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भाभी ने मेरा लन्ड चूस कर मेरा वीर्य गटका और भाभी और मैं फटाफट फिर से नहा कर बाहर निकल आए और कपड़े पहन कर घर की ओर चल दिए।
दूसरी भाभी रूपा भाभी को देख कर मुस्कुरा दीं.. शायद उनको रूपा भाभी के इरादों का अंदाजा था। उन्हीं में से एक भाभी मुझसे बोलीं- क्यों देवर जी, कैसी लगी हमारी बहती हुई नदी?
वो धीमे-धीमे हँसने लगीं.. मुझे तो उनकी डबल मीनिंग की बात सुनकर आश्चर्य हुआ.. कि सारी ही एक जैसी हैं।
रूपा बोलीं- भाभी लगता है देवर जी ने नदियों में डुबकी नहीं लगवाई.. है.. लगवाई होती तो कुछ ज्यादा खुश हो जाते। अब मैं स्माइल देकर बोला- भाभी ऐसा नहीं है.. अभी तो सिर्फ मैंने नदी को दूर से देखा है.. इसमें डुबकी लगाना बाकी है।
वो दोनों मेरी बात सुनकर हँस पड़ीं और भाभी बोलीं- तो जल्द ही लगा लेना लाला.. कहीं पानी सूख ना जाए। मैं- नहीं भाभी.. मैंने नदी ध्यान से देखी है.. उसका पानी सूखने वाला नहीं है।
तो रूपा भाभी मुझे देखने लगीं और भाभी को बोलीं- लगता है एक ही दिन में नदी को नाप लिया है देवर जी ने.. लेकिन शायद उन्हें मालूम नहीं कि इन गहरी नदी में कई लोग डूब भी जाते हैं।
मैं- हाँ.. लेकिन मैंने ग़ोता लगाना सीख लिया है।
तभी दादी आ गईं और हम सब दूसरी बातें करने लगे।
दादी के आने से मैं भाभी से बोला- भाभी, मैं गाँव में थोड़ा घूम कर आता हूँ। भाभी के बदले दादी बोलीं- हाँ.. जा बेटा.. थोड़ा ध्यान रखना बेटा और दोपहर को टाइम पर 12 बजे से पहले घर आ जाना। मैं- ठीक है दादी जी।
मैं फिर उधर से चला गया। गाँव में पदर (जहाँ बस-स्टैंड होता है और बुजुर्ग लोग बैठने आते हैं) था.. वहाँ जाकर एक पान की दुकान से मैंने सिगरेट ली। हालांकि मैं रोज नहीं पीता.. कभी महीने में एक-दो बार पी लेता हूँ।
थोड़ी देर इधर-उधर घूमने के बाद मैं 12 बजे घर वापस आ गया, आकर खाना खाया।
तब भारती भाभी बर्तन धोने लगीं, मैं देख रहा था कि उनके भारी स्तन घुटनों से दबने से आधे बाहर छलक रहे थे, शायद वो मुझे जानबूझ कर दिखा रही थीं। क्योंकि जैसे ही दादी जी आईं.. उन्होंने अपने पैर सही कर लिए और दूध को ढक लिए। दादी के जाने के बाद उन्होंने मुझे एक सेक्सी स्माइल दी.. मैं भी मुस्कुरा दिया।
तभी भारती भाभी मेरे दोनों भाईयों का टिफिन पैक करके आईं और वो खेत में देने जा रही थीं।
तभी दादी ने भारती भाभी को बोला- भारती बेटा.. जरा इसको भी साथ ले जा.. वो भी खेत देख लेगा। मेरे मन में तो अन्दर से लड्डू फूटने लगे। शायद वो भी खुश थीं.. क्योंकि वो पलट कर मेरे सामने मुस्कुरा दीं।
मैं तो तैयार ही था.. तो चल पड़ा अपनी मस्तचुदक्कड़ भाभी के साथ.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! घर से निकलते ही भारती भाभी ने मुझसे पूछा- क्यों देवर जी कोई लड़की पटाई है या नहीं? मैं- नहीं भाभी.. भारती भाभी- क्यों? मैं- कोई मिली ही नहीं..
कुछ देर शांति के बाद उन्होंने मुझसे फिर पूछा- कैसा रहा आज का नदी का स्नान.. रूपा भाभी ने सिर्फ नहलाया या कुछ और भी.. यह बोल कर वो रूक गईं।
मैं- कुछ और का मतलब? भारती भाभी- ज्यादा भोले मत बनो.. जब तुम पदर में घूमने गए थे तो रूपा ने मुझे सब बताया था।
अब हैरानी की बारी मेरी थी, ये लोग आपस में सब शेयर करते हैं? आश्चर्य भी हुआ.. लेकिन मैंने अपने आपको जाहिर नहीं किया।
मैं- आप सब जानती हैं.. फिर क्यों पूछ रही हैं.. लगता है आप भी रूपा भाभी की तरह भूखी हैं? अब उनके चेहरे पर मुस्कान आई, उन्हें शायद मेरे ऐसे जवाब का अंदाजा नहीं था।
फिर भी वो बोलीं- हाँ मैं भी भूखी हूँ। तुम्हारे भैया कहाँ रोज चढ़ते हैं.. मेरे ऊपर..
