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हैलो दोस्तो, मैं अरुण.. एक बार फिर आपके सामने अपनी कुछ आपबीती बताने जा रहा हूँ.. जिसका एक-एक कथन बिल्कुल सच है और इसके साथ-साथ मैं ये भी उम्मीद करता हूँ कि जितना मजा मैंने चुदाई करते हुए लिया है.. ठीक उतना ही मजा आपको इस कहानी को पढ़कर आ जाए और आप भी चूत और लंड पाने के लिए तड़फ उठें।
यह बात चार महीने पहले की सर्दियों की है.. जब मैं.. मेरी गर्लफ्रेण्ड.. उसकी बहन.. और बहन का ब्वॉयफ्रेण्ड हम चारों अपने ही ग्रुप के एक कॉमन दोस्त की शादी में जा रहे थे।
शादी एक फार्महाउस में हो रही थी.. जिसमें 10-12 कमरे भी थे, कुछ सिंगल रूम थे और कुछ डबलबेड रूम थे। मेरी गर्लफ्रेण्ड जिसका नाम सोनी (बदला हुआ) है ने एक लहंगा चुनरी पहने हुए थी और उसका हुस्न शादी में आई हुई सभी लड़कियों को फेल कर देने वाला लग रहा था।
सोनी का फिगर लिख रहा हूँ.. उसकी 34 इन्च की चूचियां 28 इंच की बलखाती कमर और 36 इंच की उठी हुई गाण्ड थी। उसकी इस कमनीय काया को देखकर किसी का भी लंड ‘छू.. छे.. छू.. छे..’ करने लग जाता था।
शादी में कुछ लड़कों की नज़र सोनी की गाण्ड पर ही थी। यह बात सोनी भी जानती थी क्योंकि उसने ही ये बात मुझे बताई थी।
बस इन बातों को सुनकर मैंने सोनी से कहा- जान अब तो तेरी इन बातों को सुनकर मेरा बहुत ज्यादा चुदाई का मन करने लगा है।
आपको बता दूँ कि मैं और सोनी एक साल से साथ हैं और एक साल से ही चुदाई का मजा ले रहे हैं।
ये बात सुनकर सोनी कहने लगी- तुम तो चुदाई को लेकर पागल हो गए हो.. ये भी कोई जगह है चुदाई करने के लिए?
इसके बाद हमारा एक दोस्त अपनी गर्लफ्रेण्ड के साथ हमारे पास आकर बातें करने लगा। अभी बारात आने में काफ़ी समय था.. मगर अब तक मौसम अंगड़ाईयां लेने लगा था.. और अचानक बारिश सी होने लगी.. वो भी बहुत तेज.. एक तो सर्दी का मौसम और ऊपर से ये तेज बारिश।
मैंने सोनी का हाथ पकड़ा और एक डबलबेड रूम सैट वाले कमरे में उसे ले गया। वहाँ देखा तो देखता ही रह गया.. वहाँ सोनी की बहन अपने ब्वॉयफ्रेण्ड के साथ होंठों को होंठों से मिलाकर समूच कर रहे थे। वे दोनों हम दोनों को देख कर घबराकर अलग हो गए।
वो पूछने लगी- तुम लोग कब आए? मेरे मन तो था कि उसे छेड़ू.. मगर मैंने ऐसा ना करते हुए जवाब दिया- बस अभी-अभी आए हैं। तो कहने लगी- हम दोनों दूसरे कमरे में जा रहे हैं.. तुम यहीं रुक जाओ।
सामने वाले दूसरे कमरे में जाते ही उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। उनका दरवाजा बंद होते ही अब मैंने सोनी और उसके होंठों को बुरी तरह से चूसने लगा।
थोड़ी देर चुम्बन करने के बाद सोनी ने कहा- मैं मना नहीं कर रही हूँ.. जो करना है.. कर लेना.. वैसे भी मुझे बहुत ठंड लग रही है.. मैं खुद तुमसे कहने वाली थी कि इस सर्दी में मुझे गर्म कर दो और जो करना है कर लो। मगर दीदी भी इसी कमरे के साथ दूसरे कमरे में हैं.. अगर वो आ गईं.. तो बहुत मुश्किल हो जाएगी।
मैंने सोनी को समझाया- वो दोनों भी अपनी सर्दी दूर करने में बिज़ी होंगे। मगर वो नहीं मानी.. तो मैंने उठकर उनके कमरे की बाहर से कुण्डी लगा दी। अब मैं फिर से सोनी पर टूट पड़ा। इस बार सोनी भी मेरा पूरी तरह से साथ दे रही थी।
अब चुम्बन में ही सोनी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी और अब वो खुद ही मेरे कपड़े उतारने लगी। पहले उसने मेरा कोट उतार फेंका। उसके बाद मेरी पैंट हटा दी। मेरा लंड तो जैसे अंडरवियर फाड़ कर बाहर निकलना चाहता था। सोनी ने अंडरवियर को भी नीचे कर दिया और मेरा लम्बा मोटा लंड फुंफकारता हुआ बाहर निकल आया।
