चाची के संग चुदाई की शुरूआत

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मेरा नाम रौनक है.. मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ। मैं दिखने में स्मार्ट हूँ। मेरी हाइट औसत है.. और मेरा लंड करीब 6.5″ का है। यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है।

मैं मेरी चाची के बारे में बता दूँ कि वो 35 साल की हैं और उनका फिगर 40-34-38 है।

मैं चाची के साथ बचपन से हूँ.. पर पहले मेरे मन में कभी ग़लत विचार नहीं आए थे.. पर पिछले एक महीने में सारी कहानी बदल गई.. जब हम सब रिश्तेदार के यहाँ शादी में गए थे।

हुआ यूं कि हम लोगों को उस दिन शाम को कार से गाँधीनगर जाना था, वो मेरे बाजू में ही बैठी थीं। क्योंकि हम 7 लोग थे और एक ही कार से जाना था.. इसलिए सभी चिपक कर सैट हो गए।

उनकी जाँघ मुझसे चिपक रही थी.. तो मेरे मन में एक हरकत सूझी.. मैंने अपना हाथ जानबूझ के उनके पीछे ले जाकर पीछे लगा दिया.. क्योंकि कार में हल्का सा अंधेरा था.. इसलिए किसी को शक नहीं हुआ। पूरे रास्ते पर चलते वक्त मैंने यह काम जारी रखा और उनके पिछवाड़े को सहलाते रहा।

इस सबकी वजह से मुझे एक और तरकीब सूझी.. मैंने आते वक्त सोने का नाटक किया और अपना एक हाथ ले जाकर उनके मम्मों से सटा दिए। रात का अंधेरा होने की वजह से किसी को शक होने की कोई गुंजाइश भी नहीं थी।

पहले तो मैंने हाथ को सिर्फ़ टिकाए रखा.. बाद में अपनी दो उंगलियाँ चलना चालू की। पहले तो उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया.. तब मुझे लगा कि आज तो मैं गया और ये ज़रूर मेरी शिकायत करेंगी, मैं डर कर ठीक से हो गया.. पर जब ऐसा कुछ नहीं हुआ.. तो मुझमें थोड़ी हिम्मत आई और मैंने फिर से अपना काम चालू कर दिया।

इस बार उन्होंने मेरा हाथ हटाया नहीं बल्कि खुद थोड़ा सा एडजस्ट हो गईं। अब मैंने पूरे हाथ से उनके एक मम्मे को पकड़ कर दबाना चालू कर दिया। मेरा लंड तो मानो आसामान छू रहा हो।

फिर मैंने मम्मों को छोड़ कर हाथ को उनकी चूत की तरफ बढ़ाया.. तो इस पर उन्होंने मेरा हाथ रोक लिया, मैं फिर से मम्मों पर आ गया और अपना काम घर पहुँचने तक जारी रखा।

घर आकर मुझे पूरी रात नींद नहीं आई। मैंने आज पहली बार किसी औरत के मम्मों को छुआ था।

इसके बाद अगले दिन उनका मेरे पर फोन आया कि उनको कुछ काम है.. तो मैं मम्मी को बोलकर चला गया।

जब मैं उनके घर पहुँचा और दस्तक दी.. तो अन्दर से आवाज़ आई- दरवाजा खुला ही है.. अन्दर आ जाओ.. मैं अन्दर गया तो वो बाथरूम में नहा रही थीं.. मैंने आवाज दी.. तो उन्होंने कहा- मैं बस निकल ही रही हूँ..

थोड़ी देर बाद अचानक उनके चिल्लाने की आवाज़ आई.. तो मैं सीधा बाथरूम में चला गया और मैंने जो देखा उससे मेरी आँखें फटी रह गईं।

वो फर्श पर बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थीं.. शायद गिर गई होंगी। पहले तो मैं वापस बाहर निकलने लगा.. लेकिन उन्होंने कहा- आह्ह.. अन्दर आ जाओ और मेरी मदद करो..

