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मैं रवि.. मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है। मेरा रंग एकदम गोरा-चिट्टा है.. अच्छे हथियार का मालिक हूँ। मैं सेक्स में हद से ज्यादा रूचि रखने वाला इन्सान हूँ। मैं अपनी पहली कहानी आप सबके सामने ला रहा हूँ.. आपको अच्छी लगेगी.. ऐसी उम्मीद करता हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी बहुत दूर की मौसी के बीच की है।
बात उस समय की है.. जब मैं अपनी 12 वीं की परीक्षा पास करके इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए नागपुर आया था। मेरे नागपुर में दाखिले का सुझाव मेरी दूर की मौसी ने ही मेरे पापा को दिया था.. क्योंकि वो उसी कॉलेज में लेक्चरर थीं। वो दिखने में क़यामत.. मध्यम कद की सांवली अविवाहित मस्त आइटम थीं.. उनकी उम्र 29 की थी। उनके परिवार वाले उनकी शादी करने के लिए रिश्ते देख रहे थे।
पर मेरे को क्या.. माँ चुदाए शादी.. मुझे तो साफ-साफ चूत से मतलब है.. पर साली चुदाई तो एक साइड में थी.. पहले तो गाण्ड फटी में कॉलेज का टेंशन सर पर था।
कॉलेज की तरफ से उनको रहने के लिए मकान दिया गया था। शुरू में मैं उनके साथ ही रह रहा था.. बाद में मैं हॉस्टल चला गया। कॉलेज के कैम्पस में ही सब था। उनका मकान भी और हॉस्टल भी।
घर छोटा था एक बेडरूम.. हॉल और रसोई बस था। जब मैं उनके साथ रहता था.. तो बस हरकतें देखा करता था।
तो मुझे उनकी निगरानी करने में ज्यादा तकलीफ नहीं थी। जैसे जब वो नहा कर निकलती थीं.. तो बस मैं देखता रहता था। मैं उनके बदन की खुशबू महसूस करने के लिए उनके नहाने के बाद नहाता था।
उनके उतारे हुए कपड़े सूंघ कर अपने आपको शांत करने के लिए मुझे ऐसा करने में बेहद मजा आता था। वैसे मेरा और उनका कॉलेज टाइमिंग एक ही था.. इसलिए आना-जाना भी साथ में ही होता था।
उन दिनों बारिश का मौसम था.. मैं कॉलेज से जल्दी आ गया था और अपना कॉलेज असाइनमेंट कम्पलीट कर रहा था। बाहर बारिश पूरे शवाब में हो रही थी। तभी मौसी आईं.. वे पूरी भीग चुकी थीं।
मैं उनको इस रूप में बस देखते ही रह गया।
उन्होंने कहा- ओह्ह.. कितनी तेज बारिश हो रही है.. आज तो मैं पूरी भीग गई। मैंने कहा- आप कपड़े बदल लो.. मैं चाय बनाता हूँ।
चूँकि घर में सिर्फ हम दोनों ही रहते थे.. तो काम में मैं भी हेल्प करता था। वो कपड़े बदलने के लिए जा रही थीं और मैं वासना के सपने देख रहा था। बारिश में भीगी लड़की के बारे में आप जानते ही होंगे। उनके बालों से टपकती पानी की बूँदें.. जब उनके दूध के नुकीले हिस्से में जा रही थीं.. तो हाय.. मेरा मन कर रहा था कि अभी उनके कपड़े फाड़ कर.. पटक कर चोद डालूँ।
मगर मैंने कण्ट्रोल किया, बस एकटक देखता रहा।
वो पूछने लगीं- क्या हुआ.. क्या देख रहे हो? मैंने मन में बोला कि पूरा स्कैन कर लिया है.. अब तो बस आपकी नथ उतारना बाकी है।
‘क्या हुआ?’ मैं हड़बड़ा कर बोला- आज तो बारिश बहुत जोर से हो रही है..
