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हाय फ्रेंड्स.. मेरा नाम काव्य है, मेरी उम्र 25 साल है। यह मेरी पहली कहानी है उम्मीद कर हूँ आपको पसंद आएगी और आप अपने कमेंट्स मुझे ज़रूर भेजेंगे।
मेरे घर में मेरे माता-पिता और हम भाई-बहन हैं। हमारी मिड्ल क्लास फैमिली है, पिताजी एक कम्पनी में काम करते हैं और माँ हाउस वाइफ हैं।
मेरी बहन मुझसे 3 साल बड़ी है, उसका रंग गोरा है, उसकी चूचियाँ बहुत ही आकर्षक हैं, उसकी फिगर 34-26-35 की है। पहले मैंने उसे कभी भी बुरी नज़र से नहीं देखा था और हम अच्छे दोस्त भी थे, मैं अपनी दीदी से सारी बातें शेयर करता था और वो भी मुझे अपनी सब बात बताती थीं।
बात आज से 5 साल पहले की है जब मैंने अपनी सग़ी बहन के साथ पहली बार सेक्स किया था।
यह कहानी तब शुरू हुई जब उसकी शादी तय हो गई। वो मुझे छोड़ कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि वो शादी करके अपने पति के साथ दिल्ली में ही शिफ्ट होने वाली थी। जिससे उसकी शादी होने वाली थी.. वो कुछ खास नहीं है.. एकदम दुबला पतला सा है.. जबकि दीदी काफ़ी सुन्दर थीं। लेकिन वो पैसे वाले थे इसलिए पिताजी ने उसकी शादी उसी से फिक्स कर दी थी।
शादी की बात सुन कर दीदी काफ़ी गुस्सा हो गई थीं.. तो माँ ने मुझे उसे मनाने के लिए बोला।
मैं दीदी के कमरे में गया अन्दर जाते ही दीदी मुझसे गले लिपट कर रोने लगी। उस समय मैंने पहली बार उसकी चूचियों को महसूस किया था.. जो मेरी छाती से सटी हुई थीं। मुझे कुछ अजीब सा लगा.. पर मुझे अच्छा महसूस हो रहा था।
मैं उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे समझाने लगा.. पर वो और भी ज्यादा रोने लगी और मुझे और ज़्यादा ज़ोर से गले लगा लिया। ऐसा करते ही मेरा लंड जो उसके चूचियों के स्पर्श होने के कारण हार्ड हो गया था और मैं लगातार उसकी चूत पर अपने लौड़े का दबाव डाल रहा था।
इस सब को करते हुए मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। तभी दीदी को समझ में आ गया और वो मुझसे थोड़ी दूर हो गई और बिस्तर पर जा कर बैठ गई।
मैं उसे समझाने लगा कि आख़िर एक दिन तो आपको शादी करनी ही है और वैसे भी ये दिखने में भले ही ज्यादा अच्छा ना लगते हों.. पर लगते तो शरीफ ही हैं.. और अच्छा कमा भी लेते हैं।
वो थोड़ी देर बाद मान गई.. इससे माँ भी खुश हो गई थीं।
थोड़े दिनों बाद शादी की तैयारियाँ शुरू हो गईं। उसी समय पापा को कुछ जरूरी काम से आउट ऑफ स्टेशन जाना पड़ा और वो मुझे सब तैयारियाँ संभालने को कह गए। वैसे भी शॉपिंग करने के लिए मैं और दीदी ही जाने वाले थे.. तो हम चल पड़े शॉपिंग करने।
उसने मुझसे कहा- हम लिंक रोड चलेंगे।
हम ट्रेन से उधर के लिए निकल पड़े। ट्रेन में वो लेडीज कम्पार्टमेंट में ना जाते हुए मेरे साथ जेंट्स कम्पार्टमेंट में चढ़ गई। ट्रेन में बैठने की जगह नहीं मिली.. तो मैं उसे ले कर एक साइड में खड़ा हो गया और उसे भीड़ से कवर करके खड़ा हो गया।
जैसे ही ट्रेन आगे बड़ी.. भीड़ और बढ़ती गई और मैं उसके एकदम करीब जा कर खड़ा हो गया.. वो अच्छा महसूस कर रही थी। मैंने कहा- हम अगले स्टेशन पर उतर जाएंगे और टैक्सी ले लेंगे। लेकिन उसने मना कर दिया और कहा- टैक्सी में काफ़ी पैसे लग जाएंगे।
