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अब तक आपने पढ़ा था.. मैंने मौसी के टाँगें उठवा कर उनकी छाती से लगावाई तो उनकी चूत उभर आई और मुँह खोले लण्ड का इंतज़ार कर रही थी। अब आगे..
मैंने अपने फौलादी लण्ड का सुपारा मौसी की खुली हुई चूत के मुँह पर टिका दिया और धीरे-धीरे दोनों फांकों के बीच में रगड़ने लगा। मौसी से अब और सहन नहीं हो रहा था।
‘इसस्स्स्स्स्.. आशीष क्यों तंग कर रहे हो.. तुम्हारा वो तो मेरी ‘उसका’ रस पीना चाहता है ना.. अब डाल भी दो अन्दर..’ लाली मौसी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था, उनके अपने भांजे का लण्ड उनकी चूत के दरवाज़े पर दस्तक दे रहा था।
‘मौसी तुम्हारी चूत तो बिल्कुल डबलरोटी की तरह फूली हुई है।’ ‘तुम्हें अच्छी लगी?’ ‘बहुत..’ ‘तो फिर ले लो ना.. अब डालो ना.. प्लीज़..’ मौसी अपने चूतड़ उचका कर लण्ड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करते हुए बोलीं।
मैंने लण्ड के सुपारे को मौसी की चूत की दोनों फांकों के बीच के कटाव में थोड़ा और रगड़ा और फिर हल्का सा धक्का लगा दिया। चूत इतनी गीली थी कि लण्ड का मोटा सुपारा ‘गप्प’ से अन्दर घुस गया।
‘आऐईयईई.. आशीष.. आआह.. तुम्हारा तो बहुत आआह.. मोटा है.. मैं मर जाऊँगी..’ ‘कुछ नहीं होगा मौसी..’ मैंने मौसी की चूचियाँ मसलते हुए इस बार एक करारा सा धक्का लगा कर एक चौथाई लण्ड अन्दर कर दिया।
‘ऊवई.. माँआ.. आआआह्ह.. आआऐयईई.. आअहह.. आशीष तू तो आह… मुझे मार ही देगा..’ ‘अच्छा नहीं लग रहा हो.. तो निकाल लूँ मौसी?’ ‘आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. एयाया.. ऊवू.. तुम्हारा तो ओफओ..’ ‘मैं तो केवल अपने लण्ड को आपकी चूत का रस पिला रहा हूँ।’
मैंने लण्ड को सुपारे तक बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया। इस बार करीब 6 इंच लण्ड मौसी की चूत में समा गया। दर्द के मारे मौसी का बुरा हाल था।
‘आआआह.. प्लीज.. आआहह.. आह तुम्हारा तो बहुत लम्बा है आशीष.. आईयाअ.. मैं नहीं झेल पाऊँगी एयेए.. आह.. अभी और कितना बाकी तुम्हारा.. आहह..’ ‘बस मौसी अब तो बहुत थोड़ा सा ही बाहर है..’
‘ओह.. आज मेरी तो पक्के में फट जाएगी..’ ‘नहीं फटेगी मौसी.. तुम तो ऐसे कर रही हो.. जैसे ज़िंदगी में पहली बार लण्ड तुम्हारी चूत में गया हो।’ ‘मर्द का तो कई बार गया है.. आआआअ.. लेकिन गधे का तो आज पहली बार जा रहा है.. आआह्ह..’
‘बस मौसी थोड़ा सा और झेल लो.. उसके बाद तो हम निकाल ही लेंगे..’ यह कह कर मैंने मौसी की चूत के रस में सना हुआ लण्ड पूरा बाहर खींच लिया और उनकी मोटी-मोटी चूचियाँ पकड़ कर एक बहुत ही ज़ोर का धक्का लगा दिया। इस बार मेरा मूसल लाली मौसी की चूत को बड़ी बेरहमी से चीरता हुआ पूरा जड़ तक अन्दर समा गया।
मेरे सांड जैसे बड़े-बड़े टट्टे मौसी के ऊपर की ओर उठे हुए विशाल चूतड़ों से चिपक गए और गाण्ड के छेद में गुदगुदी करने लगे।
‘आआईयईईईईई.. बेटा आशीष ऐसा भांजा सबको मिले.. इसस्स.. मर गई मैं.. ऊऊओ.. सचमुच फट जाएगी मेरी.. प्लीज़ मुझे छोड़ दो आआहह.. तुम्हारा तो किसी गधी को भी पेट से कर देगा आशीष!’
यह सुनकर मुझे और जोश आ गया, चुदाई के समय में ना जाने मौसी को क्या-क्या कहकर बुला रहा था- मेरी जान.. अब इतना क्यों चिल्ला रही हो.. तुम्हारी चूत ने तो पूरा लण्ड खा लिया है! ‘तुमने इतनी बेरहमी से अन्दर जो पेल दिया.. इस्स्स्स्स..’
