सविता भाभी गाँव के तालाब में चुद गई

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आप सभी को मेरा वासना भरा प्रणाम.. मैं भी आपकी तरह अन्तर्वासना पर सेक्स कहानियाँ पढ़ता हूँ। आज मेरे मन में भी अपनी आपबीती कहानी सुनाने को दिल चाहा.. मुझे उम्मीद है कि आप सभी को जरूर अच्छी लगेगी।

मेरी कहानी तब की है.. जब मैं गाँव में रहता था। उस समय मैं करीब 21 साल का था और मुझे सेक्स में बहुत मजा आता था.. अब भी आता है।

मैं गर्मियों के दिन में छुट्टी में अपने खेत के पास वाले तालाब पर दोपहर में नहाने जाता था। एक बार ऐसे ही छुट्टी के दिन में मैं अपने खेत पर गया था। गर्मी ज्यादा होने के कारण नहाने को दिल कर रहा था.. तो मैं तालाब की ओर जाने लगा।

तालाब पर पहुँचा तो वहाँ कोई भी नहीं था.. तो मैंने सोचा आज बिल्कुल नंगा होकर नहाने का आनन्द लिया जाए।

मैं नंगा होकर पानी में उतरा.. मेरा लंड एक अनजानी सी सोच से तनकर खड़ा हो गया था। मैं अपने हाथ उसे सहलाने लगा.. तो वह और मुसंडी मारने लगा और मुझे बहुत मजा आने लगा।

कुछ समय बाद मेरे खेत के पास वाली खेत की सविता नाम की भाभी वहाँ कपड़े धोने पहुँच गई। मैं उसे देखते ही घबरा गया और मेरी हालत खराब हो गई.. क्योंकि मैं नंगा था। मुझे लगा कि वह मुझे नंगा न देख ले और किसी से कह न दे।

उसने मुझे देखते ही कहा- अरे राजू तू कब आया और आज अकेला ही है.. तेरे दोस्त कहाँ गए? मैं- नहीं भाभी आज कोई नहीं आया.. मैं अकेला ही आया हूँ। सविता- खेत में और कौन है? मैं- कोई नहीं.. मैं अकेला ही आया हूँ.. बापू भी किसी काम से घर गए हैं।

सविता- गर्मी बहुत है.. नहाने में बहुत मजा आ रहा होगा न। मैं- हाँ भाभी बहुत मजा आ रहा है.. सविता- मेरा भी दिल तो कर रहा है नहाने को.. मैं- तो नहालो न.. सविता- पहले कपड़े धोती हूँ फिर नहाऊँगी।

फिर सविता भाभी कपड़े धोने लगी। जब भाभी झुककर कपड़े धो रही थी.. तो उनके बड़े-बड़े मम्मे नजर आने लगे थे और वे हिल रहे थे.. बाहर आने को तरस रहे थे। मेरी नजर वहाँ से हट ही नहीं रही थी, मैं उन्हें ही देखता रहा।

सविता भाभी की नजर भी मेरे ऊपर कब पड़ी.. पता ही नहीं चला।

तब भाभी मेरी ओर पीठ करके कपड़े निचोड़ने लगी और बोली- राजू अभी इतना घूर-घूर कर क्या देख रहा था? मैं तुरंत होश में आया.. मैंने शरमाकर कहा- कुछ नहीं भाभी.. सविता- चल झूठे.. सच बता.. मैं- भाभी तुम बहुत सुन्दर हो।

सविता भाभी थी भी 23 साल की सुन्दर.. एकदम गोरी.. मस्त फिगर.. वो एक बच्चे की माँ होकर भी कुंवारी लगती थी। मेरी गारंटी है कि उसे जो भी देखेगा वो देखता ही रह जाएगा।

मन ही मन भाभी मुझे नंगी दिखने लगी थी.. तभी मेरा लंड खड़ा हो गया।

‘राजू क्या सोच रहे हो?’ फिर से मैंने होश संभाला- कुछ नहीं।

सविता- राजू थोड़ा इधर आना.. यह चादर पकड़ो.. निचोड़नी है, बहुत भारी है। मैं अब संकोच में था कि कैसे जाऊँ.. मैं नंगा था।

भाभी फिर बोली- आओ ना जल्दी.. मुझे भी नहाना है.. और घर में बहुत काम है। मैं फिर भी पानी से बाहर नहीं आया।

सविता- आओ न राजू जल्दी.. मैं- मैं नंगा हूँ.. कुछ भी नहीं पहना हुआ है! सविता- क्या.. तुम नंगे नहा रहे थे? मैं- हाँ भाभी..

