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‘बहुत ही ज़बरदस्त गोरी चमड़ी माल है यार!’ उसने कपड़ों के ऊपर से मेरे बूब्स पर अपना एक हाथ रख दिया.. मेरी आँख बंद सी होने लगी।
‘मेघा तू तो एकदम कच्ची कली है, तेरा दुबला पतला नाज़ुक गोरा जिस्म क़यामत है।’ उसने मेरे गुलाबी बूब्स को धीमे से छुआ और हल्के से दबाया उसका करंट का झटका सीधा मेरी चूत पर लगा और जैसे जैसे उसका स्पर्श मेरे बूब्स पर बढ़ता जा रहा था, मेरी नन्ही सी चूत को पता नहीं क्या हो रहा था।
फिर ठीक एकदम सामने बैठे दोनों और लड़के भी मेरे पास आ गए और मेरे पास बैठकर मेरी बाँहों को, मेरे गालों को और मेरी जांघों को देखने और सूंघने लगे।
मेरा सिर पाखी की गोद में था, ‘कैसा लग रहा है मेघा?’ पाखी धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई।
‘आह्ह ह्हह्हह… पूछो मत दीदी, मुझे चुद जाने दो!’
अब धीरे धीरे मेरे शरीर के रोम-रोम में मस्ती और उमंग भर रही थी और कब सुमित का हाथ मेरे टॉप के अंदर पहुँच गया और उन दोनों के हाथ कब मेरी चड्डी के अंदर आ गए, मुझे होश भी नहीं रहा।
फिर वे मेरे जिस्म पर अपनी उँगलियों का कमाल दिखाने लगे जिसकी वजह से मेरी छोटी सी चूत धीरे-धीरे और भी रसीली होती जा रही थी।
‘मेघा तू बहुत मस्त माल है यार, तेरे जैसी छोटी सी चूत को चोदने में जो मज़ा है वह दुनिया की किसी औरत में नहीं है।’ शरद की इस बात पर मैं मुसकुरा दी।
अब पाखी की बारी थी.. उसने अपना टॉप उतार कर बाहर किया और घुटनों में फंसी जीन्स भी उतार दी। अब वह भी अंडरगारमेंट में खड़ी थी मेरे नाज़ुक गोरे शरीर पर काली रंग की पैंटी और काली रंग की ब्रा थी और इसके अलावा कुछ भी नहीं था।
अब शरद भी अपने कपड़े उतारकर अपने दोस्तों के साथ मेरी चूत की और आकर्षित हो गया और मेरे दुबले पतले नाज़ुक जिस्म से खेलने लगा।
फिर उन लोगों ने मेरी ब्रा और पैंटी को उतारकर एक और डाल दिया, मेरे बूब्स को आज़ाद कर दिया और मुझे बेड पर लेटा कर मेरी चूचियों से, चूत से और जाँघों से खेलना शुरू कर दिया।
‘सच बता इससे पहले चूत चुदवाई चुदाई है तूने?’ ‘नहीं!’ मैंने न में सिर हिला दिया।
‘कमाल है यार, हमने तो सुना है कि बड़े घर की लौंडियाँ स्कूल में ही चुद जाती हैं।’ उसने मेरी नन्ही मासूम गुलाबी चूत की दरार को खोलते हुए कहा।
मैं भी मस्त होती जा रही थी, मुझे महसूस हो रहा था कि मेरी चूत पानी- पानी हो रही है।
अब सुमित मेरे ऊपर अपने लंड को लेकर आ गया और मैंने उसके लंड को बहुत ध्यान से निहारा.. क्या भीमकाय लंड था? ‘मुंह में ले इसको यार!’ कहते हुए उसने अपना लंड मेरे ओठों पर लगा दिया।
मैंने अपनी जीभ से उसके लंड के टोपे को छुआ.. उसके मुंह से अजीब सी कराहने की आवाज निकल पड़ी और मैंने अपने मुंह को खोलकर पूरे लंड को अंदर लेने की नाकाम कोशिश की..
