दोस्त की भतीजी संग वो हसीन पल-2

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000

मैंने भी मौका देखा और मीनाक्षी की चूची को अपने हाथ में पकड़ कर हल्के से दबा दिया। ‘क्या करते हो चाचू…’ मीनाक्षी थोड़ा कसमसा कर पीछे को हुई, अब मैंने अपना हाथ आगे कर लिया।

मैंने थोड़ा मुड़ कर पीछे मीनाक्षी की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर शर्म भरी मुस्कान नजर आई।

तभी आगे मार्किट शुरू हो गई और हम एक आइसक्रीम पार्लर पर पहुँच गए और आइसक्रीम आर्डर कर दी। मयंक अपनी पसंद की आइसक्रीम देखने में व्यस्त था, मैं और मीनाक्षी अपनी स्कूटी के पास ही खड़े हो गए।

‘आप बड़े ख़राब है चाचू…’ मीनाक्षी ने थोड़ा शर्माते हुए कहा। ‘क्यों मैंने क्या किया?’ ‘आपको सब पता है कि आपने क्या किया!’ ‘अरे कुछ बताओ भी.. मैंने ऐसा क्या किया?’ ‘आपने मेरी वो दबा दी…’ वो थोड़ा शर्माते हुए बोली।

उसके चेहरे की मुस्कान बयाँ कर रही थी कि आग ना सही पर चिंगारी तो उधर भी है। ‘अरे… वो क्या… कुछ बताओगी मुझे?’ ‘छोड़ो… मुझे शर्म आती है।’ ‘अब बता भी दो जल्दी.. नहीं तो मयंक आ जाएगा!’

‘ये…’ जब मीनाक्षी ने अपनी चुचियों की तरफ इशारा करके कहा तो मेरे तो लंड की हालत ही ख़राब हो गई। ‘तुम्हें अच्छा नहीं लगा…’ मैंने मीनाक्षी की आँखों में झांकते हुए पूछा तो वो बोली कुछ नहीं पर उसने जिस अदा से अपनी आँखें झुकाई, मैं तो बस जैसे उसी में खो गया।

तभी मयंक आइसक्रीम लेकर आ गया और हम तीनों आइसक्रीम खाने लगे। आइसक्रीम खा कर मैंने काउंटर पर पैसे दिए और बचे हुए पैसे से एक चॉकलेट ले ली। जब मैं पैसे देकर वापिस आया तो मयंक वहाँ नहीं था, मीनाक्षी ने बताया कि वो कैंडी लेने गया है।

मैंने भी मौका देखते हुए चॉकलेट मीनाक्षी की तरफ बढ़ा दी, उसने चॉकलेट ले ली और थैंक यू बोला। ‘बस थैंक यू…’ मैंने मुँह बनाते हुए कहा। ‘तो और क्या चाहिए आपको…?’ उसके इस जवाब से मैं मन ही मन सोचने लगा की कह दूँ कि मुझे तो तेरी जवानी का रस चाहिए पर कुछ झिझक सी थी।

उसने जब दुबारा यही सवाल किया तो मैंने पूछ लिया- जो मांगूंगा, दोगी? उसने जब हाँ में सर हिलाया तो मेरे मुँह से ना जाने कैसे निकल गया- अगर मैं तुम्हें किस करना चाहूँ तो…? पहले तो वो चौंक कर मेरी तरफ देखने लगी और फिर लापरवाह से अंदाज में बोली- कर लेना… किस लेने से क्या होता है.. ‘पक्का… मुकर तो नहीं जाओगी?’ मीनाक्षी ने बड़ी अदा के साथ कहा- वो तो वक्त बताएगा।

मैं अभी कुछ बोलने ही वाला था कि मयंक आ गया, फिर हम घर की तरफ चल दिए।

मीनाक्षी अब भी मुझ से अपनी चूचियाँ चिपका के ही बैठी थी। मीनाक्षी के साथ हुई बातचीत और मीनाक्षी के गुदाज मम्मो के स्पर्श ने मेरी पैंट के अन्दर हलचल मचा दी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

