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अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम।
मेरा नाम अनन्त विक्रम है.. मैं 23 साल का एक गबरू जवान हूँ.. और मैं MBA के फाइनल इयर में हूँ। मैं लखनऊ उत्तर प्रदेश में रहता हूँ आज मैं आपको अपनी पहली कहानी बताने जा रहा हूँ.. जो दो साल पुरानी है।
दोस्तो.. मेरी जॉइंट फैमिली है और मेरे पापा दो भाई हैं।
मेरे सारे भाई बाहर नौकरी करते हैं और चाचा जी की केवल एक बेटी है.. जो कि उस समय 9 में पढ़ती थी। चाचा बैंक में नौकरी करते थे।
पापा भी दिन में अपनी दुकान पर चले जाते थे.. तो घर में केवल मम्मी और चाची ही रह जाती थीं। फाइनल इयर में मैंने कॉलेज जाना कम कर दिया था.. क्योंकि क्लास में बहुत कम लोग आते थे।
मेरी चाची की उम्र 37 साल है.. लेकिन इतनी उम्र होने के बाद भी वो बहुत ही कसी हुई गदराई औरत हैं। उसका कारण ये है कि चाचा रोज शराब पी कर आते थे और आते ही सो जाते थे तो चाची की चुदाई बहुत कम होती थी।
मैं अकसर उनकी ब्रा या पैंटी चुरा के उसमें मुट्ठ मार दिया करता था। मैं हमेशा से ही उनको जम कर चोदना चाहता था.. पर डर लगता था कि कहीं कुछ उल्टा-सीधा ना हो जाए।
एक बार दिन में जब सब लोग अपने-अपने काम पर चले गए और मम्मी मंदिर चली गईं.. तो चाची मुझसे बोलीं- मैं नहाने जा रही हूँ.. तुम कहीं जाना मत.. घर में कोई नहीं है।
मैं मन ही मन खुश हो गया कि अब चाची के कमरे में जा कर उनकी ब्रा में मुट्ठ मारूँगा।
चाची अपनी तौलिया और साड़ी लेकर नहाने चली गईं.. लेकिन वो अपनी ब्रा कमरे में ही भूल गई थीं। मैं इस बात से अनजान था।
मुझे लगा कि चाची देर तक नहाएगीं तो मैं आराम से उनके कमरे में नंगा हो कर उनकी ब्रा अपने लण्ड पर लपेट कर अपने फ़ोन में उनकी फ़ोटो देख-देख कर लौड़ा हिलाने लगा।
मैं इतना मस्त हो गया कि मुझे बाथरूम का दरवाजा खुलने की भी आवाज नहीं सुनाई दी।
असल में चाची को पता था कि घर में कोई नहीं है.. तो वो तौलिया लपेट कर तेज़ी से अपने कमरे में ब्रा लेने के लिए आ रही थीं।
जब चाची कमरे में घुसीं.. तो वहाँ का नज़ारा देख कर वो सन्न रह गईं।
मेरी भी डर के मारे हालत खराब हो गई कि अब तो घर में बहुत मार पड़ेगी।
चाची ने कहा- यह क्या बद्तमीजी कर रहे हो तुम?
मैंने तुरंत ब्रा फेंक कर अपनी पैंट पहनी और चाची के कदमों में गिर गया- मुझे माफ़ कर दो चाची!
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चाची बिना कुछ बोले अपनी दूसरी ब्रा ले कर चली गईं और जाते-जाते मुझसे बोलीं- उसको धोकर बाहर जाकर फैला दो।
मैं शर्मा गया.. लेकिन ब्रा ले जाकर धो कर सूखने फैला दी।
अगले दिन फिर उसी समय चाची नहाने जाने लगीं.. तो मेरे पास आ कर मुस्कुराते हुए बोलीं- मैं नहाने जा रही हूँ आज कपड़े गंदे मत करना।
मेरी थोड़ी हिम्मत जाग गई.. मैं बोल पड़ा- चाची, मज़बूरी है। चाची वापस आ कर मेरे बगल में बैठ गईं।
मैं बहुत डर गया.. लेकिन जब चाची मुस्कुरा कर बोलीं- क्या मज़बूरी है?
तब मेरा पूरा डर निकल गया, मैंने कहा- चाची कोई गर्लफ्रेंड नहीं है मेरी.. तो मैं अपने अन्दर की गर्मी कहाँ निकालूँ?
तो चाची थोड़े सेक्सी मिज़ाज़ में बोलीं- तो क्या हुआ कपड़े क्यों गंदे करते हो जबकि तुम अपनी गर्मी अपनी चाची पर खुद निकाल सकते हो। इतना कह कर वो जाने लगीं।
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उनकी यह बात सुन कर मेरा लण्ड उनको चोदने के लिए बुरी तरह खड़ा हो गया, मन तो किया कि यहीं जमीन पर पटक के चोद दूँ।
फिर मैं खूब हिम्मत करके दौड़ के उनके पीछे गया और पीछे से ही बाथरूम के गेट पे उनकी कमर में हाथ डाल कर जोर से पकड़ लिया।
वो बोलीं- पागल हो क्या.. छोड़ो..
