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हाय दोस्तो.. कैसे हो आप सब.. सबसे पहले मेरी प्यारी-प्यारी भाभियों और आंटियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार.. और प्यारी लड़कियों को भी मेरा प्यारा सा चुम्मा.. साथ ही मेरे भाई लोगों को भी नमस्कार!
मैं अभिषेक गुप्ता उत्तर प्रदेश के लखनऊ जिले का रहने वाला हूँ। मैं ग्रेजुएशन कर चुका हूँ। मेरी उम्र 22 साल पूरी हो गई है। मैं दिखने में अच्छा हूँ और मेरा लण्ड काफी लंबा और मोटा है।
जैसा कि आप सभी ने मेरी पहली कहानी पढ़ी ‘फ़ेसबुक से मिली मालिनी भाभी की चुदाई‘.. मुझे बहुत सारे ईमेल भी आए.. सबने यही कहा कि मस्त है.. बहुत अच्छी है.. बहुत सी भाभियों ने भी ईमेल किए.. कुछ ने तो स्काईप और आइमो पर लाइव बात की और मेरा मोटा लण्ड भी देखा। सबकी ईमेल और आगे लिखने की बात पर मैं आगे की कहानी लिख रहा हूँ।
पहली कहानी में आप लोगों ने पढ़ा था कि मैंने कैसे मालिनी भाभी की चूत मारी और कैसे उनको खूब मज़े कराए। अब उसके आगे.. पार्टी के बाद रात को क्या हुआ.. वो सुनिए।
उस दिन पार्टी खत्म होने के बाद सब अपने-अपने घर वापस जा रहे थे। रात के दस बज रहे थे.. उधर सिर्फ मालिनी के अलावा मेरे कुछ खास रिलेटिव ही बचे थे।
उन्होंने कहा- तुम्हारा अभी रात का गिफ्ट बाकी है। मैंने आँख दबा कर कहा- ओके..
यह बोल के मैं मॉम के पास गया और बोला- दोस्त की बहन मालिनी रात में अकेले जाने से डर रही है.. सो मैं उनको उनके घर तक ड्रॉप कर दूँ।
मालिनी के घर की तरफ ज़्यादा ट्रॅफिक भी नहीं चलता था.. रोड बहुत सुनसान थी। मॉम ने भी मालिनी को शादीशुदा देख कर मुझे उसको घर छोड़ने की परमीशन दे दी।
मैंने उनको बाइक पर बिठाया और चल दिया। रात के साढ़े दस हो गए थे.. मैं रास्ते में जा रहा था.. बाइक की डिस्क ब्रेक का सही यूज उस दिन समझ में आया। जब उनके मस्त मुलायम-मुलायम मम्मे मेरी पीठ पर रगड़ रहे थे।
मैंने कहा- जान.. तुम्हारे मम्मों के टकराव से मेरा खड़ा हो रहा है। वो बोलीं- घर पहुँचो.. इसको ऐसा शान्त करूँगी कि ये भी याद करेगा। मालिनी को मैंने पीछे खिसक कर चूचे दबाते हुए कहा- अच्छा..!
अब मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी कि मालिनी के घर पर रुकूँ कैसे.. मॉम को क्या बताऊँ?
हालांकि मालिनी के घर में तो कोई था ही नहीं.. आपने पहले पार्ट की कहानी में पढ़ा होगा। उसने अपनी पति को बच्चे को लाने भेज दिया था।
मैंने एक प्लान बनाया जिसमें मालिनी ने भी मेरी हेल्प की। मैं करीब 15 मिनट बाद मालिनी के घर पहुँच गया.. वहाँ जाकर मालिनी ने मेरे प्लान के अनुसार मॉम को कॉल किया।
वो बोली- दीदी जी.. इधर का इलाक़ा बहुत खराब है.. और अभी ये अकेला भी है। अगर आपको कोई दिक्कत ना हो.. तो ये कल आ जाए? मॉम बोलीं- नहीं.. उसे अभी भेज दो। मालिनी ने मुझसे बताया.. मैंने फोन लेकर कहा- मॉम ओके, आ जाऊँगा।
मेरा प्लान फेल हो रहा था.. पर कहते हैं ना.. कि होनी को कौन रोक पाया है।
मैं निकलने ही वाला था कि तभी मॉम की कॉल आई। बोलीं- फ्रेण्ड भी है ना वहाँ घर पर.. उससे मेरी बात करवाओ।
अब मेरी तो फट गई.. सोचने लगा कि एक लड़का कहाँ से लाऊँ। मैंने कहा- ओके मॉम होल्ड रखिए.. मैं बात करवाता हूँ। मैंने तुरंत एक दोस्त को कॉल की और कॉल कांफ्रेंस पर ट्रान्सफर की.. वो मेरा सबसे क्लोज फ्रेण्ड था।
मॉम ने उससे पूछा- अभी तू भी घर में है ना? वो बोला- हाँ आंटी। मॉम बोलीं- ठीक है.. उसे बोल दो कि कल सुबह ही घर आए.. रात को आने का रिस्क न ले।
दोस्तो, यह सुनते ही मेरी और मालिनी की किस्मत में जैसे जॅकपॉट लग गया हो। हम दोनों ही बहुत खुश थे।
मालिनी ने कहा- अभी मेरी जान.. क्या आइडिया निकाला है यार..
