार्ट से आगे..
भारती भाभी खुश हो कर बोली- तुम अब पूरे मर्द हो गये हो.. मुझे तुम्हारे बच्चे की माँ बनने में खुशी होगी। हम दोनों हर रोज एक बार जरूर सेक्स किया करेंगे.. ताकि मैं गर्भवती हो जाऊँ। मैंने जवाब दिया- ठीक है भाभी.. हम ऐसे ही रोज करेंगे।
भारती भाभी को चोदने के बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और घर गए।
घर आते ही रूपा भाभी ने मजाक करना चालू कर दिया, रूपा भाभी तो मुझे डांटने का ढोंग करते हुए बोलीं- देखो देवर जी तुमने मुझे धोखा दिया और मेरे से पहले इनकी ले ली। इतना भी सब्र नहीं कर सकते थे। वो यह कह कर हँसने लगीं।
बाद में बोलीं- कोई बात नहीं अभी रात होने दो.. फिर देखना मैं तुम्हारी कैसे बजाती हूँ।
अब शाम के 5 बज रहे थे। क्योंकि हमारी चुदाई में ही 2 घण्टे चले गए थे। एक घंटा करीब घर तक चल कर आने में लगा था। गांव में शाम को 6 बजे ही खाना बनाना चालू कर देते हैं और 6:30 तक खा भी लेते हैं। आठ बजे तो सब सो ही जाते हैं।
यहाँ पर मेरे सोने का इंतजाम हॉल में किया गया था.. क्योंकि घर में 3 कमरे थे। एक बड़ा हॉल था.. रसोई और बड़ा आंगन था। चाचा-चाची हॉल के बाजू में आंगन में सोये हुए थे, दोनों को नींद भी गहरी आती थी।
मैं हॉल में सोने के लिए गया। मेरे मंझले वाले भाई खेत में ही थे.. आज छोटे वाले भाई ट्रेक्टर रिपेयर करने में लगे हुए थे और बड़े वाले भाई भी शहर से नहीं आए थे क्योंकि वो शहर से रात को नहीं निकले, वहीं किसी रिश्तेदार के घर रुक गए थे और उन्होंने फोन करके भाभी को बता दिया था।
भारती भाभी और सोनिया भाभी के कमरे में जाते वक्त मुँह बिगड़ा हुआ था क्योंकि आज वो मेरे से मजे नहीं ले सकती थीं। मुझसे ‘सॉरी’ बोलकर वो मुँह बिगाड़ के अन्दर चली गईं क्योंकि अन्दर उन्हें वही पुराना लण्ड और वो भी छोटा सा मिलने वाला था। उधर रूपा भाभी मेरे पास आईं और हँस कर बोलीं- रात को तुम्हारे हल से मैं अपनी जमीन खोद लूँगी.. अभी थोड़ा सो लो। मैं भी खुश हो गया और सो गया।
रात को मेरे लण्ड को कोई चूस रहा हो वैसा मुझे लगा.. मैंने देखा कि वो कोई और नहीं रूपा भाभी ही थीं। मैंने सोने का ढोंग चालू रखा और वो और जोर से लौड़ा चूसने लगीं।
अब मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उनका सर पकड़ कर अपने लण्ड को स्पीड से उनके मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। वो भी खुश थीं और ‘लपालप’ लण्ड चूस रही थीं।
फिर लण्ड चूसना छोड़ कर वो धीरे से बोलीं- चलो मेरे कमरे में आ जाओ.. वहाँ तुमसे टांगें चौड़ी करके चुदवाती हूँ।
मैं उनके पीछे चला गया। कमरे में जाते ही मैंने सीधा ही उनके चूचों पर हमला कर दिया और जोर से मम्मों को दबा दिया।
उनकी चीख निकलते-निकलते रह गई, शायद उन्होंने चीख दबा ली थी.. ताकि कोई उठ न जाए। वो बोलीं- धीरे से देवर जी..
