पड़ोसन आंटी की चूत चौड़ी कर दी -2

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दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा.. जब उनकी सहेली ने हम दोनों को अतिथिकक्ष में आराम करने के लिए कहा.. साथ में ‘बेस्ट ऑफ लक’ कहा.. मैं समझ गया कि इसको मेरे बारे में सब पता है। अब आगे..

कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और एक-दूसरे को बुरी तरह से लिपट कर होंठों पर चुम्बन करने लगे।

मैंने आंटी का सलवार सूट उतार दिया और उन्होंने भी मेरी पैन्ट-शर्ट उतार फेंके। कुछ ही पलों में वो 2 पीस में थीं.. हाय क्या गदर माल लग रही थीं।

मैंने देर ना करते हुए उनके मम्मों को मुँह में भर लिया और एक हाथ से दूसरा बोबा दबाने लगा। वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेने लगीं- उह्ह.. ओईईए.. प्लीज़ बेबी.. आराम से..

मैंने उनका दूसरा चूचा मुँह में भर लिया और एक हाथ को उनकी चूत के ऊपर फेरने लगा।

जैसे ही मैंने उनकी क्लिट को छुआ और हल्का सा दबाया.. वो ज़ोर से गाण्ड उठा कर बोलीं- प्लीज़ यार.. मारोगे क्या? मैंने कहा- क्यों बेबी.. उस दिन तुम बड़ी आग दिखा रही थीं.. आज क्या हुआ? उन्होंने कहा- ओह्ह.. जानू बदला ले रहे हो..

मैंने कहा- नहीं जान.. तुमसे कैसा बदला? मैंने यह कहते हुए उनकी पैन्टी को निकाल दिया।

मैंने जैसे ही उनकी गोरी चूत को देखा.. एकदम क्लीन.. शायद उन्होंने कल ही सफाई कर ली थी। मैंने देर ना करते हुए उनकी चूत को मुँह में ले लिया और दोनों टांगों को अच्छे से पकड़ कर चाटने लगा। वो बुरी तरह से अपने सिर को बिस्तर पर इधर-उधर करने लग गईं।

अगले ही पल उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपनी चुदासी चूत पर दबाने लगीं। मेरा मुँह चूत में घुसा ही था कि उन्होंने एकदम से गर्म पानी की पिचकारी छोड़ दी.. और निढाल होकर बिस्तर पर गिर गईं।

जब मैंने उनके चेहरे की तरफ देखा.. तो मुझे लगा कि शायद उन्होंने काफ़ी टाइम से सेक्स नहीं किया था। मैंने उनका सारा पानी चाट लिया और उनको होंठों पर चुम्बन करने लगा।

उन्होंने अपना एक हाथ मेरे अंडरवियर में डाल दिया और मेरे लंड को पकड़ कर खूब सहलाने लगीं।

अगले ही पल उन्होंने मुझे खड़ा किया और अपने हाथों से मेरा अंडरवियर निकाल कर मेरे खड़े लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने में लग गईं।

यार.. वो वक्त तो मानो.. मैं जन्नत में था… मैं भी उनका सिर पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से लंड को उनके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा। ॥कुछ ही पलों में मैं फ्री हो गया और उन्होंने मेरा सारा माल पी लिया।

माल चूसने के बाद भी उन्होंने लगातार मेरे लंड को चूसा जिससे मेरा लवड़ा एकदम खड़ा होने लगा। ।कुछ ही देर में मेरा लौड़ा वापिस 90 डिग्री पर खड़ा हो गया।

मैंने उनको दीवार के पास खड़ा किया और उनकी एक टांग को टेबल पर रखा.. दूसरी को फर्श पर रहने दिया। इससे उनकी चूत खुल कर सामने दिखने लगी।

मैंने फिर से अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और चूत को चाटने लगा। वो मजे से मेरे सिर पर हाथ फेर रही थीं और हल्के से मेरा सिर अपनी चूत पर दबा रही थीं। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

उनके मुँह से ‘आह्ह.. और चाटो..आह्ह..’ की आवाज़ सुनकर मेरा आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था। मैंने उनकी क्लिट को मुँह में लिया और चूसने लगा।