लेकिन लंड मेरे मुंह के अंदर नहीं गया और इतनी मेहनत के बाद सिर्फ आधा लंड ही मेरे मुंह के अंदर जा सका।
मैं खांसने लगी, मेरी आँखों से आँसू छलक आये। ‘सुमित सर, धीरे-धीरे करो न…’ मैंने लंड मुँह से निकालकर सुमित के चेहरे पर देखते हुए कहा।
‘बहन की लौड़ी, तू इतनी मस्त चिकनी लौंडिया है कि मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि पहले तेरे मुंह में डालूं या गांड में डालूं या चूत में तेरी?’
‘its my pleasure sir!’ सुमित की इस बात से मैं हंस दी और उसके लंड को धीरे धीरे चूसने लगी।
‘तेरा पहली बार है तो मेरा भी पहली बार है जब कोई कान्वेंट की अमीरजादी लौंडिया चोद रहा हूँ।’ मैं उसकी बात पर लंड बाहर निकाल कर मुस्कुरा दी।
लेकिन शायद सुमित चाह रहा था कि उसका लंड मेरे मुंह में पूरा चला जाए और यह असंभव था क्योंकि उसका लंड बहुत बड़ा था और मैं अभी इन सब कामों में कच्ची थी, वह मेरी गर्दन तक तो घुस गया था मैं खो.. खो.. कर रही थी, बोल भी नहीं पा रही थी।
तभी मुझे कुछ और भी महसूस हो रहा था और दोनों लड़के मेरे बूब्स के साथ खेल रहे थे और उनको चूस चूसकर लाल कर चुके थे।
तब शरद ने मुझे चोदने का निर्णय लिया, वह मेरे दोनों पैरो के बीच में आ गया.. लेकिन वह दोनों लड़के मेरे बूब्स को ही सहला रहे थे जिसकी वजह से मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी।
फिर मैंने अपने दोनों पैरों को शरद के लिए खोल दिया, मेरी नन्ही सी गुलाबी मासूम चूत उसके सामने खुलकर मुस्कुराने लगी थी। शरद नन्ही सी गुलाबी बिना बालों की चूत को देखकर खुश हो गया और उसने अपने लंड को हाथ से दो बार हिलाया और मेरी चूत के होंठों पर रख दिया।
मेरे दिल की धड़कने बढ़ गई, मैंने हल्की सी साँस खींची और शरद ने एक ज़ोर का धक्का दे दिया और उसका पूरा लंड मेरी चूत के अंधेरे में समाता चला गया।
मुझे जोर का दर्द हुआ, मैं मचल कर बिलबिला उठी- आह्ह्ह्ह… मम्मी… सर निकालो इसको प्लीज़! मैं दर्द से सुबकने लगी, मेरी आँखों में आंसू आ गए थे।
यह मेरी जिंदगी का पहला अनुभव था कि जब 18 साल की उम्र में मेरी चूत में किसी के लंड ने प्रवेश किया था।
‘कुछ नहीं होगा…बस धीरे-धीरे..’ पास बैठी सीनियर लड़की मुझे दिलासा देती हुई मेरी चूत को अपनी तीन उंगलियों से सहलाने लगी। शायद शरद का लंड बहुत मोटा था।
अब मेरे पूरे शरीर में शरद के लंड के जाने से नया एहसास हो रहा था, मैं दर्द को महसूस करती हुई आह्ह.. आह्ह्ह.. करती हुई कराह रही थी।
लेकिन कुछ ही देर में मुझे वह दर्द मीठा-मीठा सा लगने लगा था, मैं नवयौवना बनी आनन्द के सागर में गोते लगा रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
पाखी अभी भी मेरे गालों को तो कभी अपनी तीन उँगलियों से मेरी चूत को सहला रही थी।
शरद सर का लंड मेरी बिना बाल की छोटी सी चूत में बिल्कुल कसा कसा जा रहा था, वह मेरी छाती के ऊपर आकर मेरे बूब्स को दबाते हुए मुझे चोदने लगा..
