मामी ने चूत दी तो मैंने ले ली -2

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अब तक आपने पढ़ा कि मेरी बड़ी मामी जो मेरी ही उम्र के आस-पास की थीं और मेरा उनको चोदने का बड़ा मन था।

मैं भी किसी जुगत में था ताकि मामी की चूत का मजा ले सकूँ।

अब आगे..

कहते हैं ना भगवान के घर देर है.. अंधेर नहीं..

बस यही चीज़ मेरे साथ हो गई, उस समय बात करते-करते उन्हें नींद लगने लगी, मैं पलंग पर सो गया और वो नीचे चटाई बिछा कर उस पर सो गईं।

मामी की लड़की जो सिर्फ़ एक साल की थी.. वो मेरे बिस्तर पर ही थी।

मामी के सो जाने के बाद मुझे लगा कि मैं आज सेक्स नहीं कर पाऊँगा। यह सोचते-सोचते मैं बाथरूम गया और मुठ मार कर चला आया। पर फिर भी मन मान ही नहीं रहा था.. सोचा क्या करूँ?

अचानक से मेरे दिमाग़ में एक आइडिया सूझा, मैंने मामी की लड़की को च्यूंटी काट दी.. और वो रोने लगी। उसके रोने की आवाज़ से मामी जाग गईं.. मामी उठीं और बिस्तर पर आके लेट कर बेटी को चूचियों से दूध पिलाने लगीं।

मैं यह सब चुपचाप देख रहा था.. मुझे भी मन कर रहा था कि मामी से बोलूँ कि मुझे भी वो अपना दूध पिला दें.. पर डर के मारे मेरी गाण्ड फट गई और चुपचाप चूचे देखने लगा।

मामी दूध पिलाते-पिलाते वहीं बिस्तर पर ही सो गईं.. मैं मन ही मन खुश होने लगा। मेरे मन की तमन्ना जो पूरी होने को थी। मैं खिड़की के पास लेटा हुआ था.. अब मैं सोचने लगा कि आगे क्या करूँ।

मैंने शीतल मामी की बेटी को फिर च्यूंटी काटी.. उनकी बेटी फिर रोने लगी। बड़ी मामी फिर जाग गईं और उसको चुप करने लगीं।

मैं मामी से सोई हुए आवाज़ में बोला- मामी शायद बाबू को गर्मी लग रही होगी इसको खिड़की के पास सुला देते हैं।

मामी ने हामी भरी.. मैंने तुरंत उनकी लड़की को खिड़की पर पास सुला दिया और वो चुप हो गई।

अब मामी एक साइड में उनकी लड़की एक साइड में.. और बीच में मैं था। वो सीधी लेटी हुई थीं। इस वक्त वो लाल रंग की साड़ी में क्या माल लग रही थीं.. जैसे कोई अप्सरा हो।

मुझे भरोसा ही नहीं हो रहा था कि वो मेरी बगल में मेरे साथ एक बिस्तर पर सोई हुई हैं, मैं उनको देख कर पागल सा हुए जा रहा था, मेरा दिल सेक्स के बारे में सोच कर धड़कने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने अपना एक पैर उनके पैर पर डाल दिया। उनको लगा कि शायद नींद में डाल दिया होगा.. इसलिए उन्होंने बिना कुछ बोले मेरा पैर अपने पैर से हटा दिया।

थोड़ी देर के बाद मैंने फिर से उनके पैर पर अपना पैर डाल दिया.. इस बार वो अपना मुँह घुमा कर मेरी तरफ पीठ करके सो गईं। मैंने अपना पैर डर से हटा लिया..

