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मेरे प्यारे दोस्तो, लड़कियों की प्यारी-प्यारी चूतों को मेरा सलाम.. मेरा नाम अयान है, मैं पाकुड़ का रहने वाला हूँ। मैं एक गोरा और खुबसूरत लड़का हूँ.. मेरा कद 5 फुट 6 इंच है.. मेरा लंड 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है। मैं बी.सी.ए का छात्र हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियामित पाठक हूँ और मुझे चुदाई का बहुत शौक है.. चोदने में मैं बहुत मशहूर भी हूँ। यह मेरी नई कहानी है.. जो आप सबके साथ शेयर करना चाहता हूँ।
बात 3 महीने पहले की है.. जब मैं 12वीं में पढ़ता था। स्कूल की पढ़ाई में ये मेरा अंतिम वर्ष था। मेरा परीक्षा सेंटर शहर से बाहर पड़ गया था.. जो कि लगभग 10 किलोमीटर दूर था। मैंने सोचा क्यों ना उधर ही कोई रूम ले लूँ और वहीं रहूँ।
तो मैंने ऐसा ही किया.. एक रूम भाड़े पर ले लिया और वहाँ रहने लगा। कुछ दिन बाद मैंने देखा कि मेरे पड़ोस में एक बहुत ही खूबसूरत माल था और वह भाभी छत पर कपड़े सुखा रही थी। मैंने जब उसे देखा.. तो उसी में खो गया। दोस्तो, सच कह रहा हूँ वो हसीना क्या माल थी.. पूछो मत..
जैसे कोई परी जमीन पर आ गई हो! उसका फिगर 36-32-34 का था। मैंने मन ही मन उसे चोदने का तय कर लिया। तब से मैं रोज-रोज छत पर जा कर पढ़ता था और रोजाना वो भाभी छत पर कपड़ सुखाने आती थी.. तो मैं उन्हें देखता रहता था। जब वह मेरे तरफ देखती.. तो मैं अपना सर झुका लेता था।
ऐसा बहुत दिन चला मैं सोचता रहता कि इस तरह कभी भाभी से बात हो पाएगी कि नहीं।
एक दिन मैं छत पर बैठा था.. तो अचानक आवाज आई सुनिए.. मैं डर गया कि कौन है? फिर मैंने देखा कि भाभी आवाज दे रही हैं.. तो मैं उनके पास को गया और मैंने पूछा- हाँ, बोलिए..?? उन्होंने कहा- आपकी छत पर मेरा कपड़ा गिर गया है.. जरा दे दीजिएगा।
मैंने कहा- कहाँ गिरा है? तो उन्होंने इशारे से दिखाया- वहाँ साइड में.. मैं जब उस कपड़े को देखा तो हैरान रह गया.. वहाँ उनकी ब्रा ओैर पैंटी गिरी हुई थी। मैंने उठा कर दे दिए.. तो उन्होंने मुझे धन्यवाद कहा और हँस कर चली गईं। यह शुरूआत थी।
इसके बाद हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई और हम लोग रोजाना बातें करने लगे थे। उनके पति की कपड़े की दुकान थी.. उनकी शादी को अभी कुछ ही साल हुए थे.. लेकिन उनका कोई बच्चा नहीं हुआ था। फिर मैं उनके घर आने-जाने लगा था, मैं उससे बहुत घुल-मिल गया था।
एक दिन भाभी ने मुझे आपका मोबाइल का मेमोरी कार्ड दिया और बोली- मुझे अच्छे से गाने डाल कर दे देना। मैंने कार्ड ले लिया और घर वापस चला आया। उसके बाद मैंने गाने डाउनलोड करना शुरू किए.. तो मेरे दिमाग में शैतानी बुद्धि आया.. कि इस मेमोरी कार्ड में कुछ ब्लू-फिल्म डाल दूँ और मैंने एक क्लिप डाल भी दी।
फिर भाभी के घर गया.. तो भाभी ने पूछा- हो गए? मैंने कहा- हाँ हो गए.. कुछ देर यूँ ही बातचीत के बाद भाभी बोली- आज यहीं खाना खा लेना। मैंने ‘ना.. ना..’ कहा.. लेकिन भाभी नहीं मानी.. तो मैं राजी हो गया।
