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अब तक आपने पढ़ा..
‘अब देखो.. मैं तैयार हूँ.. अब मैं तुम्हारी जम कर गाण्ड चोदूँगा.. मजा आ जाएगा..’
अम्मी ने घोड़ी बन कर अपनी सुडौल गाण्ड पीछे की और उभार दी.. अकरम अंकल को भी शायद गाण्ड मारने का शौक था। उन्होंने धीरे से लण्ड गाण्ड में डाल दिया और अम्मी मस्त हो गईं..। ये सब देखने में मुझे बहुत आनन्द आ रहा था। अम्मी की गाण्ड को अंकल ने बहुत देर तक बजाया। अम्मी भी अंकल के स्खलित होने तक गाण्ड चुदाती रहीं।
अब आगे..
अम्मी की गाण्ड मार कर अंकल सुस्ताने लगे। ‘जूस पियोगे या दूध लाऊँ?’ ‘अभी तो दूध ही पियूँगा.. फिर जूस..’ ‘ही ही ही..’
अम्मी जैसे ही दूध लाने के लिए उठीं.. अंकल ने उन्हें फिर से गोदी में खींच लिया और उनकी चूचियों को अपने मुँह से दबा लिया। ‘शहनाज़.. मेरी जान कहाँ जा रही हो.. अपने दूध नहीं पिलाओगी क्या?’ अंकल अम्मी को गुदगुदाते हुए दूध पीने लगे। ‘हुंह..’
मैं अपनी बुर में उंगली करते हुए सोच रही थी कि अंकल अम्मी के दूध तो खूब चूस-चूस कर पी रहे हैं.. मेरे तो चूसते ही नहीं हैं.. अम्मी गुदगुदी के मारे सिसकारियाँ भरने लगीं। ‘बहुत प्यारे हो तुम दोनों.. कैसी-कैसी शरारतें करते हो..’
दोनों नंगे ही एक-दूसरे के साथ खेल रहे थे.. खेलते हुए उन दोनों में फिर से आग भरने लगी थी। असलम अंकल का लण्ड फुंफकारने लगा था। ‘अब देरी किस बात की है..’ अम्मी ने चुदासे स्वर में कहा। ‘नहीं मुझे अभी दूध पीने दो.. न..’ ‘पहले बस एक बार.. मेरे ऊपर चढ़ जाओ.. मुझे शांत कर दो..’
अम्मी ने अपनी दोनों खूबसूरत सी टांगें उठा लीं.. अंकल उन टांगों के बीच में समा गए। कुछ ही पलों में अंकल का मोटा लण्ड अम्मी की चूत को चूम रहा था। चाचा का लण्ड अम्मी की चूत में घुसता चला गया। अम्मी आनन्द से झूम उठी थीं।
इधर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया.. मुझे भी एक मीठी सी गुदगुदी हुई।
मेरी अम्मी अपनी टांगें ऊपर उठा कर उछल-उछल कर चुदवा रही थीं और अकरम अंकल का लण्ड चूस रही थीं। मेरा हाल इधर खराब होता जा रहा थ, अम्मी की मधुर चीखें मेरे कानों में रस घोल रही थीं।
दोनों गुत्थम-गुत्था हो गए थे.. कभी अंकल ऊपर तो कभी अम्मी ऊपर..! खूब जम कर चुदाई हो रही थी।
अम्मी को इस रूप में मैंने पहली बार देखा था.. वो एकदम रांड बनी हुई थीं। लगता था जिन्दगी भर की चुदाई वो तीनों आज ही कर डालेंगे।
तभी तीनों का जोश ठण्डा पड़ता दिखाई देने लगा.. अरे..! क्या दोनों झड़ चुके थे? सफ़र की इति हो चुकी थी.. हाँ सच में वो दोनों झड़ चुके थे।
अकरम अंकल ने मुस्करा कर अम्मी कर चूचे अपने मुँह में भर लिए और ‘पुच्च.. पुच्च..’ करके चूसने लगे।
अम्मी धीरे से नीचे बैठ गईं और अकरम का लण्ड पकड़ कर सहलाने लगीं, उसका लण्ड अपने मुँह में लेकर उसे चूसने लगीं।
अकरम कभी तो अम्मी की जांघें चूमता और कभी उनके बालों को सहलाता- जोर से चूसो शहनाज़ डार्लिंग.. उफ़्फ़ बहुत मजा आ रहा है.. और कस कर जरा.. अब अम्मी जोर-जोर से ‘पुच्च.. पुच्च..’ की आवाजें निकालने लग गई थीं, अकरम की तड़प साफ़ नजर आने लगी थी।
