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नेहा बोली अब तुम्हारे लिए बदनामी में भी नाम ही है मैं ऐसी ही नंगी जाऊँगी कोई कुछ भी कहे। और उसने दरवाज़ा खोला और चली गई अपने कमरे में। पर शायद कोई नहीं था सामने इसलिए अपने कमरे में चली गई।
मैंने एक तौलिया लपेटा और चला गया नीचे। मधु और शिखा बातें कर रहे थे और दूसरा कमरा लॉक था। मैंने कहा- नीलेश कहाँ है? मधु ने उस कमरे की तरफ इशारा किया।
मैंने दरवाज़े के लगभग बगल में खड़े होकर कहा- क्यूँ बे… क्या कर रहे हो अंदर! नीलेश बोला- भाई तू भी कर ले, अब क्या तुझे भी बताना पड़ेगा की मियां बीवी दरवाज़ा बंद करके क्या करते हैं। उसे पता था कि शिखा यही है इसलिए ऐसे बोला होगा।
मैंने कहा- ओके एन्जॉय! और नीता को 2 किस्सी मेरी तरफ से भी दे देना। मेरी ऐसे बेबाकी से शिखा झेंप गई, वहीं मधु थोड़ा इतराते हुए बोली- आपको शर्म तो नहीं आती है न? मैंने कहा- दोस्ती यारी में थोड़ा बहुत चलता है।
शिखा को चिढ़ाते हुए कहा- शिखा चलो तुम भी बाहर जाओ अपने कमरे में… तुम्हारी भाभी के साथ भी वही करूँ जो तेरा भाई तेरी दूसरी भाभी के साथ कर रहा है। शिखा बोली- आप तो बड़े बेशरम हो! और कमरे से जाने लगी।
शिखा गुस्से में पैर पटक कर बाहर जा रही थी तो मैंने उसे दौड़ कर पकड़ लिया और कहा- यार, तू तो गुस्सा हो जाती है। अपन लोगों भी थोड़ा मजाक तो चलता है न? वो बोली- मैं भी तो मजाक ही कर रही थी। मैंने उसे जान करके गले लगा लिया।
शिखा थोड़ी असुविधाजनक स्थिति में थी। मैंने गले लगकर कुछ ऐसे शो किया कि मधु को कुछ नहीं दिख रहा और उसके बूब्स को ज़रा छेड़ दिया। शिखा धीरे से मेरे कान में बोली- भाभी यहीं बैठी हैं। आप ऊपर आओ, आपका इंतज़ार करुँगी।
मैंने उसे छोड़ा तो वो ड्राइंग रूम की तरफ भाग गई। मधु बोली- क्या हुआ? कर आये नेहा दी की चूत का उद्घाटन? मैंने कहा- हाँ, हो गया उसका काम। मधु बोली- अब जाकर शिखा दी को भी शांत कर दो… इतनी देर से बैठी बैठी अपनी आग छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
मैंने कहा- हाँ, जाता हूँ, पर तुम्हारा क्या होगा? मधु बोली- अरे अभी दोनों (नीता और नीलेश) को इधर बुला लूँगी। मेरी चिंता मत करो, आप जाओ और जाकर एक और सील तोड़ कर आओ, फिर देखते हैं आगे क्या करना है।
मैंने जल्दी से नीलेश की दरवाज़े पर दस्तक दी और कहा- खोल दो बे… नीता ने एक मिनट बाद दरवाज़ा खोला और बोली- आ जाओ भाभी!
नीता मेरे सामने नंगी ही खड़ी थी। मैंने नीता के बूब्स मसल कर कहा- आज बीवी के साथ ही लगा पड़ा है, क्या हुआ?
नीलेश बोला- क्योंकि शिखा यहीं थी तो भाभी को अपने कमरे में लेकर दरवाज़ा कैसे बंद करता। और दूसरी बात तूने नेहा की चुदाई कौन से कमरे में की थी? मैं सब जगह से ढूंढ कर आ गया पर कहीं से नहीं दिखे तुम लोग?
