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अब तक आपने पढ़ा..
अंकल ने मेरी जांघों में ऊपर चढ़ा कर पैंटी को मेरी चूत और कमर पर फिट कर दिया और मुझे लेकर शीशे के सामने आकर कहा- देखो तुम्हारे खूबसूरत बदन पर ये कितनी शानदार लग रही हैं!
शीशे में मैंने देखा तो मैं लजा गई, लग ही नहीं रहा था कि मैंने पैंटी पहनी है। इसमें मैं एकदम नंगी दिख रही थी, मेरी योनि की लकीर भी साफ झलक रही थी।
अब आगे..
लेटेक्स का होने के सबब यह ब्रा और पैंटी मेरे जिस्म पर एकदम चिपक गई थी.. इनका रंग बिल्कुल मेरे बदन जैसा था और ऊपर से बिल्कुल पारदर्शी.. सिर्फ़ मेरे जिस्म को यह महसूस हो रहा था कि मेरे जिस्म पर कुछ पहना हुआ है। देखने वालों को लगता था कि मैं बिल्कुल नंगी हूँ।
अंकल मुझे लगातार निहार रहे थे। मैं मुँह से कुछ नहीं बोल रही थी.. लेकिन अंकल के हर एक्ट का जवाब बाडी लैंगवेज से बराबर दे रही थी।
फिर अचानक ही मैं बोल पड़ी- अंकल यह आप मेरे लिए क्यों लाए? उन्होंने कहा- बस अच्छा लगा तो ले लिया.. और सचमुच यह तुम पर कितना जॅंच रहा है।
मैंने कहा- लेकिन इसे पहन कर तो लगता ही नहीं कि मैंने कुछ पहना हुआ है.. अंकल बोले- तो क्या हुआ.. वैसे भी ये तो अंडरगारमेंट्स हैं.. ये तो बस खास लम्हों में देखने की चीज़ें हैं..
अब हम दोनों के बीच कोई खास झिझक नहीं रह गई थी। अंकल और मैं कुछ बोले बिना ही एक-दूसरे के इतना समीप आ गए थे कि हमारे जिस्मानी रिश्ते की राह बेहद आसान हो गई थी। मुझे लग रहा था कि अंकल के सीने से लग कर उन्हें खूब प्यार करूँ।
मैं अंकल से बिल्कुल लगी हुई खड़ी थी, अंकल ने कहा- आओ.. तुम्हें अपना बाथरूम भी दिखा दूँ। यह सुन कर मेरा दिल धड़कने लगा, मैं तो पहले ही अंकल का बाथरूम देख चुकी थी और वहाँ अपना पानी भी निकाल चुकी थी।
मुझे लगा कि बाथरूम में जो चीज़ें रखी हैं.. अंकल शायद उनके बारे में मुझे बताएँगे। मैं भी जानना चाहती थी कि वहाँ कई प्रकार के डिल्डो आख़िर क्यों रखे हैं।
अंकल मुझे लेकर बाथरूम में आ गए। अन्दर आते ही उन्होंने मेरे लबों को चूमना शुरू कर दिया। फिर मेरे मम्मों को सहलाने लगे। मैं भी पूरी तरह मस्त थी.. इसलिए अंकल की इन हरकतों का बराबरी से जवाब देने लगी।
अंकल अब पूरे जोश में आते जा रहे थे.. उन्होंने लैटेक्स की ब्रा को बड़ी आसानी से हुक खोल कर नीचे गिरा दिया। फिर वह मेरी जांघों के बीच में हाथ डाल कर ठीक बुर के सुराख को उंगली से सहलाने लगे। मैं एक बार फिर से मस्ती में झूमने लगी.. मेरी आँखें बंद हो गईं।
अंकल ने अब अंडरवियर भी खींच कर मेरे पाँव से बाहर निकाल दिया। मैं सेक्स के नशे में भीग कर अंकल के जिस्म पर अपनी उंगलियाँ के नाख़ून और दाँत गाड़ने लगी थी।
तभी अंकल ने जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके और मुझे लेकर बाथटब में आ गए।
बाथटब होश उड़ा देने वाली खुशबू वाले पानी से भरा था। उसमें गुलाब की पंखुड़ियाँ तैर रही थीं। अंकल ने मुझे अपने ऊपर किया और मेरे मम्मों के निप्पल पर अपनी ज़ुबान फेरने लगे। मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी।
अब मुझे लग रहा था कि अंकल के लंड को पकड़ कर अपनी योनि में डाल लूं और अपने आप ही मेरा हाथ अंकल के लण्ड पर चला गया।