हम वैसे ही खड़े रहे.. उतने में किसी का पीछे से धक्का लगा और मैं दीदी के एकदम करीब हो गया। ऐसे में उसके मम्मे मेरी छाती को टच करने लगे थे। मैं उससे नज़र नहीं मिला पा रहा था। थोड़ी देर मैं ऐसे ही खड़ा रहा.. लेकिन भीड़ ज़्यादा बढ़ गई और मैं और दीदी एकदम चिपक गए। ऐसे में मेरा तना हुआ लंड दीदी की चूत को टच कर रहा था। वो मेरे सामने एकदम गुस्से से देख रही थीं.. लेकिन मैं मजबूर था।
वो भी थोड़ी देर बाद शान्त हो गईं लेकिन मैंने उससे थोड़ा दूर होने के प्रयास में मैंने हाथ उठाया.. तो मेरा हाथ दीदी के मम्मों से टच हो गया.. लेकिन इस बार दीदी ने कोई गुस्सा नहीं किया। शायद भीड़ के कारण 10-15 मिनट ऐसे ही चिपक कर खड़े रहने के कारण मैं और दीदी एकदम गर्म हो गए थे।
मेरा लंड और कड़क हो गया था और मैं दीदी की चूत को और ज़ोर से टच करने लगा। अब हम दोनों को मज़ा आ रहा था और मैं एक बार तो पैंट मैं ही डिसचार्ज हो गया।
उतने में हमारा स्टेशन आ गया और हम दोनों उतर कर शॉपिंग करने लगे। दीदी अब मुझसे और ज़्यादा खुल कर बात कर रही थी। उसने अपने लिए ड्रेस खरीदे और वो बार-बार कुछ ना कुछ बहाने मेरे लंड को टच करने लगी। मैं भी उसे ड्रेस दिखाने के बहाने उसके चूचियों को टच करने लगा और वो मुझे एक अजीब सी स्माइल दे देती।
अब मैं बहुत खुश हो गया था, मैं अब दीदी के हाथ में हाथ डाल कर चलने लगा.. ऐसा करते ही मेरा हाथ उसकी चूचियों को टच कर जाता था।
जब शॉपिंग हो गई.. तो काफ़ी सामान हो गया था, मैंने दीदी से कहा- अब ट्रेन में नहीं जा सकेंगे.. क्योंकि काफ़ी सामान है.. तो हम टैक्सी ले लेते हैं। इस बार दीदी ने ‘हाँ’ कर दी और हम टैक्सी में बैठ गए।
मैंने पूछा- दीदी आप शादी की बात सुन कर गुस्सा क्यों हो गई थी? तो उसने कहा- अरे यार वो काफ़ी दुबला पतला है। मैंने पूछा- तो क्या हुआ? उसने कहा- तुम नहीं समझोगे.. मैंने फिर पूछा- मैं ‘क्या’ नहीं समझूँगा? लेकिन उसने बात टाल दी और कहा- घर जा कर बताऊँगी।
हम दोनों घर आ गए और खाना खा कर अपने बेडरूम में चले गए। कमरे में हमारे बिस्तर अलग-अलग थे।
मैंने दीदी से कहा- आप चली जाओगी तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। दीदी ने भी कहा- मुझे भी तुमसे दूर नहीं जाना.. वैसे भी आज शॉपिंग में काफ़ी ‘मज़ा’ आया ना?
ऐसा पूछते-पूछते उसने मुझे अजीब सी स्माइल दी। मैं सोच में पड़ गया कि क्या कहूँ। फिर उसने मुझे दोबारा पूछा.. तो मैंने ‘हाँ’ कर दी। मैंने कहा- चलो दीदी.. नई ड्रेस ट्राई करते हैं।
वो भी खुश हो गई और वो सारे कपड़े ट्राई करके मुझे बता रही थी। उसके ऐसा करने से मुझे उसका अर्धनग्न शरीर दिखता था.. इससे मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
ड्रेसेज में एक नाइटी भी थी.. जो कि काफ़ी झीनी थी। मैंने उससे पूछा- ये क्यों नहीं ट्राई की? तो वो शर्मा गई और बोली- ये मैं शादी के बाद पहनूँगी। मैंने कहा- ऐसा क्यों?
तो वो कुछ नहीं कह पाई.. लेकिन मेरी ज़िद के कारण वो मान गई और जब वो नाइटी पहन कर आई.. तो क्या बताऊँ यारों.. वो क्या मस्त माल लग रही थी।
मैं उसे देखते ही रह गया.. मेरी नज़र उसकी चूचियों पर ही थी.. नाइटी पतली होने के कारण उसकी भरी हुई चूचियों का साइज़ साफ दिखाई दे रहा था। मैं बड़े गौर से उसके मम्मों का दीदार कर रहा था.. उतने में दीदी ने मुझसे पूछा- क्या देख रहे हो? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
तब जा कर मैं होश में आया और उसके दुबारा पूछने पर कहा- आप तो अप्सरा जैसी लग रही हो। वो शर्मा गई..