इतना बोल कर उन्होंने मुझे एक किस की ‘मम्मूऊऊआह..’
वो बोलीं- अब मैं आज तुम्हारा गिफ्ट दूँगी। ‘मुझे भी बेसब्री से इन्तजार है जान…’ ‘वेट.. माय डार्लिंग.. मैं अभी आई.. तब तक तुम भी कपड़े बदल लो.. लो ये मेरे पति का लोवर और टी-शर्ट पहन लो। उन्होंने मुझे अपने पति के कपड़े देते हुए कहा। मैंने कहा- ओके..
मैं उनके बेडरूम में बैठ था.. तभी 15 बाद वो आईं.. दोस्तों में हैरान हो गया उन्हें देख कर.. क्योंकि आज वो सुहागरात वाली दुल्हन की तरह सजी थीं।
दोस्तों क्या बताऊँ.. लहंगे में कितनी सेक्सी लग रही थी।
मैंने पूछा- ये क्या है? तो बोलीं- जान.. आज हमारी सुहागरात है। मैंने कहा- वाह जान..
मैंने उन्हें गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया.. मैं उनको चूमने लगा।
वो मुझे रोकते हुए बोलीं- आराम से.. अभि.. पूरी रात पड़ी है.. पहले दूध और मेवे खा लो.. क्योंकि आज पूरी रात हम लोगों को कुश्ती करनी है।
मैंने तुरंत जल्दी से दूध और मेवे खत्म किए और मेरी जान पर टूट पड़ा। मैं उनके होंठों को चूसने लगा। मैं उनके होंठों को काट रहा था.. बेरहमी से चूस रहा था।
मैंने दस मिनट तक उनके होंठों को चूसा.. होंठ एकदम लाल हो गए थे। जब मैं लगता जोर से उनके होंठों को काटता रहा.. तो वो बोलीं- अभी आराम से.. दर्द होता है न..
मैंने कहा- दर्द में भी मज़ा है मेरी जान.. वो बोलीं- ये तो है माय स्वीट हार्ट..
हम दोनों फिर से चिपक गए, मैं उनकी गर्दन.. कंधे.. सभी को चूम रहा था.. चाट रहा था। वो मदहोश हुए जा रही थीं.. फिर मैं उनके ब्लाउज के ऊपर से मम्मों को दबाने लगा।
दोस्तों क्या मज़ा आ रहा था.. क्या बताऊँ.. वो भी ‘आहें..’ भरने लगीं ‘अभि.. आआआआहह.. कितनी प्यारे हो.. आहह.. उउउम्म्म्म.. बहुत मज़े आ रहे हैं!