सविता हँसने लगी- तब तो तुम्हें देखना ही पड़ेगा। मैं- क्या भाभी तुम भी.. सविता- जल्द बाहर आओ.. नहीं तो मैं आऊँगी। मैं- मैं नहीं आ रहा हूँ.. आप ही आ जाओ।

मैं भी अब रोमांटिक मूड में आ गया था ‘भैया तो बहुत मजे लेते है न..’ सविता भाभी अपनी चूचियाँ खुजाते हुए बोली- राजू तुम्हें सच कहूँ.. तो तुम्हारे भैया आजकल कुछ करते ही नहीं.. इसलिए तुम्हें देखकर मुझे कुछ-कुछ हो रहा है।

मैं- मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ भाभी.. लेकिन क्या करूँ.. तुमसे पूछने की हिम्मत होती नहीं थी। अनीता- तो आज अच्छा मौका है.. चल करते हैं चुदाई.. मेरे मन की बात को भाभी ने एकदम बेबाकी से बिना किसी शर्म और हिचक के कह दिया।

भाभी ने कहा- राजू तू वहाँ को जा।

भाभी ने तालाब के एक ओर इशारा किया.. जो तालाब का वो किनारा था जो झाड़ियों से ढका था।

मैं इशारा पाते ही उधर गया। भाभी तालाब के ऊँचे छोर पर जाकर देखकर आई कि कोई आ तो नहीं रहा है। फिर पक्का होने पर तालाब में उतर कर मेरे पास आ गई।

भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड रख दिया और सहलाने लगी। मेरा लंड गर्म लोहे की तरह कड़क था और तप रहा था। भाभी- हाय राजू.. तेरा तो बहुत मोटा है और मस्त भी..

भाभी मेरी चुम्मियाँ लेने लगी, मैंने भी भाभी की चिकनी कमर को पकड़ लिया और मम्मों को आजाद करके चूसने लगा। बहुत मजा आने लगा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

पानी में आने पर उसकी साड़ी ऊपर तैरने लगी थी.. तो मैंने उसकी जाँघों पर हाथ फेर दिया.. पता चला कि उसने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था।

मैंने उनकी चूत में उंगली को डाला.. तो वह ‘आह.. उह..’ की आवाज करने लगी।

मैंने कहा- भाभी अब रहा नहीं जाता.. चोदना चाहता हूँ। उसने ‘हाँ’ कहा और अपनी टाँगों को मेरी कमर के साथ कस दिया।

उसकी चूत मेरे लंड पर सही बैठ गई.. मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और धक्के देने लगा।

कुछ समय पर मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारी मारी और शांत होने लगा। वो अभी भी मुझसे चिपकी थी।

कुछ पलों बाद चूमते हुए मैंने कहा- भाभी, फिर कब मिलोगी। तो उसने कहा- किसी दिन तसल्ली से मिलेंगे.. मैं तुम्हें समय बता दूँगी।

फिर हम अलग हो गए.. फिर सविता भाभी तालाब से बाहर निकल गई तो मैं भी नंगा ही बाहर आ गया और ऐसे ही खड़ा हो गया। भाभी ने मेरे लंड को देखकर कहा- आज इसने मेरी तन की आग बुझाई.. बहुत मजा आया राजू.. उसने नीचे झुक कर मेरे लंड को चूसा.. थोरी देर मेरे मुरझाए लंड को चूसने के बाद वो बोली- मैं चलती हूँ फिर मिलेंगे।

हमारी अगली चुदाई की कहानी अगले कहानी में सुनाऊँगा.. तब तक आप लोग भी चुदाई का मजा लीजिए।

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