This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000
सब लड़के लड़कियों ने ज़ोर से तालियाँ मारी लेकिन तभी कमरे के दरवाज़े पर एक ज़ोर से दस्तक हुई और वहाँ एकदम सन्नाटा छा गया, सब नंगे बरातियों के चेहरे एकदम डर के मारे पीले पड़ गए।
लेकिन रितु भाभी का दिमाग़ बहुत तेज़ चलता था, उन्होंने सब लड़के लड़कियों को बड़े कमरे के दो बाथरूमों में घुसेड़ दिया और खुद दोनों ने अपनी अपनी नाइटी पहन कर दरवाज़ा खोल दिया। मैं थोड़ा बाथरूम का दरवाज़ा हल्का सा खोल कर सुनने की कोशिश कर रहा था कि बाहर कमरे में क्या हो रहा है।
दरवाज़े के बाहर बड़ी अम्मा जी खड़ी थी यानि दूल्हे की मम्मी… अम्मा जी ज़ोर से बोली- बड़ी बहू, तुम यहाँ लेटी हो और उधर सूरज का कुछ पता ही नहीं? कहाँ गया वो और उसका दोस्त? दोनों ना जाने कहाँ गायब हो गए हैं, तुमको कुछ मालूम है? इतना सुनने के बाद मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर लिया क्यूंकि मैं समझ गया था कि मामला कोई ख़ास गम्भीर नहीं है।
बाथरूम में नज़र डाली तो मेरे अलावा एक लड़का और 3 लड़कियाँ भी थी जिनमें सुश्री तो मेरे साथ चिपकी हुई थी और बाकी दो में शोख लड़की ऊषा भी थी। सुश्री ने मेरा लंड अभी भी अपने हाथ में पकड़ा हुआ था और उसको हिला हिला कर यह देख रही थी कि यह कितनी देर और खड़ा रह सकता है।
ऊषा और दूसरी लड़की की आँखें भी मेरे लौड़े की तरफ ही थी जो अभी तक खड़ा था जब कि दूसरे लड़के का लंड एकदम बैठा हुआ था। मैंने ऊषा को आँख मारी यह जताने के लिए ‘यह तो अभी भी खड़ा है आँख बिछाए आपकी राहों में!’
ऊषा झट से आगे आई और मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ने की कोशिश करने लगी लेकिन सुश्री ने मज़बूती से मेरे लौड़े को अपने हाथों में पहले से ही जकड़ रखा था।
बाकी बची एक लड़की की नज़र तो मेरे खड़े लौड़े पर ही थी लेकिन वो अपने साथ आये लड़के के बैठे हुए लंड के साथ ही खेल रही थी। अब मैंने तीनों लड़कियों को ग़ौर से देखा तो सुश्री को अव्वल नंबर पर, ऊषा को दूसरे नंबर पर और तीसरी लड़की को तीसरे नंबर पर ही पाया।
सुश्री और ऊषा के मम्मे ज़बरदस्त थे लेकिन तीसरी लड़की के चूतड़ एकदम फर्स्ट क्लास थे, मोटे और एकदम गोल और उसकी चूत पर छाई बालों की घटा भी बहुत गहरी और घनी थी जबकि पहली दो के बाल कुछ काटे हुए लग रहे थे।
सुश्री और ऊषा मुझ से चिपक रही थी और अपने सॉलिड मम्मे मेरी छाती से जोड़े हुए खड़ी थी। सुश्री ने मेरे होटों पर गर्म गर्म चुम्बन देने शुरू कर दिए जबकि मेरा एक हाथ ऊषा की चूत के बालों के साथ खेल रहा था।
