This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
रश्मि की दोपहर की नींद आज कुछ जल्दी ही उचट गई। उसे प्यास लगी थी और उसकी नौकरानी शब्बो उसके कमरे में पानी रखना भूल गई थी। पहले तो उसका मन हुआ कि वो शब्बो को आवाज़ लगा कर पानी मँगा ले.. फ़िर सोचा इस भरी दोपहरी में वो भी सो रही होगी। उसने ख़ुद ही उठने की सोची।
जैसे ही रसोई में पहुँची.. उसे नीचे गैराज़ में से कुछ अजीब सी आवाजें आईं। ध्यान से सुनने पर उसे लगा कि यह तो शब्बो के रोने की आवाज़ है।
किसी अनहोनी की आशंका से वो तुरन्त नीचे गैराज़ की ओर बढ़ी। रसोई के पीछे कुछ सीढ़ियाँ उतर कर वो जैसे ही गैराज़ के दरवाज़े तक पहुँची.. अन्दर के नज़ारे पर नज़र पड़ते ही उसका दिल धक से रह गया।
यहाँ तो मामला कुछ और ही था। शब्बो रो नहीं रही थी.. वो अपने अस्त-व्यस्त कपड़ों के साथ कोने वाली टेबल पर लेटी हुई थी और रश्मि का ड्राइवर राजू.. शब्बो की गोरी-चिकनी टाँगों के बीच उस पर झुका हुआ था और जिसे वो शब्बो के रोने की आवाज़ समझ रही थी.. वो यौन-क्रीड़ा की मस्ती में मदहोश.. शब्बो की सिसकारियाँ थीं।
रश्मि को एक झटका सा लगा.. सहसा उसे विश्वास ही नहीं हुआ.. जो उसने देखा। ‘ओ माय गॉड.. ही इज़ फ़किंग हर..’
रश्मि के पैर जैसे वहीं जम गए। उसने देखा कि शब्बो का घाघरा उसकी जाँघों से ऊपर तक सरक आया था.. उसका एक पैर राजू के कन्धे पर था। राजू ने एक हाथ से उसकी जाँघ और दूसरे से उसकी पतली क़मर को थाम रखा था और पूरे दम से धक्के लगा रहा था।
शब्बो के ब्लाउज़ के बटन खुले हुए थे और उसके बड़े-बड़े दूधिया स्तन राजू के हर धक्के के साथ ऊपर को उछल रहे थे। शब्बो जैसे मस्ती में पगला सी गई थी, उसकी गहरे गुलाबी बड़े-बड़े निप्पल उत्तेजना से ऐंठ कर खड़े हो गए थे।
बड़ी बेशर्मी से वो राजू को और ज़ोर से धक्के मारने को कह रही थी। राजू के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था और वो पूरे दम से उसे चोद रहा था।
रश्मि सन्न रह गई। उसकी 18 साल की नौकरानी.. जिसे वो मासूम बच्ची समझती थी.. वो और उसका ड्राइवर भरी दोपहर में उसी के घर के गैराज़ में सैक्स कर रहे थे।
नंगेपन का यह ख़ुला खेल देख कर गुस्से से उसके पूरे बदन में तनाव सा आ गया, उसकी साँसें तेज़-तेज़ चलने लगीं।
अचानक़ रश्मि की नज़र राजू पर पड़ी तो उसका दिल धक से रह गया, पूरा नंगा राजू.. शब्बो को चोदते हुए रश्मि की ओर ही देख रहा था यानि कि वो जान चुका था कि रश्मि वहाँ खड़ी थी।
दोनों की नज़रें आपस में मिलते ही रश्मि के बदन में एक सिहरन सी उठी.. लेकिन वो उम्मीद कर रही थी कि अपने इस राज़ के खुलने पर राजू शर्म से पानी-पानी हो जाएगा। लेकिन ये क्या.. राजू एक क्षण को ठिठका जरूर.. लेकिन अगले ही पल उसने अपनी मज़बूत बाँहों में शब्बो को जकड़ लिया और रश्मि की ओर देखते हुए अपने चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी।
पगलाई शब्बो भी अपने नितम्ब उछाल-उछाल कर राजू का साथ दे रही थी। उसकी सिसकारियाँ अब मिन्नतों में बदल रही थीं- आऽऽऽह.. राजू आऽऽऽह.. ऽऽऽराऽऽज चोदो मुझे.. और ज़ोर से जाऽऽऽनू.. मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा दो राजा.. ऽऽआह आहऽऽ..
साफ़ ज़ाहिर था कि काम-क्रीड़ा के चरम पर वो राजू से पहले पहुँचना चाहती थी। राजू अभी भी रश्मि की ओर ही देख रहा था और उसकी आँखों में एक ढिठाई थी।
यह बात रश्मि को नाग़वार ग़ुज़री.. वो उत्तेजना और गुस्से से काँपती हुई गैराज़ के बीचों-बीच आ गई और ज़ोर से चिल्लाई- यह क्या हो रहा है?
