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दोस्तो, मैं विक्की शर्मा इंदौर से… आज आपके सामने अपनी एक और कहानी लेकर आया हूँ। मेरी पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि किस तरह मैंने अपने घर के पास रहने वाली मिलन के साथ चुदाई के सम्बन्ध बनाए।
तब मेरे कॉलेज की छुट्टियाँ चल रही थी और उस दौरान मिलन के साथ खूब चुदाई की। फिर जब कॉलेज की छुट्टियाँ ख़त्म हो गई तो वापिस इंदौर आना पड़ा। पर मुझे क्या पता था कि यहाँ मेरी ज़िन्दगी एक और हसीं मोड़ लेगी।
मेरे कॉलेज में एक टीचर थी जिसका नाम था धरा… वो मुझे बहुत ही सेक्सी लगती थी। पता नहीं क्यों मुझे अपने से बड़ी उम्र की लड़कियाँ खासकर शादीशुदा औरतें, आन्टी हमेशा से ही बहुत आकर्षित करती हैं।
खैर धरा शादीशुदा तो नहीं थी पर मुझसे 4-5 साल बड़ी थी। कॉलेज में एक वही यंग टीचर थी और कॉलेज की स्टूडेंट्स से भी ज़्यादा सेक्सी, भरा गदराया बदन, उसका फिगर 36-32-36 तो रहा ही होगा! जिस दिन से उसको देखा था, उस दिन से उसका दीवाना हो गया था।
धरा की व्यव्हार बड़ा बिंदास था और मेरी उससे हंसी मज़ाक होती रहती थी और अब फाइनल ईयर तक आते आते तो उनसे काफी अच्छी बातचीत हो चुकी थी, रोज़ मिलना, बात करना, कभी साथ में कैंटीन चले जाना, वाट्सएप्प पे जोक्स शेयर करना और चैटिंग आम बात हो गई थी। मतलब हम काफी अच्छे दोस्तों की तरह हो गए थे।
कॉलेज के आखरी कुछ दिन बचे थे और कुछ टीचर्स को एक्स्ट्रा टाइम रुकना पड़ता था। एक दिन किसी काम से मैं भी निकलने में लेट हो गया, मैं पार्किंग में था और तभी मैंने देखा कि धरा मैम भी बाहर आ रही थी। उन्हें आता देख मैं उनके पास गया।
वो कुछ बीमार सी लग रही थी। मैंने पूछा तो उसने बताया- तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही। वो जाने लगी तो मैंने कहा- चलो मैं आपको छोड़ दूँ। वो मना करने लगी- कहाँ फालतू परेशान होओगे, मैं ऑटो से चली जाऊँगी।
पर मैंने ज़िद की और कहा- इस हालत में ऑटो से कहाँ जाओगी, मेरे साथ चलो। थोड़ी ज़िद करने पे वो मान गई। फिर हम मेरी बाइक से उसके घर जाने लगे, उसके मम्मे मेरी पीठ को छू रहे थे और रास्ते भर मैंने ब्रेक लगा लगा कर उनकी छुअन को खूब महसूस किया और मज़ा लिया।
हम उसकी बिल्डिंग के बाहर पहुंचे तो उसने मुझे ऊपर आने को कहा तो मैं उसके साथ उसके फ्लैट में गया। उसने मुझे पानी लाकर दिया और चाय काफी का पूछा तो मैंने कहा- आप अब आराम करो।
मैंने उन्हें सोफे पे बिठाते हुए पूछा- अब बताओ क्या हुआ है? तो उसने कहा- कुछ नहीं, बस थोड़ी थकान है और बदन दर्द कर रहा है। कुछ दिनों से नींद पूरी नहीं हो पा रही है यार, बस उसी का नतीजा है। तो मैंने कहा- हम्म्म… तो फिर आप अब आराम करो और बदन दर्द है तो मैं थोड़ी मसाज कर देता हूँ, तो आपको अच्छा लगने लगेगा।
उसने मना किया तो मैंने मज़ाक करते हुए कहा- चिंता मत करो, मैं कुछ गलत नहीं करूंगा। तो उसने कहा- कभी कर दिया तो? तो मैंने बुरा मानते हुए कहा- ठीक है, तो मैं चलता हूँ।
तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोकते हुए कहा- अरे मज़ाक कर रही हूँ यार, तुम बुरा क्यों मान रहे हो? तो मैंने कहा- आपको मुझ पे भरोसा ही नहीं है तो रुकने से क्या मतलब? तो उसने मुझे सोफे पे अपने पास बिठाया और बोली- ऐसा नहीं है बुद्धू, मैं बस तुझे फ़ालतू परेशान नहीं करना चाहती।
तो मैंने कहा- आपको परेशानी में देख कर मुझे ज़्यादा परेशानी होती है। और वैसे भी अपनों की हेल्प करने में कैसी परेशानी। फिर मैं सोफे से उठ कर उसके पीछे गया और पीछे से उसके कंधे और गर्दन के जॉइंट को दबाने लगा।
वो अचानक से हुई इस हरकत से कुछ चौंकी और कहने लगी- अरे… यह क्या… और फिर उसे अच्छा लगने लगा तो चुप हो गई।
