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मैंने उसके बालों में उंगली फेरते हुए कहा- मंजरी जी! वो बोली ‘हूँ’ और फिर एकदम से चौंक कर बोली- मंजरी तो हुआ, ये जी क्या है? सिर उठा कर वो मेरी तरफ देखते हुए बोली- सरदार जी, धोखा तो नहीं दोगे ना? उसकी इस बात से मैं थोड़ा गंभीर हो कर बोला- देखो मंजरी, इस तरह के रिश्तों का कोई भविष्य नहीं होता!
फिर एक पल रुक कर मैं बोला- मंजरी, समाज इन रिश्तों को मान्यता नहीं देता, इस रिश्ते की ज़रूरत और अहमियत को आपके जैसे और मेरे जैसे लोग ही समझ सकते हैं, पर इस रिश्ते को हम कोई नाम नहीं दे सकते।
मेरी बात सुनकर वो भी थोड़ी गंभीरता से बोली- दलबीर जी, मैं आपसे कोई भी इच्छा या माँग नहीं रख रही हूँ और ना ही कभी भविष्य में कभी रखूँगी पर मेरा धोखे से मतलब था कि कभी किसी को बताओगे तो नहीं और दूसरे जब तक मेरे पति नहीं आते तब तक आप मेरी सहयता करोगे, बदले में मैं आपसे और कुछ भी नहीं माँगूंगी। हाँ, आपको आपसदारी में कोई ज़रूरत हो तो आप बेझिझक एक दोस्त तरह मुझसे कह सकते हैं। मैं आपके काम आने की पूरी कोशिश करूँगी।
मैंने कहा- ठीक है डियर, मैं तुम्हारी बात को देर से समझा हूँ, बल्कि मैं तुम्हारी बात का मतलब कुछ और समझा था। इस पर वो मुस्कुरा कर बोली- तुम्हारी ग़लती नहीं है बल्कि आदमी होते ही थोड़े बुद्धू हैं। यह कह कर वो उठी और अपनी पेंटी से ही अपनी योनि को पोंछते हुए बाथरूम में चली गई।
मैंने देखा कि मेरे लिंग पर लगा हुआ वीर्य और मंजरी का पानी सूख चुका था, मैं भी उठा और उसके पीछे ही मैं भी बाथरूम में घुस गया, मुझे भी पेशाब भी आ रहा था। उधर वो भी सीट पर बैठ कर पेशाब कर रही थी और जैसी कि स्त्रियों के पेशाब करने से शूऊऊर्र शर्र की आवाज़ आती है, वैसी ही आवाज़ आ रही थी जिससे मुझे दोबारा से उत्तेजना महसूस होने लगी।
पर मैंने पेशाब किया, तब तक मंजरी पेशाब करके उठ चुकी थी, उसने पानी वाला प्लास्टिक का पाइप पकड़ा और टोंटी खोल कर अपनी योनि को धोने लगी। योनि और जांघों को अच्छी तरह से धोकर उसने पाइप मुझे पकड़ा दिया, मैंने भी अपने लिंग को अच्छी तरह से खोल कर धोया।
मेरा दोबारा मन कर रहा था, बाहर आकर देखा तो मंजरी रूम में नहीं थी पर उसके कपड़े वहीं पड़े हुए थे। मुझे थोड़ी सी शरारत सूझी तो मैंने आवाज़ लगाई- अजी सुनती हो, कहाँ गईं? तो मंजरी की आवाज़ रसोई में से- आई जी, अभी आई।
मैंने घड़ी देखी तो अभी 2:25 हुए थे तो मैंने सोचा कि अभी तो लैब पर जाने में ढाई घंटे हैं तो एक बार और किया जा सकता है पर साथ ही मन में यह भी आ रहा था कि वो मेरे बारे में ग़लत ना सोचे अगर कोई पाठक ऐसी स्थिति में से गुज़रा हो तो समझ सकता है कि ऐसी स्थिति में मन में किस तरह के विचार आते हैं।
पर मैं अभी अपना मन कड़ा करके रसोई की तरफ जाने ही वाला था कि मंजरी ट्रे में दो गिलास रख कर ला रही थी और एक ढक्कन वाली चीनी का डोंगे जैसा बर्तन भी था ट्रे में! मंजरी ने एक फुल साइज़ का तौलिया लपेटा हुआ था जिसमें वो बहुत सेक्सी लग रही थी।
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मैंने हाथ से इशारा करके पूछा- क्या है? पर तब तक उसने ट्रे लाकर पलंग पर रख दी थी। मैंने देखा कि दोनों गिलासों में गर्म दूध था। अब तक उसने डोंगे का ढक्कन भी हटा दिया था, उसमें ड्राई फ्रूट, बादाम काजू, किशमिश आदि थे।
मैंने कहा- इस सब की क्या ज़रूरत थी? तो वो मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए बोली- सरदार जी, इस काम के बाद गर्म दूध और मेवे खाए जाएँ तो कमज़ोरी नहीं आती और मर्द में हमेशा घोड़े जैसी ताक़त रहती है। फिर एक पल रुक कर बोली- समझे कि नईं? मैंने हंसते हुए कहा- जी समझ गया मालकिन!