अब मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए, लाली मौसी बिल्कुल मस्त हो गई थीं ‘आहह.. इसस्स.. ऊओ.. आशीष.. तुम तो आज मुझे सचमुच ही चोदने लग गए..’ ‘कहो तो ना चोदूं मौसी?’
‘सच में तुम बहुत ही खराब हो.. औरत को फुसला कर और अपने ज़ोर से चोदना तो कोई तुमसे सीखे। तुमने अपना गधे जैसा ‘वो’ पूरा मेरे अन्दर पेल दिया और अब कह रहे हो.. कहो तो ना चोदूं.. जो तुम कर रहे हो.. इसे चोदना नहीं.. तो और क्या कहते हैं?’ ‘तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है क्या मौसी?’ मैंने आधा लण्ड बाहर निकाल कर फिर जड़ तक पेलते हुए कहा।
‘आऐयइ.. इससस्स.. आशीष बहुत अच्छा लग रहा है.. काश तुम मेरे भांजे ना होते.. पति होते.. तो हमेशा जी भर के तुमसे चुदवाते..’ ‘देखो मौसी तुम्हें मज़ा आ रहा है और मुझे भी ऐसी जवान और खूबसूरत औरत की चूत से अपना उद्घाटन करने का मौका मिला है और पहली बार आप जैसी रसीले बदन वाली औरत को चोदने का मौका मिला.. यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है मौसी। सिर्फ़ आज तबियत से चोद लेने दो।’
‘सच में तुम बहुत चालाक हो.. अब भी हम तुम्हारी मौसी बची हैं?’ ‘हाँ मौसी.. तुम अब भी मेरी मौसी ही हो और हमेशा मौसी ही रहोगी।’ मैंने एक ज़ोर का धक्का मारते हुए बोला।
‘आआआ..ह.. अच्छा.. अपनी मौसी को चोदते हुए तुमको ज़रा भी शरम नहीं आ रही है.. लेकिन बेटा तुम्हारा बहुत मोटा है.. तू तो मेरी ‘उसको’ चौड़ी ही कर देगा। चौड़ी हो गई तो तुम्हारे मौसा को पता लग जाएगा, मैं कहीं की नहीं रहूंगी। ‘किसको चौड़ी कर दिया मौसी?’
‘हटो भी.. तुमको पता तो है.. मेरी जिस चीज़ में ये मूसल घुसा हुआ है.. उसी को तो चौड़ी करेगा ना..’ लाली मौसी मेरे लौड़े को अपनी चूत से दबाती हुई बोलीं।
‘कितनी नासमझ हो मौसी.. इतनी जल्दी थोड़े ही चौड़ी हो जाती है। अगर मैं तुम्हें दो-तीन साल तक चोदूँ तो शायद चौड़ी हो जाए।’
मौसी ने हँसते हुए कहा- फिर ठीक है.. अब जब तुमने चोदना शुरू कर ही दिया है.. तो आज जम कर चोदो अपनी नासमझ मौसी को.. लेकिन आज के बाद फिर कभी नहीं चोदने दूंगी.. ये पाप है। अगर इन्होंने पूछा कि चौड़ी कैसे हो गई.. तो कह दूंगी कि रास्ते में जाते वक़्त एक गधे ने ज़बरदस्ती चोद दिया था.. वैसे ये बात झूठ तो है नहीं.. इस वक़्त मुझे एक गधा ही तो चोद रहा है।
‘सच मौसी तुम बातें बहुत मीठी-मीठी करती हो.. आज तो जी भर के चोद लेने दो.. ऐसी चूत चोद कर तो मैं धन्य हो जाऊँगा। लेकिन मौसी तुम तो केवल आज तक सिर्फ चुदी हो.. सेक्स कैसे किया जाता है.. ये सिखाना अब मेरा धर्म है.. बोलो सीखोगी ना?’
‘जी.. आप सिखाइए.. हम ज़रूर सीखेंगे..’ ‘देखो मौसी चुदवाते वक़्त औरत को कोई शरम नहीं करनी चाहिए.. बस खुल के रंडी की तरह चुदवाओ।’ ‘मुझे क्या पता रंडियां कैसे चुदवाती हैं?’
‘मौसी रंडियां चुदवाते वक़्त कोई शरम नहीं करतीं और ना ही अपनी ज़ुबान पर काबू रखती हैं.. रंडी सिर्फ़ एक औरत की तरह चुदवाती हैं। मर्द से पूरा मज़ा लेती हैं और मर्द को पूरा मज़ा देती हैं।
‘अच्छा और क्या करती है रंडियां?’ ‘बोलो मौसी चोदूँ तुम्हें रंडी की तरह?’ ‘एयाया.. हाँ आशीष.. चोदो बिल्कुल रंडी बना कर छोड़ दो मुझे.. अईइसस्सस्स.. आज से ये चूत आपकी है मेरे सरताज!’