मुझे कुछ डर भी लग रहा था कि कहीं मेरे सामने अपना मेमोरी कार्ड ना खोल लें.. नहीं तो गड़बड़ हो जाएगी। उसके बाद में टीवी देखने लगा.. फिर खाना बना कर भाभी बोली- मैं जरा नहा कर आती हूँ। मैंने कहा- हाँ ठीक है। मैं टीवी देखता रहा।
उसके कुछ देर बाद भाभी नहा कर अपने कमरे से बाहर आई.. तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं.. वो पूरा सज-संवर के आई थी.. और सफेद साड़ी-ब्लाउज के साथ लाल ब्रा पहन कर आई थी। उसका ब्लाउज सफेद होने के कारण छोटी सी ब्रा पूरी साफ़ दिखाई दे रही थी। उस छोटी सी ब्रा में उसके बड़े-बड़े मम्मे बड़े मस्त दिख रहे थे।
उन्हें देखकर मेरे होश उड़ गए थे, मन तो कर रहा था कि अभी जाकर उनके मम्मे को मैं अपने मुँह में भर लूँ.. लेकिन एक अजीब सा डर था।
फिर भाभी मेरे पास आकर पूछने लगी- कैसी लग रही हूँ? तो मेरे मुँह से निकला- बहुत सेक्सी लग रही हैं.. सच में.. तो वह मुस्कुराने लगी और बोली- शैतान कहीं का.. फिर भाभी ने मुझसे पूछा- परीक्षा की तैयारी ऐसी चल रही है? मैंने कहा- सब अच्छा है।
‘हम्म..’ फिर मैंने पूछा- भैया घर पर कितने बजे आते हैं? तो उन्होंने कहा- आज वह कोलकाता गए हुए हैं.. कल आएँगे।
अब मैं उनसे खुल कर बात करने लगा और अपनी कामलोलुप निगाहों से उनके मम्मों को देखने लगा। शायद वह जान गई थी कि मैं उनके चूचों को देख रहा हूँ। तो उन्होंने पूछा- देखूँ.. तुम कैसे डालते हो? मैं चौंका- क्या.. भाभी? ‘नहीं समझे?’ उन्होंने इठला कर कहा। ‘नहीं..’ ‘अरे गाना कैसे वाले डाले हो?’
मैं थोड़ी देर के लिए डर गया कहीं भाभी उस ब्लू-फिल्म को देख ना लें। वह वीडियो चालू करके देखने लगीं अचानक वो ब्लू फिल्म चालू हो गई और वह उसी को देखने लगीं और उन्होंने पूछा- ये क्या डाल दिया है तुमने? तुम बहुत बदमाश हो.. मैं तो डर गया कि कहीं किसी को बता ना दे.. लेकिन हुआ उसका उलट.. भाभी मजे से ब्लू-फिल्म देखने लगी.. और मुझे भी दिखाने लगी।
अब हम दोनों फिल्म देखने लगे.. भाभी ने अचानक से मेरे लंड पर हाथ रख दिया और सहलाने लगी। मैंने देखा कि भाभी गर्म हो रही है.. तो मैंने भाभी सोफे को पर लिटा दिया।
फिर मैं उसको धीरे-धीरे चुम्मन करने लगा.. उसके होंठ में लिपस्टिक लगी हुई थी.. चुम्बन के कारण थोड़ी लिपस्टिक मेरे होंठों में भी लग गई। उसके बाद मैंने भाभी को पैरों से चूमना चालू किया.. और पूरा होंठ तक चूमता चला गया। उसके बाद मैंने उसके मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से चूमना चालू कर दिया। भाभी के बड़े-बड़े मम्मों को चूमने में क्या मस्त मजा आ रहा था..।
फिर मैंने धीरे-धीरे उनका ब्लाउज खोलना चालू किया.. जब ब्लाउज खोल रहा था तो भाभी ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। मैंने ब्रा खोलना चालू किया.. ब्रा बहुत ही तंग थी.. फिर भी किसी तरह ब्रा को खोला.. जैसे ही ब्रा खुली तो ऐसा लगा कि जैसे कोई कबूतर कैद से बाहर निकल आए हों.. एकदम गोरे.. बड़े-बड़े..