तो वो थोड़ा भावुक होते हुए बोली- खबरदार अगर दोबारा मालकिन कहा, मैं तो महबूबा बनना चाहती हूँ। उसकी यह बात सुन कर मैं सोच में पड़ गया, थोड़ी देर रुक कर मैं बोला- ये सब सोच कर बोल रही हो ना? तो वो ठहरे हुए स्वर में बोली- मुझे इस बेशर्मी के लिए 6 साल सोचना पड़ा, अगर मुझे बेशर्मी ही करनी होती तो मैं कब से कर चुकी होती। मेरे पति के यहाँ ना रहने पर भी मैंने कोई कदम नहीं उठाया, और अब अगर यह कदम उठाया है तो वो भी अपने पति की मर्ज़ी से, तो इसका मतलब है कि मैं कोई बेवफा नहीं हूँ और अगर मैं वफ़ादार हूँ तो अब पति के बाद आपके साथ वफ़ादार ही रहूंगी और मैं आपका साथ तब तक नहीं छोड़ूँगी जब तक आप ना छोड़ो।
‘और अगर मैं वफ़ादार ना रहा तो?’ मैं बोला। ‘आपको मेरी तरफ से कोई रोक टोक नहीं होगी अगर आप कहीं भी जाओ… पर अपने जिस्म का और सुरक्षा का ख्याल रखना!’ उसने अपनी गंभीर आवाज़ में कहा। मुझे उसकी बातों से एहसास हो गया कि वास्तव में इस औरत का दिल बहुत बड़ा है।
मैं चुप हो गया और मंजरी के जीवन के बारे में सोचने लगा। उसने मुझे चुप देख कर दूध का गिलास मेरे हाथ में पकड़ा दिया और अपने हाथ से मुझे बादाम खिलाने लगी। मैं कुछ शरारत से बोला- बकरा हलाल करने पहले खिला पिला रही हो!
इस पर वो भी शरारत से बोली- नहीं… सांड को जोतने से पहले उसकी सेवा कर रही हूँ। मैं बोला- सांड खेती के काम नहीं आता! तो वो भी आँख मारते हुए बोली- मुझे भी खेत नहीं जुतवाना… मुझे तो इस सांड से गाय की सेवा करवानी है।
ऐसे ही बातों बातों में दूध ख़त्म हो गया। दूध ज़्यादा गर्म भी नहीं था लगभग 10-12 बादाम और करीब इतने ही काजू उसने मुझे खिला दिए।
अब हम क्योंकि एक पारी तो खेल ही चुके थे और धो पोंछकर साफ भी कर चुके थे और गर्म दूध से ताज़गी भी आ गई थी, मेरी नीयत तो खराब हो ही चुकी थी, पर लगता था कि उसका मन भी अभी नहीं भरा था। वो पलंग पर बैठने की बजाए मेरे पास ही खड़ी हो गई और मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी।
मैंने भी अपना बाँया हाथ बढ़ा कर उसकी कमर में डाला और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होंठों पर पहले चुम्बन करने लगा और करीब दो मिनट तक उसके होंठों को चाटता रहा और फिर उसके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया।
मेरी इस हरकत से वो भी गर्म हो गई और उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डॉल दी और पूरे मुँह में घुमाने लगी। मैंने उसे कमर से पकड़ कर और ज़्यादा करीब खींचा और अपने साथ ही लिटा लिया, उसके लेटते ही मैंने उसके तौलिए की गाँठ खोल दी और उसके एकदम गोरे स्तन मेरे सामने आ गये। मैं उठ कर बैठ गया और उसे पूरे शरीर को निहारने लगा क्योंकि पिछला राउंड तो अधिक उत्तेजना की वजह से जल्दी जल्दी हो गया था, अब की बार मैं उसे भोगने से के साथ साथ महसूस करना चाहता था।
