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अब तक आपने पढ़ा था..
अब मौसी असल में अपने आपको आकाश में उड़ती परी महसूस करने लगी थीं.. क्योंकि मेरा लण्ड काफ़ी लम्बा था और मोटाई तो मेरे लण्ड की खासियत है.. जब लाली मौसी की बच्चेदानी को छूता तो मौसी को ऐसा लगता जैसे उनके पेट में छोटे-मोटे बम फट रहे हों। बम के धमाकों से निकलने वाली गर्मी उन्हें पागल कर रही थी।
अब आगे..
आज मुझे समझ आ गया कि मिलन के समये औरतें गाना क्यों गाती हैं। ‘जागा बदन में जलवा सैंया.. तूने क्या कर डाला’
दरअसल मर्द इस गलफहमी में रहते हैं कि वो चुदाई का मज़ा ले रहे हैं.. जबकि सेक्स का असली मज़ा औरतों के नसीब में होता है।
कामशास्त्र के अनुसार औरतों के शरीर में मर्दों से 8 गुना ज्यादा काम होता है। एक 6 फुट के मर्द में सिर्फ़ 6 इंच का लण्ड होता है.. उसमें भी आगे का एक इंच का हिस्सा ही काम के आनन्द को महसूस कराता है.. जबकि औरत ऊपर से नीचे तक हर अंग से काम के आनन्द को भोगती है।
उसके होंठ.. गर्दन.. कंधे.. गाल.. चूचे.. पेट नाभि.. जाँघ.. नितंब सभी अंग काम के आनन्द को महसूस कराते हैं। असलियत में तो काम के खेल में मर्द.. औरत का कामसेवक जैसा होता है। औरत काम के खेल में मर्द से अपनी सेवा करवाती रहती है.. और दिखावा ऐसा करती है.. जैसे वो बहुत बलिदान कर रही है।
इस विषय में कुदरत भी पूरी तरह से औरतों के ही साथ है। सेक्स के दौरान मर्द सिर्फ़ एक ही बार झड़ कर आनन्द का अनुभव करता है.. जबकि औरत बार-बार झड़ कर उस मज़े का कई बार आनन्द उठाती है।
कुदरत ने औरत को काम आनन्द प्राप्त करने के लिए 3-3 अंग दिए है, पहला क्लिट (काम-दाना) जो चूत के बाहर होता है और अक्सर औरतें उससे छेड़-छाड़ करके मज़ा लेती हैं। दूसरा है चूत की गुफा.. लगभग 2 इंच अन्दर जिसे ‘जी स्पॉट’ कहते हैं। किसी भी स्पर्श से ये औरत को आनन्द देने लगती है और आखिरी में स्खलन से सबसे परम और चरम आनन्द को प्राप्त करने वाला सुख मिलता है।
लाली मौसी उन भाग्यशाली औरतों में थीं जिनकी किस्मत में अश्वरूपी लण्ड आ चुका था।
मेरा लण्ड अब उन्हें सातवें आसमान की सैर पर ले जा रहा था, उनके तीनों पायंट्स पर मेरा लण्ड चोट मार रहा था, धीरे-धीरे मौसी अपनी सुध-बुध खोती जा रही थीं।
अब वो बाहर की दुनिया भूल चुकी थीं.. उनका सारा ध्यान अपनी चूत में आगे-पीछे हो रहे लण्ड पर टिक चुका था। यह चुदाई अब उनके लिए ध्यान की समाधि बनती जा रही थी। उनकी आँखें आनन्द के प्रकाश में गुलाबी होती जा रही थीं, पुतलियाँ मानो फट सी गई थीं और वो अपने सर को आजू-बाजू पटक रही थीं।
जब उनके लिए सहना मुश्किल हो गया तो उन्होंने अपने हाथ मेरी पीठ पर रख दिए और अपने नाख़ून चुभो दिए। मुझे उनकी नाखूनों की चुभन महसूस हो रही थी.. पर इस वक्त तो में मौसी के हाथ से तलवार की चोट भी सह लेता।
जिसकी इतनी सुंदर और मादक अंगों वाली मौसी हो.. और ऊपर से वो भतीजे पर मेहरबान हो.. तो जवानी का आनन्द प्राप्त करने का मज़ा ही कुछ और होता है।
मैंने मौसी को चरम की मस्ती में देखा.. तो उनकी दोनों टांगें उठा कर अपने कंधे पर रख लीं। इस आसन में मौसी की पूरी चूत उभर कर बाहर आ गई.. जिससे लण्ड और अन्दर तक चोट मारने लगा।
अब मैंने फाइनल धमा-चौकड़ी मचानी चालू कर दी। मेरे शक्तिशाली कूल्हों का प्रहार जब मौसी की चूतड़ों पर पड़ता.. तो पूरा अखाड़ा हिल उठता, हर धक्के पर कूल्हे से ‘ठप..ठप..’ की आवाज़ आने लगी।
ऐसा लग रहा था.. जैसे इस ‘ठप ठप’ की आवाज़ को ध्यान में रख कर किसी संगीतकार ने टेबल का अविष्कार किया होगा.. ‘ठप ठप’ की उत्तेज़क आवाज़.. मौसी के मुँह से निकलने वाली मादक सिसकारियाँ और कोमल चूतड़ों पर पड़ने वाली मेरे लण्ड की टक्कर ने मौसी को झड़ने के शिखर पर पहुँचा दिया।
मौसी ने अब अपने हाथ मेरे कूल्हों पर रख दिए और हर धक्के के साथ मुझे अपनी ओर खींचने लगीं। हालत जब बेकाबू हो गई.. तो वो उटपटांग बकने लगीं- ओफ्फ़.. भगवान अहह.. कितना मज़ा आ रहा है.. हाँ जानू चोदो मुझे.. हाआँ ऐसे ही.. आह.. आ जाओ मेरे अन्दर.. आहह मुझे मार डालो।
मैं- ओफ्फ़.. बेबी ऐसे मत कहो.. मरें तुम्हारे दुश्मन.. आज तो सिर्फ़ जीने की बात करो मेरी सोना.. बस मज़ा लो इस चुदाई का.. अपनी इस कमसिन जवानी का..
