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अब तक आपने पढ़ा.. मैं मालिश करने के बहाने काफ़ी देर दीदी की पीठ सहलाता रहा, मैं उसकी पैंटी को छू कर रहा था.. उसके कूल्हे तक दबा देता था.. इससे मेरा लंड खड़ा हो गया था और दीदी की गाण्ड के छेद पर लगने लगा। अब आगे..
दीदी भी बीच-बीच में कुछ अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी। शायद दीदी अब गर्म हो गई थी और उसे भी मज़ा आ रहा था। इस बीच मुझे उसकी ब्रा गड़ रही थी और वो दीदी को चुभ रही थी।
मैंने दीदी को कहा- दीदी ये क्या बीच में चुभ रहा है.. इससे ठीक से मालिश नहीं हो रही है.. इसे निकाल दूँ?
दीदी ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिला दिया। मैंने अब दोनों हाथ अन्दर डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.. लेकिन वो बाहर नहीं निकली।
मैंने दीदी से पूछा- इसे बाहर कैसे निकालूँ?
दीदी थोड़ी ऊपर उठ गई और उसने ब्रा बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दी और कहा- अब पूरी पीठ पर ठीक से मालिश करो।
मैंने फिर से अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। अब मैं उसकी पूरी नंगी पीठ महसूस कर रहा था। मैं थोड़ी हिम्मत करके मेरा हाथ आगे की ओर ले गया.. तो उसके मम्मों का साइड का हिस्सा मेरे हाथ से टच हो गया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा..
मैं अपना लंड दीदी की गाण्ड पर और ज़ोर से दबाने लगा। ऐसे ही मालिश करते-करते मैंने नाइटी कमर के ऊपर तक उठा दी।
मेरा लंड अब एकदम तन गया था। दीदी बोली- ये क्या चुभ रहा है? तो मैं थोड़ा शर्मा गया।
मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी.. ये तो वो मालिश करते-करते हो गया। दीदी एक काम करो.. आप नाइटी निकाल दो ताकि मैं आपकी पूरी बॉडी मसाज कर देता हूँ। दीदी ने नाइटी निकाल दी, अब दीदी के मम्मे मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने पहली बार किसी लड़की की चूचियों को नंगा देखा और वो भी मेरी सग़ी बहन के.. क्या गोरे दूध थे यार..
अब मैंने दीदी को पीठ के बल लेटा दिया और उसके पेट पर मालिश करने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी नाभि को मसाज करने लगा। दीदी के मुँह से ‘आअहह.. ऊओह..’ जैसी आवाजें आने लगीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ? तो बोली- अच्छा लग रहा है.. और करो..
मैं उसके पेट को सहलाते-सहलाते थोड़ा ऊपर आ गया और उसके चूचों को दबाने लगा। पहले तो मैंने उसको पूरा अपने हाथ में पकड़ने की कोशिश की.. पर वो इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में ही नहीं आ रहे थे, मैं उसके निप्पलों को हाथ में ले के मींजने लगा।
दीदी अब ज़ोर से ‘आहह..’ की आवाज़ निकाल रही थी। मैं और ज़्यादा गर्म हो गया, मैंने देखा कि दीदी की आँखें बन्द थीं।
जैसे ही दीदी ने आवाज़ निकालने के लिए अपना मुँह खोला.. तो मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगा.. दीदी मुझसे होंठ छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैंने और जोरों से उसके होंठ दबा लिए और चूसने लगा, साथ ही मैं दूसरे हाथ से उसकी चूत को दबाने लगा.. जिससे दीदी एकदम गर्म हो गई, अब वो भी मेरे होंठ चूसने लगी।
मैंने अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में डाल दी और दीदी मेरी जीभ को चूसने लगी, बारी-बारी से हम एक-दूसरे की जीभ चूसने लगे, कुछ मिनट तक हम ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे।
दीदी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी। अब मैं दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरा दूध दबाने लगा। मैं जंगल के भूखे शेर की तरह उसका चूचा चूस रहा था।
दीदी बोली- भाई.. थोड़ा धीरे चूसो.. मुझे दर्द हो रहा है.. मैं थोड़े कहीं भागे जा रही हूँ.. प्लीज़ थोड़ा धीरे चूसो।
मैं अब उसके एक निप्पल को दाँतों से चबाने लगा और बीच में उसे काट भी देता था.. जिससे दीदी की चीख निकल जाती थी। मैंने बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया।
फिर मैंने दीदी की पैन्टी को निकाल दिया और उसकी चूत को सूंघने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसकी गरम चूत को दोनों हाथ से खोल कर मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी। उसकी चूत पहले से ही पानी छोड़ रही थी। जैसे ही मैंने अन्दर जीभ डाली.. दीदी ने मेरे सर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबा दिया। बोली- चूसो भैया.. चूसो.. मेरा पानी निकाल दो भैया.. प्लीज़..