फिर मैंने अपने मोबाइल में टाइम देखा.. टाइम लगभग रात के एक बज रहे थे। अब मुझे बेचैनी होने लगी.. क्योंकि वहाँ सब लगभग 4:00 बजे भोर में ही जाग जाते हैं।

मैंने फिर से हिम्मत करके अपना पैर उनके पैर डाल दिया और उनकी ओर थोड़ा खिसक गया.. जिससे उनकी बॉडी से मेरी बॉडी टच होने लगी थी, दिलो-दिमाग़ पर एक अजीब सी मस्ती छाने लगी और मुझ पर नशा छाने लगा।

मैं डरते हुए अपने पैर की उंगलियों से उनके पैर को सहलाने लगा और उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर की ओर सरकाने लगा। मेरे जिस्म में सनसनाहट हो रही थी। मैं ये सब बहुत ही आराम से कर रहा था..

फिर अचानक मामी ने अपना पैर खुजलाते हुए अपनी साड़ी ठीक की.. मेरा पैर हटाया और लेट गईं।

मैं डर गया कि कहीं मामी जागी हुई तो नहीं थी। फिर सोचने लगा जागी हुई भी होगीं.. तो उन्होंने कुछ बोला क्यों नहीं? यह सोच कर मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई। मैं थोड़ी देर बाद हल्के से उठ कर उनका मुँह निहारने लगा।

मामी गहरी नींद में सो चुकी थीं.. अब मैंने फिर से अपना पैर उनके पैर पर डाल दिया और अबकी बार अपने बाएं हाथ से धीरे-धीरे उनकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर की ओर सरकाने लगा।

मेरा हाथ मामी की मुलायम जाँघों पर था.. क्या बताऊँ यारों.. मेरा लंड पूरा कड़क हो गया और अंडरवियर में फड़कने लगा। मेरा लंड अच्छा ख़ासा लम्बा और काफ़ी मोटा है।

मैं फ्रेंची अंडरवियर पहनता हूँ.. तो आप लोग समझ सकते हो.. कि लौड़ा खड़ा होने से कितना प्राब्लम हो रही होगी। कभी-कभी तो लंड अंडरवियर के साइड से बाहर निकल आता.. मेरे लंड के टोपे पर भी थोड़ी-थोड़ी पानी की बूंदें आने लगी थीं।

साड़ी और पेटीकोट अब मामी की जाँघों तक पहुँच गया था। मैं उनकी मुलायम.. मखमली जाँघों को देखते ही अपना कंट्रोल खोने लगा। क्या मस्त दिख रही थीं वो उस समय.. ये तो मैं शब्दों में भी बयान नहीं कर सकता। मुझे तो लगा कि मैं ज़्यादा जोश में आकर कहीं झड़ ना जाऊँ.. इसलिए अपने आप को थोड़ी देर कंट्रोल किया।

एक बार फिर मैंने हल्के से उठ कर मामी का चेहरा देखा.. वो आराम से सो रही थीं।

मैं अब धीरे-धीरे मामी की जाँघों पर हाथ फेरने लगा। उह.. वो गरम-गरम मुलायम जांघों का स्पर्श.. आह्ह.. क्या कहना।

मेरी हिम्मत अब और बढ़ गई थी, अब मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था सिवाए मामी की चूत के.. बस यही सोचा.. जो होगा हो जाए.. अब तो किसी भी तरह मामी को चोदना ही है।

फिर मैं पेटीकोट के अन्दर धीरे-धीरे अपने काँपते हुए हाथों से चूत की ओर बढ़ने लगा। थोड़ी देर में ही मेरे हाथों की उंगलियाँ मामी के लव होल (चूत) के करीब पहुँच गई। जैसे ही चूत के पास हाथ लगाया.. तो मेरा जिस्म डर और मस्ती से काँपने लगा।

मामी अभी भी सो रही थीं.. अब मैं पूरे मूड में आ गया था।

अपना हाथ चूत से हटा कर मैं मामी की चूतड़ों पर फेरने लगा।

अचानक मामी ने गहरी साँस ली.. मेरी तो गाण्ड फट गई, ऐसा लगा.. अब तो तू गया बेटा.. पर होने को तो कुछ और लिखा था किस्मत में.. मामी चुपचाप लेटी रहीं।

