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दोस्तो.. मैं प्रेम नागपुर से, मेरी उमर 29 साल, मेरी हाइट 5.9 है, मैं एक साधारण दिखने वाला लड़का हूँ, मैं कंप्यूटर रिपेयरिंग का काम करता हूँ जिसकी वजह से मुझे बहुत सारी जगह कॉल पर कंप्यूटर रिपेयरिंग के लिए जाना होता है।
यह बात दो साल पुरानी है.. मेरे मोबाइल पर एक नंबर से कॉल आया.. एक औरत बात कर रही थी। उसने पूछा- क्या आप प्रेम बोल रहे हो? मैंने ‘हाँ’ कहा.. उसने अपना नाम बताया और कहा- मुझे ये नंबर मेरे किसी परिचित ने दिया है.. मेरे घर का कंप्यूटर कुछ महीनों से बंद रखा था.. मैंने उसे चालू करके देखा.. पर वो अब शुरू ही नहीं हो रहा.. इसीलिए मैंने आपको कॉल किया है।
मैंने उसकी बातें सुनी और उससे उसके घर का पता समझ लिया। ‘कल दोपहर में आकर देखूँगा..’ मैंने ऐसा बोल दिया.. पर काम में बिज़ी होने से मुझे दोपहर में वक़्त नहीं मिला.. इसीलिए मैं उसके घर नहीं जा पाया।
करीब 5 बजे फिर से उसका फोन आया, मैंने उससे कहा- दूसरे काम में व्यस्त था.. इसलिये आना नहीं हुआ। उसने कहा- मुझे थोड़ी जल्दी है अगर आप अभी आकर देख लेते.. तो अच्छा होता। मैंने ‘हाँ’ कहा और करीब आधे घंटे बाद उसके घर पहुँच गया।
जहाँ वो रहती थी.. वो एरिया नया-नया डेवलप हुआ था.. तो वहाँ घर दूर-दूर थे और जगह भी सुनसान थी।
मैंने उसके घर पहुँचकर डोरबेल बजाई जैसे ही दरवाजा खुला.. एक बहुत ही खूबसूरत औरत मेरे सामने खड़ी थी, उसकी उम्र यही कोई 30-32 साल.. हाइट करीब 5.5 फुट और एकदम कामुक शरीर वाली औरत थी।
दोस्तो, मुझे पता है.. कि आपको लग रहा होगा कितनी फेंक रहा हूँ.. पर सच में पल भर के लिए मैं स्तब्ध हो गया था। मैंने उसे अपना परिचय दिया। उसने कहा- हाँ आओ मैं आपका ही इंतजार कर रही थी।
उसने मुझे अन्दर आकर बैठने के लिए कहा और मेरे लिए पानी लेकर आई। मैंने उसको कंप्यूटर दिखाने के लिए बोला। वो मुझे अपने बेडरूम में लेकर गई.. जहाँ उसका कंप्यूटर रखा था।
मैंने कंप्यूटर की हालत देखी.. चूहे ने उसके प्लग कुतरे हुए थे और बहुत दिनों से बंद होने की वजह से धूल से भी भरा हुआ था। कंप्यूटर टेबल पर भी बहुत सारा सामान पड़ा हुआ था। मैंने उससे वो सब साफ करने बोला और साफ करने में उसकी मदद करने लगा।
इस उठापठक में हमारा हाथ बार-बार एक-दूसरे को टच हो जाता था।
दोस्तो, वैसे तो मैं उस औरत को देख कर पहले ही स्तब्ध हो गया था.. पर मैं अपने कस्टमर के लिए कोई ग़लत ख़याल नहीं रखता.. तो मैं सिर्फ़ अपना काम कर रहा था। पर जैसे बार-बार हमारा हाथ एक-दूसरे से टच होता तो मुझे करेंट सा महसूस होता और दिल में अजीब सी हलचल होती.. और तो और मेरा छोटू भी खड़ा हो गया था, तब भी मैंने अपना फोकस सिर्फ़ काम पर रखा था।
जैसे ही हमारे अंग आपस में टच होते.. तो मेरी नज़र उसके ऊपर जाती और उसकी नज़रों से टकरा जाती। उसके बार-बार स्पर्श होने से मेरे पैन्ट में तंबू बन गया था और मैं उसको छुपा भी नहीं पा रहा था। यह बात शायद उसने भांप ली थी।
हम दोनों ने कंप्यूटर साफ किया और मैंने अपने बैग से सामान लगाकर उसका कंप्यूटर स्टार्ट किया और थोड़ी मशीन की छानबीन करके उससे कहा- आपका कंप्यूटर ठीक हो जाएगा.. बस कुछेक चीजें इसमें नई डालनी पड़ेगीं.. जो कि अभी मेरे पास नहीं है और उसके लिए मुझे मार्केट जाना पड़ेगा। पर मैं अभी वापस नहीं आ सकता क्योंकि मार्केट जाकर वापस आने में बहुत वक़्त लगता है।
वैसे भी टाइम बहुत हो गया था.. तो मैंने उससे कहा- सामान लेकर मैं कल आ जाऊँगा। इस सब में कितना खर्चा लगेगा.. वो भी मैंने उसको बता दिया। वो बोली- आप खर्चे की चिंता मत करिए बस मेरा कंप्यूटर जल्दी ठीक कर दीजिए।
मैंने ‘हाँ’ बोला और अपना सामान बैग में डालकर जाने लगा.. तो वो बोली- रुकिए चाय पीकर जाइएगा।
मैंने तो पहले मना किया.. पर उसके और बोलने से रुक गया। थोड़ी देर बाद वो चाय लेकर आई और झुककर मेरे सामने चाय की ट्रे की.. जिससे मेरी नज़र उसके ब्लाउज से निकलते मम्मों और उसकी दरारों पर चली गई। उसने इस बात को नोटिस कर लिया था।
उसने मुस्कुराकर चाय का कप उठाने के लिए कहा। मैंने चाय पीते-पीते उत्सुकतावश उससे पूछा- आपके घर में और कोई नहीं है क्या? क्यूंकि अभी तक उस घर में उसके अलावा और कोई नहीं दिखा था।
तो वो बोली- क्यों इरादा क्या है? मैं थोड़ा शॉक हुआ..