मैं तो बस पागलों की तरह उनके बोबों को दबा रहा था, चूचों में मस्त दूध भरा हुआ था। मैं तो बस बहते दूध को देखता रहा और पीता रहा।
मैंने उनकी नाईट गाउन पूरा निकाल दिया था, सिर्फ अब वो पैंटी में थीं। मैं उनकी चूत को ऊपर से महसूस करना चाहता था।
मैंने बोबे चूसना चालू रखा और दूसरे हाथ को बोबे से हटा कर चूत पर ले गया। वो मखमली पैंटी एकदम चिकनी थी और हाथ फेरने से उनकी चूत की लकीर साफ़ महसूस होती थी।
मैं उस लकीर में एक उंगली ऊपर-नीचे करके घिसने लगा। जिससे उनको मजा आने लगा और उनकी सिसकारियाँ बढ़ने लगीं, उनके मुँह से ‘आह.. आह.. उमम्म..’ की आवाजें आने लगीं।
पैंटी के साइड के किनारे से मैंने पैंटी को थोड़ा खिसकाया और असली चूत को महसूस किया, वो गीली हो गई थीं। मैंने एक उंगली से उनके छेद को टटोला.. गीला होने की वजह से मैंने उंगली को धीमे से उसमें घुसेड़ दिया।
उनके मुँह से एक कामुक सिसकारी निकल गई और उन्होंने पेट को ऊपर उठा लिया। शायद वो अब चुदने की तैयार थी।
मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना चालू किया और निप्पल को चूसना भी चालू रखा। लेकिन अब तो उन्हें इतना तड़पाना था कि वो खुद मुँह से बोलें कि मेरे राजा मुझे अब चोद दो। मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना चालू रखा, वो सिसकारियाँ ले रही थीं।
उधर मैं बार-बार बोबे के निप्पल चूसता था.. नीचे चूत में उंगली भी अन्दर-बाहर हो रही थी। फिर मैंने बोबे को चूसना छोड़ कर उनकी पैंटी की खुशबू सूंघने लगा। वाह.. क्या खुशबू थी।
मैंने उनकी जाँघों को उठा कर उनकी पैंटी को उतार दिया और उनके ऊपर उलटा हो गया.. जिससे मेरा लण्ड उनके मुँह के पास हो गया था।
वो मेरा इतना बड़ा लण्ड देख कर बोलीं- देवर जी इतनी कम उम्र में इतना बड़ा लण्ड? मैं- हाँ भाभी.. मुठ मार-मार कर बड़ा हो गया है।
वो हँसने लगीं और मेरा इरादा समझ कर उन्होंने लण्ड की चमड़ी को ऊपर-नीचे करके लण्ड का टोपा अपने मुँह में ले लिया। मैं अब अकड़ गया था.. क्योंकि लण्ड के टोपे पर जीभ के टच से मेरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया था।
वो धीरे-धीरे लण्ड को चूसने लगीं। पहले सिर्फ टोपे को चूसा लेकिन बाद में पूरा का पूरा मूसल मुँह में ले लिया। मैं भी उधर उनकी चूत के होंठों को चूस रहा था।चूत के होंठ के साइड में मांसल गोल उभार काफी मस्त थे।
कुछ देर चूसने के बाद वो खुद बोलीं- मेरे राजा अब रहा नहीं जा रहा.. प्लीज चोदो मुझे.. आह.. आह.. और ना तड़पाओ.. म्मम्मीईईई..
वो अब तड़प रही थीं, अब मुझे उन पर तरस आ गया, मैंने चूत को चूसना रोक कर अब उनकी टाँगों को अलग किया और उनके ऊपर चढ़ गया।
हालांकि मैं भारती भाभी को चोद चुका था इसलिए रूपा भाभी का छेद ढूंढने में तकलीफ नहीं हुई। मैंने सीधा उनकी चूत पर लण्ड रख दिया और एक हल्का धक्का मारा.. जिससे उनकी एक हल्की सिसकारी निकल गई।
मेरा एक इंच जितना लण्ड उनकी चूत में घुस गया था। मैंने उन्हें हाथों पर किस करना चालू किया और हाथों से बोबों को दबाने लगा।
वो जब नीचे से कूल्हे उठाने लगीं.. मैं समझ गया कि वो अब धकाधक चुदना चाहती हैं।
मैं थोड़ा ऊपर को हुआ और मेरा एक इंच फंसा हुआ लण्ड बाहर निकाल लिया। फिर जोर से एक बार और शॉट मारा.. जिससे उनके मुँह से सिसकारी निकल गई- आह आह आह.. उइम्म.. ईईईईम..