मौसी ने अब शर्माने का नाटक बन्द कर दिया और बेशर्मी के साथ चोदने की बातें करने लगीं।
‘शाबाश मौसी.. ये हुई ना बात.. आज मैं तुम्हारी चूत की प्यास बुझा कर ही दम लूँगा.. तब तक चोदूंगा.. जब तक तुम्हारा दिल नहीं भर जाता।’
‘जी हम कब मना कर रहे हैं.. चोदिए ना अपनी पत्नी की तरह मुझे..’ लाली मौसी के अब सुर बदल गए और वो चूतड़ उचकाती हुई बोलीं।
अब मैं मौसी के नंगे बदन को और मांसल जांघों को सहलाने लगा.. धीरे-धीरे लाली मौसी का दर्द खत्म होता जा रहा था और उनकी चूत ने फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। मैं मौसी के रसीले होंठों को चूसने लगा और धीरे-धीरे अपना लण्ड उनकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। मौसी को अब बहुत मज़ा आ रहा था।
गधे जैसे लण्ड से चुदवाने में औरत को कैसा आनन्द मिलता है.. आज उन्हें पता चल गया। मेरे मोटे लौड़े ने लाली मौसी की चूत बुरी तरह से चौड़ी कर दी थी।
‘दर्द हो रहा हो.. तो बाहर निकाल लूँ मौसी?’ ‘नहीं नहीं मेरे प्यारे भतीजे.. तुम मेरी चिंता ना करो.. बस मुझे इतना चोदो कि तुम्हारे लण्ड की पहली प्यास शांत हो जाए.. तुम्हारे लण्ड की पहली प्यास शांत हो जाने के बाद मुझे बहुत खुशी होगी।’ मौसी ये कहकर चूतड़ उचका कर मेरा लौड़ा ‘गप्प’ से अपनी चूत में लेती हुई बोलीं।
मैंने मौसी की टाँगों को और चौड़ा किया और हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। मैं नहीं चाहता था कि मेरा मूसल मौसी की नाज़ुक चूत को फाड़ दे। एक बार मौसी की चूत को इस लम्बे मोटे लौड़े को झेलने की आदत पड़ जाए.. फिर तो मैं उन्हें खूब जम कर चोदूंगा।
लाली मौसी ने मेरी कमर में टाँगें लपट लीं और अपने पैर की एड़ियों से अपने चूतड़ को धक्का देने लगीं।
अब मैंने मौसी की चूचियाँ पकड़ कर लण्ड को सुपारे तक बाहर निकाल के जड़ तक अन्दर पेलना शुरू कर दिया। मौसी की चूत इतनी ज़्यादा गीली थी कि पूरे कमरे में मौसी की चूत से ‘फ़च..फ़च..’ और मुँह से ‘आआआ..ईइससस्स..’ का मादक संगीत निकल रहा था।
‘मौसी ये ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं?’ मैं मौसी को छेड़ता हुआ बोला। ‘इश्स..आआ.. बेटा आशीष ये तो अपने मूसल से पूछो..’ ‘उस बेचारे को क्या पता मौसी?’
‘उसे नहीं तो किसे पता होगा भतीजे.. इसस्स.. ज़ालिम कितनी बेरहमी से मेरी चूत को मार रहा है..’ ‘तुम्हारी चूत भी तो बहुत ज़ालिम है मौसी.. कितने दिनों से मेरी नींद हराम कर रखी थी.. ऐसी चूत को चोदने में रहम कैसा? सच इसे तो आज में फाड़ दूँगा..’ मैं जोर-जोर से धक्के मारता हुआ बोला।
‘हाय आशीष.. मैंने कब कहा.. रहम करो.. औरत की चूत के साथ ज़िंदगी में सिर्फ़ एक ही बार रहम किया जाता है और वो भी अगर चूत कुँवारी हो.. उसके बाद अगर रहम किया तो फिर चूत दूसरा लण्ड ढूँढने लगती है.. औरत की चूत तो बेरहमी से ही चोदी जाती है। अगर मेरी चूत ने तुमको इतना तंग किया है.. तो फाड़ डालो ना साली को कौन रोक रहा है?’ लाली मौसी तो अब बिल्कुल रंडियों की तरह बातें कर रही थीं और हर धक्के का जबाब अपने चूतड़ ऊपर उचका कर दे रही थीं।
लाली मौसी की चूत अब खुल कर जलवा दिखा रही थी.. बने रहिए मेरे साथ आपको अगले छटे भाग में और भी मजे कराता हूँ। आप ईमेल भेजिए, इन्तजार रहेगा। [email protected]
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