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अब तक आपने पढ़ा कि दीदी की शादी की शॉपिंग करने गए तो लोकल ट्रेन में हमारे बदन आपस में सट गये। घर आ कर रात को दीदी कपड़े पहन कर देखने लगी, दीदी की झीनी नाइटी में उनका लगभग नंगा बदन देख मैं उत्तेजित हो गया। तभी साड़ी बांधने के लिये दीदी नाइटी उतारने लगी तो मुझे लाइट बन्द करने को कहा।
अब आगे..
दीदी बोली- तू साड़ी पकड़.. मैं नाइटी निकाल देती हूँ।
वो नाइटी निकालने लगी.. मैं अंधेरे में भी दीदी का गोरा शरीर थोड़ा-थोड़ा देख सकता था। दीदी ने नाइटी निकाल दी और कहा- साड़ी मुझे दो.. मैं उसे कमर पर लपेटती हूँ.. और तू पीछे से उसे पकड़ के रखना। मैं बोला- ठीक है।
वो साड़ी कमर पर लपेट रही थी और मैं वहीं खड़ा.. उसे देख रहा था। अंधेरे में भी उसकी चूचियों का साइज़ अच्छी तरह दिख रहा था। मैंने फर्स्ट टाइम किसी लड़की को ब्रा ओर पैन्टी में देखा था। वो भी अपनी सग़ी बहन को ऐसा देख रहा था।
मैं गर्म होने लगा.. इतने में दीदी बोली- एक काम करो.. तुम पीछे से मेरी कमर पकड़ लो..
अब जब साड़ी पकड़ने की कोई ज़रूरत नहीं थी.. तब भी दीदी ने मुझे कमर पकड़ने को क्यों कहा.. मैं सोचने लगा।
इतने में दीदी साड़ी पहनते हुए थोड़ी पीछे आई और वो मुझसे एकदम साथ में लग कर खड़ी हो गई और उसी वक्त मेरा हाथ अपने आप उसकी कमर को ढूँढने लगा.. लेकिन अंधेरा होने के कारण मेरा हाथ उसकी जाँघ को टच हो गया।
मैंने महसूस किया कि उसकी नंगी जांघ बहुत ही नरम और चिकनी थी। मैं उसे सहलाने लगा.. तो दीदी बोली- अरे.. मेरी कमर पकड़ो न..
मैंने अंधेरा होने का नाटक करते हुए उसकी जाँघ सहलाता रहा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा और शायद दीदी को भी मज़ा आ रहा था क्योंकि वो कुछ नहीं बोल रही थी और ना ही मुझे रोक रही थी.. तो मैंने अपना काम चालू रखा। उसकी कमर ढूंढने का ड्रामा करते हुए उसके चूतड़ों को सहलाने लगा।
क्या मुलायम और गदीली भरावदार गाण्ड थी उसकी.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मेरा लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था।
इतने में दीदी ने मेरा हाथ वहाँ से हटा कर अपनी कमर पर रख दिया। मुझे थोड़ी शर्म आने लगी और मैं सोचता रहा कि मुझे यह अपनी बहन के साथ यह नहीं करना चाहिये था। मैं वैसे ही खड़ा रहा.. फिर दीदी ने साड़ी फटाफट पहन ली और मुझसे कहा- मैंने साड़ी पहन ली है.. तुम लाइट चालू कर दो।
मैंने लाइट चालू की.. और उसे देखते ही रह गया क्योंकि उसने ब्लाउज नहीं पहना था.. केवल ब्रा पर साड़ी लपेटी थी। क्या सेक्सी माल लग रही थी।
उसने पूछा- क्या देख रहे हो? मैंने कहा- दीदी आप बहुत सुन्दर लग रही हो। वो शर्मा गई।
मैंने पूछा- आप ब्लाउज पहनना तो भूल ही गई हो। तो उसने कहा- मुझे मालूम है.. मुझे सिर्फ़ साड़ी ट्राई करनी थी.. इसलिए अब उसने वापिस अपनी नाइटी पहन ली और कहा- चलो.. अब देर हो गई.. सो जाते हैं।
मैं जा कर अपने बिस्तर पर लेट गया और दीदी भी आ कर मेरे बाजू में लेट गई।
हम वैसे ही बातें कर रहे थे और बातों ही बातों में हम एकदम नजदीक आ गए। फिर कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।
रात में मुझे कुछ भारीपन महसूस होने के कारण मेरी नींद खुल गई। जब आँख खुली.. तो देखा दीदी का एक पैर मेरी कमर पर था और उसकी नाइटी घुटनों तक उठी हुई थी। मैं पेट के बल लेटा हुआ था.. धीरे से सीधा हुआ।
अब मुझे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था। मेरे सीधे होने के कारण दीदी की नाइटी और थोड़ी ऊपर उठ गई। मेरा लंड अब लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था। मैंने धीरे से दीदी की नाइटी कमर तक ऊपर कर दी, अब दीदी की पैन्टी मुझे साफ दिखाई दे रही थी। मैं एकदम खुश हो गया।
अब मैं धीरे से और थोड़ा उससे सट गया और अब मेरा लंड दीदी की चूत पर टच होने लगा था। डर और ख़ुशी के मारे मेरी साँस फूल रही थी..
थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा, फिर मैंने अपना एक हाथ दीदी की मुलायम जांघ पर रख दिया और बिना हिले थोड़ी देर उसको महसूस करता रहा। दीदी की कोई प्रतिक्रिया ना आते देख.. मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
अब मैं अपना हाथ धीरे-धीरे उसकी जांघ और चूतड़ों पर फेरता रहा और उसके और थोड़ा नज़दीक हो गया.. जिसके कारण मेरा लंड और नजदीक से दीदी की चूत को छूने लगा और उत्तेजना में और मैं झड़ गया।
कुछ देर यूं ही निढाल पड़ा रहने के बाद मैंने एक हाथ से दीदी की नाइटी को आगे से खोल दिया.. जिसके कारण उसकी ब्रा में कैद उसके बड़े मम्मे मुझे दिखाई देने लगे थे।
मैंने एक हाथ को उसके मम्मों के ऊपर रख दिया और देखा कि दीदी का कोई विरोध नहीं हो रहा है.. तो फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा.. उसके आगे जाने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर सोचा कि क्यों ना मैं ऐसे ही सो जाऊँ.. फिर देखते हैं सुबह दीदी क्या कहती है। मैं ऐसे ही एक हाथ उसकी कमर में डाल कर सो गया।
सुबह जब दीदी की आँख खुली.. तो देखा उसका एक पैर मेरी कमर पर है और मेरा हाथ उसकी कमर में है। उसकी नाइटी सामने से खुली हुई थी। उसे लगा शायद नींद में खुल गई होगी।
जब उसने पैर हटाया तो देखा उसकी पैन्टी पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुआ था और मेरा लंड का उभार भी उसे साफ दिखाई दे रहा था। ये सब मैं चुपके से देख रहा था क्योंकि मैं उसके पहले जाग गया था।
दीदी थोड़ी देर तक मेरे लंड की तरफ देखती रही। फिर उसने धीरे से अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.. जिसके कारण मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया और दीदी थोड़ी देर ऐसे ही उसे महसूस करने के बाद उसने धीरे से उसका हाथ मेरे पजामे में डाल दिया।
उत्तेजना के कारण मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगीं और लंड और कड़क हो गया.. जिसके कारण दीदी डर गई और उसने तुरंत अपना हाथ निकाल लिया।
फिर थोड़ी देर मैं वैसे ही सोया रहा और वो उठ कर फ्रेश होने चली गई। थोड़ी देर बाद वो मुझे जगाने आई.. बोली- चलो फ्रेश हो जाओ.. फिर साथ में नाश्ता करते हैं।
नाश्ता करने के बाद दीदी बोली- चलो, आज बाकी की शॉपिंग ख़त्म करते हैं।
हम दोनों फिर निकल पड़े लेकिन इस बार दीदी लेडीज कम्पार्टमेंट में चढ़ गई थी। मुझे लगा शायद उसे पता चल गया है और मेरी सारी बाजी उल्टी पड़ गई। इस बार ट्रेन से उतर कर जब हम शॉपिंग करने लगे.. तभी अचानक दीदी को किसी का धक्का लगा और वो गिर गई.. जिसके कारण उसके पैर में चोट आ गई। मैं दीदी को तुरंत टैक्सी में ले कर घर वापस आ गया। जब लौटा तो देखा माँ घर पर नहीं थीं।