मैंने जो देखा, क्या कमाल का शरीर था, मैंने उसे माथे से नीचे की ओर देखना शुरू करा…
घने लंबे बाल जो मुझे वैसे भी बहुत पसंद हैं, चौड़ा माथा, पार्लर से बनवाई हुई आइब्रो गहरी काली बड़ी बड़ी आँखें जो बिना काजल के भी काजल लगी हुई जैसी दिख रही थीं। भरे भरे गाल, लंबा तीखा नाक, पतले गुलाबी होंठ, बहुत ही सेक्सी तीखी ठुड्डी ऊपर वाले होंठ पर बाँई तरफ एक तिल, जो उसको बहुत सेक्सी दिखने में हेल्प कर रहा था। लंबी सुराही दार गर्दन, लगभग 36 साइज़ के मम्मे मूँगफली के दाने से थोड़े बड़े निप्पल हल्के भूरे रंग के और उनको चारों ओर से घेरे हुए छोटा सा ऐरोला जो भूरे और गुलाबी रंग के बीच के रंग का था जैसे किसी कुंआरी लड़की का होता है। एकदम सपाट पेट, छोटी सी नाभि और उसके नीचे पेड़ू भी एकदम से सुतवाँ और प्लेन, उसके नीचे योनि प्रदेश एकदम गोरा और बाल रहित ऐसा लगा रहा था कि जैसे आज सुबह ही उसने बाल काटे हों। छोटी सी पतली से योनि उसमें से हल्का सा बाहर दिखता हुआ उसका भग्नासा, उसकी योनि एकदम नर्म नर्म लग रही थी जैसे किसी छोटे बच्चे के गाल हों बिल्कुल गोरी ऐसे लग रही थी जैसे किसी नई नवेली, कम चुदी हुई दुलहन की हो जांघों के जोड़ बहुत सेक्सी दिख रहे थे, केले के तने जैसी चिकनी जांघें!
अब मैंने फिर से एक एक अंग का निरीक्षण करते हुए नीचे से ऊपर की ओर निगाह घुमाई वो अधखुली आँखों से मुझे निहार रही थी, उसके होंठों पर एक प्यारी सी मुस्कान थी और इस मुस्कान के साथ वो साक्षात काम की देवी लग रही थी।
जैसे ही मेरी नज़र उसकी नज़र से मिली, उसने मेरी बाँह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींचा और मैं भी उसकी ओर झुकता चल गया और मैंने उसके चेहरे के पास अपना चेहरा ले जाकर उसके माथे से चुम्बन करने शुरू कर दिए पहले उसका माथा चूमा फिर मैंने माथे को चाटना शुरू कर दिया।
करीब एक मिनट तक माथा चाटने के बाद मैंने उसके गाल चाटने शुरू कर दिए बारी बारी से कभी बाँया तो कभी दाँया… बीच बीच में उसके होंठों पर भी जीभ फेर देता था। पर जैसे ही वो अपना मुँह खोलती, मैं अपनी जीभ को वहाँ से हटा लेता लेकिन अपनी जीभ को उसके मुँह में नहीं जाने दे रहा था। लेकिन इस बार जैसे ही मैंने जीभ उसके होंठों पर फेरी उसने कचकचा कर मेरा सिर कस के पकड़ लिया पर मैंने भी जीभ उसके मुँह में ना दे कर वापस अपने मुँह के अंदर कर ली पर उसने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया और बड़े ही जोश के साथ और ज़ोर के साथ चूसना शुरू कर दिया।
अब उत्तेजना का आलम यह था की मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया क्योंकि एक बार तो हम निपट चुके थे तो इस बार ये दौर थोड़ा लंबा चलने वाला था। इसलिए मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी।
