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मैं हमेशा की तरह टहलने चला गया, पास ही की एक मेडिकल शॉप से मैंने कॉफ़ी फ्लेवर के कंडोम की एक डिब्बी खरीद ली.. क्योंकि हमारी रिश्ते की शुरूआत तो कॉफ़ी से हुई थी। आप लोग सोचेंगे कंडोम क्यों.. जस्ट फॉर सेफ्टी.. ये हमारा पहली-पहली बार था न.. वैसे भी टेंशन और प्यार एक साथ नहीं हो सकते।
अभी रात के 12 ही बजने वाले थे.. बाहर ठण्ड का माहौल हो गया था.. चांदनी रात थी और भी मजा आ रहा था। मैं अपने कमरे में गया.. तैयार हुआ और 12:21AM मैंने पूनम के कमरे के डोर को नॉक किया.. उसने अन्दर से पूछा-कौन? ‘मैं हूँ.. दरवाजा खोला यार..’ उसने मुस्कुरा कर दरवाजा खोल दिया।
अब आगे.. मैं तो उसे देखकर दंग रह गया, वो तो बिल्कुल हॉट माल लग रही थी। रेड एंड ब्लैक नेट वाली नाइटी.. पिंक ब्रा एंड पैंटी.. और ऊपर से उसके खुले हुए सिल्की बाल.. जो बार-बार उसके गालों और स्तनों को छू कर शरारत कर रहे थे। बदमाश कहीं की.. बिल्कुल गजब ढा रही थी वो उस दिन..
मैं झट से अन्दर आया और डोर लॉक किया, वो जैसे ही पीछे मुड़ी मैंने उसको बाँहों में भर लिया, मेरे हाथ उसकी पतली कमर को जोरों से जकड़े हुए थे। वो बिल्कुल मक्खन की तरह पिघल गई जैसे गर्म तवे पर मक्खन पिघलता है मैंने उसी पोज में उसकी गर्दन पर पड़े बालों को सरकाया और गरदन पर चुम्मी ले ली।
उसने आँखें बंद कर एक गहरी साँस ली.. तभी एक ठंडी हवा का झोंका आया और उसका और मेरा दोनों बदन सिहर गए.. मैं गया और मैंने सारी खिड़कियाँ बंद कर दीं। मैं आज हम दोनों के बीच किसी तीसरे को नहीं आने देना चाहता था।
अब उस कमरे में खिड़कियों से आती चाँद की चांदनी.. लाल बल्ब की रोशनी.. एक प्यारी सी खामोशी.. और दो तपते जिस्म.. जो एक होने को बेकरार थे। मैंने उसकी तरफ देखा.. उसने मेरी तरफ, हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में समा गए.. एक-दूसरे को जकड़ कर पकड़ लिया.. जैसे हम एक-दूसरे को छोड़ेंगे ही नहीं।
मुझे याद नहीं कि हम एक-दूसरे को कितनी देर तक यूँ ही बाँहों में लिए रहे होंगे। फ़िर मैंने उसके चेहरे को हाथों में लिया और उसके अधरों पर अपने अधर रख दिए, हम एक-दूसरे के अधरों को बहुत देर तक यूँ ही चूमते रहे.. एक-दूसरे की जीभ को निशाना बनते रहे।
मैंने उसकी नीचे वाली होंठों को दांत से काट लिया, उसके मुँह से सिसकारी निकल गई.. उसने मेरे होंठों को चबाना शुरू कर दिया। अब धीरे-धीरे मेरे हाथ उसके कन्धों की तरफ बढ़े.. मैंने धीरे-धीरे उसकी नाइटी उतारना और हाथों और कन्धे पर चुम्मी करना शुरू कर दिया। मैंने उसकी पीठ.. गरदन.. हाथ.. शोल्डर्स सभी जगह चूमा।
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.. अब तक मेरे चुम्बनों से वो पूरी लाल हो चुकी थी और गर्म आहें ले रही थी।
अब उसकी नाइटी उसके गोरे जिस्म से अलग हो चुकी थी। बस उसके जिस्म पर ब्रा और पैंटी बची थी.. अब उसने मेरी शर्ट उतार दी और मेरी छाती से लिपट कर मुझे चुम्मी करने लगी। उसने मुझे अपने चुम्बन से पूरा गीला कर दिया.. फिर उसने मेरी जीन्स निकाल दी। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था..