उसने बताया कि – उसके पति एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और रात को लेट आते हैं। मेरा बच्चा अभी छुट्टियाँ होने की वजह से नाना-नानी के घर गया हुआ है और जल्दी ही वापस आ जाएगा। वो आते ही कंप्यूटर पर गेम खेलने के लिए धूम मचाएगा.. इसलिए मुझे वो कंप्यूटर जल्दी ठीक करवाना है ताकि वो उसमें नए गेम्स डलवा सके।
अब मैं चाय पीकर जाने के लिए हुआ.. तो उसने कहा- आपकी फीस? मैंने कहा- वो मैं कल काम पूरा होने के बाद ले लूँगा। वो बड़ी अदा से बोली- कल काम ‘पूरा’ करके ही जाइएगा.. आज की तरह ‘अधूरा’ मत छोड़िएगा और हो सके तो दोपहर में ही आइएगा। मैंने ‘हाँ’ कहा और वहाँ से निकल गया।
रास्ते में मैं सोच रहा था ये औरत किस काम के बारे में बात कर रही थी.. क्योंकि उसने जिस अंदाज में बोला था.. वो थोड़ा सेडक्टिव था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं वापस आया और रात को उसी के बारे में सोचते-सोचते सो गया। सवेरे उठकर जल्दी तैयारी की और मार्केट निकल गया.. क्योंकि रात भर उसी के बारे में सोचने की वजह से मेरा दिमाग़ खराब हो गया था और मैं फिर से उसे देखना चाहता था या आप जो भी समझो।
मैंने मार्केट से जल्दी-जल्दी खरीदी की और उसके घर की ओर निकल गया। फिर भी उसके घर पहुँचते-पहुँचते मुझे 12 तो बजे ही होंगे।
मैंने उसके घर की बेल बजाई तो इस बार उसने दरवाजा खोलकर मुस्कुराते हुए मुझे विश किया और कहा- अरे वाह.. आज आप जल्दी आ गए.. वरना मुझे लगा था कि फोन किए बिना आप आओगे नहीं। मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है.. वो तो कल काम में था.. इसीलिए देर हो गई थी.. वरना मैं वक़्त पर पहुँच जाता हूँ।
उसने मुझे अन्दर बुलाया। मैंने पूछा- आपके हज़्बेंड? तो वो बोली- वो तो सवेरे ही काम पर निकल गए.. आप कंप्यूटर देखो.. तब तक आपके लिए चाय लाती हूँ।
मैं उसके बेडरूम में चला गया और कंप्यूटर के पुर्जे बदलने लगा। वो चाय लेकर आई और मेरे सामने आकर बैठ गई और मुझसे बातें करने लगी.. जैसे कि मुझे कितने साल हो गए इस फील्ड में.. और क्या-क्या आता है आपको? मैंने उसे बताया- वैसे तो मुझे बहुत साल हो गए और कंप्यूटर के बारे बहुत कुछ आता है।
दोस्तो, उसने गहरे गले का गाउन पहना था और वो झुककर बैठी थी.. तो जब भी मैंने बात करते वक़्त उसकी तरफ देखता तो मेरी नज़र उसके चेहरे से होते हुए उसके गले के नीचे आकर रुक जाती। उसकी वो गहरी घाटी और दूध जैसी रंगत के सफेद पहाड़ देख कर मेरा भी पैन्ट में तंबू बन गया।
वो मुझसे कहने लगी- क्या आप मुझे कंप्यूटर चलना सिखाएँगे.. वैसे तो मुझे आता है.. पर मुझे इंटरनेट सीखना है। उसके पास उसके पति का डोंगल भी था।
मैं उसकी बातें सुन रहा था.. साथ में अपना काम भी कर रहा था और महसूस कर रहा था कि कल के मुकाबले आज वो मुझसे ज़्यादा खुलकर बात कर रही है.. और मेरे ज़्यादा नज़दीक होने की कोशिश कर रही है।
दोस्तो, मेरी गाण्ड बहुत जोर से फट रही थी कि कहीं मैंने इसकी हरकतों को गलत समझ कर कुछ कर दिया तो झमेला न हो जाए.. इसलिए मैं बहुत डर रहा था।
इस कहानी में क्या हुआ.. वो मैं आपको अगले भाग में पूरा किस्सा ब्यान करूँगा। [email protected]
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