मैं और उत्तेजित हो गया और ज़ोर से दीदी की चूत चाटने लगा। कुछ ही मिनट में दीदी अकड़ने लगी और उसने अपना पूरा पानी मेरे मुँह पर छोड़ दिया, मैंने सारा पानी पी लिया, मेरा पूरा मुँह दीदी के पानी से भरा हुआ था। दीदी ने मेरे मुँह को चाट-चाट कर साफ कर दिया।
अब दीदी बोली- मुझे भी तेरा चूसना है। मैंने पूछा- क्या? दीदी ने नीचे इशारा किया.. मैं बोला- अपने मुँह से बोलो। तो वो शर्मा गई.. फिर बोली- तेरा लंड चूसना है।
तुरंत उसने मेरा पजामा निकाल दिया और उसके बाद उसने मेरा अंडरवियर निकाल दिया। मेरा लम्बा और मोटा लंड देख कर पहले तो वो डर गई। फिर बोली- इतना बड़ा.. ‘हाँ आपके लिए है..’
उसने तुरन्त अपना मुँह खोल कर लौड़े को अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा जा ही नहीं रहा था.. फिर भी वो उसे पूरा मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उसके सर को पीछे से पकड़ा और अपना लंड उसके मुँह में अन्दर-बाहर करके उसका मुँह चोदने लगा। काफ़ी देर चूसने के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था.. तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. जिससे दीदी को घुटन महसूस हो रही थी।
फिर भी मैं उसके मुँह को ज़ोर से चोदने लगा और अपना पानी उसके मुँह में ही छोड़ दिया.. वो मेरा पानी पूरा पीने की कोशिश कर रही थी.. लेकिन पानी इतना ज़्यादा था कि उसके मुँह से बाहर गिर रहा था।
अब मैं दीदी की ओर देख रहा था, दीदी ने कहा- मज़ा आ गया। मैं फिर से उसके मम्मों को दबाने लगा और चूसने लगा।
दीदी उल्टी हो कर मेरा लंड फिर से हिलाने लगी.. और चूसने लगी.. जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अब मैंने दीदी को सीधा लेटा कर उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर फेरने लगा।
मैं दीदी को तड़पा रहा था.. तो वो बोली- प्लीज़ भाई.. अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. अपने लंड से.. मैं ऐसे ही लंड के लिए तरसती थी और इसीलिए मैं उस चूतिया से शादी के लिए राज़ी नहीं हो रही थी क्योंकि वो दुबला-पतला है और ना जाने उसका लंड इतना बड़ा होगा या नहीं.. वो मुझे संतुष्ट कर सकेगा या नहीं.. प्लीज़ भाई फाड़ दे मेरी चूत को.. बना दे मेरी चूत को भोसड़ा..
मैं ऐसे शब्द दीदी के मुँह से सुन कर और जोश में आ गया। मैं धीरे से दीदी की चूत में अपना लंड डालने लगा..
अभी आधा ही गया होगा कि दीदी चिल्लाने लगी, मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा। तभी मैंने ज़ोर का एक और झटका लगाया.. इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया।
दीदी के मुँह से चीख निकल गई और वो रोने लगी, वो गिड़गिड़ा कर बोली- प्लीज़.. इसे निकालो.. वरना मैं मर जाऊँगी। मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके चूचों को दबाता रहा।
जब वो थोड़ा शान्त हुई.. तो फिर मैं धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद दीदी भी मेरा साथ दे रही थी.. वो नीचे से अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। मैं अब ज़ोर से उसे चोद रहा था और वो ‘आअहह.. मररररर गइईईईई.. ईईहह..’ चिल्लाने लगी।
पूरे कमरे में हमारी चुदाई की आवाजें आ रही थीं.. और पूरा कमरा ‘छप.. छप..’ की आवाज़ से गूँज रहा था।
थोड़ी देर में मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लगा। दीदी दो बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने दीदी को बोला- मेरा पानी निकलने वाला है। दीदी बोली- मेरे अन्दर ही छोड़ दे.. यह मेरी पहली चुदाई है.. और वो भी मेरे भाई से.. मैं तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.. वैसे भी मेरी शादी होने वाली है.. कोई प्रोब्लम नहीं होगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं एक ज़ोर से पिचकारी मारता हुआ दीदी की चूत में झड़ गया। मेरा गर्म लावा दीदी की चूत से बह रहा था और मैं निढाल हो कर दीदी पर गिर गया।
हम दोनों ऐसे ही नंगे बिस्तर पर पड़े रहे।
दीदी बोली- भाई अगर मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया.. तो वादा करो तुम ही मेरी प्यास को शान्त करोगे.. आज तो मैंने जन्नत की सैर की है.. बहुत मज़ा आया.. अब तुम ही मेरे पति हो.. जब जी चाहे तुम मुझे चोद सकते हो।
हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए। आगे मैंने दीदी को खूब चोदा और आज भी चोदता हूँ।
प्लीज़ मुझे अपने कमेन्ट भेजें और अपना रिस्पॉन्स भी दें.. ताकि मैं आगे की कहानी लिख सकूँ। [email protected]
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