मैं फिर से डर कर दूर हट गया.. तो वो बाथरूम के अन्दर जाते हुए सेक्सी मुस्कान लिए हुए बोलीं- इतनी जल्दी क्या है.. ये रात का काम है.. रात में ही होगा।
बस फिर तो मैं बेशरम हो गया और चाची से बोला- ठीक है.. तब तक के लिए जो ब्रा पहनी है तुमने.. वो उतार कर दे दो। वो बोली- भग पगले।
मेरे अन्दर तो राक्षस जाग गया, मैं कूद पड़ा बाथरूम में.. और चाची को पकड़ कर जबरदस्ती उनका ब्लाउज फाड़ दिया और ब्रा को नोंच कर बाहर निकाल लिया।
अब मैं अपने रूम की तरफ भागा। चाची भी मेरे पीछे दौड़ पड़ीं। वो भी ऊपर से नंगी थीं.. लेकिन घर में कोई था नहीं.. तो वो भी मस्ती में थीं।
मैं रुक गया और चाची को वहीं जमीन पर गिरा कर उनके ऊपर चढ़ गया, मैं खूब जोर-जोर से उनकी मोटी-मोटी चूचियाँ दबाने लगा।
वो चिल्लाईं- अच्छा ले जा ब्रा.. लेकिन अभी तो छोड़ दे.. नहा लेने दे। रात में अपनी आग बुझा लेना। तो मैंने उनको छोड़ दिया और रात होने का इंतज़ार करते-करते उसी ब्रा में दो बार मुट्ठ मारी।
रात में जब सब लोग सो गए तो एक बजे चाची धीरे से उठ कर मेरे कमरे में आ गईं.. और दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया।
मैंने तो एकदम भूखे भेड़िये की तरह उठ कर चाची को पकड़ लिया.. क्योंकि वो गुलाबी रंग के गाउन में गज़ब की मस्त माल लग रही थीं।
मैंने तुरंत उनका गाउन उतार के फ़ेंक दिया और खुद भी फटाफट नंगा हो गया। चाची मेरे लम्बे लौड़े को देख कर बोलीं- तुम तो सच में राक्षस हो।
मैंने चाची को बिस्तर पर धकेल कर गिरा दिया। चाची ब्रा-पैंटी में एकदम कच्ची कली लग रही थीं, उनके 36 के चूचे मेरे लण्ड को दावत दे रहे थे।
चाची बोलीं- आराम से मेरे राजा.. अब तुम चाहे जो करो.. बस मार मत डालना अपनी चाची को। मैंने कहा- डरो मत मेरी रानी.. आज मैं तुमको कुतुबमीनार पर बैठा कर एक सेक्सी दुनिया की सैर करवाऊंगा।
उसके बाद चाची से एकदम चिपक कर खूब जम कर उनके होंठ जीभ गर्दन चूसी और उनके चूचे दबाए। उसके बाद उनकी ब्रा भी फाड़ दी।
उसके बाद उनकी पैंटी उतार कर उंगली उनकी चूत में डाल दी और निप्पल चूसने लगा।
इस तरह चाची एकदम मस्त हो गईं.. और बोलीं- अब डाल दो.. रहा नहीं जा रहा है।
मैंने उनको सीधा लिटाया और उनके ऊपर चढ़ कर लण्ड उनकी चूत पर सटा कर धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा। चाची ने हल्की-हल्की आवाज करते हुए मेरा पूरा लंड अपनी चूत के अन्दर ले लिया।
उसके बाद तो मैं पूरे जोर-शोर से ‘हचाहच..’ पेलने लगा। पूरा कमरा ‘आआआहह.. मर गई.. आआह ओओह.. उई माँ.. मर जाउंगीं जैसी आवाजों से गूंजने लगा।
इससे मुझे और जोश आ रहा था।
इसके बाद चाची ने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर उछलने लगीं।
लगभग दस मिनट की सामान्य चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने पूरा माल चाची की चूत में ही डाल दिया और बेसुध हो कर उनके ऊपर ही पड़ा रहा।
थोड़ी देर बाद फिर मैंने चाची की चूचियों को मसलना शुरू किया। अबकी बार मेरा इरादा उनकी गाण्ड मारने का मन था लेकिन तभी चाची की बेटी जाग गई.. वो उनको बुलाने लगी.. तो चाची ने चिल्ला कर कहा- मैं बाथरूम में हूँ.. आ रही हूँ।
उन्होंने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और भाग गईं।
उस दिन के बाद से जब भी समय मिलता है.. तब मैं चाची की जोरदार चुदाई करता हूँ और कभी-कभी तो जबरदस्ती भी चोदता हूँ.. पर चाची बुरा नहीं मानती हैं।
तो दोस्तो कैसी लगी आपको मेरी ये सच्ची कहानी.. आप मुझे मेल करके बात कर सकते हो। [email protected]
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