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अब तक आपने पढ़ा… मैंने शॉर्ट्स में हाथ डाल कर सलोनी की चिकनी चूत को सहलाया और शॉर्ट्स नीचे सलोनी के पैरों में गिर गई, सलोनी नीचे से पूरी नंगी थी, उसने पैन्टी नहीं पहन रखी थी!
तभी बाहर से हल्की सी आहट सी हुई… कौन होगा? जावेद चचा… पप्पू… कलुआ… या कोई और? ??
दरवाज़े की तरफ़ मेरी पीठ थी, मैं तो देख नहीं सका पर सलोनी ने तो जरूर देख लिया होगा। कोई भी हो, मुझे क्या फ़र्क पड़ता है, जो बाहर थे वे तीनों तो सलोनी को नंगी देख ही चुके थे, उसके साथ काफ़ी कुछ कर चुके थे। पप्पू और कलुआ ने तो सलोनी को जम कर चोदा था और जावेद चचा ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
देख रहे हैं तो देखने दो… अब मुझे भी मजा आएगा कि कोई छिप कर हमारी चुदाई देख रहा है। और मैं अपनी जानम सलोनी को मज़े से चोदूँगा।
मैंने सलोनी को नीचे उसके घुटनों पर बैठाया और उसने भी मेरी निक्कर नीचे करके लंड को आज़ाद कर लिया और सीधे सलोनी के होंठों के बीच घुस गया।
सलोनी चटकारे ले लेकर मेरे लंड को चूसने लगी रही जब कि उसकी नज़र दरवाजे की तरफ़ ही थी।
मुझे भी आभास हो रहा था कि परदा काफी हट गया है और जो भी आया था या आए थे, वे मज़े से इस नज़ारे का लुत्फ़ उठा रहे थे।
तभी सलोनी ने लंड चूसते चूसते ही अपने बाजू ऊपर उठा कर अपना टॉप निकाल दिया तो अब वह पूरी नंगी होकर मेरे लंड को किसी बावरी की भान्ति चूस रही थी।
इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया… सलोनी का इस प्रकार से लंड चूसना मैंने पहले कभी नहीं देखा था। सलोनी मेरे लन्ड को ऐसे चूस रही थी जैसे उसमें किसी फ़िरंगन विदेशी सेक्सी पोर्न एक्ट्रेस की आत्मा आ गई हो।
वह पूरे लंड को अपनी लार से गीला कर चुकी थी, उसका थूक टपक रहा था मगर लंड चूसने की सलोनी की गति बढ़ती जा रही थी।
मैंने तुरंत अपनी शर्ट निकाल कर अपने बदन का तापमान सही किया, सलोनी को उठा कर खड़ी किया जिससे मेरा पानी सलोनी के मुँह में ही ना निकल जाए!
मैं सलोनी को पूरी ताकत से चोदना चाहता था जिससे बाहर वालों को भी पता चल जाए कि सलोनी चूत चुदाई की प्यासी नहीं है, मैं भी उसको बहुत बढ़िया चोदता हूँ और सलोनी सिर्फ़ ज्यादा मज़े लेने के लिए ही गैरों से चुदवाती है।
मैंने सलोनी को बेड के किनारे पर इस प्रकार लिटाया कि उसके चूतड़ आगे को निकले हुए थे, उसकी दोनों टांगों को ऊपर हवा में उठा कर मैंने सलोनी की चूत देखी जो कुछ समय पहले ही चुदने के बाद भी फूली हुई थी और उसमें से अभी भी पानी रिस रहा था।
शायद इसको देख कर मुझे काफ़ी रोमांच हो रहा था, मैंने साइड से हल्के से दरवाज़े की तरफ़ देखा, मुझे 1-2 परछाई सी नज़र आई, ये वही लड़के और चचा ही थे जो हमारी चुदाई सरे आम देख कर मज़ा लूट रहे थे।
मैंने अपना बलंड सलोनी की चूत के मुँह पर रखा और एक ही धक्के में आधा लंड अंदर घुस गया।
सलोनी- अह्हह ह्ह्हहा हयी… काफ़ी ज़ोर से सीत्कार भरी सलोनी ने!
दूसरे तेज धक्के में लंड पूरा चूत की जड़ तक पहुंच गया और सलोनी ने इस और तेज सिसकारी ली- अह्ह्ह्ह आहह… हई याह्ह्ह! इसके साथ ही अपनी कमर और चूतड़ पूरे हवा में उठा कर मेरे लंड का स्वागत किया।
मैंने भी सलोनी के मखमल जैसे कूल्हों पर अपने हाथ जमाये और मेरी कमर के साथ सलोनी की कमर भी लयबद्ध थिरकने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पट पट… चिप चिप… पच पच… चुदाई का मधुर संगीत गूंजने लगा था, दुनिया का कोई भी संगीत इस संगीत के सामने बेकार था। हम दोनों के साथ साथ वे तीनों भी हमें देख कर भरपूर आनन्द ले रहे थे।
अह… आह… ओह… आअ… हम्म… उम्म… फक फक… अगले दस मिनट ऐसे मजेदार संगीत को सुनने में बीत गये।
मुझे चरम आनन्द का अहसास होने लगा, सलोनी भी अपनी चूत को बार बार संकुचित कर रही थी- हहआ आह्ह बस्स्स…
और मैंने सलोनी को तुरन्त पलट कर घोड़ी बना दिया, इस पोज़ में पानी निकालने में अलग ही मज़ा है।
मैंने पीछे से ही एक बार में पूरा लंड चूत में घुसा दिया।
‘अहह हआ हहहा…’ सलोनी आगे को हुचकी।
मैंने कस कर उसके चूतड़ों को पकड़ा… और इस बार एकदम तेज गति से लंड आगे पीछे… और हहहआ सिसकारी… मेरी नंगी जाँघें तेज तेज़ से सलोनी के चूतड़ों से टकरा रही थी।
हहआ… और सैलाब आने लगा, गति बढ़ने लगी, साथ ही आवाज भी… हहहआ
और मैंने लंड बाहर निकाला और पिचकारी पिच पिच… सलोनी की पीठ से लेकर चूतड़ों तक… सब गीला… 5-6 पिचकारियों के बाद सलोनी ने खुद घूम कर मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और उसने कमाल कर दिया, दरवाज़े की तरफ़ देखते हुये सलोनी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे साफ करने लगी।
अभी भी काफ़ी मलाई थी जो सलोनी ने मजे से चाट ली। उस वक्त पूरी तरह बदला हुआ रूप था सलोनी का! जो मजा ऑफिस में वहाँ की लड़कियाँ देती हैं, वही मज़ा इस वक्त सलोनी मुझे दे रही थी। उसने चाट चाट कर मेरे लंड को अच्छी तरह साफ कर दिया था।
अहाह… आ अब मुझसे रुका नहीं गया, मैं बेड पर लेट कर हांफ़ने लगा। सलोनी भी मेरे पास लेट गई, उसका हाथ अभी मेरे लंड पर ही था।
मैंने हल्की तिरछी नज़र से दरवाजे की ओर देखा, दरवाज़े का पर्दा काफ़ी हटा हुआ था और तीनों ही छिप कर नहीं सामने ही खड़े हुए अपने लंडों को बाहर निकाले हुए मसल रहे थे।
अरे यह क्या… वे तो सलोनी को इशारे भी कर रहे थे! सलोनी उन्हें देखते हुए ही मेरे लंड को मसल रही थी। शायद सलोनी उनके लंडों को देखते हुए कुछ और ही सोच रही हो कि यह किसी और का लंड है?
और तभी!!! कहानी जारी रहेगी।
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