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अब तक आपने पढ़ा..
अब उसकी चूत में मैं तेज-तेज झटकों पे झटके मारने लगा, चुदाई की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं ‘चट-चट.. चट चट..’ प्रियंका- आह.. जीजू.. मजा आ रहा है.. पेल दो अपनी साली को.. चूत का भोसड़ा बना दो.. रंडी की तरह पेलो.. अपनी साली को जीजू..
प्रियंका ने मारे जोश के सुरभि को फिर से पकड़ लिया और उसे स्मूच करने लगी.. साथ ही उसके मम्मों को दबाने लगी। वो गरम सुर में बोली- कमीनी तेरा काम हो गया.. तो भैन की लौड़ी किनारे हो गई.. चल.. मजा दे मुझको..
अब आगे..
इससे सुरभि थोड़ी हरकत में आ गई.. और वो प्रियंका के चूचे दबाने लगी.. उसके लबों को तेजी से चूसने लगी। यहाँ मैं अपना लण्ड उसकी चूत में मारते हुए.. कभी उसकी गाण्ड में अचानक से पेल देता था.. जिससे एक तेज आवाज पूरे कमरे में गूँज जाती थी ‘सपाक.. चटआक!’
लौड़े की चोट से प्रियंका का बड़ा सा मुँह खुल जाता.. और सुरभि उसकी जीभ को अपने मुँह में घुसेड़ कर तेज-तेज चूसने लगी। मैं वहाँ उसकी गाण्ड में तेज-तेज झटके पेलने लगा- फच फच फचाक..फच फच..फचाक..
मैं उसकी गाण्ड बहुत ही तेजी से बजा रहा था.. और अचानक ही मैंने प्रियंका की चूत में दो उंगली भी पेल दीं और चुदाई के झटके और तेजी से मारने लगा। सुरभि- अरे साली प्रियंका.. ले लौड़ा.. अब मजा.. आ रहा जीजू से चुदने में.. उसके मम्मों के निप्पल जो लटक रहे थे.. उसको सुरभि अपनी उंगलियों में दबा कर मींजने लगी।
‘तूने तड़पाया था न मुझको.. ले अब तू झेल..’ प्रियंका- कमीनी अभी पूरी रात बची है.. साली तेरी बारी फिर से आएगी.. उसने सुरभि के मम्मों में पूरा जोर देकर अपने आप को टाइट कर लिया।
सुरभि- आह्ह.. साली दबा इन्हें.. और दुबारा तो फिर से चुदने में मजा आएगा ही.. जीजू के हलब्बी लौड़े से.. आह.. प्रियंका- आह.. हाँ यार.. हरामी जीजू का लौड़ा है बड़ा मस्त.. मेरा बस चले तो अपनी पूरी जवानी चुदती रहूँ इनसे.. आह्ह.. अपनी चूत में इनका लण्ड घुसेड़े रहूँ अपनी गाण्ड में..
मैं उसकी चूत में करीब 20 से 25 झटके मारने के बाद उसकी गाण्ड को तेजी से पेलने लगा।
‘सपाक सपाक चटाक चटाक.. फच फच फचाक फच फच फचाक..’
मैंने देखा कि प्रियंका अब अकड़ने सी लगी है.. यह समझते ही मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसकी गोरी गाण्ड में तेज तेज चांटे मारने लगा.. और फिर से लौड़े से चूत को चोदने लगा। जिससे प्रियंका के मुँह से निकला- आह्ह.. भोसड़ी के जीजू.. लाल कर दे कुत्ते.. हरामी.. साला बड़े लण्ड वाला जीजू.. चोद दे अपनी साली को.. मादरचोद.. बहनचोद.. सालीचोद बन जा.. रंडी की तरह चोद.. हरामीईई..
यह सुनते ही मेरा लण्ड जैसे पगला गया और अँधाधुंध फायरिंग की तरह लण्ड अन्दर-बाहर जाने लगा। उसने भी अकड़ते हुए पानी निकाल दिया.. जिससे मेरा लण्ड पूरा गीला हो गया। मैं फिर भी लगातार झटके मारता रहा।
रस से सराबोर लौड़े के झटकों के कारण उसकी चूत एक अलग ही आवाज कर रही थी ‘छप चप्प चप्पाक..’
