अठारह वर्षीया कमसिन बुर का लुत्फ़-6

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ऐश्वर्या ने मुझको पूरी ताक़त से भींचा और वह झटके खा खा कर अनेकों बार झड़ी।

मैंने भी बड़ी कठिनाई से खुद पर काबू कर रखा था, मैंने उसके कंधे पकड़े और दनादन कुछ धक्के मार कर मैं भी ऐशु रानी के नंगे बदन पर ढेर हो गया।

वह भी परम कामानन्द से बेसुध पड़ी थी।

‘बधाई हो ऐशु.. साली मादरचोद… आज तेरी नथ खुल गई… आज तेरी ज़िंदगी का एक महान दिन है… बहुत बहुत बधाई… ईश्वर करे कि तुझे जीवन भर इसी प्रकार तगड़ी चुदाई मिले!’ इतना कह कर रीना रानी कमरे से बाहर चली गई।

मैं भी उठकर पीछे गया, रीना रानी फ्रिज से फैंटा की एक बोतल निकाली, मैंने उसे लिपटा कर चूमा और कहा- रानी… तूने आज एक नई रानी बनवा दी… और वो भी 18 साल की ताज़ा ताज़ा अछूती सील बंद चूत.. इसके ईनाम में मैं तो तेरा दूध पियूंगा और ये कोल्ड ड्रिंक आखिर में!

‘हाँ…हाँ… राजे दोनों को दूध पिलाऊँगी… फिकर ना कर… मेरे मादरचोद कुत्ते!’

रीना रानी को कस के लिपटाए लिपटाए हुए वापिस आकर मैंने जब लाइट जलाई तो देखा रानी दोनों बाहें और टाँगें चौपट फैलाए हुए आँखें मूंदे पड़ी थी। चूत के आस पास का बदन, झांटें खून और मेरे वीर्य में लिबड़ा हुआ था, यहाँ तक कि उसकी जाँघों तक भी खून के कुछ छोटे धब्बे थे। खून अधिक मात्रा में नहीं बहा था।

मैंने गर्दन झुका के अपने आप को देखा तो मेरा भी बदन लंड के सब तरफ खून में लथपथ था। मैं जल्दी से एक तौलिया बाथ रूम से भिगो कर लाया और रानी को भली भांति साफ किया और फिर अपने बदन की सफाई की।

रानी के नितंबों के नीचे बिछा हुआ तौलिया भी खून में सन गया था, मैंने धीरे से खींच के तौलिये को बाहर निकाला, लहू इसकी चार चार तहें पार नहीं कर पाया था इसलिए चादर पर कोई निशान नहीं आया था।

रीना रानी- राजे.. गनीमत है झिल्ली तगड़ी नहीं थी.. फिर भी देख तो कितना खूनाखून हो गया!

यह कह कर रीना रानी ने ऐशुरानी को हिलाया और बोली- उठ रंडी… ले ये फैंटा पी… चुदने के बाद बड़ा मज़ा आएगा ये पीने का… राजे के स्टाइल में पी कुतिया!

ऐशु रानी उठी और उनींदी सी आवाज़ में बोली- सोने दो न दीदी.. बड़ी थकान लग रही है… सोने का दिल कर रहा है।

रीना रानी- अभी तो शुरुआत है मेरी रंडी बहन… अभी एक बार तो और चुदेगी तू आज की रात… राजे माँ के लौड़े… पिला न इसको फेंटा… देख कुतिया तू एक सिप लेगी जिसे तू मुंह में घुमा के राजे के मुंह में देगी… फिर यह कमीना एक सिप लगा और तुझे देगा… समझ गई न हरामज़ादी?

यह कह कर रीना रानी ने फेंटा की बोतल ऐशु रानी के होंठों से लगा दी, रानी ने बोतल पकड़ के एक सिप लिया।

मैंने रानी को बाहुपाश में बांध लिया और उसके मुंह से मुंह सटा दिया। रानी ने अपना लिया हुआ सिप मेरे मुंह में डाल दिया।

उम्म्म्म… उम्म्म…उम्म्म्म… यारों लुत्फ़ आ गया बेटीचोद… रानी के मुखरस से मिक्स हुए फेंटा का स्वाद गज़ब गज़ब गज़ब !!! लण्ड फिर से अपनी नींद से जग गया।

अबकी बार मैंने सिप लिया और रानी के मुंह में दिया। रीना रानी चिल्लाई- आया न मज़ा… कल रात को यही काम दारू के साथ करेंगे बहनचोद वेश्या… देखना मज़े से कैसी तेरी गांड फटेगी मादरचोद!