बाद में उसने कहा- चलो.. अब साड़ी ट्राई करते हैं। मैंने कहा- आपने तो कभी साड़ी पहनी नहीं.. तो ट्राई कैसे करोगी? उसने कहा- ट्राई तो करना पड़ेगा.. शादी के बाद तो साड़ी ही पहननी है।
हम दोनों साड़ी निकालने लगे। कमरे के दोनों तरफ बिस्तर होने के कारण बीच में बहुत कम जगह थी.. तो दीदी ने कहा- एक काम करो.. दोनों बिस्तर मिला दो ताकि अच्छी जगह हो जाए।
मैंने वैसा ही किया.. दीदी सोच रही थी कि कहाँ से शुरूआत करूँ।
मैंने दीदी से पूछा- क्या सोच रही हो? उसने कहा- मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि कहाँ से शुरूआत करूँ। मैंने कहा- मैं कुछ मदद करूँ? तो उसने मना कर दिया और कहा- मैं खुद ही ट्राई करती हूँ।
ये सुन कर मैं उदास हो गया.. दीदी नाइटी के ऊपर से ही साड़ी पहनने लगी। लेकिन नाइटी सिल्की होने के वजह से वो ठीक से पहन नहीं पा रही थी। उसने मेरी ओर देखा.. और मैं हँस पड़ा।
मैं उसे चिढ़ाने लगा- इतनी बड़ी हो गई और साड़ी भी पहनना नहीं आता। वो गुस्सा हो गई और मुझसे रिक्वेस्ट करने लगी- प्लीज़ मेरी हेल्प करो.. मैंने पहले कभी साड़ी नहीं पहनी है।
मैं बोला- एक काम करो.. माँ से ही पूछ लो। तो उसने कहा- नहीं.. मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहती हूँ.. अब तुम ही मेरी मदद करो।
मैंने कहा- ठीक है एक काम करो.. पहले साड़ी को कमर पर लपेट लो। दीदी बोली- वो ही तो कर रही हूँ.. पर ठीक से बैठी ही नहीं।
मैं बोला- माँ कैसे पहनती हैं? दीदी बोली- वो पहले नीचे पेटीकोट पहनती हैं उसकी वजह से साड़ी को ग्रिप अच्छी मिलती है। मैं- तो तुम भी पहन लो। दीदी- मेरे पास पेटीकोट नहीं है.. मैं नया पेटीकोट लेना ही भूल गई।
मैं- तो अब क्या करें.. दीदी- चलो एक बार फिर से ट्राई करते हैं.. तुम मेरी मदद करो.. साड़ी को कमर पर पकड़ कर रखो.. मैं ट्राइ करती हूँ। अब दीदी साड़ी को कमर पर लपेटने लगी थी और मैंने धीरे से दीदी की कमर पर हाथ रख दिया। हाथ रखते ही मेरे दिल में कुछ होने लगा। दीदी बोली- अरे मुझे लपेटने तो दो..
फिर दीदी ने साड़ी को कमर पर लपेट लिया और मैं आगे से उसकी कमर से साड़ी पकड़ कर खड़ा हो गया। दीदी बोली- अरे बुद्धू आगे नहीं.. पीछे खड़े रहो.. ताकि मैं साड़ी अच्छे से पहन लूँ।
मैं पीछे जा कर खड़ा हो गया। दीदी आगे से थोड़ी झुकी.. साड़ी का पल्लू लेने तो उसकी गाण्ड मेरे तने हुए लंड से टकराई और मुझे झटका लगा। मेरे हाथ से साड़ी गिर गई और दीदी गुस्सा हो गई, उसने गुर्रा कर कहा- ठीक से पकड़ो.. मैंने कहा- आपकी नाइटी बहुत सिल्की है.. तो मैं क्या करूँ?
दीदी सोच में पड़ गई और फिर बोली- एक काम करती हूँ.. तू लाइट बन्द कर दे.. मैं नाइटी निकाल देती हूँ.. फिर ट्राई करेंगे। मैंने कहा- ठीक है.. लेकिन अंधेरे में मुझे दिखेगा कैसे? दीदी बोली- तुझे मैं जितना बोलूँ तू उतना ही करना.. मैंने कहा- ठीक है..
मैंने लाइट बन्द कर दी।
दोस्तो, मेरी दीदी के मन में क्या था.. यह तो मुझे नहीं मालूम था.. पर मुझे उसको चोदने का बहुत मन कर रहा था.. मेरे साथ बने रहिए और मुझे अपने कमेंट्स जरूर भेजिएगा। कहानी जारी है। [email protected]
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