इसके हाथ में आते ही मुझे ऐसा लगा कि कोई आग में तप रहे लोहे की रॉड को मैंने छू लिया है। लेकिन यह इतना चिकना.. मज़ेदार और ठोस लगा कि मैं इसे दबाने की कोशिश करने लगी। ऊपर के लण्ड मुण्ड पर जब मेरी हथेली लगी.. तो मेरे जिस्म की मस्ती और भी बढ़ गई।
अंकल भी बेहाल हो गए.. उन्होंने मुझे उठा कर अपने मुँह पर बैठा लिया और मेरी अनछुई बुर को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे। उनके ऐसा करने से मेरा बदन अकड़ने लगा.. मेरा पूरा जिस्म एक नए जोश से भर गया।
अंकल अपनी ज़ुबान मेरी बुर में एक-डेढ़ इंच तक अन्दर डाल कर उसे ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगे। तभी मैं होश ओ हवास से बेगाना हो गई.. मेरी साँसों में तूफान उठने लगा और मेरी बुर ने झरझराकर ढेर सारा पानी छोड़ दिया। मुझे लगा कि मेरी बुर के रास्ते मेरी जान निकली जा रही है। मैं पिघल कर अंकल की गोद में समा गई और पूरी ताक़त से उनसे चिपट गई।
अंकल ने भी मुझे खूब ज़ोर से अपने से भींच लिया और मेरी कमर और मेरे चूतड़ों पर अपने भारी हाथ फेरने लगे। मैं पहली बार किसी मर्द के इतना क़रीब उस के बाजुओं में सिमटी हुई झड़ी थी।
मुझे बहुत मज़ा आया.. मेरा जिस्म एकदम हल्का-फुल्का होकर हवाओं में जैसे उड़ रहा था। मैं काफ़ी देर तक आँखें बंद किए अंकल के आगोश में पड़ी रही।
अंकल लगातार मेरे जिस्म से खेल रहे थे.. कभी मेरे होंठों को चूसते.. कभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देते.. कभी मेरे मम्मों को सहलाने लगते.. कभी उन के निप्पलों को चूसते.. कभी उन पर हौले-हौले अपने दाँत गाड़ते.. कभी अपने एक हाथ की उंगली मेरी बुर के चीरे पर ऊपर से नीचे और कभी नीचे से ऊपर फिराते.. आह्ह.. मैं मदमस्त होने लगी थी।
अब उनके लिए अपने लंड को क़ाबू में रखना बहुत मुश्किल हो गया था, उन्होंने अपने ऊपर से मुझे उठाया और मेरा बाज़ू पकड़ते हुए बाथटब से बाहर आ गए, नीचे फर्श पर लगे शीशे पर लेट गए और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।
मैं चिकनी मछली की तरह फिसलती हुई उनके जिस्म पर आ पड़ी। वे मेरे पूरे जिस्म को चूमने-चाटने लगे और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने बेहद सख़्त हो चुके लंड पर रख दिया।
मैं उनके लण्ड को पकड़ कर बड़ी नज़ाकत से अपनी नर्म मुलायम हथेलियों के बीच ऊपर-नीचे करने लगी। बस अंकल तो बिल्कुल तड़प उठे.. वह कहने लगे- बेबी जल्दी-जल्दी करो.. अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता.. और तेज़.. खूब तेज़.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं समझ गई कि अंकल का अब रस निकलने वाला है, उनका लंड अब पत्थर की तरह सख़्त हो गया था, मेरा मन इसे अपनी आँखों के सामने देखने का कर रहा था। लेकिन अंकल मुझे पूरी ताक़त से अपने से लपेटे हुए थे।
मैं अपनी हथेलियों को गोलाई में करके अंकल के लंड के बिल्कुल नीचे जड़ पर ले जाकर खूब ज़ोर-ज़ोर से गोलाईयों में ही जल्दी-जल्दी खोल-बंद करने लगी।
तभी अंकल एकदम से पलट गए.. मैं उनके नीचे दब गई। उन्होंने कहा- अपनी मुट्ठी में यूँ ही लण्ड को पकड़े रहना..