अब वो फिर से फुल मूड में आ गई थीं- यस बेबी.. सक इट..’ वो यह चिल्ला रही थीं। फाइनली उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरे लंड को हाथ में लेकर अपनी चूत पर टिका दिया।

मैंने लंड को ठीक से छेद पर सैट करके शॉट लगाया और मेरा आधा लंड उनकी प्यासी चूत के अन्दर घुस गया। वो उचक पड़ीं.. और मुझे ज़ोर से पकड़ लिया।

मैंने एक शॉट और लगाया और मेरा पूरा लंड उनकी चूत की जड़ में पहुँच गया। फिर एक के बाद एक शॉट लगाता रहा और वो ‘आआहह..’ की आवाज़ निकालती रहीं।

उनकी चुदासी आवाजें मुझे कॉन्फिडेन्स दे रही थीं और मैं दबा कर एक के बाद एक शॉट लगाता रहा। करीब दस मिनट बाद वो अकड़ गईं और झड़ गईं.. उनके गरम पानी से मैं भी पिघलने को था। मैंने बोला- मैं भी आ रहा हूँ.. उन्होंने कहा- आ जा मेरी जान..

फिर 10-15 शॉट के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैंने अपना पूरा गर्म लावा उनकी चूत में छोड़ दिया और हम दोनों बिस्तर पर लेट गए।

तभी उसकी सहेली का फोन आया- क्या कर रहे हो? आंटी ने कहा- कुछ नहीं बस आराम कर रहे हैं। उसने कहा- आ जाओ नीचे मैडम.. दो दिन यहीं हो.. बाद में मजा कर लेना। आंटी ने मुस्कुराकर फोन काट दिया।

सरोज आंटी फिर से मेरे लंड को वापिस सहलाने लगीं और हम दोनों फिर से चुम्बन करने लगे।

एक हाथ से मैं एक उंगली को उनकी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था। कुछ देर में वो एकदम से गर्म हो गईं। अब तक मेरा भी मूड बन गया और चूंकि आराम भी हो चुका था, अबकी बार वो सीधा मेरे ऊपर चढ़ गईं और मुझे किस करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लगा कर एक मिनट में ही चूत में अन्दर तक ले लिया और ऊपर-नीचे होने लगीं।

मैं नीचे से उनका साथ दे रहा था। क्या मस्त पल थे दोस्तो.. मानो जन्नत का मजा आ रहा था। मैं कैसे बताऊँ उनके रसीले आम हवा में उछल रहे थे और मैं उनके चूतड़ों को पकड़कर नीचे से दम से शॉट लगा रहा था।

थोड़ी देर बाद वो बोलीं- नाउ बेबी.. तुम ऊपर आओ ना..त मैं ऊपर आया और दबादब शॉट मारने लगा।

‘आह्ह.. बेबी.. उफफ्फ़.. हार्ड फक मी यार.. और ज़ोर से चोद.. और ज़ोर से.. या.. फक मी!’ मैं दबा-दबा कर शॉट मार रहा था।

कुछ ही देर में हम दोनों पसीने में तर हो गए.. अब तक बीस मिनट हो चुके थे.. वो दो बार झड़ चुकी थीं।

मैंने कहा- जान.. अब मैं आ रहा हूँ..

उन्होंने मुझे जकड़ लिया और चुदाई करते-करते करीबन 20-25 शॉट के बाद मैं उनकी चूत में फ्री हो गया। झड़ने के बाद मैं एकदम निढाल होकर उनके ही ऊपर लेट गया। इस बीच वो भी एक बार और झड़ गई थी।

थोड़ी देर हमने आराम किया और साथ मैं बात करते हुए फंक्शन में चले गए। उनके चेहरे पर एक तृप्त मुस्कान थी। मैं बता नहीं सकता कि वो कितना अधिक खुश थीं।

फंक्शन खत्म होते-होते रात के 11 बज गए थे। हम दोनों ने खाना खाया और फ्रेण्ड को बोल कर सोने के लिए वापिस अपने कमरे में आ गए।