लाली मौसी- हाँ हनी.. चोदो मुझे.. चोदो मुझे.. ऐसे ही.. और ज़ोर से चोदो.. मेरी चूत अहह.. ऐसे ही मज़ा चखाओ मेरी इस कुत्ती चूत को आहह.. इसने मुझे परेशान कर रखा है.. तुम तो सबसे मजेदार ‘मौसी चोद’ हो.. मेरे राजा ओह..
मौसी के मुँह से इस तरह की निकलती बातों ने मेरे जवालामुखी को और भड़का दिया, मैं अब किसी भूखे सांड की तरह ‘गचा..गछ..’ पिलाई करने लगा।
खुद मेरे लिए भी अपने लावे को रोक पाना मुश्किल हो रहा था।
हम जगह बदल-बदल कर चुदाई कर रहे थे, हमारी एक लंबी लड़ाई कुछ घंटे पहले हो चुकी थी.. इसलिए इस बार लग रहा था कि लड़ाई और लंबी चलेगी।
फिर हम सोफे पर.. तो कभी बिस्तर पर.. कभी नीचे.. कभी डाइनिंग टेबल.. पर लण्ड चूत की लड़ाई करने लगे।
मुझे और मौसी को हॉल में आए हुए बहुत देर हो चुका था। मैं खुद ताज्जुब में था कि ऐसी रसीली जवानी के सामने अपने आपको इतनी देर तक कंट्रोल कैसे कर पाया.. जबकि रात में केवल ख्याल करने में ही 5 मिनट में झड़ जाता था।
ताबड़तोड़ हमला करते हुए मैंने लाली मौसी से कहा- ले रानी ले.. आज असली मर्द के बच्चे के लण्ड का मज़ा.. ले ले अब भरपूर मज़ा.. आज तुझे ऐसा चोदूंगा कि तू भी जान जाएगी कि मर्द किसे कहते हैं। आज के बाद तू सुबह शाम मेरे लण्ड की पूजा करेगी।
फिर मैंने अंतिम और भीषण हमला चालू कर दिया.. पूरे कमरे में ज़लज़ला सा आ गया.. कमरे में तरह-तरह की आवाजें आने लगीं। कभी मौसी की सिसकारी तेज होतीं.. तो कभी चूतड़ों से उठने वाली ‘ठप ठप’ की आवाज़ तेज हो जाती.. कभी बिस्तर की चरमराहट तेज हो जाती। सब एक-दूसरे से आगे निकलना चाह रहे थे।
लाली मौसी अब तक कितनी बार झड़ चुकी थीं.. उन्हें खुद होश नहीं थीं। ऊपर से मेरी बातों ने उनमें और आग भर दी.. जिस कारण वो जोर-जोर से अपनी गाण्ड ऊपर की ओर उछालने लगीं।
लाली मौसी- हाँ जानू.. दीजिए ना मज़ा.. जितना दे सकते हो और सिर्फ़ सुबह-शाम क्यों.. मैं तो 24 घंटे तुम्हारी लौड़े की पूजा करूँगी.. ये है ही पूजने लायक.. औरत को पागल बना देता है।
इधर जब मैंने देखा कि मैं झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने अपना लण्ड पूरा अन्दर तक पेल दिया। झड़ने के वक्त मैंने धक्के देना भी बंद कर दिया और सिर्फ़ अपनी मासपेशियों के सहारे अपना बीज लाली मौसी की कोख में भरता रहा।
कुछ देर तक फुव्वारा मारने के बाद में भरभरा कर मौसी के ऊपर पसर गया। मैंने अपना लण्ड अन्दर ही डाले रखा ताकि वीर्य बाहर ना आ पाए.. क्योंकि मैं अपना रस चूत में छोड़ने का मज़ा लेना चाहता था।
इधर मौसी के बदन में शोले भड़क रहे थे.. मौसी की आँखों में मैंने एक अजीब सा नशा देखा.. ऐसा नशा.. जिस भी औरत या लड़की की चुदाई करते समय उस औरत की आँखों में आए.. तो इसका मतलब वो चोदने वाले और उसके लण्ड की दीवानी बन गई है।