मैं उनकी ऊपर चढ़ने वाली गाँव की भाषा पर खुश हुआ। लेकिन सोचा कि गाँव की भाषा में ऐसे ही बोलते होंगे.. चढ़ना और उतरना.. जैसे लुगाई न हो कोई ट्रेन हो।
मैं- तो आप क्या अपनी जवानी को शांत करने के लिए करती हैं? भारती भाभी- और क्या कभी कभी हम दोनों मिलकर एक-दूसरे की चाट देते हैं। कभी गाजर कभी मूली डाल कर अपनी आग शांत कर लेते हैं। वैसे आपको पता नहीं होगा.. मेरे पति नामर्द हैं। रूपा को बच्चा हुआ.. लेकिन मुझे नहीं हो रहा।
मैं- क्यों किसमें प्रॉब्लम है? भारती भाभी- मैंने चोरी छिपे चेकअप करवाया.. मेरा तो नॉर्मल आया.. पर वो अपने चेकअप के लिए तैयार नहीं हैं। मैं- भाभी उनसे बच्चा नहीं होता.. लेकिन चुदाई तो हो ही सकती है न?
भारती भाभी- हाँ लेकिन ऐसा होने के बाद हमारे संबंध में वो मिठास नहीं रही.. जो पहले थी। वो भी उसकी चिंता में दुबले होते जा रहे हैं और जब महीने में एक बार चढ़ते भी हैं तो बस दो मिनट में झड़ जाते हैं। दोनों भाई भी तुम्हारी और भाभियों की चुदाई कभी-कभी ही करते हैं। उनको इस सबमें दिलचस्पी नहीं रही। फिर बातों-बातों में हम दोनों देवरानी-जेठानी को एक-दूसरे की हालत पता चली और धीरे-धीरे हम मिलकर आनन्द उठाने लगे। जब तुम घर आए तो हमें थोड़ी आशा की किरण दिखने लगी कि शायद हम दोनों तुमसे चुद जाएँ।
मैं- भाभी आप फ़िक्र नहीं करना.. अब मैं आ गया हूँ.. और दोनों को चोद कर तृप्त कर दूँगा। तो मेरी उस बात पर उनकी हँसी निकल गई।
मैं- भाभी, एक सवाल पूछूँ आपसे? ये ‘एम सी’ क्या होता है? भारती भाभी- वो हर एक औरत को होता है.. जब एक महीना होता है.. तो उसका बीज बनता है.. और अगर बच्चा नहीं ठहरता है.. तो ‘एम सी’ में निकल जाता है। लेकिन अगर बच्चा रह गया तो एम सी नहीं आती है।
मैं- वो दिखने में कैसा होता है? भारती भाभी- बस लाल रंग का खून ही होता है। लेकिन उस टाइम औरत को पेड़ू (पेट का नीचे और चूत के ऊपर का भाग) में थोड़ा दर्द होता है।
मैं- भाभी भगवान ने मर्दों के लिए ये बोबे बहुत अच्छे आइटम बनाए हैं.. दिल करता है कि बस दबाते ही रहें और उसमें से निकलते दूध को पीते ही रहें।
भारती भाभी हँसकर बोलीं- हाँ वो तो है सभी मर्दों को औरतों में वही सबसे ज्यादा पसंद आता है। वैसे क्या तुमने रूपा का दूध पिया? मैं- हाँ..
भारती भाभी- कैसा लगा? मैं- बहुत मीठा.. भाभी क्या आप मुझे दूध पिलाओगी?
भारती भाभी- धत पगले कहीं के.. दूध ऐसे थोड़ी ही आता है। मैं- तो कैसे आता है? भारती भाभी- अरे वो तो बच्चा पैदा होने के बाद आता है। मुझे यह मालूम नहीं था, सोचा आज यह नया जानने को मिला।
मैं- तो आप भी माँ बन जाओ न। भारती भाभी- मैं तो तैयार ही हूँ.. लेकिन तुम्हारे भैया.. मैं- लेकिन मैं तो हूँ न..
भारती भाभी- हाँ वो तो मैं भूल ही गई थी। लेकिन कहीं उनको शक हो गया तो? मैं- शक कैसे होगा.. क्योंकि उन्होंने खुद का चेकअप नहीं करवाया है.. और अपने को बराबर ही मानते हैं। भारती भाभी- हाँ वो सही है.. मैं तुम्हारा बच्चा पैदा करूँगी और आपको दूध भी पिलाऊँगी।
मैंने रास्ते में कई बार उनके बोबों को भी दबाया था। होंठों भी छुआ और गाण्ड पर भी हाथ फिराया। वो नाराज होने वाली तो थीं नहीं.. और बातों-बातों में खेत भी आ गया।
भाभी ने सबको खाना खिलाया और सब फिर से काम में लग गए। बड़े भाई को बाद में किसी काम से तुरंत शहर जाना था.. तो वो निकल गए।
दूसरे वाले भी यानि की भारती के पति खेत में काम करने के लिए चले गए। अभी खेत में सिर्फ भारती के पति ही थे। लेकिन वो बहुत दूर थे। हमारे खेत में हमारा तीन कमरे और रसोई का मकान भी था.. जिसमें हम सभी ने खाना खाया था।
भैया के जाने के बाद मैंने भाभी से पूछा- क्यों क्या ख्याल है आपका? वो बोलीं- किस बारे में? मैं- चुदाई के बारे में। भारती भाभी- यहाँ पर?
बस.. मित्रो.. इस भाग में इतना ही.. मिलते हैं अगले भाग में। जल्द आप मेल करें और कैसा लगा यह भाग.. जरूर बताएँ।
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