मैं भी कुछ प्रेशर पॉइंट्स को दबा के उसका स्ट्रेस रिलीज़ करने लगा। कुछ समय में वो काफी कम्फ़र्टेबल हो गई तो मैंने मौका देख कर उसे सोफे पे ही उल्टा लिटाते हुए उसकी गर्दन और कंधों की मसाज जारी रखी।
उसे राहत मिल रही थी और वो आँखें बंद करके चुपचाप पड़ी थी। फिर मैंने अपने हाथ धीरे धीरे उसकी पीठ की तरफ बढ़ाने शुरू किये और उसकी पीठ की मसाज करते हुए कमर तक बढ़ने लगा। इसमें मेरा हाथ बार बार उसकी ब्रा के हुक से टकरा रहा था और मन कर रहा था कि उसे खोल दूँ।
मैंने उससे पूछा- ठीक लग रहा है? तो उसने बड़े ही मादक अंदाज़ में हम्म्म किया।
इस पूरे समय मैं घुटनों के बल बैठा था और मेरे भी पैर दुखने लगे थे तो मैंने उसका हाथ पकड़ के उसे उठाया और वहीं नीचे कारपेट पर उल्टा लिटा के उसके पास ठीक से बैठ के दोबारा मसाज शुरू कर दी।
फिर मैं ताक़त लगा कर उसकी कमर और पीठ की मसाज करने लगा। कभी धीरे से उसके चूतड़ दबा देता, फिर वापिस कमर पे आ जाता। कुछ देर ये करने के बाद मैं चूतड़ों से लेकर जाँघें और पैर तक दबाने लगा। पैर दबाते हुए जब मैं कमर की तरफ जाता तो उसकी जांघों के अंदर के हिस्से को भी सहला देता और फिर कमर से पैरों तक आते वक़्त भी वही करता।
धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी गांड की दरार की तरफ बढ़ने लगे और मैं उसकी जांघों को सहलाते सहलाते उसकी गांड की दरार को भी सहलाने लगा। उसकी तरफ से कोई विरोध न देख कर मैं समझ गया कि धरा मैडम गर्म हो रही है।
मैंने कहा- इस पोजीशन में ठीक से कर नहीं पा रहा हूँ! यह कहते हुए मैंने उसकी टाँगें फैलाई और बीच में बैठ गया। इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने फिर से उसकी कमर दबाना शुरू कर दी। मैं उसकी जांघों के अंदर के हिस्से से लेकर उसकी गांड की दरार तक नीचे से ऊपर मसाज करने लगा।
जैसे ही मेरे हाथ उसकी दरार में लगते, वो कुछ सिहर सी उठती। अब उसे ठीक से गर्म होती देख मैंने उसके पैरों से घुमाते हुए सीधे करना चाहा तो उसने भी मेरा साथ दिया और सीधी होकर लेट गई। अब वो सीधी लेटी हुई थी और मैं उसकी टांगों के बीच में बैठ कर उसकी जाँघें और पैर दबा रहा था।
फिर पीछे की ही तरह आगे भी मैंने अपने हाथ नीचे से ऊपर चलाने शुरू किये। अब मैं उसके घुटनों से लेकर चूत तक जांघों के अंदर के हिस्से की मसाज कर रहा था। इस सब से वो काफी गर्म हो गई थी और बहुत गहरी साँसें ले रही थी।
उसे मदहोश होता देख मैं चूत की तरफ अपने हाथ बढ़ाने लगा, जाँघें दबाते हुए जब चूत के पास जाता तो अपने दोनों अँगूठों से चूत की फाँकों को आपस में घिस देता। वो सीत्कार भरती और मैं फिर नीचे चला जाता।
5-7 बार ऐसा करने के बाद मुझे उसकी चूत में चिकनाहट सी महसूस होने लगी और मैंने नीचे जाना कम करते हुए हर 2-3 सेकण्ड में उसकी चूत मसलनी शुरू कर दी। चूत मसलवाते हुए वो भी मस्त होने लगी तो मैंने झट से उसकी सलवार का नाड़ा खोलते हुए सलवार और चड्डी साथ में नीचे खिसका दी और उसकी चूत पे अपना मुंह रख कर उसे चाटने लगा।
उसने कुछ घबरा कर उठने की कोशिश की पर मैं उसकी कमर को कस के पकड़ते हुए अपनी जीभ उसकी चूत में डालने लगा जिससे वो मदहोश होते हुए फिर से लेट गई और अपनी कमर हिला हिला कर मेरी जीभ से चुदने लगी।
उसकी चूत बुरी तरह से पनिया रही थी और मैं अपने हाथों से चूत की फाँकों को पूरा खोलते हुए अपनी जीभ अंदर तक डालते हुए चूसने लगा। इससे उसकी उत्तेजना बहुत ज़्यादा बढ़ गई और 1 मिनट के अंदर ही वो झर झर करते हुए झड़ी।
कहानी जारी है, अगले भाग का लिंक नीचे दिया गया है.
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कॉलेज की मैडम की मालिश और चुदाई-2
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