जैसे ही मेरा लावा लाली मौसी की बच्चेदानी पर पड़ा.. वो उस खुशी को संभाल नहीं पाईं.. और एक बार फिर झरझरा कर बहने लगीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उत्तेजना के चरम पर उनका पूरा बदन काँप रहा था.. सो उन्होंने ज़ोर से मुझको जकड़ लिया और छिपकली की तरह मुझसे चिपक गईं।
चूंकि मैं एकदम हट्टा-कट्टा नौजवान था.. अब जब हमारी रासलीला शुरू हो चुकी थी और ऐसे में घर पर दिन में मेरे और लाली मौसी के अलावा कोई नहीं रहता था.. तो सोच ही सकते हैं कि कैसी घमासान लड़ाई होती होगी।
जब से हमारी चुदाई हुई थी.. मौसी मुझसे और मेरे लौड़े से बहुत प्यार करने लगी थीं, मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थीं।
लाली मौसी को ही घर का सारा काम करना पड़ता था.. इसलिए मैं भी उनके काम में हाथ बटा देता था।
वो मुझसे बार-बार कहतीं- काश तुम मुझे पहले मिले होते.. तो मैं तुमसे शादी कर लेती.. और हमें यूँ छुपकर चुदाई करने की ज़रूरत नहीं होती.. लेकिन अब जब भी मुझे मौका मिलेगा.. तो मैं तुमसे ज़रूर चुदवाऊँगी।
फिर एक बार..
मौसी मुझे अब शादी कर लेने के लिए कहकर चिढ़ाती रही थीं.. और मैं बोला- शादी की क्या ज़रूरत है.. तुम हो ना मौसी। तब मौसी बोलीं- लेकिन तुम मेरे साथ सुहागरात तो मना नहीं पाओगे।
मैंने कहा- मैं रोज़ जो सुहागदिन मना रहा हूँ उसका क्या? वो हँस कर बोलीं- लेकिन सुहागरात की बात ही अलग है।
मैंने कहा- जब मौसा कहीं बाहर जाएँगे तो मैं तुम्हारे साथ सुहागरात भी मना लूँगा।
मौसी ने कहा- लेकिन सुहागरात में कुंवारी चूत चोदने और सील तोड़कर जो कुंवारी चूत से खून निकालने का जो मौका मिलता है.. वो तो तुम्हें मेरे साथ नसीब नहीं होगी।
तो फिर मैंने कहा- जिस दिन मनाऊँगा उस दिन इस बारे में सोचेंगे। यह कहकर मैं टीवी देखने लगा और मौसी रसोई में बर्तन धोने लगीं।
फिर मैं उठकर मौसी के पास चला गया.. तो उन्होंने मुझे देखकर कहा- तुम बड़े शैतान हो.. तुम्हारा तो मन ही नहीं भरता.. लेकिन ये भी तो सोचो कि मेरी अब उम्र हो चुकी है.. मैं तुम्हारे जैसी चुदाई नहीं कर सकती हूँ.. मैं थक जाती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. फिर तुम केवल खड़ी रहो.. मैं ही सब कुछ कर लूँगा।
यह कहकर मैं मौसी के आगे की ओर नीचे बैठ गया, वो मुझे आँखें फाड़ कर देखने लगीं क्योंकि इस तरह से काम करते हुए मैं पहली बार सेक्स के मूड में था और उनके साथ भी किसी ने पहले ऐसा कभी नहीं किया था।
बिना उनसे पूछे और कुछ कहे.. उनकी नाईटी उठा कर उसके अन्दर घुस गया और नाईटी के अन्दर हो गया, फिर नाईटी को गिरा दिया और इस तरह से हो गया कि पीछे से किसी को पता भी नहीं चलता कि कोई उनकी नाईटी में घुस कर नदी में आग लगाने की कोशिश कर रहा है।
मेरी और मौसी की चुदास अब चरम पर आ चुकी थी और इस वक्त तो मुझ जैसे जवान का लौड़ा उनके लिए एक मस्त खिलौना बन चुका था।
अगले भाग में इस नए किस्म की चुदाई से आपको रुबरू कराता हूँ। आपके ई मेल आ रहे हैं और भी भेजिये, इन्तजार रहेगा। [email protected]
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