मैंने कहा- नहीं रीना रानी, तू भी आ इस फेंटापान में! देख तू सिप लेकर मुझे पीने को दे, रानी भी एक सिप लेकर मुझे पीने को देगी। उसके बाद मैं भी बारी बारी से तुम दोनों को पिलाऊँगा।

रीना रानी ने इतराते हुए कहा- शुक्र है इस रीना रानी का ध्यान तो आया मादरचोद तुझे… मैं तो समझी थी कि रीना अब तेरा खेल ख़त्म… अब बस ऐशुरानी ही ऐशुरानी और सिर्फ ऐशुरानी… हम किस खेत की मूली होते हैं।

मैंने रीना रानी के मक्खनी नितम्बों पर एक चपत लगाई जिससे रानी मस्ता उठी और लपक के ऐशु रानी के चूचे ज़ोर से उमेठ दिए। ऐशुरानी सिहर उठी और आनन्दमय होकर उसने ऊँऊँऊँऊँऊँ करते हुए बदले में रीना रानी के चुचूक में दांत गाड़ दिए। मैंने दोनों रानियों का ये खेल देख कर कहा- मादरचोद, तुम लगे रहो आपस में और मैं ऐशु रानी के हसीन पैरों का स्वाद चखता हूँ।

मैं बिस्तर छोड़ के नीचे फर्श पर जा बैठा और ऐशु रानी के पांव अपनी पास खींच लिए। उसके पांव सुन्दर है ये तो मैं पहले ही देख चुका था मगर इतने निकट से निहारने का मौका तो तभी मिलता है जब रानी की चुदाई का कार्यक्रम बनता है।

मैंने रानी के अति सुन्दर रेशम से चिकने पैरों को बड़े प्यार से निहार के आँखें ठंडी की, एक एक उंगली अंगूठे को, तलवों को, टखनों को सहलाया।

फिर एक एक करके सब उंगलियाँ और दोनों अंगूठे मुंह में लेकर चूसे, कभी तलजा चाटता तो कभी पैर के ऊपरी भाग पर दीवानावार चुम्मियाँ देता, और फिर दो उँगलियों के बीच के हिस्से पर जीभ फिरता।

बेतहाशा आनन्द मिला तो लण्ड टन्न टन्न टन्न टन्न हो गया।

उधर रानी भी मज़े में बौरा गई थी। ऊपर रीना उसके चुचुक से खेल रही थी और चूत में ऊँगली दे रही थी जबकि मैंने रानी के मलाई जैसे पैरों में आनन्द की वर्षा कर रखी थी।

ऐशुरानी अब तड़पने लगी थी, सिसकारी पर सिसकारी भरते हुए बार बार ऊई… ऊई… ऊई कर रही थी, सारा बदन कम्पकपाने लगा था। चुदास उस पर बुरी तरह हावी थी।

मैं बिस्तर पर चढ़ गया और लेट के ऐशुरानी को घसीट के अपने ऊपर चढ़ा लिया, उसको अपनी जांघों पर बिठाकर उसे आगे को झुका दिया और उसके हाथ अपने कन्धों पर जमा दिए। अब उसका पेट के ऊपर का शरीर उठा हुआ था और घुटने मेरी जांघों के इर्द गिर्द थे, रानी के चूतड़ पीछे को उठ गए थे।

मैंने रानी के चुचूक को हौले हौले से सहलाना शुरू किया। रानी ने अभी भी शर्म त्यागी नहीं थी, वो आँखें मूंदे अपनी चूचियाँ सहलाए जाने का मज़ा लूट रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने उसकी ठुड्डी पकड़ के प्यार भरी आवाज़ में पूछा- ऐशुरानी… ऐशुरानी… ऐशुरानी… मज़ा आ रहा है न मेरी जान? रानी ने सर हिलाया के जताया कि हाँ!

इतने में रीना रानी ने अपनी दाल छौंकी- ऐशु… मुझसे बात कर… बहुत मज़ा आया न चुद के… अब तू कुंवारी नहीं रही… अब दुबारा चुदेगी तो आएगा असली मज़ा!

रानी धीमी सी आवाज़ में शरमाते हुए बोली- कितना दर्द हुआ दीदी… इतना मूसल सा घुसा दिया मेरे बदन के भीतर!

रीना रानी- बहनचोद, उस मूसल को लण्ड कहते हैं कुतिया… थोड़ा सा दर्द ज़रूर हुआ होगा जब तेरी सील फाड़ी गई थी पर उसके बाद तो खूब मजा आया ना?

रानी बोली- हाँ दीदी आया तो था।

रीना रानी- तो फिर ठीक है अब दुबारा से चुद… अबकी बार बेतहाशा आनन्द आएगा माँ की लौड़ी… बोल राजे को कि राजे बहन के लौड़े, चोद दे अपनी ऐशु रानी को!

