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यह देखकर मैं तो क्या, पप्पू भी हैरान हो गया… कि सलोनी को कलुआ का लंड ज्यादा पसन्द आया और वह उसके अग्र भाग यानि सुपारे को चूस रही थी। कलुआ ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगा था- अह्ह आह ओह्ह दीदी चूसो मेरा लंड आआअ ह्ह्हाआ मजा आ गया… कितना गर्म है आपका मुँह… आह्ह्ह ह्हाआ आआ ऊऊ!
पप्पू आँखें फ़ाड़े उसे देख रहा था और अपनी बारी का इन्तजार कर रहा था।
तभी सलोनी उठी… वो बेड पर उकड़ू… अपने दोनों पैरों पर बैठ गई तो अब मुझको उसकी कमर से नीचे वाला हिस्सा दिखा, उसने शॉर्ट्स पहनी हुई थी। इसका मतलब यह था कि उसने एक बार कपड़े पहन लिये थे पर ये लड़के उस पर नीयत ख़राब कर गए जिससे यह सब हो रहा है।
अब पप्पू के सामने सलोनी की शॉर्ट्स से झलकते उसके आधे से भी ज्यादा सेक्सी चूतड़ थे जो सलोनी के इस पोज में और भी ज्यादा कयामत बरपा रहे थे।
सलोनी के चूतड़ को देख कर तो अच्छे अच्छे दम तोड़ देते हैं, यह तो बेचारा पप्पू था!
उसने तुरन्त सलोनी के चूतड़ों पर अपने दोनों हाथ रख लिये… तो एक बार सलोनी ने कलुआ का लंड अपने मुख से निकाल कर पप्पू की तरफ़ देखा और सीधी होकर अपनी शॉर्ट्स का हुक खोल दिया, फिर से वो अपने काम में लग गई… उसने कलुआ का लंड फिर से अपने रतनार लबों के बीच लिया और चूसने लगी।
बस इतना इशारा पप्पू के लिए काफ़ी था, उसने सलोनी के उठे हुए और हिलते हुये कूल्हों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसकी शॉर्ट्स… उसके चूतड़ों से नीचे सरकानी शुरू की।
शॉर्ट्स बहुत टाइट थी, उकड़ू बैठे हुए तो सलोनी के चूतड़ों पर जकड़ी हुई थी। फिर भी पप्पू ने ताकत से उसको नीचे सरकाया… और… शायद उसने कुछ ज्यादा ही जोर लगा कर शॉर्ट्स नीचे खींच दी थी, शॉर्ट्स एक ही बार में पूरी चूतड़ों से नीचे आ गई और सलोनी के मस्त मक्खन जैसे नर्म, चिकने, उठे हुए गद्देदार चूतड़ पूरे नंगे हो गये… चूतड़ों के दोनों पट आपस में चिपके हुये थे… इसलिए बीच वाली लाल लकीर ऊपर से शुरू होकर कुछ नीचे जाकर ही दिखाई देनी बंद हो गई थी।
अब सलोनी की गांड की दरार को देखने के लिए चूतड़ की दोनों गोलाइयों को दोनों हाथों से पकड़कर बाहर की ओर खोलना था जिससे चूतड़ों की दरार पूरी दिखाई देने लगती!
और पप्पू ने यही किया, पहले उसने एक हाथ से सलोनी के एक कूल्हें पर हल्की सी चपत लगाई, फिर उसकी दोनों गोलाइयों को पकड़कर कस कर मसला और फिर उनको खोल कर उनकी खूबसूरती को निहारने लगा।
गोरे गोरे चूतड़ों की गोलाइयों के बीच गुलाबी लकीर और बीच में जादुयी सुरमयी गुदा द्वार… जैसे एक फूल खिलने को तैयार हो रहा हो!
उसके नीचे जाते ही चूत… फ़ुद्दी… बुर किसी भी नाम से बुलाओ… सामने से जितनी सुन्दर लगती है, उससे भी कहीं अधिक ऐसे बैठे हुए लग रही थी जैसे कि बहुत सुन्दर दुल्हन का घूँघट हल्का सा हट गया हो- गुलाबी.. हल्का रक्तिम.. थोड़ा सा खुला पर बहुत प्यारा व कसा हुआ काम प्रवेश द्वार…
यह सब देख कर तो पप्पू की हालत खराब होनी ही थी, वो तो बावरा सा हो गया और उसने अपना मुँह.. नाक सब उस जगह लगा दिए। वो चूतड़ों की पूरी दरार को ऊपर से नीचे तक कुत्ते की तरह चाटने लगा।
और सलोनी… वो तो लंड मुख में होते हुए भी सिसकारियाँ भर रही थी और साथ ही साथ अपनी नाजुक कमरिया भी नचाए जा रही थी।
बहुत ही सेक्सी माहौल बना हुआ था, कमाल का गर्म नज़ारा था जिसका मैं अपने हाथ में लंड लिये पूरा मजा ले रहा था
और देखते हुए यह भी सोच रहा था कि सलोनी इन दोनों लड़कों से सिर्फ़ ऐसी हलकी मस्ती के मूड में है… या कुछ ज्यादा ही शैतानी उसके मन में चल रही है? क्या आज सलोनी इन दोनों लड़कों से अपनी चूत चुदवाएगी?
कहानी जारी रहेगी।
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