अब ऊषा ने भी अपने हाथ मेरे चूतड़ों पर फेरने शुरू कर दिए और एक उंगली से मेरी गांड को भी सहलाना शुरू कर दिया। सुश्री ने जैसे ही अपना मुंह मेरे मुंह से हटाया, मैंने झट ऊषा के होंठ अपने होंटों में लेकर उनको चूसना शुरू कर दिया। उधर सुश्री ने झुक कर मेरे लौड़े को अपने मुंह में ले लिया और उसके ऊपर अपनी जीभ गोल गोल घुमाने लगी जिससे मुझको बड़ा ही मज़ा आ रहा था।
मेरी और ऊषा की किसिंग चल ही रही थी कि बाहर से दरवाज़ा खोलने के लिए इशारा हुआ। बाहर निकलते ही रितु भाभी ने आगे बढ़ कर मेरे लौड़े को अपने हाथों में ले लिया और बोली- मैदान साफ़ है, चलो शुरू हो जाओ… लेकिन सोमू कुछ अपना माल मेरे और रानी के लिए भी बचा कर रखना।
मैंने ऊषा की किसिंग छोड़ कर रितु भाभी को पकड़ लिया और उसको एक कस के जफ्फी मारी और अपने लंड को उनकी बालों भरी चूत पर रख कर एक रगड़ा मारा। सुश्री मुझको खींचती हुई अपने वाले गद्दे पर ले गई और ऊषा को एक हैंडसम लड़के ने पकड़ लिया और किसिंग और छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया।
दूल्हे मियाँ भी एक बड़ी पतली सी लड़की के ऊपर चढ़े हुए थे और आँखें बंद कर के उसको बड़ी तेज़ी से चोद रहे थे और मैं समझ गया कि यह भी नौसिखया हैं।
सुश्री के साथ चुदाई करते हुए मुझको 10 मिनट हो चुके थे और वो तकरीबन 3 बार छुट चुकी थी और जब वो आखिरी बारी छूटी तो उसने अपनी टांगें सिकोड़नी शुरू कर दी जिससे मैं समझ गया कि उसकी काम पिपासा शांत हो चुकी है।
सुश्री के ऊपर लेटे हुए ही मैंने देखा कि एक और सांवली सी लड़की चुदाई के बाद अपने पार्टनर को हिकारत भरी नज़र से देख रही थी जिससे मैं समझ गया कि उसका साथी लड़का उसकी तसल्ली नहीं कर सका और मंज़िल आने से पहले ही घोड़ी से गिर गया है।
मैंने सुश्री को एक आखिरी गहरी चुम्मी की और फिर मैं उठ कर उस सांवली लड़की की तरफ चल पड़ा। सांवली लड़की ने पहले तो मुझको भी कोई ख़ास भाव नहीं दिया लेकिन मेरे खड़े गीले लौड़े को देख कर उसकी प्यासी आँखों में चमक आ गई। वो उठ के खड़ी हो गई और मेरा हाथ पकड़ कर उसने मुझको कस के जफ्फी मारी और मैंने भी अपने गर्म और गीले होंठ उसके लबों पर रख दिए और उसके मोटे मम्मों को टोहने लगा।
फिर मैंने उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसको गद्दे पर लिटा दिया और स्वयं भी उसके साथ लेट गया। उसके गोल गुदाज मम्मों को चूसते हुए मैं अपने मुंह से उसके स्पाट पेट को चूमते हुए और नीचे उसकी बालों भरी चूत के गीले मुख पर रख दिया। सांवली ने झट से पास पड़े हुए तौलिए से अपनी चूत को अच्छी तरह पौंछा और मेरे मुंह को चूत पर टिका दिया।
मेरी जीभ और होंठ उसकी चूत पर नाच करने लगे और वो एकदम आनन्द विभोर हो कर चिल्ला पड़ी- हाय हाय मर गई मैं… और चूसो… खूब चूसो। उफ़्फ़ सोमू राजा क्या मज़ा दे रहे हो… ओह्ह्ह ओह्ह्ह!
