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ठक… ठक…! पता नहीं अब कौन आ गया? यह तो अच्छा हुआ कि मैंने दरवाज़ा लॉक कर दिया था वरना अभी कुछ भी पंगा हो सकता था।
पता नहीं अन्दर उन तीनों ने ठक ठक सुनी या नहीं और वे किस हालत में होंगे? अभी तो मेरी हालत ख़स्ता थी… मेरा लन्ड लोअर के बाहर मेरे हाथ में था, वो भी पूरा सख्त खड़ा हुआ! अगर सलोनी मुझे यहाँ इस अवस्था में देख ले तो बिल्कुल अच्छा नहीं होगा।
सलोनी को तो मैं चलो एक बार सम्भाल भी लूँ… अगर उन कमीने लड़कों ने देख लिया तो जाने क्या सोचेंगे मेरे बारे में और भविष्य में भी परेशान कर सकते हैं।
मैंने जल्दी से लन्ड को लोअर के अन्दर किया और अपने छिपने की जगह खोजने लगा। बाथरूम दिखा, वहाँ में उन में से भी कोई आ सकता था, रसोई नजर आई… और मैं रसोई के दरवाजे के पीछे हो गया।
अब कोई मुझे सीधे नहीं देख सकता था जब तक रसोई में न आए!
मैं सांस रोके आगे के कारमाने देखने लगा। सबसे पहले बात तो यह कि आया कौन होगा?
तभी कलुआ कमरे से बाहर निकला, उसने कपड़े पहन लिये थे और सामान्य दिख रहा था, कपड़े भी क्या, निक्कर और टीशर्ट! वो दरवाज़ा खोलने गया शायद!
तभी पप्पू भी नज़र आया, उसने भी अपने कपड़े पहन लिए थे और वो सामान के साथ कुछ करके अपने को व्यस्त दिखाने लगा।
वे दोनों लड़के शायद समझ रहे थे कि मैं आया होऊँगा। तभी मुझे कलुआ की आवाज़ सुनाई दी, वह किसी से बात कर रहा था। ऐसा कौन आया होगा जिसे कलुआ जानता था? क्या इन दोनों का ही कोई और साथी?
और तभी वे आगे को आए, मुझे दोनों दिखाई दिए और उनकी बातें भी सुनाई पड़ने लगी। आने वाले का नाम जावेद था, कलुआ उसको चाचा बोल रहा था, दुबला पतला, जरा लम्बा, थोड़ा काला सा आदमी था, चैक वाली लुंगी और जाली वाली बनियान पहने हुए था, मुँह में पान चबा रहा था, उमर भी उसकी काफ़ी लग रही थी, शायद पचास से ऊपर होगा।
वो ट्रक ड्राइवर था, सामान लेने आया था… मैं उन दोनों की बातें सुनने लगा… जावेद- अबे छोकरो.. तुम यहाँ क्या कर रहे हो? एक घण्टा हो गया, अब तक तो मैं सारा सामान पहुँचा देता, तुमने तो कोई सामान पैक ही नहीं किया?
कलुआ- व्ववो चाचा… हमको मैडम ने दूसरे काम में लगा लिया था… नहीं तो अब तक तो हो जाता, अबे पप्पू जल्दी कर ले रे… जावेद- कमीनो, मुझे बेवकूफ़ ना बनाओ, यहाँ तो कोई है ही नहीं, साब कहां हैं? पप्पू- हां चाचा, कलुआ सही कह रहा है, साब बाहर को गये हैं और मैडम… हा अ हा हा हा… बस इतना कहते ही पप्पू जोर से हंस पड़ा…
मुझे डर लगने लगा कि ये दुष्ट कहीं इसके सामने सलोनी की चूत चुदाई की बात ना बोल दें।
तभी सलोनी बैडरूम से बाहर निकली… ओ माई गॉड…उसने कपड़े तो पहन लिये थे लेकिन वही जो उसने मेरे सामने पहन रखे थे। शॉर्ट्स और छोटा सा टॉप… जावेद आँखें फाड़े उसको घूर रहा था…
सलोनी- कौन है यह आदमी? और तुम दोनों ने अपना काम पूरा किया या नहीं? सलोनी स्वयम् को सामान्य दिखाने की पूरी कोशिश कर रही थी या यूँ कहें कि उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया।
पप्पू- जी मैडम, बस थोड़ी देर में हो जाएगा जी!