मैं इतनी तेज झटके मारते हुए उसकी चूत के पानी की कुछ बूँदें.. लण्ड को अन्दर-बाहर करते समय.. मेरे लण्ड के ऊपर के हिस्से में लग गईं जिससे मेरा लण्ड एकदम रसीला हो गया। मैंने अपना गीला-गीला लण्ड निकाल कर फिर से गाण्ड में पेल दिया.. जो सपाक से उसकी गाण्ड में घुसता चला गया.. मैं उसकी गाण्ड को तेजी से बजाने लगा.. उसकी कमर पकड़ कर तेज-तेज झटके ‘दे..दनादन’ पेलने लगा।
करीब 30 से 40 झटके मारने के बाद मेरा बदन अकड़ सा गया। मेरे हाथ.. सीने में नसें दिखने लगीं और अचानक ही पता नहीं कब.. मेरे लण्ड ने तेज धार से पानी निकाल दिया.. जो उसकी गाण्ड में भरता चला गया।
इस स्खलन से अचानक ही मेरे आँखों में नशा सा छा गया और मदहोशी में आँखों के सामने अँधेरा सा.. धुंधला सा हो गया, मैं प्रियंका के ऊपर ही अधमरा सा गिर गया.. जैसे अभी किसी ने अचानक से गोली मार दी हो।
वहाँ प्रियंका भी सुरभि के ऊपर गिर गई.. सुरभि बोली- साले चुदक्कड़ों.. हटो.. मर जाऊँगी जल्दी हटो.. प्रियंका मेरे नीचे से किसी तरह निकलते हुए सुरभि की साइड में लेट गई.. और मैं अब थोड़ा सुरभि के ऊपर और थोड़ा बिस्तर में उसी अवस्था में पड़ा रहा।
हम काफी देर ऐसे ही नशे में पड़े रहे.. फिर अचानक ही मेरे गाण्ड में तेज चांटे पड़ने से.. मैं उठ गया.. देखा तो पता चला कि मैंने करीब 40 मिनट की एक नींद की झपकी मार ली थी।
सुरभि नहाकर बाहर आ चुकी थी.. मैंने पूछा- प्रियंका कहा हैं..? तो बोली- बाथरूम में नहा रही है.. आप भी जाकर कर नहा लो.. फिर खाना खाते हैं।
मैं ‘ओके..’ बोला और उठ कर नंगा ही एक कुर्सी पर बैठ गया। सुरभि ने हल्का सा एक लम्बा सा काले रंग का टॉप पहन लिया था.. जो उसकी गाण्ड को आधा ही ढक रहा था।
यह टॉप उसके गेहुंए रंग पर बड़ा ही मादक लग रहा था। उसने दीवान की चादर झाड़ कर अलग कर दी.. और दूसरी चादर बिछा दी।
फिर उसकी नज़र मुझ पर पड़ी.. तो बोली- अरे जीजू.. आपको क्या हुआ? जाओ ना नहा लो.. मैं- हाँ जा रहा हूँ.. प्रियंका निकल आए.. सुरभि- अरे अभी भी कुछ छुपा है क्या..? उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझको बाथरूम के दरवाजे के अन्दर धकेल दिया और प्रियंका को कहा- ले सम्भाल अपने जीजू को.. मैं चली डिनर तैयार करने..
प्रियंका- आओ जीजू.. आपने आज हमको बहुत रगड़ा.. कल पूरी रात हम दोनों की खूब गान्ड मारी, अब मैं आपको रगड़ कर नहलाती हूँ.. उसने मेरे सोए हुए लण्ड को पकड़ते हुए मुझे शावर में घसीट लिया।
उसने बाल्टी से कुछ मग्गे पानी मेरे सर पर डाला.. पानी काफी ठंडा था.. शायद मकान-मालकिन.. ने अभी ही मोटर चलाई थी। मैं पूरी तरह पानी से भीग गया था और प्रियंका शावर बंद करके मेरे शरीर पर पीयर्स साबुन लगाने लगी। उसने पीठ में सब जगह.. गाण्ड के छेद में भी साबुन लगा दिया.. और अब वो मेरे लण्ड में साबुन लगाने लगी। लण्ड खोल कर सुपाड़े में भी साबुन लगा दिया, मेरा गुलाबी सुपाड़ा चमक उठा।
सब जगह साबुन लगाने के बाद.. साबुन मेरे हाथ में पकड़ा कर बोली- अब आपकी बारी जीजू..