फिर अम्मी ने गजब कर डाला.. अम्मी ने अपनी एक टांग उसके दायें और एक टांग अकरम के बायें डाल दी। अकरम का सख्त लण्ड सीधा खड़ा हुआ था, दोनों प्यार से एक-दूसरे को निहार रहे थे।
अम्मी उसके तने हुए लण्ड पर बैठने ही वाली थीं.. मेरे दिल से एक ‘आह..’ निकल पड़ी ‘अम्मी प्लीज ये मत करो.. प्लीज नहीं ना..’ पर अम्मी तो बेशर्मी से किसी रंडी की तरह उसके लण्ड पर बैठ गईं। ‘अम्मी घुस जायेगा ना.. ओह्हो समझती ही नहीं है..’
पर मैं उनके लण्ड को किसी खूँटा की तरह अम्मी की चूत में घुसता हुआ देखती ही रह गई.. कैसा चीरता हुआ अम्मी की चूत में घुसता ही जा रहा था।
फिर अम्मी के मुँह से एक आनन्द भरी चीख निकल गई।
‘उफ़्फ़्फ़.. कहा था ना जड़ तक घुस जाएगा.. पर ये क्या..? अम्मी तो अकरम से जोर से अपनी चूत का पूरा जोर लगा कर उससे लिपट गईं और अपनी चूत में लण्ड घुसवा कर ऊपर-नीचे हिलने लगीं।
अह्ह्ह.. खुदा वो तो मस्त चुद रही थीं.. सामने से अकरम अम्मी की गोल-गोल कठोर चूचियाँ मसल-मसल कर दबा रहा था। उसका लण्ड बाहर आता हुआ और फिर ‘सररर..’ करके अन्दर घुसता हुआ मेरे दिल को भी चीरने लगा था।
मेरी चूत का पानी निकल कर मेरी टांगों पर बहने लगा था। पूरी रात असलम अंकल और उनके दोस्त अकरम ने मेरी अम्मी को किसी रांड की तरह चोदा था।
मुझे अपनी बारी का इंतज़ार था.. जो कि जल्द ही आने वाली थी।
मैं अपने बिस्तर पर आ गई और चूत में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगी।
संयोग से एक रात को अम्मी को चुदवाते हुए देखकर मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी कि मेरे मुँह से सीत्कार निकल गई जिसको अम्मी ने सुन लिया। मैं जान नहीं पाई कि क्या हुआ लेकिन अगले दिन अम्मी का व्यवहार कुछ बदला-बदला सा था। मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने अम्मी से पूछा- क्या बात है अम्मी.. आज बहुत उदास हो? अम्मी ने कहा- नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है।
कुछ देर के बाद अम्मी ने मुझे अकेले में बुलाया और बोलीं- कल रात.. इतना सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए.. मेरा चेहरा लाल हो गया। तब अम्मी ने कहा- देखो बेटी मेरी उम्र इस वक़्त 32 साल है.. और तुम जानती हो कि तुम्हारे पापा बाहर रहते हैं.. उनको दुबई गए हुए दो साल से ऊपर हो गया।
ये सब कहते हुए अम्मी का गला भर आया.. उनकी आँखों से आंसू छलक पड़े। मैंने अम्मी को दिलासा दिया और कहा- मैं समझती हूँ.. कोई बात नहीं है अम्मी। मेरी इस बात से उनका दिल कुछ हल्का हुआ और वो बोलीं- बेटी तुम नाराज़ नहीं हो न मुझसे? मैंने कहा- नहीं अम्मी.. इसमें नाराज़ होने वाली कौन सी बात है.. ऐसा तो सबके साथ होता होगा? अम्मी के चहरे पर कुछ मुस्कान आई।
मैं उस वक़्त कुछ और नहीं बोली।
उस दिन के बाद मैं तीन रातों तक अम्मी के चुदने का इंतज़ार करती रही लेकिन असलम अंकल नहीं आए, उनकी चुदाई नहीं हुई। अब मैं अम्मी की हमराज़ हो ही गई थी, मैंने अम्मी से पूछा- क्यों अम्मी.. आजकल अंकल रात को क्यों नहीं आ रहे हैं? अम्मी ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा- तुमको क्या दिक्कत हो रही है?