कमरे में आते ही उन्होंने कहा- मैं कपड़े बदल कर आती हूँ। मैंने कहा- किधर जाना रानी.. यहीं बदल लो न। वो हँसते हुए मेरे सामने करने कपड़े खोलने लगीं।

जैसे ही वो ब्रा-पैन्टी में आईं.. और वो नाइटी उठाने लगीं.. मैं खड़ा होकर उनके पास गया और उनके अपनी बांहों में लेकर उनके होंठों पर चुम्बन करने लगा।

वो बोलीं- वाह्ह.. बेबी.. क्या बात है.. इतना मन हो गया। मैंने उनकी गाण्ड पर हाथ फेरते हुए कहा- बेबी.. मुझे गाण्ड मारनी है.. उसने कहा- नो वे.. नेवर.. मैंने कहा- क्यों?

मैंने उनको बिस्तर की तरह धक्का दिया और अपने कपड़े निकाल कर उसको लौड़ा मुँह में लेने का इशारा किया।

उन्होंने भी देर ना करते हुए लण्ड को मुँह में ले लिया। दस मिनट चूसने के बाद मैंने उनको खड़ा किया और पैन्टी को निकाल कर उन्हें डॉगी स्टाइल में बिस्तर पर हाथ रख कर खड़ा कर दिया।

अब मैं उनकी गाण्ड को चाटने लगा। वो थोड़ी-थोड़ी कसमसाईं.. और तभी मैंने लंड को गाण्ड के छेद पर सैट किया और कमर पकड़ कर हल्के से पुश किया.. लेकिन लण्ड अन्दर नहीं गया। मैंने टेबल पर पड़ी क्रीम उठाई और थोड़ी उसकी गाण्ड के अन्दर उंगली के साथ लगाई।

जब उंगली गाण्ड के अन्दर गई.. तो वो चिल्ला उठीं ‘प्लीज़ दर्द हो रहा है..’ मैंने लण्ड बाहर निकालते हुए कहा- बेबी एक बार होगा.. थोड़ा सहन कर लो प्लीज़..

मैंने लंड में और ज्यादा क्रीम लगा कर गाण्ड के छेद पर फिर से लंड को सैट किया.. फिर एक ज़ोर का शॉट लगाया। मेरा आधा लंड गाण्ड में अन्दर घुस गया।

वो फिर से चिल्ला उठीं।

मैंने जल्दी से उनका मुँह दबाया और एक और शॉट खींच दिया। अब लौड़ा पूरा अन्दर.. वो बुक्का फाड़ कर रोने लगीं।

उन्होंने मेरे हाथों पर अपने दाँतों से निशान बना दिए। तभी मैंने एक चांटा उसकी गाण्ड पर लगाया और हल्के-हल्के शॉट देना शुरू कर दिया। कुछ धक्कों के बाद उन्हें भी मजा आने लगा और वो उछल-उछल कर गाण्ड मरवाने लगीं।

तकरीबन 20 मिनट की चुदाई हुई होगी.. मैंने उनसे कहा- गाण्ड में छोड़ दूँ क्या? उन्होंने कहा- नो बेबी.. प्लीज़ चूत में आओ ना।

मैंने जल्दी से लंड बाहर निकाला और उनको सीधा करके उनकी चूत में एक शॉट में अन्दर तक लण्ड घुसेड दिया। केवल 2-3 मिनट बाद उनका जिस्म अकड़ने लगा और हम दोनों एक साथ फ्री हो गए। थकान का आलम ये था कि इस बार पता ही नहीं चला कब नींद आ गई।

अगले दिन हम दोनों ने 5 बार और खींच कर चुदाई की और उसके बाद हम दोनों घर आ गए।

फिर 2-3 दिन बाद उन्होंने बताया- तुमने मेरी चूत चौड़ी कर दी है। फ़िर मुझे बताया कि जिस फ्रेण्ड की शादी हुई थी.. वो हम दोनों के साथ एंजाय करना चाहती है। मैंने कहा- ठीक है।

दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी? मुझे आपके ईमेल का इन्तजार है। [email protected]

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