मैंने अब ब्लाउज के अन्दर हाथ डाल दिया और उनको चुम्बन किए जा रहा था। वो लगातार गर्म हो रही थीं।
उनका मैंने ब्लाउज उतार दिया था.. वो ब्रा और लहंगे में रह गई थीं। मैंने ब्रा के ऊपर से अपनी जीभ से उनके निप्पलों को छू रहा था। उनकी उत्तेजना बढ़ रही थी। फिर मैंने एक झटके से ब्रा को खींच कर अलग कर दिया और उनके मम्मों पर अपना मुँह लगा दिया.. और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
वो मदहोश होने लगी थीं।
मैं एक निप्पल को काट भी रहा था.. साथ ही मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया। मैंने देखा कि उनकी पैन्टी गीली हो चुकी थी.. मैंने लहंगे का नाड़ा खोल दिया और उसे उतार कर दूर कर दिया।
फिर मैं उनके मस्त रसीले मम्मों को चूसते-चूसते उनकी पैन्टी के ऊपर से चूत को भी सहला रहा था। वो मदहोश हो रही थीं।
मैं अब नीचे को आने लगा.. मम्मों को चूसते हुए.. पेट से नाभि को चूमते हुए चूत तक आ गया और चूत को चूसने लगा।
मैं उनकी चूत के दाने को जीभ से टुनया रहा था.. और वो उत्तेजना से उछल रही थीं।
कुछ पलों बाद मैंने उन्हें 69 की पोजीशन पर आने को कहा, वो तुरंत आ गईं।
अब वो मेरा लम्बा और मोटा लण्ड चूस रही थीं.. मैं उनकी गुलाबी चूत में जुबान से कबड्डी खेल रहा था। मेरा लण्ड टाइट हो रहा था। मैंने कहा- आज ज़्यादा नहीं चूसो रानी.. आज इसको बहुत रस निकालना है।
मैंने उनको नीचे लिटाया.. उनकी चूत पहले से ही बहुत गीली थी और चूस-चूस कर मैंने और अधिक गीली कर दी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने उस मस्ती वाली गुफा पर लण्ड टिकाया और करारा शॉट लगा दिया। वो उछल पड़ीं.. पर इस बार ज़्यादा दर्द नहीं था.. क्योंकि ये उनकी चूत में मेरे लौड़े की दूसरी बार ठोकर थी।
वो ‘आआहह.. ओउउम्म्म्म..’ की आवाज़ निकाल रही थीं.. उनको भी मज़े आ रहे थे। मैं भी फुल स्पीड में चूत चोदे जा रहा था.. वो भी नीचे से अपनी गाण्ड उछाल कर साथ दे रही थीं।
अब मैंने पोज़ चेंज किया और उनको गोद में उठा कर चोदने लगा और उनके मम्मों को चूसने लगा।
अब मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और धकापेल चुदाई चालू कर दी.. इसके बाद मैंने उनको और भी कई तरह चोदा।
काफी लम्बे समय तक उनकी चूत को चोदने के बाद मैंने कहा- जान.. अब मैं आने वाला हूँ.. माल कहाँ निकालूँ।
वो बोलीं- चूत में ही निकाल दो.. एक बेटी चाहिए मुझे.. मैंने कहा- ओके मेरी जान..
मैंने अपना सारा पानी उनकी चूत में ही निकाल दिया और उनके बगल में लेट गया.. उन्हें किस करने लगा। कुछ देर बाद मैंने देखा तो डेढ़ बजे का समय हो रहा था।
वो बोलीं- चलो अब सो जाते हैं। मैंने कहा- जान.. ऐसे-कैसे सो जाऊँ.. मेरा मेन गिफ्ट तो अभी बाकी है.. आज मेरी सुहागरात है।
वो बोलीं- कौन सा गिफ्ट बाकी रह गया है? मैंने कहा- आज मुझे आपकी गाण्ड मारनी है.. जो अब तक बिल्कुल फ्रेश है।
वो बोलीं- नहीं.. अभि ये नहीं.. सुना है बहुत दर्द होता है। मैंने कहा- जान.. नहीं होगा.. मैं हूँ ना.. ट्रस्ट मी।
वो बोलीं- पहले कभी किया नहीं है अभि। मैंने कहा- आज मेरा बर्थडे का गिफ्ट तो यही है.. चूत तो पहले भी मार ली थी।
काफ़ी देर बाद वो तैयार हुईं.. मैंने कहा- तेल ले आओ..