इस बार नंबर मेरी टी-शर्ट के उतरने का था। सोनी ने टी-शर्ट के उतरते ही मेरे सीने पर चुम्मियों की जैसे बौछार सी कर दी। वो धीरे-धीरे मेरे लंड की तरफ उसको मसलते हुए उसे चूसने के लिए नीचे की तरफ़ बढ़ती जा रही थी। अचानक सोनी ने मेरे लंड के आधे हिस्से को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। अचानक हुए सोनी के इस हमले के लिए मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं था।
इस बार लड़कियों की तरह मेरे मुँह से भी ‘आहें..’ निकलने लगीं। इस लंड चुसाई को मैं आँखें बन्द किए महसूस कर रहा था।
मैं भी सोनी का सर पकड़ कर लौड़े से उसके मुँह में झटके दिए जा रहा था, अब हम दोनों के ऊपर चुदाई का भूत सवार हो चुका था।
मेरी जान सोनी भी हार मानने को तैयार थी और ना ही मैं हारने को राजी था। अब हम दोनों से रहा नहीं जा रहा था, मैंने सोनी का ब्लाउज खोल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे चूसने शुरू कर दिए।
सोनी तो जैसे सातवें आसमान में पहुँच गई थी।
अब सोनी के मुँह से बस एक ही बात निकल रही थी- जान.. अब देर ना करो.. मुझे चोद दो.. अब और इंतजार नहीं हो रहा है.. कुछ करो जल्दी से.. चोद दो।
अब मैं सोनी का लहंगा खोलने लगा तो सोनी ने मुझसे कहा- जान.. इसे मत खोलो.. दोबारा पहनने में बहुत टाइम लगेगा। मैं उसकी बात मान गया और उसके लहंगे को नीचे से ऊपर को उठाकर सोनी की चूत को पैन्टी के ऊपर से ही मसलने लगा। सोनी की चूत का नल तो पहले ही खुल चुका था। अब मैंने सोनी की चूत से पैन्टी को पूरी तरह से खींच कर निकाल दिया।
वाह क्या मस्त खुश्बू थी सोनी की चूत की.. ना चाहते हुए भी जैसे मुझसे कह रही हो कि लंड से पहले एक बार मुँह से भी मेरा भोग लगा लो।
फिर क्या था.. अब मैं नीचे बैठकर सोनी की चूत चाटने और चूसने लगा। उधर सोनी का बारिश और ठण्ड होने के बाद भी पसीने से बहुत बुरा हाल हो चुका था।
जल्द ही सोनी मेरे मुँह में अकड़ सी गई और दोबारा झड़ कर खाली हो गई।
अब मैंने सोनी को नीचे बिछे हुए कारपेट पर लेटाया और देर ना करते हुए अपना लंड उसकी चूत पर रखकर एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड सोनी की छूट में पेल दिया। सोनी के मुँह से एक दर्द भरी नहीं.. बल्कि मस्ती भरी ‘आहह..’ निकली और सोनी ने मुझे अब बहुत ज़ोर से पकड़ लिया.. खुद ही नीचे से ऊपर को झटके लगाने लगी।
वो बस कहती जा रही थी- जान.. औररर तेज़ करो.. बहुत्तत्त मजाअ आ रहा हैईई.. आआअ.. औररर तेएजज्ज़.. जानन्न.. औररर तेज़्ज..
सोनी की इन सिसकारियों से मेरा लंड तो मानो जैसे और भी ज्यादा फूला जा रहा था। अब मैं अपनी पूरी ताक़त से सोनी की चुदाई कर रहा था। हमारी इस ज़बरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा माल सोनी की चूत में झाड़ दिया.. और कुछ देर सोनी के ऊपर ही ढेर हो गया।
उसके बाद सोनी ने अपने आपको साफ़ किया और कपड़े पहनकर तैयार हो गई। कुछ देर तक हम दोनों बैठे-बैठे चुम्बन आदि करते रहे..
इससे पहले दोबारा कुछ शुरू होता.. तभी अचानक सोनी की बहन की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी। वो कह रही थी- सोनी दरवाजा खोलो.. उसकी आवाज सुन कर मैं कमरे से बाहर आ गया और उधर सोनी ने दरवाजा खोल दिया।
उस दिन के बाद मैंने सोनी को 2-3 बार और चोदा है.. मगर वो सब अपनी अगली कहानी में बताऊँगा.. साथ ही ये भी बताऊँगा कि कैसे मैंने सोनी की बड़ी बहन की चुदाई की।
दोस्तो, कुछ ऐसी थी वो सर्दी की रात.. आशा करता हूँ कि आपको कहानी पढ़कर बहुत आनन्द आया होगा, कुछ लोग तो लंड निकाल कर हिलाने भी लगे होंगे।
दोस्तो.. अपना प्यार मुझे ईमेल के द्वारा देते रहिएगा.. [email protected]
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