ऐशु रानी ने फिर से शरमाते हुए धीरे से कहा- दीदी आपके कान में बोलूंगी… मुझे बहुत शर्म आ रही है।

मैंने ऐशु रानी को कस के लिपटाया और कहा- ठीक है ऐशु रानी, तू मेरे कान में बोल दे। मैंने सिर घुमा के अपना कान उसके मुंह के करीब कर लिया।

ऐशुरानी मेरे कान में फुसफुसाई- ताऊजी, अब फिर से सेक्स करो!

मैं खिलखिला कर हंसा और रीना रानी को बताया तो वो भी खूब हंस कर बोली- ओके ताऊजी महाराज… चोदू राम चूतनिवास जी करिये अपनी ऐशुरानी के साथ सेक्स… बहनचोद करिये सेक्स… हराम की ज़नी बदजात सीधे सीधे नहीं बोल सकती थी कि चोद दे मुझे… भोसड़ी वाली चुदने के बाद भी शर्म हया सूझ रही है मादरचोद को!

रीना रानी ने इतने ज़ोर से ऐशु रानी के मम्मों को नोचा कि ऐशुरानी की चीख निकल गई।

मैंने उसे फिर से पहले की भांति अपने ऊपर सेट किया, उसके नरम नरम चूतड़ जकड़ कर रानी को चूत को लौड़े के ऊपर ले आया। थोड़ी देर रानी के कूल्हों को घुमा घुमा के लौड़े की सुपारे पर चूत के होंठों की रगड़ लगाई। रानी ने मज़े में किलकारी मारी और अपने नाख़ून मेरे कन्धों में ज़ोर से चुभोते हुए गड़ा डाले।

चूत ने रस छोड़ना आरम्भ कर दिया। यकायक मैंने रानी के नितम्ब ज़ोर से नीचे को धकेले तो चूत लौड़े को लीलती चली गई जब तक लण्ड जड़ तक भीतर घुस न गया। रानी ने फिर से आनन्द के नशे में चूर होकर सीत्कारें भरीं। लण्ड अब उसकी रसीली नर्म गर्म गीली चूत में फंसा पड़ा था और मैं तुनके पर तुनके लगा रहा था। हर तुनके पर रानी आह करती और चूतड़ इधर उधर हिलाती।

मैंने ऐशुरानी पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। मैंने होंठ गीले कर कर के उस बार बार पलकों पर, होंठों पर, गालों पर और माथे पर चुम्मियाँ लीं। कान की लौ चूसी, दोनों गाल बारी बारी से चूसे।

फिर मैंने उसके कंधों के ऊपरी भाग पे जीभ फिराई, उसके बाज़ू ऊँचे कर के बगलें चाटीं। इतना प्यार भरे मधुर चुम्बन पा कर उसकी चुदास और भी तीव्र हो गई।

इस दौरान मैंने लंड एकदम शांत रखा हुआ था, कोई धक्का नहीं मारा, बस थोड़ी थोड़ी देर में एक दो तुनके मार देता था। चूत और भी तेज़ी से से रस बहाने लगी थी और रानी भी मेरी चुम्मियों के जवाब में मुझे चूमने लगी थी।

अब मैंने हल्के हल्के धक्के भी देने शुरू कर दिये। रानी में भी वासना का आवेश बढ़ता जा रहा था, वो बड़े उत्साह से मुंह उचका उचका के अपने होंठ चुसवा रही थी।

उसने अपनी बाहें कस के मेरे बदन से लिपटा ली थीं और उसने अपनी मुलायम लुलायम टांगें चौड़ा कर मेरी फैली हुई टांगों में लपेट रखी थीं, उसके पैर मेरे टखनों में फंसे हुए थे।

रानी का रेशमी साटिन जैसा बदन मेरे बदन से चिपक के मेरी वासनाग्नि को अंधाधुंध भड़काए जा रहा था, मेरी सांस तेज़ हो चली थी, माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं।

मैंने रानी के होंठ छोड़ कर उसकी तरफ देखा, वो भी अब बेतहाशा गर्म हो चली थी, उसने आधी मुंदी हुई मस्त आँखों से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा, दोनों हाथों मेरा चेहरा पकड़ा और फिर अपनी तरफ खींच के मेरे होंठ चूसने लगी।

थोड़ी देर इसी प्रकार चूसने के बाद रीना रानी से बोली- दीदी… अब ज़रा भी दर्द नहीं हो रहा… बड़ा मज़ा आ रहा है… दीदी मेरे बदन में फिर से अकड़न महसूस होने लगी है… ऐसा क्यों हो रहा है?

मैंने उसका एक चुम्बन लिया और कहा- रानी… तू चुदासी हो रही है… मैं सब अकड़न ठीक कर दूंगा तुझे चोद चोद के… अब तो दर्द होने का काम भी खत्म हो चुका… अब तो रानी बस मस्ती और बस मस्ती में डूबे रहना है!