मैंने कहा- चिंता मत कर… तुझे रिकॉर्ड करना था न, वो मैंने कर लिया है, तू अभी तेरी भाभी की ज़रा सेवा कर… मैं आया शिखा की सेवा करके।
नीता मेरे लंड को तौलिये के अंदर हाथ डाल के सहलाते हुए लंड की तरफ देखकर बोली- ऐसी चुदाई करना शिखा दी की कि वो ज़िन्दगी भर याद रखे… जैसे मेरी चूत की की थी।
मैंने नीता के चूतड़ दबा दिए।
मैं लगभग भागता हुआ शिखा के कमरे में आया तो शिखा डबल तकिया लगाके के कमरे को कश्मीर की तरह ठंडा करके रजाई ओढ़े लेटी हुई थी। मैंने कहा- अरे यार, AC बंद करो, बहुत ठंडा हो रहा है। शिखा बोली- तो आप रजाई में आ जाओ, थोड़ी देर में इतना गर्म कर दूंगी आपको कि यही मौसम अच्छा लगने लगेगा।
मैं तुरंत बिस्तर पर कूदा और रजाई के अंदर घुस गया। रजाई में लेटने की प्रक्रिया में मेरा तौलिया खुल गया था पर रजाई मेरे ऊपर थी।
मैंने शिखा को बाँहों में भरा तो पाया कि माँ की लौड़ी ने कुछ पहना ही नहीं था, बिल्कुल नंगी पड़ी थी। मैंने कहा- शिखा यार, तू तो बहुत गर्म लग रही है, लगता है तेरे ऊपर चुदने का भूत सवार हो चुका है।
शिखा बोली- आप तो मेरे बदन को अभी छू रहे हो, मैं तो सपनों में कई सालों से आपको अपने साथ सुला रही हूँ। पता नहीं सपनों में मैंने आपके साथ क्या क्या किया है। इसलिए आपके सामने नंगी होने पर मुझे बिल्कुल भी अलग नहीं लग रहा। पता नहीं क्यूँ मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मैं अभी भी सपना ही देख रही हूँ। इसलिए चाहती हूँ कि आप मेरे बदन को मसल दो, मुझे छू लो जिससे मैं अपने सपनों की दुनिया से बाहर आ जाऊँ।
मैं शिखा के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को उसकी जांघों पर रगड़ते हुए शिखा के बूब्स को दबा दबा कर चूसने लगा। शिखा बोली- भैया, आप नहीं जानते जब किसी का जब सपनों का शहजादा उसके ऊपर नंगा पड़ा हो तो नीचे पड़े इंसान को कैसा लगता है।
फ़िर बोली- आपका लंड गीला क्यूँ है भैया? मैंने यों ही कह दिया- अभी तेरी भाभी से चुसवा के चला आ रहा हूँ। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
शिखा बोली- ओह्ह अपनी चुदाई के चक्कर में मैं तो ये भूल ही गई कि यार वो अकेली क्या करेंगी और आप उन्हें क्या बोल कर आये हो? कहीं वो हम पर शक न करे। मैंने कहा- चिंता मत कर, उसे नींद आ रही थी तो मैंने कहा कि मैं बाहर की कमरे में टीवी देख रहा हूँ।
शिखा बोली- जब मैं थी आपका लौड़ा चूसने के लिए… तो उनसे क्यूँ चुसवा कर आये? मैं बोला- यार, मैंने नहीं बोला था उसे… वही ज़बरदस्ती मेरे लंड निकाल कर चूसने लगी। अब ऐसे मना करता तो अच्छा नहीं लगता। शिखा बोली- अरे छोड़ो… वो तो वैसे भी आपका लंड रोज ही लेती होंगी, उनसे तो मुझे सिर्फ प्यार ही इसलिए है कि वो मेरे सपनों के शहजादे के साथ रोज सोती हैं। राहुल भैया, आप बताओ अपनी बहन शिखा को किस रूप में देखना चाहोगे? किस तरह आप अपनी बहन को चोदोगे जिससे आपको मज़ा आये। मेरी चिंता मत करना क्योंकि आप तो मेरे साथ सिर्फ नंगे पड़े रहोगे तो भी मैं खुश ही हूँ।
मैंने कहा- शिखा, इतना सेंटी मत कर यार… मैं तुझे यहाँ लाया ही इसलिए जिससे तू खुल कर चुद सके और मजे ले। पर जब आज तू नहा रही थी तब मैंने तेरा बदन देखा था। इतना खूबसूरत बदन मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी में कभी अपनी नंगी आँखों से नहीं देखा। पर टीवी वगैरह पर ज़रूर देखा होगा। मुझे तुम अपने जिस्म के जलवे दिखाओ… मेरे सामने नंगी खड़ी होकर डांस करो… मुझे अपने बदन के हर हिस्से को छूने दो और तुम मेरे बदन के हर चीज़ को छुओ और पकड़ो और मुझे अपना मुरीद बना लो।
कहानी जारी रहेगी।
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