मैं उसके मम्मों को दबाने लगा.. तो वह अजीब सी आवाज निकालने लगी-अह..उह.. मैंने धीरे से बाकी कपड़ों को उतारता हुआ उसकी बुर में उंगली करने लगा। मैंने देखा कि वो अभी बाथरूम से ही अपनी झांटें साफ करके आई थी।
फिर मैं उसकी बुर में मुँह लगा कर चाटने लगा.. तो वह फिर आवाज निकालने लगी- आहह.. उहह.. अह.. उहहह.. और चाटो.. मेरी चूत को खा जाओ.. भाभी एकदम से अकड़ने लगी.. फिर वो झड़ गई।
उसके बाद मैं खड़ा हुआ और भाभी को भी खड़ा किया और मैंने अपनी पैंट खोल दी। भाभी ने जब मेरा लंड देखा.. तो चौंक गई और पूछने लगी- ओह्ह.. इतना बड़ा कैसे बनाया.. इतना सॉलिड.. मैंने कहा- वो छोड़ो.. अब अपने मुँह का टैलेंट दिखाओ।
वह मुस्कुरा दी और जोर-जोर से मेरे लौड़े को आईसक्रीम की तरह चूसने लगी.. जैसे वो पक्की चुसक्कड़ हो.. वो मेरे सुपाड़े को अपनी जीभ से चारों और से चाट रही थी।
मैंने कहा- मुँह में लेकर अन्दर-बाहर करो न.. अपने अयान को पूरा मज़ा दो। बोली- तुम्हारा बहुत बड़ा है देवर जी.. कोशिश कर रही हूँ.. लेकिन मैं पूरा तो क्या आधा भी नहीं ले सकती हूँ।
तो मैंने पोजीशन बदली और उसको नीचे लिटाया और खुद लंड को लेकर उसके मुँह के ऊपर उसके हाथों को दबाकर बैठ गया और कहा- लो.. अब कोशिश करो और मैं भी मदद करूँगा।
मैं जोश में आया.. उन्होंने गपक कर मुँह में मेरा लौड़ा आधा भर लिया और चूसने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर दो मिनट के बाद मैंने कहा- अब मुझे करने दो। मैंने उनके मुँह को धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया। जब मैं और गर्म होने लगा तो स्पीड बढ़ा दी और वो ‘शउह्ह.. उह्हष्..’ करने लगी।
मैंने लंड बाहर निकाला और उसने लंड पर ढेर सारा थूक लगा दिया। एक पल के लिए हम दोनों ने एक-दूसरे को कामुकता से देखा और भाभी ने फिर से मेरे चूतड़ों को दबा कर लंड को अपने मुँह में ले लिया। कुछ देर की मस्त लण्ड चुसाई के बाद मैंने उसके मुँह से अपना लंड निकाला और चूत के मुँह में लगा दिया।
भाभी बोलने लगी- देवर जी जल्दी करो.. अब रहा नहीं जाता। मैंने धीरे-धीरे लौड़ा डालना शुरू किया.. लेकिन उसकी बुर बहुत तंग थी।
मैंने जोर लगाया.. लेकिन काम फिट नहीं हुआ.. फिर थोड़ा थूक लगाया और जोर से धक्का मारा.. तो थोड़ा अन्दर गया। भाभी जोर से चिल्ला उठी- आहहह..
मैं डर गया कि क्या हुआ। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया तो भाभी बोली- निकाला क्यों.. चोदो न मुझे.. और फाड़ दो मेरी फुद्दी को.. मैंने फिर से जोर लगाया और आधा डंडा चूत में घुसेड़ दिया और अन्दर-बाहर करने लगा। अब भाभी को मजा आने लगा।
उसके बाद लगभग 20 मिनट तक अन्दर-बाहर किया और मैं चूत में ही झड़ गया। मैं निढाल होकर वहीं भाभी के ऊपर लेट गया। भाभी भी झड़ चुकी थी। फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों नहा कर खाना खाने बैठे और बातें करने लगे।
उस दिन के बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा। उसके बाद मेरी परीक्षा खत्म हो गईं और मैं अपने घर चला आया।
अभी जब भी मौका मिलता है.. तो भाभी के पास चला जाता हूँ और भाभी को जब चुदवाने का मन करता है.. तो मुझे फोन करके बुला लेती हैं। [email protected]
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