उसकी आवाज़ सुन कर शब्बो की रूह काँप उठी। मस्ती के सातवें आसमान से भय के धरातल पर धड़ाम से गिरी शब्बो ने राजू को परे धकेल कर उठने की कोशिश की.. लेकिन राजू की कसरती भुजाओं ने उसे बेबस कर दिया।
शब्बो कसमसा कर छूटने का प्रयास करने लगी, वो चिल्लाने और गालियाँ भी देने लगी.. मानो राजू उसके साथ ज़बरदस्ती कर रहा हो। लेकिन राजू पर उसके चिल्लाने.. गालियाँ देने का कोई असर नहीं हो रहा था, उसने अपनी कसरती भुजाओं में शब्बो को दबोचा और अपनी उसी रफ़्तार से मंजिल की ओर बढ़ने लगा, उसने अपनी चुदाई की रफ्तार को और तेज़ कर दिया।
रश्मि देख रही थी कि कुछ देर में शब्बो बेबस हो चुकी थी। उसके तन की गहराइयों से निकलने वाली आनन्द की लहरों का प्रभाव उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहा था। उसकी आँखें बन्द थीं.. वो अब भी राजू के चंगुल से छूटने का दिखावटी प्रयास कर रही थी। इधर राजू की साँसें तेज़ हो गई थीं.. वो शायद अपनी मनमानी के अन्तिम दौर में था। उसका मज़बूत बदन पसीने से लथपथ हो गया था तथा शब्बो को चोदने की उसकी रफ़्तार और तेज़ हो गई थी। उसके ताक़तवर ज़िस्म के ज़ोरदार धक्कों से पैदा गर्मी से शब्बो अपने यौन आनन्द के चरम पर पहुँच चुकी थी।
शब्बो के अधनंगे ज़िस्म में एक तनाव आया और कुछ झटकों के साथ तृप्ति की गहरी साँसें लेती हुई वो निढाल हो गई।
रश्मि ने राजू को देखा.. वो अभी भी उसकी ओर ही देख रहा था। रश्मि जहाँ उसकी ढिठाई को देख कर अवाक् थी.. वहीं उसका मज़बूत सुघड़ शरीर और अनथक सैक्स सामर्थ्य देख कर दंग रह गई।
राजू कितनी देर से शब्बो के शरीर के साथ खेल रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
शब्बो की गोरी-चिकनी जाँघों के बीच में तेज़ी से आगे-पीछे होती उसकी क़मर.. चौड़ी बालदार छाती.. गोल कन्धे और मज़बूत बांहों की मर्दाना माँसपेशियां देख उसे अपने शरीर में कुछ अज़ीब सा महसूस होने लगा। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा.. साँसें तेज़ चलने लगीं और शरीर काँपने लगा। शायद गुस्से से.. या फ़िर उत्तेजना से.. यह वो तय नहीं कर पा रही थी।
उसे ये सब कुछ किसी फ़िल्म जैसा लग रहा था.. एक एडल्ट नंगी फ़िल्म जैसा।
अचानक राजू के मुँह से तेज़ आवाज़ निकली.. वो स्खलित हो रहा था। दो-चार ज़ोर के झटके खा कर वो चरम आनन्द के साथ शब्बो की नग्न छाती पर लुढ़क गया।
तब तक शब्बो आनन्द के सुखदाई सागर में भरपूर गोते लगा कर सच्चाई की सतह पर आ चुकी थी.. जहाँ उसकी मालकिन उससे कुछ ही कदमों की दूरी पर आँखें फ़ाड़े उनके इस नंगे नाच को देख रही थी। शब्बो को जैसे काटो तो खून नहीं।
राजू की पकड़ अब ढीली हो चुकी थी, शब्बो ने राजू को एक ओर धकेला और अपने कपड़े सम्भालती हुई तेज़ी से गैराज़ के बाहर भाग गई।
रश्मि ने राजू की ओर देखा। राजू अपने लण्ड पर से कण्डोम हटा कर उसमें गाँठ बाँध रहा था।
राजू की पीठ रश्मि की ओर थी। पता नहीं क्या आकर्षण था कि रश्मि उसे एकटक देखे जा रही थी।
अचानक राजू ने गर्दन घुमाई और रश्मि की ओर देखा। रश्मि एकदम से हड़बड़ा गई.. जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो। झेंप मिटाने के लिए वो गुस्से से बोली- इसी बात की तनख़्वाह लेते हो तुम?