मैंने उन्हें फिर देखा.. इस बार मुझे थोड़ा शक हुआ.. लगा कि मामी जाग रही हैं। मैं सोचने लगा शायद मामी को मज़ा आ रहा है और यही सोचते हुए मेरी हिम्मत बहुत बढ़ गई।

अब मैं मामी की गाण्ड पर अपने हाथ को आराम से फिराने लगा और कभी-कभी दबा भी देता, मामी चुपचाप इस सब का मज़ा ले रही थीं।

अब मैंने अपना लंड को अंडरवियर से बाहर निकाल लिया तो ऐसा लगा जैसे किसी पिंजरे से पंछी आज़ाद हुआ हो, अपनी अंडरवियर को घुटने तक सरका दिया।

अब मामी की गाण्ड मारने की सोचने लगा, मैंने अपना एक हाथ से मामी की गाण्ड के छेद में हल्के से फिंगरिंग करने लगा। फिर मैंने अपने हाथ में थूक लगाया और गाण्ड के छेद पर लगा दिया। मामी ने अपनी गाण्ड को हल्का सा सिकोड़ लिया।

अचानक.. मामी नींद में कुछ बड़बड़ाने लगीं.. मैंने अपना हाथ तुरंत हटाया और वो सीधे हो कर लेट गईं।

मुझे लगा अब मामी की गाण्ड नहीं मार पाऊँगा.. और उन्होंने ऐसा रिएक्ट किया तो मुझे लगा शायद उनको इसका कुछ खबर नहीं है।

मैंने फिर टाइम देखा तो रात के लगभग दो बज गए थे। मेरे पास अब 2 घंटे ही बचे थे.. जिसमें मुझे अपना मिशन पूरा करना था। मैं मामी को निहारने लगा.. उनकी साड़ी जैसे-तैसे बिखरी हुई.. ब्लाउज के अन्दर चूचियां ऐसी फंसी सी लग रही थीं मानो दो संतरों को जकड़ कर रखा हुआ हो.. निप्पल भी कड़क मालूम पड़ रहे थे।

मैंने अपना एक हाथ मामी के गाल पर रख दिया। अय हय.. गाल तो ऐसे कि जवाब ही नहीं..

थोड़ी देर तक हाथों से गाल को सहलाते रहा.. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ। मैंने मामी के चेहरे को पकड़ कर धीरे से अपनी तरफ घुमाया और उनके होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया। फिर तुरंत होंठों को हटा कर उनका चेहरा देखने लगा।

कोई हरकत ना पाकर.. मैंने फिर होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया और चूसने लगा।

अब मामी पूरी तरह जाग गई थीं.. पर फिर भी वो सोने का नाटक कर रही थीं। मैंने अपना हाथ उनके पेटीकोट में डाल कर सीधे ऊपर सरकते हुए चूत के पास पहुँचा। उनकी चूत पूरी तरह घनी झांटों से भरी हुई थी।

मैं अपना हाथ उनकी चूत के छेद पर लगा कर सहलाने लगा.. उनकी भग के दाने को हल्का-हल्का कुरेदने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

इधर मेरा लंड अपना आपा खोए हुए झटका मार रहा था। फिर धीरे-धीरे अपनी उंगलियाँ उनकी चूत में घुसाने लगा। अभी भी मामी चुपचाप लेटे-लेटे मज़ा ले रही थीं।

एक तरह से यह एकदम साफ़ हो गया था कि मामी जी भी चूत चुदवाने को राजी हो गई थीं। मैं सोच रहा था कि बस अब और कोई दिक्कत न आए।

पारिवारिक सेक्स की इस रसीली कहानी के अगले भाग में उनके साथ चूत चुदाई का घमासान कैसे हुआ, सब विस्तार से लिखूंगा।

आपके ईमेल मिले हैं उसके लिए आपका धन्यवाद.. आगे भी उम्मीद करता हूँ कि आप अपनी राय मुझे भेजते रहेंगे।

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