वो घड़ी आ गई.. जिसका मैं कई दिनों से इंतज़ार कर रहा था। मैंने उसके मम्मों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूसने और सहलाने चालू कर दिए।
वो सिसकारियाँ लेने लगी.. आवाजें निकालने लगी। मैंने उसके स्तनों को ब्रा से आज़ाद कर दिया। क्या बताऊँ दोस्तो.. क्या चूचे थे.. गोरे-गोरे गोल-गोल मम्मे.. जिसे कोई एक बार देख ले.. तो पागल हो जाए।
उसके ग़ोरे-गोरे मम्मों के ऊपर काले-गुलाबी चूचुक.. क्या तूफ़ान लग रहे थे। मैंने तो उसके एक मम्मे को पकड़ा और चूसना चालू कर दिया और एक हाथ से उसके दूसरे स्तन को सहलाना और निप्पल को मींजना चालू कर दिया।
वो जोर-जोर से साँसें लेने लगी.. मैंने भी और जोर-जोर से चूसना और काटना शुरू कर दिया। ऐसा लग रहा था कि मैं मम्मों को चबा जाऊँगा।
उसने बोला- आह्ह.. यार रहम करो मेरे स्तनों पर.. लेकिन मैं थोड़े ही छोड़ने वाला था… सालों ने बड़ा तड़पाया है.. मैंने उसके हाथों को अपने लिंग पर रख दिया.. वो उसे सहलाने लगी.. थोड़ी देर में मेरा पानी निकलने लगा। मैंने उसकी चूत भी देखी.. अब वो भी गीली हो गई थी।
हम दोनों बिस्तर पर लेट गए.. वो मेरे ऊपर आ गई और मेरा अंडरवियर निकाल दिया। मेरा 6 इंच का लंड फुँफकार मारता हुआ बाहर आ गया, वो बिल्कुल लाल और गुस्से में लग रहा था। पूनम बोली- इतना बड़ा..! मैंने कहा- ओनली फोर यू.. माय लव..
उसने जैसे ही उसे अपने हाथों से मेरे खड़े लौड़े को पकड़ा.. मुझे एक करंट सा लगा। उसने मेरे लंड के मुँह पर एक चुम्बन कर दिया और फिर मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर ऊपर-नीचे करने लगी।
मैं तो मानो किसी दूसरी ही दुनिया में विचरण कर रहा था। वो मेरे लंड को पूरा प्यार दे रही थी.. वो लंडरस की एक बूंद भी बर्बाद नहीं कर रही थी। वो उसे पूरा मुँह में ले रही थी.. जैसे निगल जाएगी। मेरा पूरा लंड भीग चुका था और एक बार पानी छोड़ चुका था.. जिसे पूनम ने पूरा पी लिया था।
वो अब भी मेरे लंड से खेल रही थी.. लंड और आंड दोनों को प्यार कर रही थी। अब वो थोड़ा ऊपर आई और मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगी।
मैंने उसको बाँहों में जकड़ा और उसको अपने नीचे कर दिया लेकिन हमारे होंठ अभी भी एक-दूसरे को नहीं छोड़ना चाहते थे। मैं फिर धीरे-धीरे नीचे की तरफ बढ़ने लगा और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने और चाटने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी और मदहोश होने लगी।
मैंने उसकी चूत को उसकी पैंटी की गिरफ्त से आज़ाद कर दिया, अब हम दोनों ही नंगे पड़े हुए थे, मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत चाटने लगा.. बहुत कसी हुई चूत थी।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालनी शुरू कर दी.. थोड़ी सी उंगली डालते ही उसने मेरा हाथ रोकने के लिए अपना हाथ बढ़ाया.. मैंने उसके हाथ को रोक दिया और उंगली अन्दर डालने लगा। एक इंच उंगली डालते ही उसने गाँड उठा दी और बोलने लगी- अर्ज़ुन अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. डाल दो अपने लंड को.. बुझा दो इसकी प्यास.. अब बर्दाश्त नहीं होता।
मैंने भी अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने की कोशिश की। पहली बार तो लंड फिसल गया.. मैंने फिर और धक्के के साथ कोशिश की और लंड थोड़ा अन्दर चला गया। उसकी हल्की सी दर्द भरी ‘आह्ह..’ निकल गई।
मैंने अब और जोर से धक्का लगाया तो लंड एकदम चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया.. उसकी चीख निकल गई, बोली- अर्जुन मर जाऊँगी.. निकालो इसको! मैंने उसके अधरों पर अपने अधर रख दिए.. और फिर एक जोरदार धक्का लगाया और इस बार पूनम की आँखों से आंसू निकलने लगे.. लेकिन ये ख़ुशी और संतोष के आंसू थे।
अब मैं प्यार से धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा, पूनम को अब मजा आ रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं जोर-जोर से धक्के लगाता और पूनम अपनी गाण्ड उठा-उठा कर सहयोग देती।
ठीक-ठीक टाइम तो नहीं पता लेकिन फिर भी काफ़ी देर तक तो मैं उसकी चूत में लंड से वार करता रहा, फिर हम दोनों थोड़े ढीले पड़ गए.. वो भी बह गई और मैं भी..
मैंने देखा कि मेरा लंड खून से लथपथ हो गया है.. मैंने पूनम को अपनी बांहों में जकड़ लिया। हमने एक-दूसरे के होंठों में होंठ फंसा लिए और चूसने लगे।
ढाई घंटे के बाद हम दोनों की कामोत्तजना फिर भड़की और फिर चूत लंड की एक प्यारी सी जंग छिड़ गई।
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दोस्तो, स्त्री-पुरुष मिलन क्या होता है, यह मैंने उस दिन जाना.. मैं अगर सच बताऊँ.. तो इस अनुभव को शब्दों में ब्यान कर पाना बहुत मुश्किल है।
आगे और एक हफ्ते शिमला में क्या हुआ.. अगले अंक में.. मैं जरूर बताऊँगा। आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. जरूर बताइएगा। [email protected]
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