उसकी बात सुन कर राजू उसकी ओर घूम गया। रश्मि का दिल धक्क से रह गया.. जब उसकी नज़र वीर्य से भीगे राजू के अर्द्ध उत्तेजित लण्ड पर पड़ी।
‘उफ़्फ़ कितना बड़ा है।’ रश्मि ना चाहते हुए भी यह नोटिस किए बिना नहीं रह सकी।
राजू ने भी अपनी मर्दानगी को छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया.. वो बेफ़िक़्री से रश्मि के पास आ कर.. उसकी आँखों में आँखें डाल कर बोला- नहीं मैडम.. यह काम तो मैं मुफ़्त में करता हूँ।
फ़िर हल्की सी एक मुस्कराहट के साथ, हाथ का कण्डोम कचरे के डब्बे में उछाल कर शब्बो की पैण्टी से वो अपने गीले लण्ड को पौंछने लगा जो भागने की जल्दी में शब्बो से वहीं छूट गई थी।
राजू के इस बेहया रवैये से रश्मि तिलमिला गई, वो तेज़ी से गैराज़ से निकल गई।
अपने कमरे में आ कर रश्मि धम्म से सोफ़े पर गिर पड़ी, गुस्से के मारे उसकी साँसें तेज़ी से चल रही थीं, उसकी आँखों में गैराज़ के दृश्य तैर रहे थे और कानों में शब्बो की निर्लज्ज सिसकारियाँ।
तभी शब्बो कमरे में आई और रश्मि के पास आ कर चिरौरियाँ करने लगी- दीदी जी, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो। मेरी कोई ग़लती नहीं है।
रश्मि ने गुस्से में मुँह दूसरी ओर घुमा लिया।
‘मैडम इस राजू ने मुझे अकेली देख कर दबोच लिया था। मैं तो कभी उससे बात भी नहीं करती हूँ.. लेकिन ये मुझे अकेले में छेड़ता रहता है। आज भी उसने मुझे चाय देने के बहाने गैराज़ में बुलाया और जब मैं चाय देने गई तो मुझे पकड़ कर ज़बरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था। आपने देखा ना.. आपके सामने भी वो मुझे छोड़ने को तैयार नहीं था। अच्छा हुआ आप वक़्त पर आ गईं.. वर्ना वो कमीना मेरी इज़्ज़त लूट लेता।’ शब्बो रोते हुए अपनी सफ़ाई दे रही थी।
रश्मि को उसकी दलीलों पर बड़ी खीज आई, गुस्सा दबाते हुए वो शब्बो से बोली- अच्छा.. तो राजू ज़बरदस्ती कर रहा था तेरे साथ? ‘हाँ दीदी!’ शब्बो बोली। ‘वो जो हो रहा था.. तेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ हो रहा था?’
रश्मि ने उसे घूरा। शब्बो रश्मि से आँख नहीं मिला सकी.. उसने नज़रें चुराते हुए ‘हाँ’ में सिर हिलाया।
रश्मि को शब्बो के झूठ पर गुस्सा आने लगा- छिनाल.. ज़बरदस्ती वो बड़ी धीरे कर रहा था कि तू अपने कूल्हे उछाल-उछाल के उसको ज़ोर-ज़ोर से करने का कह रही थी? रश्मि ने झुंझला कर पूछा।
शब्बो के पैरों तले ज़मीन ख़िसक गई, उसकी पोल खुल चुकी थी। उसे जब कुछ नहीं सूझा तो वो रश्मि के पैरों में गिर पड़ी- दीदी मुझसे ग़लती हो गई, आज के बाद ऐसा कभी नहीं होगा। प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो मैडम।
वो गिड़गिड़ाने लगी- किसी को पता चला तो मैं बर्बाद हो जाऊँगी। काफ़ी देर तक शब्बो रोती रही।
‘अच्छा अच्छा अब उठ.. मेरे लिए चाय बना।’ कुछ देर बाद आखिर रश्मि का मन पसीज़ गया।
‘मुझे किसी से कह कर क्या लेना..’ शब्बो की जान में जान आई.. फ़िर भी आशंका से उसने पूछा- आप मुझे काम से तो नहीं निकालेंगी ना? दीदी.. मेरा बापू मुझे जान से मार डालेगा। दीदी मैं वादा करती हूँ आगे से ऐसा कभी नहीं होगा।
‘अगर तू एक मिनट में यहाँ से नहीं गई रसोई में.. तो मैं तुझे ज़रूर निकाल दूंगी।’ रश्मि ने बनावटी गुस्से से कहा।
शब्बो ने राहत की साँस ली और रसोई की ओर चल दी।
शब्बो के जाते ही रश्मि की आँखों में फ़िर वो मंज़र तैर गया, उसने अपनी ज़िन्दगी में कभी अपने पति के अलावा किसी और मर्द को इस तरह नंगा नहीं देखा था। राजू के कसरती बदन की तस्वीर ज़ेहन में आते ही एक अज़ीब सी सुरसुरी उसके तन में छूट गई।
साथियो, यह कहानी किस की है और शब्बो कौन है.. रश्मि कौन है.. इस सबका खुलासा अगले भाग में कर दूंगा।
अन्तर्वासना पर मेरे साथ बने रहिए। अपने विचार मुझे जरूर ईमेल कीजिएगा.. मुझे इन्तजार रहेगा। कहानी जारी है। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000