यह अच्छा ही हुआ कि मैं रसोई में आ गया था छिपने… सलोनी वहीं से बाथरूम में चली गयी।
तभी जावेद ने एक जोर की अह्ह्ह्हाआ भरी- क्या गजब चीज है बे… मज़ा आ गया! अबे तुम दोनों इसी के चूतड़ देखने को इत्ता धीमे काम कर रे? यार… क्या चूचे हैं, और क्या चूतड़ हैं साली के!
यह सुन कर दोनों लड़के जोर से हंसने लगे। जावेद- अबे सालो… तुम्हारे चूतड़ों पर एक लात मारूँगा जो इब मेरा मज़ाक बनाया तो!
कलुआ- चाचाजान, आप तो बस ऐसे ही आहें भरते रहोगे, इसीलिए आपका निकाह भी नहीं हुआ अभी तक… हम देखने में नहीं, खाने में विश्वास रखते हैं।
जावेद- ओ कलुवे, ज्यादा मत बोल रे तू… बात तो ऐसे कर रिया है कि जैसे अभी बजा चुका हो इसकी? और पप्पू उसके उकसाने में आ गया- हां चाचाजान… सही बोले तुम… मैंने तो खूब बजाई इसकी गान्ड… लन्ड में अभी भी दर्द हो रहा है! कलुआ- चुप कर कमीने… क्यों बोल रहा है? मैडमजी ने मना किया था…
जावेद आँखें फाड़े उनको देखने लगा। जावेद- अबे सालो, सवेरे से तुम दोनों को मैं ई मिला बेवकूफ़ बनाने को? पप्पू- हम आपका बेवकूफ़ नहीं बना रहे चचा… सच… अभी कुछ देर पहले यह मैडम हमारे साथ पूरी नंगी थी उस कमरे में! पप्पू ने बैडरूम की तरफ़ इशारा कर के कहा।
शायद जावेद को इन लड़कों की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था पर मुझको लग रहा था कि ये दोनों लड़के क्यों इतना बोल रहे हैं। अब तक जो जो हुआ, हो गया, पर यह जावेद तो काफ़ी घाघ किस्म का आदमी लग रहा है, पता नहीं क्या कर डाले?
जावेद- अबे झूठ ना बोलै मेरे सामने… मैं तो तब मानूँ जो इस गोरी के चूतड़ एक बार नंगे देखने को मिल जावैं? कलुआ- बस इत्ती सी बात? जावेद- बे कह तो ऐसे रिया है…जैसे दिखवा ई देगा?
कलुआ- पहले यह बताओ चचा तुम हमको क्या दोगे जो दिखवा दिये तो?
जावेद- दोनों को सौ सौ का एक एक नोट दे दूँगा लेकिन पूरे नंगे करके दिखवाने पड़ेंगे इसके चूत्तड़… अर वो भी पास सै…
पप्पू- वाह चचा सौ रुपे… चचा आप अच्छे से अपने हाथ से छू के देख लियो! यह साला तो कुछ ज्यादा ही आगे जा रहा था।
और तभी सलोनी बाथरूम से बाहर आई, उसने कोई कपड़े नहीं बदले थे, जैसा मैं सोच रहा था। मतलब इसे इनके सामने इन कपड़ों में रहने में कोई परेशानी नहीं थी।
कलुआ एकदम से सलोनी के पास गया- मैडमजी, ये हमारे चचा हैं, जावेद चाचाजान… हमारे साथ ही रहते हैं, ये वहाँ ट्रक चलाते हैं। सलोनी- तो क्या? फ़टाफ़ट सामान पैक करो और ले कर जाओ इनको! सलोनी कुछ तेज आवाज में बोली।
कलुआ- व्ववो मेमसाब, इनको सब पता लग गया है। सलोनी- क्या पता है? क्या बकवास कर रहा है? कलुआ- मैडम जी आप ऐसे क्यों बोल रही हो? अभी कुछ देर पहले तो…
सलोनी जोर से चीखी- चुप्प्प… ज्यादा ना बोल, जल्दी से अपना काम खत्म कर और निकल जा यहाँ से! इतने में जावेद भी पास आ गया- अरे मैडम जी, आप क्यों गुस्सा हो रही हो, ऐसा क्या कर दिया इस बालक ने? तू बोल कलुआ… मैं भी देखता हूँ.. तुझे कौन कुछ कहता है!
कलुआ- मैडम जी, ऐसा मत बोलो, चचा वैसा कुछ नहीं करेंगे जैसा आप समझ रही हो, ये चोदेंगे नहीं… उसने सरेआम वो बोल दिया जो नहीं बोलना चाहिए था… सलोनी तो जहाँ थी वहाँ जड़वत् खड़ी रह गयी…
कहानी जारी रहेगी। अपने कमेंट्स नीचे डिसकस में ही लिखिये।
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