हम बड़े ही जोश के साथ एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे, इसके साथ ही मेरे हाथ उसके स्तनों पर घूम रहे थे और कभी कभी मैं उसके निप्पल को पकड़ कर ज़ोर से मसल देता और जैसे ही मैं ऐसा करता, उसके मुँह से सस्स्स स्स्स्स्स स्सस्स सिसकारी निकल जाती और इसके साथ ही वो मेरे चेहरे को अपने हाथों में कस कर अपनी ओर खींचती।
करीब 7-8 मिनट तक उसके होंठ चूसने के बाद मैंने अपना सिर वहाँ से हटाया, सीधे उसकी छातियों पर ले गया और मैंने उसक बाँया स्तन अपने मुँह में भर लिया और पूरे ज़ोर से चूसने लगा। इस बार मुझे पता नहीं क्यों पहली बार से भी ज़्यादा जोश आ रहा था।
बीच बीच में मेरे दाँत उसके निप्पल पर लग जाते, हालाँकि मैं यह सोच रहा थी कि कहीं मेरे ऐसा करने से उसे तकलीफ़ ना हों, पर फिर भी जोश में दाँत लग ही जाते थे। और जैसे ही मेरे दाँत उसकी निप्पल पर लगते उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती ‘स्स्स्स स्स्स्स्सीईई ईईईईईई आआ आआहह…’
कुछ देर लगातार बाँया निप्पल चूसने के बाद मैंने उसका दायां निप्पल चूसना शुरू कर दिया और बाँये को हाथ से मसलना शुरू कर दिया, फिर बारी बारी से उसके मम्मे बदल बदल कर चूसने शुरू कर दिए और साथ ही साथ मैं उन्हें इस प्रकार से दबा रहा था कि जैसे सारा रस आज ही निचोड़ दूँगा।
हालाँकि मैं यह जानबूझ कर नहीं कर रहा था पर उस वक्त मुझे पता भी नहीं था कि मैं ऐसा कर रहा हूँ, बस इतना था कि जोश बहुत अधिक था। वो तो मुझे बाद में एहसास हुआ, वो भी मेरे जंगलीपन पर कोई ऐतराज़ नहीं कर रही थी। बस जैसे ही मैं उसके निप्पल को ज़ोर से चूसता था तो उसके मुँह से ‘सीईईई ईईई सस्स्स स्स्सिईईई ईईईई…’ सिसकारी निकलती थी और उसके हाथ मुझ पर और ज़ोर से कस जाते थे।
कभी वो मुझे कंधों से सहलाती थी और कभी अपने हाथ मेरी पीठ पर ले जाती थी।
उसकी इस क्रिया से मेरा जोश और ज़्यादा बढ़ रहा था कुछ देर के बाद मैंने अपना सिर और नीचे को किया और उसकी नाभि के आसपास चाटना और काटना शुरू कर दिया। अब उसने अपना एक हाथ हमारे दोनों के शरीर के बीच में किया और वो बारी बारी से मेरे निप्पल सहलाने लगी। मैंने अपने यात्रा को और आगे बढ़ाया और उसकी जांघों के जोड़ों को चाटना शुरू कर दिया, कभी हल्के हल्के दाँतों से काटता और कभी उसकी रेशम जैसी जांघों को चूसने लगता।
जैसे जैसे मेरा जंगलीपन बढ़ रहा था वो और ज़्यादा एंजाय कर रही थी। वो बहुत बुरी तरह से मचल रही थी थी, पर मैं भी अबकी बार पूरी तरह से एंजाय करना चाहता था और मेरे मन में भी यह बात थी कि आज मैं इसके साथ इस तरह से काम करूँ कि आगे भी इसे मेरी सेवाओं की ज़रूरत पड़ती रहे।
हर आदमी किसी ना किसी मामले में स्वार्थी होता है, मैं भी हूँ क्योंकि घर से तो पूरी खुराक मिलती नहीं तो चलो जब तक यहाँ से ज़रूरत पूरी होती रहे तो अच्छी बात है। और वैसे देखा जाए तो यह स्वार्थ भी नहीं था, थी तो केवल मात्र जिस्मानी आवश्यकता ही। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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