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी और दोनों लड़के अब पीछे हट गए थे और अपने लंड को हाथ से पकड़कर मसल रहे थे।
मुझे बड़ा मज़ा आने लगा था और शरद ने अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था।
फिर उसका लंड अब मेरी चूत में अंदर बाहर आने जाने लगा था, उससे मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ हो रही थी और मैं बस शरद की ही हो जाना चाहती थी।
फिर मैंने अपनी आँखों को खोलकर देखा तो शरद एकदम बिंदास होकर मेरी चूत को मज़े से चोदने में लगा हुआ था।
मैंने अपने दोनों पैरों को पूरा खोल दिया था और उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से लपेट लिया था और अब वह मुझे बड़े मज़े से चोद रहा था, मेरी चूत पानी छोड़ने लगी और उसका लंड मेरी चूत में बड़ी आसानी से सटा सट अंदर जा रहा था और मैं उम्मीद में बहती ही जा रही थी।
पूरा कमरा मेरी सिसकारियों से गूंजने लगा था और मुझे सच में बड़ा मज़ा आ रहा था.. आहह उह्ह्ह आहह शरद प्लीज़ चोदो मुझे.. प्लीज़ और ज़ोर से हाँ ऐसे धक्के दो और ज़ोर से अहह और प्लीज़ अहहहमम्म…
मेरी आवाज़ों से शरद को जोश आने लगा और उसके धक्के मेरी चूत में तेज़ी से लगने लगे।
‘वाह यार… यह तो दुबली पतली गोरी सी सेक्स मशीन निकली!’ सभी लोग अब मुस्कुरा रहे थे।
फिर मैं जैसे एक बाज़ारू कुतिया की तरह उसके नीचे पड़ी हुई उसके लंड को झेल रही थी.. मज़े ले रही थी और वह मुझे अपने नीचे से हिलने नहीं देना चाहता था और मेरी इच्छा भी यही थी कि वह मेरी जमकर चुदाई करें!
अब उसके धक्के तेज़ होते ही चले गए। कुछ ही देर में शरद ने अपना सारा माल मेरी चूत में निकाल दिया, वह लौड़ा लेकर मेरे मुँह के पास आया, मैं उसको चाटकर साफ़ करने लगी।
तब तक एक दूसरे लड़के ने कैसे भी करके अपना लण्ड उसकी चूत पर सैट किया और धीरे-धीरे टोपे को दबाते हुए उसको नीचे कर दिया तो उसका पूरा लंड गप्प से मेरी चूत में समा गया था। मैं एक बार फिर सिस्कार उठी।
पाखी दूसरे लड़के का लंड चूस रही थी। मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए और मैं बड़बड़ाने लगी थी- आहह…उम्म्म्म… मेरी सिसकारियाँ निकलने लगी- आह… उफफफ्फ़… और करो.. अहह…
उसने मुझे बड़ी बेरहमी से उसे चोदना शुरू कर दिया और मेरी चूत में अपना लंड पेलता चला गया। ‘आहह उह्ह्ह्ह… मैं अब झड़ गई थी.. वह भी मेरे साथ ही झड़ गया और मेरी चूत में ही उसका वीर्य गिर गया।
मैं उसको अपनी चूत में जाता हुआ महसूस कर रही थी और वह मेरी छाती पर अपना सर रखकर लेट गया और मैं भी उसके बालों में अपनी उंगलियों को फेरती हुई लेटी रही। उसको बहुत प्यार करने का मेरा दिल हो रहा था।
उसने मेरी कैसी चुदाई की थी और बाकी दोनों लड़के मुझे और शरद को थक कर लेटा हुआ देखकर परेशान थे कि कहीं मेरा मूड ना बदल जाए..
मैंने उनको मुस्कुराकर देखा तो पाखी बोली- क्या हुआ बेबी अभी से थक गई. अभी तो तुम्हारा फर्स्ट इयर है. बाकी के दो साल कैसे निकालोगी?
‘मैं अभी कमसिन हूँ, कोई रंडी नहीं हूँ जो कि एक साथ चार-चार मेरे ऊपर पिले पड़े हो.’ दर्द से कराहते हुए मैंने जवाब दिया। ‘अरे अब तो तू खुल गई है मेघा. अब तो तू पूरी रात कभी भी चुद सकती है!’ सुबह के पाँच बज रहे थे, उन्होंने मुझे बॉयज होस्टल से ले जाकर वापस गर्ल्स होस्टल को पीछे बनाये गए एक सीक्रेट दरवाज़े से छोड़ा।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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