कुछ दूर चलने के बाद मैंने जानबूझ कर फिर से अपना एक हाथ अपनी पीठ की तरफ किया तो मेरा हाथ मीनाक्षी ने पकड़ लिया और खुद ही मेरी पीठ खुजाने लगी। मेरी हँसी छुट गई तो मीनाक्षी ने मेरी पीठ पर चुंटी काट ली। मैंने अपना हाथ छुड़वाया और कुछ दूर चलने के बाद फिर से अपना हाथ पीठ की तरफ किया तो हाथ सीधा मीनाक्षी की चुचियों को स्पर्श करने लगा। मीनाक्षी के मन में भी शायद कुछ हलचल थी तभी तो उसने मेरा हाथ अपने चूचियों और मेरी पीठ के बीच में दबा दिया।

मैं कुछ देर तो एक हाथ से स्कूटी चलाता रहा। तभी मयंक बोला- चाचू, आप हैंडल छोड़ो.. मैं स्कूटी चलाता हूँ। ‘क्या तुम चला लेते हो?’ ‘चला तो लेता हूँ पर दीदी मुझे चलाने ही नहीं देती।’ मयंक ने मीनाक्षी की शिकायत की।

मैंने अब स्कूटी का हैंडल मयंक के हाथ में दिया और फिर दोनों हाथ साइड में कर लिए। मयंक थोड़ा धीरे धीरे डर डर कर चला रहा था। अब मेरे दोनों हाथ फ्री थे। मैंने फिर से अपना बायाँ हाथ पीछे किया तो हाथ फिर से मीनाक्षी की चूची को छूने लगा। इस बार मीनाक्षी ने मेरे हाथ से अपना शरीर दूर नहीं किया था। मैं अब धीरे धीरे मीनाक्षी की चूची को सहलाने लगा था। बीच बीच में कभी कभी हल्का हल्का दबा भी देता था। मीनाक्षी कुछ नहीं बोल रही थी बस उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया।

मैं समझ चुका था कि मीनाक्षी को अपनी चूचियों पर मेरे हाथ का स्पर्श अच्छा लग रहा है। जब मयंक ने अचानक ब्रेक मारी तो मेरी तन्द्रा भंग हुई, घर आ चुका था।

हम स्कूटी से उतर गये, मयंक भाग कर घर के अन्दर चला गया और मीनाक्षी स्कूटी को उसकी जगह पर खड़ी करने लगी। मैं तब मीनाक्षी के साथ ही था, वो बार बार मेरी तरफ ही देख रही थी, उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा साफ़ नजर आ रहा था।

जब वो स्कूटी को खड़ा करके मुड़ी तो मैं अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं कर पाया और मैंने मीनाक्षी को अपनी बाहों में भर कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मीनाक्षी थोड़ा कसमसाई और मुझे अपने से दूर करने लगी। मैं एक रसीले चुम्बन के बाद मीनाक्षी से अलग हुआ।

मीनाक्षी शर्मा कर एकदम से घर के अन्दर भाग गई, मैं मीनाक्षी के रसीले होंठों की मिठास को महसूस करता हुआ कुछ देर वहीं खड़ा रहा और फिर मैं भी घर के अन्दर चला गया।

वक़्त लगभग साढ़े ग्यारह का हो रहा था, मैं अमन के कमरे में गया तो वो सो चुका था, मैंने भी बैग में से लोअर निकाला और कपडे बदल लिए। बाथरूम में जाकर कुछ देर लंड को सहलाया और समझाया कि जल्द ही तुझे एक कुंवारी चूत का रस पीने को मिलेगा। जब लंड नहीं समझा तो उसको जोर जोर से मसलने लगा। पांच मिनट बाद ही लंड के आँसू निकलने लगे और फिर वो शांत होकर अंडरवियर के अन्दर जाकर आराम करने लगा।

कहानी जारी रहेगी। [email protected]

This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000