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मैंने समझ तो लिया ही था कि ये चाहती क्या है इसलिए मैंने एक बढ़िया सा चुदाई का वीडियो फॉरवर्ड कर दिया। उसके तुरंत बाद लिखा- सॉरी सॉरी यार… गलती से तुम्हारे पास चला गया, वो तुम्हारी भाभी के साथ नहीं सो रहा तो सोचा कि कुछ तो एंटरटेनमेंट कर लूँ पर गलती से तुम्हारे पास मैसेज चला गया।
उसका मैसेज आया- कोई बात नहीं। अब वो उस वीडियो को बार बार देखकर धीरे धीरे अपने बदन से खेलने लगी। मैंने भी कुछ देर उसे कोई मैसेज नहीं किया और उसकी रतिक्रिया देखने लगा।
पहले तो वो ऊपर से ही अपने बदन को अपने हाथों से मसल रही थी, पर फिर धीरे से उसका हाथ अपनी पैंटी के अंदर चला गया, वो अब आँखें बंद करके शायद अपनी उंगली से बिल्कुल धीमे धीमे अपनी चूत के दाने को रगड़ रही होगी।
मैंने एक और मैसेज किया और कहा- अगर तुम नीलेश की बहन नहीं होती तो शायद मैं ऐसी गलतियाँ और करता पर, आई एम रियली वेरी सॉरी उस वीडियो के लिए!
नेहा का मोबाइल जैसे ही वाइब्रेट हुआ उसने अपना हाथ अपनी पैंटी से बाहर निकाल लिया और जल्दी से मोबाइल उठाया, फिर मोबाइल पर बहुत देर तक कुछ टाइप करती रही। पर शायद उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या लिखे। वो बार बार अपने सर को खुजाती और कुछ टाइप करती, कभी मुस्कुराती तो कभी अपने पढ़े हुए मैसेज पर अपना मुंह टेढ़ा कर लेती।
फिर उसका मैसेज आया- मैं उनकी बहन हूँ आपकी नहीं, मैं हर किसी को अपना भाई बनाना भी नहीं चाहती। मैसेज के तुरंत बाद से ही वो कुछ तलाश कर रही थी, अलमारी में, ड्रावर में सब जगह कुछ ढूंढ रही थी।
मैंने मैसेज लिखा- मुझे खूबसूरती की कदर है, और तुम बेहद खूबसूरत हो। अगर तुम नीलेश की बहन नहीं होती तो मैं तुम्हें अभी छत पर बुला लेता। मैं तुम्हारे गुलाबी होंठों का कायल हूँ। उसने मैसेज पढ़ा और मस्ती से झूम गई और शरारती मुस्कान के साथ लिखा- आप सो जाइये, बहुत रात हो गई है। मैंने लिखा- मैं तुम्हारा छत पर वेट करूँगा और अगर तुम 15 मिनट में नहीं आई तो मैं तुम्हारे कमरे में आ जाऊंगा।
मैसेज पढ़ कर थोड़ी सकपकाई, फिर थोड़ी खुश हुई फिर थोड़ी घबराई, जल्दी से शीशे के सामने बैठकर अपने बाल बनाने लगी, फिर चेहरे पर कुछ कुछ लगाया। अभी तक नेहा ने केवल एक पैंटी ही पहन रखी थी, अब उसने नीचे एक केप्री जैसा कुछ 3/4 पहन लिया। ऊपर तो उसने एक शार्ट कुर्ता पहना ही हुआ था।
यह सब करने के बाद उसने लाइट बंद कर दी और मैसेज किया- मैं छत पर नहीं आ सकती, हम कल मिलेंगे, कल मैं कहीं नहीं जाऊँगी।मैंने लिखा- तुम्हारे पास अब केवल 3 मिनट रह गए हैं, या तो तुम ऊपर आ जाओ, नहीं तो मैं तुम्हारे कमरे में तो आ ही सकता हूँ। नेहा ने लिखा- मैं अपने कमरे में अकेली नहीं हूँ, मेरी मम्मी भी मेरे ही साथ सो रही हैं, आप मेरे कमरे में मत आना। और इसीलिए में ऊपर भी नहीं आ सकती।
मैंने लिखा- तुम्हारे पास अब केवल 1 मिनट है, मुझे डर नहीं लगता, तुम बस दरवाज़ा खोलो, मैं तुम्हारी माँ के सामने तुम्हें चूम कर दिखा सकता हूँ।
नेहा बोली- अच्छा प्लीज मुझे 10 मिनट दो, मैं ऊपर आती हूँ। मैंने लिखा- ठीक है, मैं तुम्हारा 2 मिनट और वेट करूँगा, अगर तुम आ गई तो ठीक, नहीं तो अब मैं बिना मैसेज करे तुम्हारे कमरे में दाखिल हो जाऊंगा। नेहा उठी अपने कमरे की लाइट जलाई और अपने आप को शीशे में एक बार और देखा, अपने बाल उँगलियों से बनाए। और एक स्टॉल उठाया और चल दी बाहर।
मैं भी तुरंत छज्जे से छत पर आ गया और छत पे उसके कमरे से दूसरी तरफ घूमने लगा। जैसे ही वो छत की आखिरी 3 सीढ़ी पर थी, मैं उसके करीब गया और जोर से उसे अपनी ओर खींचा और सीधा उसके होंठों पर होंठ रख दिए।
नेहा शायद इस हमले के लिए तैयार नहीं थी, उसने सोचा होगा कि कुछ बातें होंगी और मैं उसे चूमने के लिए कहूँगा, वो मना करेगी। पर यहाँ तो सीधा होंठ से होंठ चिपक चुके थे। वो 15-20 सेकंड तक तो फटी आँखों से देख रही थी फिर उसने भी मेरा साथ देना शुरू किया।