और बड़ी तेज़ी से अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगे.. उनके जिस्म के दबाव से मेरी मादकता भी बढ़ने लगी। उनके लण्ड का ऊपरी भाग.. मेरी जांघों के बीचों-बीच सटासट उधम मचा रहा था.. मुझे लग रहा था.. अगर अंकल अपना लण्ड मेरी योनि में डाल देते.. तो मज़ा आ जाता।
तभी अंकल ‘आह्ह्ह्ह्ह.. मेरी जानंनन..’ करते हुए मेरे गालों को चूमते हुए मुझ पर ढह गए।
कुछ देर तक यूँ ही पड़े रहने के बाद अंकल मुस्कुराते हुए मुझ पर से उठे और मेरे लबों को चूम लिया। हम दोनों पूरे तो नहीं.. मगर काफ़ी हद तक संतुष्ट थे।
मगर असली चुदाई की मेरी खावहिश बहुत बढ़ गई थी। अंकल ने उठ कर पहले मेरा हाथ और मेरी जांघों को पाइप लेकर पानी डाल कर साफ किया.. क्योंकि अंकल के वीर्य मेरे हाथ और जांघों पर भर गया था।
फिर अंकल ने कहा- हमें अब अपनी पूरी सफाई करनी चाहिए।
यह कह कर उन्होंने खूबसूरत शेल्फ पर पड़े एक डिब्बे को खोल कर उसमें से पाइप जैसी कोई चीज़ निकाली.. सुनहरे रंग की यह पाइप लगभग एक इंच मोटी और काफ़ी लंबी थी। इसके एक सिरे पर सख़्त रबड़ का गेंद सा लगा हुआ था.. जिसके आगे छोटा सा छेद था और दूसरे सिरे पर वॉटर टैब से जोड़ने के लिए मुँह बना हुआ था। मैं इसे ताज्जुब से देखने लगी कि यह आख़िर है क्या।
अंकल ने कहा- देखो यह किस काम आता है..
उन्होंने उसका एक सिरा वॉटर टैब से जोड़ा और दूसरी तरफ बने गेंद पर एक शीशी से खुशबूदार चिकनाई वाली जैली निकाल कर उस पर लगाया और फिर जाकर कमोड पर बैठ गए। उन्होंने पाइप से लगे गेंद को अपनी पिछली सुराख में ज़ोर लगा कर अन्दर किया और पानी का नलका खोल दिया। एक हल्की सी सीटी की सी आवाज़ निकली.. साथी ही पानी की तेज़ धार उनकी सुराख से नीचे गिरने लगी।
धीरे-धीरे वह पाइप को अन्दर आगे बढ़ाने लगे.. कई इंच पाइप उनकी गाण्ड में अन्दर चला गया.. जिससे थोड़ा गंदा पानी उनकी गाण्ड से बाहर आकर कमोड में गिरने लगा
अंकल पाइप को लगातार अन्दर-बाहर करने लगे.. मानो जैसे ब्रश से अन्दर की सफाई कर रहे हों। काफ़ी देर तक ऐसा करने के बाद वह कमोड से उठ आए और उन्होंने मुझसे कहा- आम तौर पर लोग अपने पेट की पूरी सफाई नहीं करते.. इस तरह अच्छी सफाई हो जाती है.. तुम भी अपनी सफाई कर लो।
मुझे थोड़ा अजीब लगा.. लेकिन मैं अंकल को अपने गाण्ड की सफाई करते देख कर काफ़ी रोमांचित हो गई थी.. इसलिए मैं भी इसी प्रकार अपनी सफाई करने पर तैयार हो गई।
अंकल ने ऐसी ही एक दूसरी नई पाइप निकाली.. इसका रंग लाल था.. उस पर लगी गेंद का कलर भी बिल्कुल सुर्ख था। अंकल ने खुशबूदार चिकनाई वाली जैली की शीशी निकाल कर पाइप की गेंद पर ढेर सारी जैली लगा दी और मुझे पाइप थमा दिया।
मैं जाकर कमोड पर बैठ गई और गेंद को अपनी गाण्ड में अन्दर करने की कोशिश करने लगी.. लेकिन वह अन्दर जाने की बजाए स्लिप कर रहा था। शायद मेरी गाण्ड का छेद कसा और छोटा होने से गेंद अन्दर नहीं जा रहा था।
अंकल बोले- पहले नीचे की तरफ थोड़ा ज़ोर लगाओ और फिर गेंद को अन्दर करो।
मैंने वैसा ही किया.. तब भी गेंद मेरी गाण्ड में नहीं घुस रही थी। तब अंकल मेरे क़रीब आए.. उन्होंने पाइप वाली गेंद मुझसे ले ली और मुझे बोले- तुम नीचे की तरफ ज़ोर लगाओ..
मैंने वैसा ही किया.. तो अंकल ने अचानक ही तेज़ी से गेंद मेरे सुराख पर रख कर कस कर अन्दर ठेल दिया.. खूब चिकना होने और अंकल के पूरा ज़ोर लगा कर अन्दर ठेलने की वजह से गेंद सड़ाक से अन्दर चली गई..
लेकिन मुझे तेज़ दर्द होने लगा.. मैंने कहा- उफ.. अंकल इसे निकाल दीजिए.. मुझे काफ़ी दर्द हो रहा है। तब अंकल ने हँसते हुए कहा- दर्द अभी ख़त्म हो जाएगा.. तुम थोड़ा सा बर्दाश्त करो..
यह कह कर अंकल पाइप को अन्दर ठेलने लगे.. गेंद अन्दर आगे सरक गया तभी अंकल ने वॉटर टैब से पानी खोल दिया.. अचानक मेरे अन्दर गुदगुदी होने लगी।
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कहानी जारी है। [email protected]
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