मैंने फ़ोन करके पूछा.. तो पता चला कि हमारे रिलेटिव में किसी की डेथ हो गई है.. तो वो वहाँ गई हैं। उस वक्त दादी भी नहीं थीं.. तो उनको रात वहीं रुकना पड़ेगा।
मैंने दीदी को बोला- माँ तो कल आएंगी.. तुम अन्दर कमरे में चलो.. मैं डॉक्टर को बुलाता हूँ। तो उसने कहा- नहीं सिर्फ़ दर्द की गोली ला दो.. सब ठीक हो जाएगा। थोड़ी देर में दीदी सो गई.. लेकिन उसे ठीक से नींद नहीं आ रही थी। मैंने पूछा- क्या हुआ? वो बोली- दर्द काफ़ी हो रहा है। मैंने पूछा- मैं पैर दबा दूँ।
तो उसने ‘हाँ’ कर दी। मैं दीदी के पैर दबाता रहा.. क्या मुलायम पैर थे यार.. मज़ा आ गया। मैं अब भी डर रहा था।
फिर मैं धीरे-धीरे उसकी जांघ तक दबाने लगा और दबाते-दबाते मैंने उसकी नाइटी ऊपर सरका दी। अब उसकी गोरी-गोरी जांघें दिखाई दे रही थीं।
मैं उसे काफ़ी देर तक दबाता रहा उस दौरान मैं उसकी नाइटी में अन्दर तक हाथ डाल कर उसके पैर दबाने लगा। ऐसा करते हुए कभी-कभी मैं उसकी पैन्टी तक हाथ डाल देता.. लेकिन दीदी का कोई विरोध नहीं आ रहा था.. जिससे मेरा उत्साह और बढ़ गया।
मैंने दीदी से पूछा- अब कुछ राहत मिली? दीदी बोली- हाँ.. पैर में तो मिली.. लेकिन कमर और पीठ में अभी भी दर्द है। मैंने पूछा- मैं उधर भी दबा दूँ? वो बोली- ठीक है..
अब मैं नाइटी के ऊपर से ही उसकी कमर दबाने लगा और पीठ पर मालिश करने लगा।
ऐसा करने में मुझे मज़ा नहीं आ रहा था.. तो मैंने पूछा- बाम लगा दूँ.. कुछ अच्छा लगेगा। वो थोड़ा सोचने लगी.. फिर बोली- ठीक है.. एक काम करो.. नाइटी के अन्दर से ही हाथ डाल कर बाम लगा दो।
मैं तुरंत बाम ले कर आ गया और दीदी को पेट के बल होने को कहा। मैं दीदी के ऊपर आ गया ताकि आसानी से मालिश कर सकूँ। मैंने थोड़ी सी बाम हाथ में ली और दीदी की नाइटी में हाथ डाल कर उसकी नाज़ुक कमर को सहलाने लगा।
दीदी को मज़ा आ रहा था.. मैं मालिश करने के बहाने काफ़ी देर उसकी कमर को सहलाता रहा। मैं उसकी पैन्टी को महसूस कर रहा था.. बीच-बीच में मैं उसकी गाण्ड तक दबा देता था.. जिसके कारण मेरा लंड टाइट हो गया था।
मैं दीदी के ऊपर बैठा हुआ था.. सो थोड़ा ऊपर को हो गया और अपने लंड को उसकी गाण्ड के छेद पर टच करने लगा। साथ ही मैं ऐसे बर्ताव करने लगा कि मुझे कुछ पता ही नहीं हो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं धीरे-धीरे अब उसकी पीठ पर मालिश करने लगा और मैं दीदी की नंगी पीठ पर सहलाने का ‘घर्षण-सुख’ का पूरा मज़ा उठा रहा था।
दोस्तो, पता नहीं मेरी दीदी क्या सोच कर मेरी हरकतों को बढ़ावा दे रही थी.. पर दीदी को चोदने का मेरा तो बहुत मन हो रहा था.. मेरी कहानी पढ़ते रहिये और मुझे अपने विचार जरूर भेजिएगा। कहानी जारी है। [email protected]
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