इतना कह कर मैंने दोनों हाथों से रानी के उरोज पकड़ लिये और उन्हें भींचे भींचे ही धक्के पे धक्का लगाने लगा।

इधर रीना रानी ने गालियाँ देते हुए ऐशुरानी कि गांड में उंगली घुसा दी और उंगली से गांड मारने लगी।

धक्के के साथ साथ चूचुक मर्दन भी खूब ज़ोरों से हो रहा था, रानी अब मस्तानी होकर चुदाये जा रही थी, गांड में रीना रानी की उंगली के कमाल का मज़ा लूट रही थी और साथ में सीत्कार भी भरती जाती थी।

कामुकता के नशे में चूर होकर उसकी आँखें मुंद गई थीं, मुंह थोड़ा सा खुल गया था और चूत दबादब रस छोड़े जा रही थी।

अचानक मैंने धक्कों की स्पीड कम कर दी और बहुत ही हौले हौले लंड पेलना शुरू किया। मैं लौड़ा पूरा चूत के बाहर निकालता और फिर धीरे से जड़ तक बुर के अंदर घुसेड़ देता।

रानी तड़प उठी, कहने लगी- बड़ा मज़ा आ रहा है… मेरा एसा दिल कर रहा है कि मेरा कचूमर निकल जाए… बदन काट खाने को हो रहा है… मुझे पता नहीं क्या हो रहा है… बस जी कर रहा है कि मेरा मलीदा बन जाए…

फिर उसकी आवाज़ और ऊँची हो गई- हाय… हाय… अब मसलो.. हाय मैं मर गई… हाय हाय हाय!

उसे तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये जिससे उसका मुंह बंद हो गया। अब वो आराम से होंठ चुसाये जा रही थी, चुदाई करवाये जा रही थी और मुंह बंद होने के कारण अपनी तड़पन दूर करने के लिये पूरा बदन कसमसाये जा रही थी।

उधर रीना रानी गालियों की बौछार के साथ उसकी गांड में उंगली तेज़ी से अंदर बाहर किया जा रहे थी… बोल रही थी- राजे मादरचोद आज इस कुतिया का मलीदा बना ही दे कमीने… साले बहन के लण्ड…. इतने ज़ोर से चोद इस रांड को कि हरामज़ादी दो दिन हिल भी न पाए… मार ज़ोर ज़ोर के धक्के कमबख्त… बता दे इस रंडी को चूत निवास की चुदाई क्या होती है… आह आह आह!

अचानक से मैंने दस बारह खूब तगड़े धक्के ठोके, तो वो पागल सी होकर मुझ से पूरी ताक़त से लिपट गई, उसकी गर्म गर्म तेज़ तेज़ चलती सांस सीधे मेरे नथुनों में आ रही थी, चूत से रस छूटे जा रहा था।

और फिर जैसे ही मैंने एक तगड़े धक्के के बाद लंड को रोक कर तुनका मारा, ऐशु रानी चरम सीमा के पार उतर गई, उसने मेरा सिर कस के भींच लिया और अपनी कमर उछालते हुए कुछ धक्के मारे।

वो झड़े जा रही थी, अब तक कई दफा चरम आनन्द पा चुकी थी, झड़ती, गर्म होती और ज़ोर का धक्का खा के फिर झड़ जाती।ऐसा कई मर्तबा हुआ।

अब तक मैं भी झड़ने को हो लिया था, मैंने ऐशुरानी के उरोज जकड़े जकड़े ही कई ताक़तवर धक्के ठोके और स्खलित हो गया। इस दौरान ऐशुरानी भी कई बार फिर से झड़ी।

हमारी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। झड़ कर रानी आँखें मींचे चुपचाप मेरे ऊपर निढाल पड़ी थी, मैं भी ज़ोरों से हाँफता हुआ पसीने में लथपथ अपनी साँसें काबू में लाने की चेष्टा कर रहा था।

दोनों ही अभी अभी हुई विस्फोटक चुदाई का मज़ा भोग कर सुस्ता रहे थे। उधर रीना रानी भी लगता था कि अच्छे से झड़ गई थी। ऐशुरानी की गांड मारने वाली उंगली मुंह लिए चूसती हुई रीना रानी गहरी गहरी साँसें ले रही थी।

कुछ देर के बाद जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो मैंने रानी के मुंह को प्यार से चूमा। उसके चहरे पे बहुत संतुष्टि का भाव था जैसे कोई बच्चा अपना मनपसंद खिलौना पाकर तृप्त दिखाई देता है।

ताज़ा ताज़ा दो बार चुदी हुई ऐशुरानी बड़ी प्यारी सी गुड़िया सी लग रही थी।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

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