अब हम चूमते चूमते छत पर पूरी तरह आ गये थे, मैंने उसे दीवार से सहारे खड़ा किया, उसके हाथों को हाथों से पकड़ पर ऊपर कर दिया और होंठों को होंठों से चूमता रहा। हाथों को ऊपर करने के बाद में अपने हाथों को उसके ऊपर सहलाते हुए नीचे लाया और लेकर उसके उरोजों पर रख दिया, फिर हाथों से उसके बूब्स का नाप लेकर अपना हाथ और नीचे लाया और उसके चूतड़ों का नाप लिया।
अभी तक नेहा ने मुझे नहीं रोका था। मैंने उसकी शॉर्ट्स में अपना हाथ डाला तो उसने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया, होंठों को होंठों से दूर करती हुई बोली- आप दिल्ली वाले तो बहुत फ़ास्ट होते हो? न कोई बात न कोई चीत सीधा चुम्मा। और अब आपके हाथ है कि रुक ही नहीं रहे।
मैंने कहा- कुड़िये… हम दिल्ली वाले न… बस ऐसे ही होते हैं, फालतू चीज़ों में टाइम वेस्ट नहीं करते। बातें करने का मज़ा ही तब आता है जब दिमाग में केवल बातें ही हों, खुल कर बातें हो सकती हों। अब सोचो मेरे दिमाग में तुम्हारे बूब्स का साइज हो और मैं कहूँ कि आज मौसम कितना अच्छा है। यह तो गलत है न? एक बार चुम्मी हो गई, अब मौसम अच्छा लगेगा तो मौसम के बारे में बात करूँगा और तुम अच्छी लगोगी तो तुम्हारे बारे में।
बोलते बोलते अब की बार नेहा ने मुझे चूम लिया, बोली- आप बातें सीधा दिल से करते हो सीधा दिल को लग जाती हैं। मैंने कहा- दिल कहाँ कहाँ…. करते करते उसके बूब्स पकड़ कर मसल दिए। वो बोली- धीरे से दबाओ, मेरा साइज बढ़ जायेगा।
मैंने कहा- दबाने से साइज नहीं बढ़ता डार्लिंग, उससे तो शेप अच्छी हो जाती है मम्मों की! नेहा बोली- मुझे नहीं करानी अपनी शेप अच्छी, आप तो बस धीरे से दबाओ, मुझे दर्द होता है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने अब नेहा के गले और गालों पर भी चूमना शुरू कर दिया था और उसके कुर्ते में अंदर भी हाथ डालने की कोशिश कर रहा था पर कुरता टाइट था इसलिए कुर्ते के पीछे के हुक खोलकर उसकी ब्रा के हुक को भी खोल दिया। अपने एक हाथ को नेहा के चूतड़ों पर फेर रहा था और हुक खोलते ही मैंने नेहा की चूत को भी ऊँगली से छेड़ दिया, कपड़ो के ऊपर से ही हल्का गीलापन महसूस हो रहा था।
मैंने अब फिर से उसके शॉर्ट्स में हाथ डालने की कोशिश की, इस बार नेहा ने कोई आनाकानी नहीं की। मैंने अपने होंठों को उसके होंठों से दूर किया और कहा- नेहा, तुम तो बहुत गीली हो गई हो। नेहा बोली- ओह्ह आई एम वेरी सॉरी राहुल वो मैं मैं वो….
मैंने कहा- अरे इतना परेशान क्यों हो जाती हो? यह नार्मल है, जब लड़की को चुदवाने की इच्छा होती है तो वो अपनी चूत से ऐसे ही गीली हो जाती है जिससे उसमें लंड आसानी से अंदर जा सके। लगता है यह तुम्हारा फर्स्ट टाइम है? नेहा बोली- हाँ राहुल, यह मेरा फर्स्ट टाइम है।
वो थोड़ी सी शरमाई हुई थी और मेरे मुंह से लंड चूत और चुदवाना जैसे शब्दों को सुनकर थोड़ी और उत्तेजित भी थी शायद! मैंने कहा- नेहा, अगर यह तुम्हारा फर्स्ट टाइम है, तुम इससे पहले किसी से नहीं चुदी, तो तुम अपने कमरे में वापस जाओ, हम तुम्हारी वर्जिनिटी लॉस शील भंग को पूरी तरह एन्जॉय करेंगे। पहली बार में छत पर, बिना बिस्तर के आधे डर से तुम एन्जॉय नहीं कर पाओगी और थोड़ा दर्द भी होगा तो चीख भी नहीं पाओगी! चुदाई के वक़्त चिल्लाने और चीखने से मज़ा दुगना हो जाता है।
नेहा उदास हो गई, बोली- राहुल तुम बहुत अच्छे हो, कोई ऐसी लड़की को नहीं छोड़ता, पर तुम मुझे मना रहे हो कि मैं अपने VL के पलों को खुल कर जिऊँ। पर अभी यह मेरे लिए फन से ज्यादा ज़रूरत हो गया है। मैं अभी क्या करूँ? मैंने कहा- तुम चिंता मत करो, उसका भी इलाज़ है मेरे पास… चलो तुम्हारे कमरे में चलते हैं, तुम्हारी मम्मी तो अब तक पापा के कमरे में चली गई होंगी। मैंने उसके झूठ तो बनाए रखा और आईडिया भी दे दिया।
उसने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुरा कर अपने कमरे की ओर चल दी। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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