मैंने फिर से लण्ड बाहर निकाल कर फिर शॉट मारा.. जिससे मेरा लण्ड अबकी बार कुछ अधिक अन्दर चला गया। वो तो बस मस्ती से भर गईं, उनकी मादक सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं।
फिर मैंने और एक शॉट मारा.. जिससे मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में घुस गया। वो मेरे लण्ड के टोपे को अपने गर्भाशय तक महसूस कर रही थीं, उनके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियां निकलना चालू ही थीं।
अब मैं पूरा लण्ड बाहर निकालता और पूरा एक ही झटके में घुसा देता जिससे उनका पेट और कूल्हे ऊपर उठ जाते थे।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ानी चालू की.. और ‘फचक फचक’ की आवाज से चुदाई होने लगी। उनकी चूत के पानी से मेरा लण्ड आसानी से अन्दर-बाहर हो रहा था। उनकी चूत की दीवारें इतनी टाइट थीं कि मेरे लण्ड पर अच्छा दबाव महसूस हो रहा था.. जैसे कि किसी कुंवारी लड़की को चोद रहा हूँ।
कुछ देर झटके मारने के बाद मेरे लण्ड ने भी अन्दर होली खेलनी चालू कर दी। मेरी पिचकारी सीधे उनके गर्भाशय से जा टकराई। मेरा गर्म-गर्म वीर्य जाने से उनके मुँह से संतुष्टि भरी आहें निकल रही थीं। मैं भी झड़ने से उनके ऊपर लेट गया, मैं अब थोड़ा थक गया था।
वो मेरे बालों को सहलाती हुई बोलीं- मेरे राजा वाह.. तूने तो कमाल कर दिया.. इतना मजा आज तक मेरे पति ने भी मुझे नहीं दिया। तुम्हारा वो गर्म वीर्य.. जो चूत के अन्दर स्पीड से छूट रहा था.. जैसे कि पिस्तौल से गोली चली हो.. आह्ह.. तुमने तो मेरे पूरे शरीर को हल्का कर दिया। तू तो इतनी से उम्र में भी एक मर्द से कम नहीं है।
उनकी यह बात सुनकर मैं शर्मा गया। मैंने नाईट लैंप की रोशनी में उनकी चूत को देखा। वो चुदाई से कुछ सूज गई थी। मुझे उनको संतुष्ट देख कर ख़ुशी हुई।
वो बोलीं- आपको पता ,है मैंने आज तक अपने पति के होंठों और लण्ड को नहीं चूसा है.. ना ही उन्होंने मेरी चूत को चाटा है.. मालूम है क्यों? मैं- क्यों?
वो बोलीं- क्योंकि वो मादरचोद सिर्फ अपनी हवस मिटाने के लिए ही मेरे ऊपर चढ़ता है.. और खुद का पानी निकालने के बाद सीधा होकर सो जाता है। कभी यह नहीं सोचता कि उसकी बीवी को मजा आया कि नहीं.. कि मेरी बीवी का पानी छूटा या नहीं.. बस खुद का निकल गया तो काम खत्म.. और वो अपनी सफाई भी नहीं रखते हैं.. जिससे मुझे उनका लण्ड मुँह में लेना पसंद नहीं है। वैसे उसने कभी मुझे मुँह में दिया भी नहीं है। मैंने भी कभी बोला भी नहीं।
मैं मन्त्र मुग्ध सा उनकी बातों को सुन रहा था।
फिर भाभी बोलीं- चलो कपड़े पहन कर बाहर सो जाओ, कहीं तुम्हारी चाची जाग न जाएँ।
मैं कपड़े पहन कर बाहर सोने आ गया।
कुछ दिन रोज सुबह खेत में भारती भाभी की चुदाई करता और रोज रात को रूपा भाभी की चूत मारता।
दोनों भाभियाँ काफी होशियार थीं, उन्होंने मुझे दूसरे दिन से नदी पर कपड़े धोने और नहाने के लिए साथ में नहीं लिया.. क्योंकि वो दोनों अपनी चुदाई में किसी तीसरी औरत का हिस्सा नहीं चाहती थीं इसलिए मैं रसीली भाभी को चोद नहीं पाया।
लगभग 7 दिन मैंने दोनों को मस्त चोदा और अपने शहर वापस आ गया.. पर आते-आते मैंने दोनों भाभियों से वादा लेकर आया हूँ कि अगली बार गांव की 2-4 नई प्यासी चूतों का जुगाड़ जरूर जमा कर रखना।
मित्रो, अगली बार जब गाँव जाऊंगा.. तब का अनुभव आप को जरूर भेजूंगा।
आप सभी को मजा आया या नहीं कहानी पढ़ कर… आप मेल जरूर करें!
कहानी समाप्त.. [email protected]
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