मुनिया ने आम चूसा और चूत चुदाई

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यारो, आज मैं आपको अपनी जिंदगी की एक रोमांचक और सच्ची घटना का बखान करने जा रहा हूँ। इस घटना के सारे पात्र असली हैं और यह कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है।

कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में आपको कुछ बताना चाहता हूँ, मेरा नाम नितिन है.. मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है.. मेरा बदन बहुत मस्त है और मेरा रंग गेहुंआ है.. साथ ही लम्बा और मोटा लण्ड है।

यह घटना तब घटी.. जब मैं पढ़ता था.. और स्कूल के बाद जंगल में मंगल किया करता था।

उन दिनों गर्मी का मौसम था.. एक तपतपाती दोपहर में जब सारा गाँव अपने घरों में चुदाई कर रहा था.. क्योंकि अब खेतों में कोई काम नहीं बचा था, फसल कट चुकी थी और किसी-किसी की कटने वाली थी.. सब बहुत खुश थे।

ऐसे में मैं और मेरे सहपाठी इसी खुशी में आम के बग़ीचे में घूमने निकले। क्या मीठे आम लटक रहे थे।

तभी मेरी नज़र दूर खड़ी एक सांवली, नखरे वाली.. गहरी काली आँखों वाली लड़की पर पड़ी, मुझे कुछ-कुछ होने लगा, मैं अपने हाथ से लण्ड को सहला रहा था।

तभी मेरा एक मादरचोद दोस्त बोला- नितिन, तुम यह क्या कर रहे हो? मेरी हवस मेरी आँखों में साफ़ नज़र आ रही थी.. लेकिन वो मादरचोद नहीं समझा।

मैंने बोला- माँ के लौड़े देख नहीं रहे हो.. वहाँ मुखिया की चुदक्कड़ लौंडिया खड़ी है।

यह सुनकर उसको भी कुछ-कुछ होने लगा। हमने उस लड़की को चोदने का प्लान बनाया। वो हमारे गाँव के मुखिया की लड़की मुनिया थी। उसको चुदते हुए मैंने कई बार पड़ोस के गाँव के लड़कों के साथ देखा था।

उसके मम्मे काफ़ी मुलायम थे.. बड़े-बड़े.. दूध से भरे हुए। उसको उस दिन चोदने का कोई काम नहीं हो सका क्योंकि वो हम लोगों को देख कर भाग गई थी।

उसकी याद में मैं रात भर लौड़े को मुठियाता रहा। मैं अगली सुबह का इंतज़ार कर रहा था।

स्कूल का टाइम हो गया था, मैंने नहाते समय अपने लण्ड की गरम तेल से खूब मालिश की.. आज वो मुखिया की लड़की ज़रूर चुद जाएगी.. यह सोच कर मैं स्कूल के लिए निकल गया।

स्कूल ख़त्म होने को था.. मैं अभी भी उसकी मुलायम काली झांटों वाली चूत के सपने देख रहा था।

आज वो समय आ ही गया.. मैं उसी आम के बगीचे में पहुँचा.. वहाँ वो हगने के लिए जा रही थी। मैं रुका और उसको देखने लगा।

उसने भी मुझे एक बार देखा और कटीली मुस्कान देते हुए कहा- तुम मुझे क्यों घूर रहे हो? मैं उसकी तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगा। वो जान चुकी थी कि आज वो चुदने वाली है।

मैंने पेड़ से एक मीठा आम भी तोड़ लिया था। जैसे ही मैं उसके पास पहुँचा.. उसको आम के लालच में अपनी ओर बुलाने लगा।

उसने आम की तरफ जैसे ही मुँह बढ़ाया, तभी मैं समझ गया कि वो चुदाना चाहती है। मैंने उसको अपनी बाँहों में जकड़ लिया और वो चिल्ला न सके इसलिए अपने रुमाल को उसके मुँह पर रख दिया और उसको ले जाकर उसी आम के पेड़ के सहारे खड़ी कर उसकी चूत में उंगली करने लगा।

वो मुझसे राजी हो गई थी तब भी मैंने उस पर भरोसा नहीं किया और सोचा साली को पहले चोद लूँ फिर देखूंगा। मेरी जबरदस्त फिंगरिंग से उसकी आँखें बाहर आ गईं और वो झड़ने लगी। वो सिसकारते हुए बोली- आह.. आ.. जानू बस करो..

मैंने नीचे बैठ कर उसकी चूत पर मुँह टिका दिया और उसकी चूत का स्वाद लेने लगा। वो चूत चूसने से घबरा गई.. उसने अपने पैरों को सिकोड़ लिया।

मैं उसके मम्मों को अपनी कठोर उंगलियों से निचोड़ने लगा। अब आप सोच रहे होंगे कि मादरचोद चूतिया बना रहा है.. उंगलियां कठोर कैसे हो गईं.. पर मैं बीच में जिम भी गया था.. और दिन में हाथों की बहुत कसरत करता था।

मुनिया भी अब समझ चुकी थी कि आज ये मुझे चोद कर रहेगा।

मुनिया फिर बोली- मेरी चूत और चूसो।

उसके बाद मैंने मौका ना छोड़ते हुए अपना काला लण्ड निकाला.. मुनिया ने जैसे ही पीछे मेरा लण्ड देखा तो वो पहले तो मुस्कुराई.. फिर अपनी चूत को सिकोड़ने की कोशिश करने लगी।

मैं अपने होंठों से उसकी चूत को चाटने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। उसके बाद मैंने आम का रस अपने लण्ड पर गिराया। मुनिया मेरा इशारा समझ चुकी थी और वो मेरे लण्ड को चूसने लगी।

मैं इतना मस्त हो गया था कि मेरा लण्ड जो मुरझाया हुआ सा था.. वो अब तन गया था। मैंने बिना कुछ सोचे उसकी गीली चूत पर अपना लण्ड रगड़ा और अन्दर घुसेड़ दिया।

जैसे ही लण्ड फिसल कर अन्दर गया.. मुनिया की चीख पूरे बगीचे में गूँज उठी और उसकी आँखें बाहर आ गईं। वो कह रही थी- छोड़ दे हरामी.. इतना मोटा तो मैंने अब किसी का नहीं खाया।

मैं अब खुद को रोक नहीं पाया और मुनिया को ज़ोर से चोदने लगा। चोदते-चोदते मैं झड़ गया.. और मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।

मुनिया मेरे लौड़े की मुरीद हो गई थी वो मेरा लण्ड चूम कर बोली- जानू तुम मुझे रोज चोदा करो। रास्ते में मैं यह सोच रहा था कि कहीं वो प्रेग्नेंट ना हो ज़ाए।

घर पहुँचते ही मैंने पाया कि मेरे लण्ड पर छाले पड़ गए थे।

मैंने अपना लण्ड धोया और खाना खाकर सो गया।

आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपका नितिन [email protected]

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