मैंने उसकी पीठ में साबुन लगाकर गले से.. उसके गोल बड़े मम्मों (34C) पर साबुन लगाने लगा.. और साबुन लगाते हुए उसके नाभि में साबुन लगाते हुए.. उसकी चूत में साबुन लगाने लगा। मैंने साबुन से ही उसकी क्लिट को भी थोड़ा रगड़ दिया.. जिससे वो थोड़ा एक्साइट हो गई। अब मैं साबुन रख कर उसके गोल चूचों पर साबुन मलने लगा।
वो थोड़ा गरम हो गई.. और अपना एक हाथ मेरे लण्ड पर ले जाकर.. आगे-पीछे करने लगी। मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. मैं उसके चूचे मसलने लगा.. उसके निप्पल कड़क हो गए.. जो हल्के भूरे रंग के थे। उसके ऐरोला के साथ भूरे से.. जो साबुन में बहुत ही मादक लग रहे थे।
मेरे शरीर से साबुन सूखता देख प्रियंका एक हाथ से शावर चला दिया और हमारे शरीर से साबुन धुलने लगा और नीचे की और बहने लगा।
थोड़ी ही देर में हमारे शरीर से सारा साबुन गायब हो गया.. और हम एक-दूसरे को चूमने लगे। उसका एक हाथ मेरे लण्ड पर लगातार आगे-पीछे हो रहा था और हम एक-दूसरे के होंठों को चूसे जा रहे थे.. शावर के नीचे यह सब करना एक अलग ही आनन्द दे रहा था।
प्रियंका ने नीचे झुक कर मेरे लण्ड को गप्प से अपने मुँह में ले लिया और एक हाथ से मेरे लण्ड को आगे-पीछे और अपने मुँह से मेरे सुपाड़े को बेरहमी से चूसने लगी। वो मेरा लौड़ा चूसते हुए कभी-कभी दांत भी लगा दे रही थी.. और तेजी से मेरे लण्ड को चूसती चली गई।
मैंने उसके कंधे पकड़ कर उसे ऊपर उठाया.. और उसके होंठों को खाने लगा।
मेरे दोनों हाथ उसके चूचों से खेल रहे थे, उसके अंगूरों को मसल रहे थे। मैं थोड़ा नीचे होकर उसके चूचों को पीने लगा उसके मम्मों के ऊपर पानी ऊपर से गिरता हुआ.. मेरे मुँह में भी घुस रहा था.. मैं ‘स्लर्प-स्लर्प’ करके उसके दोनों चूचुकों को चूसने में मस्त था.. उसके चूचुकों को काट भी लेता था।
वो मस्ती में अपने हाथों से मेरे सर पर अपना हाथ फेर रही थी.. उसके मुँह से ‘शि.. शी.. आह्ह..’ की आवाज निकल रही थीं। मैं अपनी दो उंगलियों से उसकी चूत को सहलाने लगा.. वो अपने पैर फैला कर दीवार की आड़ में हो गई.. जिससे उसकी चूत की फांकें हल्की सी खुल गईं.. और मैंने नीचे बैठ कर उसके उसकी चूत को चूसते हुए.. उसकी चूत को अपनी दो उंगली से पेल रहा था।
काफी देर ऐसा करने के बाद मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत के नीचे से.. अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में घुसेड़ दी। इस तरह मैं उसकी चूत को चूसते हुए.. उसकी चूत में और गाण्ड में अपनी उंगली पेल रहा था.. और प्रियंका मेरा सर अपनी चूत में दबा रही थी।
फिर प्रियंका कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई, उसने कहा- जीजू.. आह्ह.. बस अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.. पेल दो न.. अपने लण्ड से मेरी गाण्ड और चूत को.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उठा और किसी तरह उसकी एक टांग अपने एक हाथ से उठाकर और दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड के पीछे ले जाकर उसकी चूत में अपना लण्ड धकेलने लगा.. और झटके मारने लगा.. जो ज्यादा तेज नहीं लग पा रहे थे।
फिर प्रियंका बोली- रुको जीजू.. ऐसे मजा नहीं आ रहा.. और उसने बाल्टी का सारा पानी गिराकर.. बाल्टी उलटी करके अपने एक टांग के नीचे रख लिया.. जिससे मेरा संतुलन सही हो गया.. और मैं अब दोनों हाथ से.. पीछे से उसकी गाण्ड पकड़ कर सीधे तेज-तेज झटके मारने लगा।
प्रियंका ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे के ऊपर से डाल लिए.. जिससे उसको और मुझको दोनों को आसानी हो गई। अब मैं अब उसकी तेजी से चुदाई करने लगा। लण्ड के अन्दर-बाहर जाने की आवाज.. ‘चट.. चट.. चटाक..’ इतनी मनमोहक और तेज हो रही थी कि बाहर डिनर तैयार कर रही सुरभि के कानों तक पहुँच रही थी।
दोस्तो, इस कहानी में चूत चुदाई गान्ड चुदाई का रस भरा पड़ा हुआ है, इसे मैं पूरी सच्चाई से आपके सामने पेश कर रहा हूँ.. आप अन्तर्वासना से जुड़े रहिये और कहानी का आनन्द लीजिए। मुझे ईमेल से अपने विचार जरूर भेजते रहिए। आपका विवान [email protected]
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