इधर मेरा भी तो असलम के बिना बुरा हाल था, मुझे भी अंकल से चुदे कई दिन हो चुके थे। अम्मी के साथ-साथ मेरी चूत को भी लण्ड की ज़रूरत सताने लगी थी। जिसका नतीजा यह हुआ कि मैंने बेअदबी के साथ अम्मी से कह दिया- अम्मी मुझे भी वही चाहिए.. जो तुम रोजाना रात को अपनी चूत में डलवाती हो।
अम्मी तो बिल्कुल सन्न रह गईं, उन्हें मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी- देखो ज़ीनत, तुम अभी बच्ची हो। ‘अम्मी मैंने आपको बताया नहीं.. असलम अंकल मेरे साथ भी वो सब कर चुके हैं।’ ‘क्या..???’ मेरे जवाब से अम्मी के पैरों तले जैसे ज़मीन खिसक गई थी। ‘अम्मी प्लीज़..’ मैंने अम्मी के गले लगते हुए कहा।
मेरी जिद के आगे अम्मी मजबूर हो गई थीं, उन्होंने कहा- ठीक है.. तुम्हारी चूत में भी लण्ड पेलवा दूँगी.. लेकिन ध्यान रहे पापा को ये सब बातें मालूम नहीं होनी चाहिए। मैंने ख़ुशी से उछलते हुए कहा- ओके अम्मी.. तुम कितनी अच्छी हो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
दोस्तो.. जब मेरी अम्मी ने मुझसे कहा कि वे मेरी चूत में लण्ड पेलवा देंगी.. तो मैं बहुत खुश हुई कि मैंने अम्मी को मजबूर कर दिया था। वैसे तो असलम अंकल मुझे कई बार चोद चुके थे.. लेकिन अब मैं यह सब बिना डरे करना चाहती थी।
उसी दिन जब मैं नहाने जा रही थी तो अम्मी बाथरूम में आ गईं और दरवाजा बंद कर लिया।
वे बोलीं- अपने कपड़े उतारो। मैंने अम्मी से कहा- अम्मी.. मुझे शर्म आएगी। अम्मी ने मुझे डांटते हुए कहा- छिनाल कहीं की.. चूत और लण्ड का खेल देखकर पेलवाने की तुम्हारी हवस जाग उठी.. लेकिन यह नहीं जानती हो कि मर्द को क्या पसंद आता है? मर्द को चिकनी चूत चाहिए.. देखूं तुम्हारी झांटें साफ़ हैं या नहीं?
इसी के साथ अम्मी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगी हो गईं, उनकी चूत के बाल एकदम साफ़ थे। सच में क्या शानदार चूत थी अम्मी की.. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं इसी चूत के रास्ते बाहर निकली हूँ।
मैं भी फटाफट अपनी सलवार कुर्ती उतार कर नंगी हो गई। अम्मी ने मेरी चूत को सहलाया और बोली- आज तुम्हारे अंकल इसमें अपना लण्ड पेलकर बहुत खुश होंगे। एक बात बता दूँ.. उन्होंने मुझसे एक बार कहा था कि शहनाज़.. एकाध नए माल का इंतज़ाम करो.. पैसों की फ़िक्र मत करना।
अम्मी ने मुझे रगड़-रगड़ कर अच्छी तरह नहलाया.. मेरी चूत के बाल साफ़ किए और तब बोलीं- अब तुम्हारी चूत लण्ड लेने के लिए एकदम तैयार है।
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