वो तेल लाईं.. मैंने बहुत सारा तेल उनकी गाण्ड पर डाल दिया और उंगली से गाण्ड के छेद में अन्दर-बाहर करने लगा। वो दर्द मिश्रित मजे से पागल हुई जा रही थीं और बोल रही थीं- उफफफ्फ़.. अभि.. तुम बहुत वो हो.. आहह.. बहुत मज़े देते हो.. मैंने गाण्ड आज तक पति को भी नहीं दी.. पर तुमने मुझे पटा ही लिया.. पता नहीं क्या है तुममें.. आआआहह.. अब पेल दो। मैं उनकी गाण्ड में उंगली किए जा रहा था।
अब मैंने अपना लम्बे और मोटे लण्ड पर बहुत सारा तेल लगाया और गाण्ड के छेद पर सुपारा धर के धक्का लगा दिया। मेरा मोटा लण्ड उनकी छोटी सी कुँवारी गाण्ड में जा ही नहीं रहा था.. अधिक चिकनाई की वजह से फिसला जा रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी गाण्ड को कसके फैलाया.. फिर लण्ड को फंसा कर दबाव दिया.. तो लौड़ा गाण्ड में घुस गया। लण्ड अन्दर जाते ही वो और मैं एक साथ दर्द से चिल्ला उठे।
पूरा कमरा हम दोनों की आवाज़ से गूँज गया!
मुझे बहुत दर्द हो रहा था। उनकी आँखों से आंसू आ रहे थे।
गाण्ड बहुत ज़्यादा ही टाइट थी.. मैंने लण्ड निकाल लिया और जरा ज्यादा सा तेल लगाया। फिर गाण्ड के छेद पर लगा कर धक्का मार दिया। लण्ड का सुपारा अन्दर चला गया.. पर इसे बार दर्द थोड़ा कम हुआ था.. पर थोड़ा अब भी हो रहा था।
मैं वैसे ही कुछ देर रुक गया.. उनके ऊपर उनकी पीठ और गर्दन पर चुम्बन करने लगा। वो भी दर्द भूल कर उत्तेजित होने लगीं।
बोलीं- आआहह उफ्फ़.. अभिईई.. फाड़ दो आज मेरी गाण्ड.. मुझे आज सुख दे दो.. मुझे एक औरत होने का। मैंने बोला- जरूर मेरी जान..
मैंने फिर से धक्का दे दिया.. मेरा आधा लण्ड अन्दर चला गया.. वो दर्द से तिलमिला रही थीं.. पर मेरी चुम्मियों और प्यार के कारण उनको ये सब सहने का हौसला मिल रहा था।
अब मैंने अंतिम धक्का मारा और गाण्ड की जड़ तक लण्ड घुसेड़ दिया। उन्होंने मेरा पूरा का पूरा लण्ड अपनी गाण्ड में ले लिया था। उनकी गाण्ड मेरे लौड़े को खा सी गई थीं।
अब मैंने धीरे-धीरे लण्ड आगे-पीछे करना चालू किया। उन्हें भी मस्ती आ रही थी.. वो बोल रही थीं- आअहह.. चोद दो.. फाड़ दो..
मैंने भी स्पीड बढ़ा दी और तेज चालू हो गया। आज मुझे और उन्हें खूब मज़ा आ रहा था।
मैंने उनको घोड़ी बना कर गाण्ड मारे जा रहा था.. ज़ोर-ज़ोर से जोश में उनके चूतड़ों पर थप्पड़ भी मार रहा था। मैंने बहुत देर उनकी गाण्ड मारी.. चोद-चोद कर लाल कर दी।
अब मेरा भी निकलने वाला था, वो बोलीं- अबकी बार गाण्ड में ही निकालो।
मैंने सारा रस उनकी गाण्ड में निकाल दिया और फिर लण्ड निकाल कर मुँह में दे दिया, मैंने कहा- चूस-चाट कर साफ़ करो।
वो पागलों की तरह लण्ड को चूसे जा रही थीं.. मेरा पूरा लण्ड पर लगा माल चाट कर वो बेहिचक पी गईं।
उस रात मैंने बहुत मस्ती की.. मैंने उनको सोने नहीं दिया।
सुबह उन्होंने मुझसे बोला- मेरी लाइफ की ये पहली सुहागरात थी.. जो इतनी सेक्सी और संतुष्ट करने वाली थी। मुझसे बोलीं- एक गिफ्ट और लोगे मुझसे? मैंने समझ गया कि ये पैसा देना चाह रही हैं.. सो मैंने कहा- नहीं.. अपने बहुत कुछ दे दिया है।
उसके बाद मैंने उनकी एक फ्रेण्ड को उनकी हेल्प से कैसे चोदा.. ये आगे लिखूंगा.. पर आपके ईमेल आने के बाद।
पहली कहानी पर बहुत ईमेल आए थे.. आशा है इस बार भी भाभियां आंटियां और चिकनी चूत वाली लौंडियाँ मुझे ईमेल करके बहुत सारा प्यार देंगी। [email protected]
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