यह कहते हुए वो 2 मिनट में स्खलित हो गई और उसकी दोनों गोल जांघों ने मेरे सर को अपने में जकड़ लिया। उसके शरीर में हो रही कंपकंपी को सब देख रहे थे और हैरान हो रहे थे कि ऐसा क्या कर दिया मैंने कि सांवली लड़की इतनी ज़ोर का सर इधर उधर मार रही थी।
जब सांवली का स्खलन समाप्त हुआ तो मैंने उसको उठा कर घोड़ी बना दिया और उसकी प्यासी चूत में अपना अकड़ा लंड पेल दिया। अब मैं उसको धीरे धीरे चोद रहा था और उसकी चुदाई में इतना लीन हो गया था कि यह देख ही नहीं सका कि हमारे दोनों के चारों तरफ बाकी के लड़के लड़कियाँ इकट्ठे हो गए थे और बड़ी हैरानी से चुदाई का यह नया तरीका देख रहे थे।
रितु और रानी भाभी भी बड़े अचरज से यह चुदाई देख रही थी।
फिर अचानक रितु भाभी बोली- सुनो सब, सोमू और शशि जिस तरीके से चुदाई कर रहे हैं, आप सब भी उसी तरीके से करो, देखो कितना ज़्यादा आनन्द आता है। मैंने चारों तरफ देखा, सब लड़के लड़कियाँ घोड़ी वाली पोजीशन से चोदने की कोशिश करने लगे और एक दो जो इस पोजीशन को नहीं समझ पा रहे थे, उनको मैंने पास जाकर मदद कर दी।
सांवली लड़की, जिसका नाम शशि था, को मैंने घोड़ी की पोजीशन में 2 बार स्खलित किया और उसके ऊपर से उठने से पहले मैंने उस के कान के पास मुंह ले जा कर आहिस्ता से पूछा- क्यों शशि जी, आपकी तसल्ली हुई क्या? मेरे साथ शशि भी उठी और उसने मेरे सवाल का जवाब मेरे को एक टाइट जफ्फी मार कर किस कर के दे दिया।
अब मैंने बाकी सबको देखा यह जानने के लिए कि कौन खाली है तो मेरी नज़र साथ में लेटी ऊषा पर पड़ी जो मुझको एकटक देख रही थी। मैंने उसको आँख मारी और वो बड़ी कामुक तरीके से अपनी चूत में उंगली डाल कर मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही थी।
मैं झट शशि के पास से उठ कर ऊषा के पास आ गया और आते ही उसको अपनी बलिष्ठ बाहों में बाँध लिया और उसके गुलाबी होटों को चूमने लगा। उसके सुंदर मम्मों को चूसने के बाद मैंने उससे पूछा- कैसी हो जानू, कितनी बार छूटा चुकी हो अपना अब तक?
ऊषा कुछ उदास होते हुए बोली- सोमू यार एक बार भी नहीं छूटा सका मेरा कोई भी अभी तक! मैं हैरान होते हुए बोला- ऐसा है क्या? क्या सब लड़के जिन्होंने तुमसे चोदन किया, क्या तुम्हारा एक बार भी स्खलन नहीं करवा सके? अजीब बात है। ऊषा मुंह नीचे कर के बैठी रही और उसकी आँखों की कोर से एक दो मोती जैसे आंसू ढलक पड़े।
मैंने उसके लबों पर एक गर्म चुम्मी करते हुए कहा- ऊषा तो आओ फिर मैं तुम को बताता हूँ कि लड़की को कैसे चोदा जाता है ताकि दोनों को आनन्द आये! बोलो चोदूँ क्या? ऊषा हैरान होते हुए बोली- सच्ची सोमू, तुम क्या ऐसा कर सकते हो? अपना छूटा कर भाग तो नहीं जाओगे?
मैं मुस्करा कर बोला- ऊषा जी, मैं आप से वायदा करता हूँ कि जब तक आप हाथ जोड़ कर मुझसे विनती नहीं करेंगी और यह नहीं कहेंगी कि ‘बस करो मेरा हो गया है और मैं इससे ज़्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकती’ तब तक मैं आपकी चूत से अपना लण्ड निकालूंगा नहीं। बोलो मंज़ूर है?
हम जब ये बातें कर ही रहे थे तो एक बार फिर सब लड़के लड़कियाँ हमारे चारों तरफ खड़े हो गए। उन देखने वालों में अक्सर सब लड़कियों ने लड़कों के लण्डों को हाथ में पकड़ रखा था और लड़कों के हाथ अपनी साथी लड़की के चूतड़ों पर टिके हुए थे।
रितु भाभी जो यह वार्तालाप सुन रही थी, बोली- सोमू ठीक कह रहा है, अगर ऊषा को कोई लड़का भी यौन तृप्ति नहीं दे सका तो सोमू उसको पूरी तसल्ली देगा और तभी चुदाई बंद करेगा जब ऊषा हाथ जोड़ कर तौबा नहीं करेगी। क्यों, यही है ना तुम दोनों का फैसला?