मेरी जैसे मन की मुराद पूरी हो गई हो, मैं उन्हें सहारा देकर उठाकर बेडरूम में ले आया और उस वक्त तक मैंने 1-2 बार उनके मम्मों को भी दबा दिया.. लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा इसलिए मेरी हिम्मत अब बढ़ गई थी।

मैंने उनको लेटाया और कहा- मैं आपकी मालिश कर देता हूँ.. वैसे भी मेरा लंड पूरे शवाब पर था। वो पेट के बल लेटी हुई थीं.. तो मैंने धीरे-धीरे मालिश करना चालू किया और बाद में उनके कूल्हों की तरफ हाथ बढ़ाया तो उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं ज़ोर-ज़ोर से उनके कूल्हों की मालिश करने लगा.. उनके मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं।

तभी अचानक वो पलट गईं और सीधी हो गईं और कहा- अब मालिश कर दी है और तूने मुझे नंगा देख ही लिया है तो पूरे शरीर को रगड़ दे।

इसके बाद क्या था.. मैं उनके मम्मों और चूत को मसलने लगा। अचानक उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड से लगा दिया.. जो पहले से ही तैयार था। मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैं उनके होंठ चूसने लगा, हम दोनों एक-दूजे को चूमने लगे, चूमते-चूमते अब मैं भी नंगा हो गया।

मैं चुदाई की जल्दी करने लगा.. तो चाची ने मुझसे कहा- इतने दिन से कहाँ थे.. मैं कब की प्यासी हूँ।

अब चाची मेरे नज़दीक को आईं और हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ा.. चमड़ी खींच कर लण्ड का सुपारे को खोला और अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.. साथ में हल्के से काट भी लेती थीं।

मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था। मैं भी मेरे दोनों हाथ से चाची के चूचों को दबाकर चाची का साथ दे रहा था। मैंने अब तक चुदाई नहीं की थी.. तो चाची ने कुछ ही मिनट में ही मेरा माल अपने मुँह में निकाल लिया।

अब चाची ने मुझे बिस्तर पर सीधा लेटाया और मेरी छाती पर आकर बैठ गईं, वे अपनी चूत मेरे मुँह पर रख कर दबाने लगीं। मैंने भी हाथ से चूत को चौड़ी की और चूत में जुबान डाल दी और जुबान को चूत के होंठों में घुमाने लगा.. साथ में हल्के से चूत के होंठों को काट लेता था।

चाची भी मादक आवाजें निकाल कर पूरा साथ दे रही थीं।

अब मेरा लण्ड फ़िर चुदाई के लिए तैयार था, चाची भी देर ना करते हुए बिस्तर पर सीधी लेट गईं.. अपने पैरों को थोड़ा ऊपर उठाया और साथ में दोनों पैर चौड़े कर दिए.. जिससे चूत साफ दिख रही थी।

मैं चाची के ऊपर चढ़ने लगा, चाची ने अपने हाथ से लण्ड को पकड़ा और उस पर थोड़ा थूक लगा कर चूत के मुँह पर टिकवा लिया।

मैंने एक ही झटके में आधा लंड पेल दिया.. जिसकी वजह से मेरे लौड़े का धागा टूट गया और मुझे थोड़ा दर्द भी होने लगा.. लेकिन इस चुदाई की खुशी आगे वो दर्द भी कुछ नहीं लगता।

चाची ने भी बताया कि मेरा लण्ड चाचा से कुछ ज़्यादा ही मोटा है। चाची भी चूतड़ों को उछाल-उछाल कर साथ दे रही थीं, साथ में चाची की मादक सिसकारियों से पूरा बेडरूम गूँज सा रहा था।

कुछ ही देर में चाची की चूत ने अपना जवाब दे दिया। अब मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। चाची का रस निकल जाने से अब वो कुछ ज़्यादा ही कसमसा रही थीं।

थोड़ी देर बाद अब मेरा माल भी निकलने वाला था। मैंने चाची को बताया.. तो वो बोलीं- पूरा माल चूत में ही निकाल दो। मैंन मेरा सारा लावा चाची की गर्म चूत में निकाल दिया।

चुदाई के बाद हम ऐसे ही नंगे सो गए।

उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता था.. मैं और चाची जम कर चुदाई करते थे और अभी भी यह सिलसिला जारी है।

आपको मेरी पहली कहानी कैसी लगी.. लिखिएगा। [email protected]

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