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मेरा नाम रजनीश है। मैं आपको अपनी एक कहानी बताना चाहता हूँ.. जो बहुत रोचक है.. उम्मीद है की आपको पसंद आएगी।
बात तब की है.. जब मैं ग्रॅजुयेशन कर चुका था और नई-नई नौकरी ज्वाइन की थी। मेरे घर के पास एक लड़की रहती थी उसका नाम किरण था। वो जब भी मुझे देखती.. तो हमेशा देख कर मुस्कुराती, इशारे करती, मैं बहुत खुश हो जाता कि वो मुझे पसंद करती थी। मैं उसे चोदने के बारे में सोचता रहता था..
उसका भाई हरीश मेरा अच्छा दोस्त था, मैंने उससे फिल्म देखने का बहाना बना कर उसे मॉल में उसकी बहनों के साथ बुलाया और वो मान गया। शाम 7 बजे वो और वो अपनी बहनें मंजू और किरण दोनों को लेकर आ गया।
मैंने चार टिकट ले ली थीं.. जो कि दो अलग-अलग कॉर्नर की थीं। मैंने बहाना बना दिया कि दोस्त एक साथ की टिकट मिली ही नहीं।
मैंने कहा दोनों लड़कियों को अपने से दूर बैठाना ठीक नहीं है। इसलिए अन्दर जाकर मैं और किरण एक साथ बैठ गए और हरीश और मंजू एक साथ बैठ गए।
फिल्म स्टार्ट हुई.. मैं किरण को देख रहा था.. उसने मुझे देखा और पूछा- क्या देख रहे हो.. फिल्म देखो। मैंने कहा- मैं फिल्म से ज़्यादा अच्छी चीज़ देख रहा हूँ। वो मुस्कुराने लगी।
फिर मैंने उसे प्रपोज कर दिया.. उसने उसे स्वीकार कर लिया और मैंने उसी समय उसके होंठ को चूम लिए। थोड़ी देर में मैंने अपना हाथ उसकी जाँघों पर रख दिया.. उसने कोई विरोध नहीं किया। धीरे-धीरे मैंने अपना हाथ उसकी सलवार में डालना शुरू किया.. उसने अपनी आँखों को बंद कर लिया।
मैंने उसकी चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया.. वो गीली हो चुकी थी। मैंने उसे और गरम किया फिर उसकी चूत के छेद में उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। इससे वो बहुत गरम हो गई और मुझसे चिपक गई। मैंने उसके होंठों को चूमा। उसने फिल्म ख़त्म होने बाद मेरा नंबर माँगा और हम घर आ गए।
अगले दिन मैं ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था.. तभी उसका फोन आया.. उसने मुझे अपने घर बुलाया था। मैं तैयार होकर उसके घर गया.. उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मुझे चूमने लगी। मैंने पूछा- क्या घर में कोई नहीं है? वो बोली- सब मंदिर गए हैं और वो लोग शाम को आएँगे।
मैंने उसे अपनी बांहों में उठाया और उसके कमरे में ले जाकर उसके बिस्तर पर लिटा दिया। फिर मैं उसे बेताबी से चूमने लगा.. उसने धीरे-धीरे मेरे कपड़े उतारना शुरू कर दिए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
देखते ही देखते हम दोनों नंगे हो गए। मैं उसके होंठ चूमते-चूमते उसके दूध चूसने लगा। फिर उसकी जाँघों को.. दोनों हाथों से फैला कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उसके मुँह से “आआआ उ उ उ.. आ ई ई..” की आवाज़ निकलने लगी। मैंने चूत को चाटते-चाटते उसका पूरा पानी चाट लिया। वो बोली- अब चूत के अन्दर डाल दो।
मैंने उसकी चूत में अपना 7 इंच का लण्ड चूत के अन्दर डालना शुरू किया.. वो तड़प कर बोली- बस.. अब और नहीं जाएगा। मैंने कहा- थोड़ा रूको रानी.. अभी ताज़ी चूत है.. वो बोली- आराम से करो।
मैंने ‘ठीक है’ कहते ही एक झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया। वो ज़ोर से चिल्ला पड़ी.. बोली- मार डाला.. मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत को चोदना शुरू किया.. वो थोड़ी देर में मस्त हो गई और अपनी कमर को ज़ोर-ज़ोर से मेरे लण्ड पर हिलाने लगी।
अब वो बोलने लगी- मेरी प्यासी चूत को तेज़ी से चोदो.. और तेज़ चोदो.. मैंने पूरा लन्ड अन्दर किया.. वो ज़ोर से फिर चिल्लाई- हाय मर गई.. मुझे मजा आने लगा था। उसके मम्मों को दोनों हाथों से पकड़ कर मैं मसलने लगा।
किरण चुदाई की मस्ती में डूब चुकी थी, वो पागलों की तरह मुझसे चुदाए जा रही थी। उसकी चूत से खून निकल रहा था.. पर हम दोनों मस्ती में थे। मैंने उसकी चूत चोदते-चोदते अपने लण्ड का पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
वो मस्ती में मेरे बदन से चिपक गई और मेरे लण्ड का पानी अपनी चूत में ही रहने दिया। चोदने के बाद मैं तैयार हो कर ऑफिस चला गया।
फिर जब भी हमें मौक़ा मिलता.. हम चुदाई का खेल खेलते।
इसके बाद मैंने कैसे उसकी बहन मंजू को चोदा.. आगे की कहानी अगले भाग में लिखूंगा। आप का रजनीश [email protected]
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