मैं चाय बनाने लगा और वो मूड बनाने लगीं, मेरा मतलब वो कपड़े बदलने चली गईं।
वैसे बॉस जब शादी की उम्र हो जाए.. तो सामने वाले के मन में क्या चल रहा है.. सब समझ में आ जाता है। बस मुद्दा ये था कि शुरूआत कौन करे। जब सामने इतना जबरदस्त माल हो.. तो देर करना सबसे बड़ी चूतियाई होगी।
वो कपड़े बदल कर आईं.. ऊपर ढीले गले का टॉप.. अन्दर ब्रा की कुछ खास आवश्यकता नहीं थी। वो सोच रही होंगी कि भांजे से क्या शर्माना। लेकिन यहाँ कौन जाने कि भांजे के मन में प्रेम चोपड़ा… रंजीत.. शक्ति कपूर से भी बड़ा कामुक इन्सान बैठा है।
मैंने चाय सर्व की और सामने जा कर बैठ गया। अच्छा उन्होंने नीचे जो लहंगानुमा पहना हुआ था.. वो उनके घुटने तक था। अगर सही एंगल में बैठ जाएं.. तो सफ़ेद चड्डी.. जिसमें यौन रस की बूंदें और उसके अन्दर छिपी हुई नादान चूत के बारे में अंदाज़ लगाया जा सकता है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर उनसे कॉलेज की बातें होने लगीं.. मैं उनसे.. उन सबके बारे में पूछने लगा। उन्होंने मुझसे पूछा- अब तक कोई गर्लफ्रेंड बनाई है? मैंने बताया- नहीं..
तो उनकी आँखों में एक चमक सी दिखाई दी.. पर मुझे समझ नहीं आया।
उनके सीने को मैं इस तरह से देखता था कि मन करता था.. धीरे से टॉप निकाल कर सांवले से दूधों को हल्के से होंठों में दबा कर पी लूँ। पर मैं वक्त की नजाकत के हिसाब से चल रहा था।
एक दिन मेरे घर पर उनकी सहेली आई.. उसकी भी शादी तय हो गई थी, मगर दिखने में वो कुछ खास नहीं थी।
वो बोलते हैं ना.. माल यदि मुफ्त में भी मिले.. तो महंगा लगता है। मेरा सारा ध्यान तो घर के माल पर ही था।
मौसी ने उससे कहा- आज रात को यहीं रुक जाओ.. बातें करेंगे।
वो भी तैयार हो गईं.. और मैं सामने वाले कमरे में बैठ कर पढ़ने लगा। पढ़ने में तो झांट मन नहीं था.. बस चूत चुदाई के सपने देख रहा था।
वो दोनों अपनी बातें करने में लग गई.. चूँकि घर बड़ा नहीं था.. तो उनकी बातें मैं भी सुन रहा था। मैं जानता था कि सामने वाले की शादी होने वाली है.. तो बातें किस टाइप की हो रही होंगी।
उन दोनों की बातें धीरे-धीरे सेक्स पर आ गईं, मैं सब सुन रहा था।
उनकी फ्रेंड ने बोला- तेरे घर पर भी तो जवान लड़का है.. खुलवा ले अपनी सील..
इतना सुनते ही मेरा मन घी की मिठाई बाँटने का होने लगा। पहला एक तो सील पैक माल.. दूसरा सील तुड़वाने की चाहत। इस बात पर मन किया कि लगे हाथ उसकी दोस्त को निपटा दूँ।
वो बोलीं- हाँ है तो.. पर पता कैसे करूँ.. कि वो मुझे चोदना चाहता है। तो उसकी दोस्त ने ज्ञान दिया- सेक्सी कपड़े पहन और फिर लौंडे की निगाहों का पीछा कर..
वो मान गई.. फिर इधर-उधर की बातें होने लगीं। रात के 9 बज रहे थे.. खाना खाने का भी टाइम हो गया था। फिर हम तीनों नीचे बैठ कर खाना खाने लगे।
बार-बार मेरी नज़र कभी मौसी के सीने में झाँकने की कोशिश कर रही थी.. तो कभी लहंगे के अन्दर मासूम चूत देखने की जिद कर रही थी।
वो दोनों तो अपनी बातों में लगी हुई थीं और मैं अपने काम में लगा था। उनकी सहेली ने मेरी निगाहें पढ़ लीं.. वो समझ गई कि प्रभा (मेरी मौसी का नाम) की नथ उतरने में ज्यादा देर नहीं है। उसे लगने लगा था कि शायद उसकी शादी के पहले ही प्रभा का कौमार्य भंग हो जाएगा।
इस घटना को यहीं रोक रहा हूँ.. आगे का हाल बाद में लिखूंगा जब आप लोग मुझे ईमेल करेंगे। [email protected]
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