अब मैंने सब लड़कों की तरफ देखा और कहा- आप सबने पूरी कोशिश करके इन लड़कियों को यौन तृप्ति देने की कोशिश की लेकिन कहीं न कहीं इन लड़कियों की पूरी तसल्ली नहीं हुई… ऐसा मुझ को लगता है! क्यों लड़कियो, क्या यह सच है? कोई लड़की भी बोली नहीं लेकिन तकरीबन सब के सर झुके हुए थे सिवाय उन लड़कियों के जो मुझसे चुदवा चुकी थी यानि 5 में से तीन के सर झुके हुए थे।
यह सुन कर रितु भाभी बोल पड़ी- तो सोमू, ये लड़के क्या करें जिससे इनके साथ वाली लड़की या औरत को पूरी तसल्ली मिल सके? मैं बोला- भाभी, अगर मैं बोलूंगा तो छोटा मुंह बड़ी बात वाला मुहावरा चरितार्थ हो जाएगा क्यूंकि यहाँ उपस्थित सभी भैया लोग मुझसे उम्र में बड़े हैं और मैं तो अभी बड़ा ही छोटा हूँ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
यह सुन कर सब हंस पड़े लेकिन एक लड़की बोल पड़ी- लेकिन हथियार तो तुम्हारा सब से बड़ा है, यह कैसे? मैं मज़ाक में बोला- वो क्या है, मैं बचपन में अपने हथियार से रसाकशी करवाया करता था सो इसलिए यह खींच खींच कर इतना लम्बा हो गया है! यह सुन कर तो सब बहुत ज़ोर से हंस पड़े और रितु और रानी भाभी तो हंसी के मारे लोटपोट हो रही थी और वो बेचारी लड़की झेंप गई।
मैं बोला- देखिये, जो कुछ आप सब कर रहे थे, वो ठीक तो था लेकिन उसमें सब बहुत जल्दी में कर रहे थे जब कि यौनक्रिया बड़े आराम से और धैर्यपूर्वक करने की ज़रूरत होती है जिससे दोनों साथियों को बराबर का आनन्द आ सके। अब मैं आप को यौन क्रिया ऊषा के साथ करके दिखाता हूँ और आप सब भी अपने पार्टनर को साथ ले लीजिए और जैसे जैसे मैं करता चलूं, आप सब भी वैसे ही करिये।
यह कह कर मैंने ऊषा को होटों पर चूमना शुरू कर दिया और अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को सहलाने लगा और फिर वही हाथ उनके चूतड़ों पर फेरने लगा। फिर मैंने ऊषा को लिटा दिया और उसके मम्मों को चूसते हुए उसके पेट को चूमते और चाटते हुए उसकी चूत की तरफ बढ़ गया और जीभ से उसके भग को चूसना शुरू कर दिया।
मेरा ऐसा करते ही वो एकदम से अकड़ गई और मेरे सर को जबरदस्ती अपनी चूत में घुसेड़ने लगी। लेकिन मेरी जीभ मस्ती से उसकी भग को तेज़ी से चूस रही थी और कुछ ही क्षण में ही ऊषा स्खलित हो गई।
बाकी के जोड़े मेरी नक़ल करते हुए अपनी साथियों को पूरा आनन्द प्रदान कर रहे थे और रितु और रानी भाभी पूर्ण विस्मय से हमारे इस कार्यकलाप को देख कर गहरी सोच में पड़ गई थी।
एक एक कर के सब लड़कियाँ स्खलित हो चुकी थी।
अब मैंने ऊषा को नीचे लिटा कर उसकी जांघों के बीच बैठ कर उसको चोदना शुरू कर दिया और बाकी जोड़ों ने भी मेरी नक़ल में वैसा ही करना शुरू कर दिया।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: storyrytr@gmail.com. Starting price: $2,000