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चूत में अंदर बाहर होता हुआ लण्ड बिल्कुल चिकना हो चुका था, मधु की साँसें बहुत तेज़ और सिसकारियाँ बहुत तीखी हो गई थी, मैंने उसके मुंह पर हाथ रखा जिससे उसकी आवाज़ें बाहर तक न जायें। पर उसे पता नहीं क्या हो गया था, उसने मेरा हाथ अपने मुंह से हटा दिया। मैंने भी सोचा की मधु को पूरा एन्जॉय करने देना चाहिए।
वो मेरे कूल्हों को पकड़ कर और ज़ोर से हिलाने लगी, शायद वो आने ही वाली थी, उसकी आवाज़ें अब और भी तेज़ हो गई थी। तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। हम दोनों थोड़े ठिठक गए।
मैंने थोड़ा कड़क आवाज़ में पूछा- कौन है? तो नीलेश की आवाज़ आई, बोला- राहुल, सब ठीक तो है न, तुम दोनों लड़ तो नहीं रहे? तू भाभी को मार रहा है क्या? मैंने कहा- गधे, भाभी को नहीं, तेरी भाभी की मार रहा हूँ। नीलेश मेरी पूरी बात होने से पहले ही बोला- भाभी, आप ठीक तो है न? मधु हांफती हुई बोली- हा भ भाई भैया.. म मैं ठ ठी ठीक हूँ।
शायद नीलेश को लगा होगा कि उसने बहुत गलत टाइम पे डिस्टर्ब किया है, वो बोला- यार सॉरी यार ! आप लोग एन्जॉय करो, मैं टीवी वाले कमरे में जाता हूँ, वहाँ आवाज़ नहीं आ रही है, मैं टीवी की आवाज़ भी बढ़ा दूंगा। सॉरी यार राहुल, वेरी सॉरी! और उसके तेज़ क़दमों से जाने की आवाज़ आई।
हम दोनों को तो जैसे पागलपन सवार था, हम बिना रुके अच्छे बढ़िया धक्के पे धक्के लगा रहे थे। मधु ने अपनी आवाज़ और तेज़ कर दी ‘आ आह ओ ऊ उह आ आह ओ ऊ उह…’ मैंने फिर से उसके मुंह पर हाथ रखा तो उसने हटा के बोला- ज जब उनने स सुन ही लिया ह है, उन्हें प पता ही है तो जाने दो आवाज़… थिस इज ड्राइविंग मी क्रेजी। बीच बीच में थोड़ा बोलने में लड़खड़ाने लगी थी। वो यह कहना चाहती थी ‘जब उसने सुन ही लिया है। उन्हें पता ही है तो जाने दो आवाज़। थिस इस ड्राइविंग में क्रेजी!’
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। वो भी बिस्तर पर अपने पांव पटक पटक कर उछल उछल के मेरा साथ देने लगी। इसके बाद न मुझे कुछ सुनाई दिया न दिखाई। मैं पूरी तरह कामरस में भरा हुआ अपनी बीवी को भरपूर प्यार और मोहब्बत से चुदाई करता रह गया।
हम इतनी मस्ती में मग्न थे कि जब दोनों का पानी छूटा तो मानो ऐसा लगा कि जान ही निकल जाएगी। मैंने अपना पूरी मलाई उसकी चूत में ही डाल दी और अपना लण्ड उसकी चूत में डाल के ही थोड़ी देर उसके ऊपर पड़ा रहा।
अभी भी हमारी खुमारी खत्म नहीं हुई थी, अब वो मेरे सर पे हाथ फेर रही थी और एक हाथ पीठ पर था, मेरा एक हाथ उसके नीचे से होकर कंधे को पकड़ा हुआ था और दूसरे से उसके बूब्स को। अभी भी हम दोनों की साँसे बहुत तेज़ थी।
5-7 मिनट बाद जब मधु को होश आया तो वो बोली- अरे!! यह हमने क्या किया। भइया क्या सोच रहे होंगे। अब मैं उनसे कैसे नज़र मिलाऊँगी? मैंने कहा- तुम चिंता मत करो, वो एक तो हमउम्र है, दूसरा शादीशुदा है, वो समझ जायेगा! मैं अभी देखकर आता हूँ उस चूतिये को। बोलते हुए मैंने टॉवल पहना और दरवाज़ा खोल दिया।
मधु अभी बिस्तर पे नंगी ही पड़ी थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने दरवाज़ा खोलते हुए बोला- क्यू बे गांडू? सामने देखा तो दरवाज़े से सटा जमीन में कान लगाए हुए नीलेश जमीन पे पड़ा हुआ था… मैंने फिर भी जोर से ही अपना सेंटेंस खत्म किया- क्या हो गया था तुझे जो बीच में आया था?
उधर बिस्तर पे मेरी बीवी नंगी पड़ी थी, इधर जमीन पे नीलेश पड़ा हुआ था जो अपने एक हाथ में अपना लौड़ा पकड़ के हिला रहा था। मैंने मधु को बिल्कुल शो नहीं होने दिया कि नीलेश जमीन पर पड़ा हुआ है। मैं मधु की तरफ देख कर धीरे से बोला- मैं ज़रा उसकी खबर लेता हूँ, तुम तब तक फ्रेश हो लो। दरवाज़ा बाहर से बंद करके ही रहा हूँ। मैं फिर जोर से बोला- कहाँ मर गया कुत्ते? और दरवाज़ा बंद कर दिया। नीलेश खड़ा हुआ और बाहर की तरफ जाकर बोला- मैं बालकनी में सिगरेट पी रहा था, हो गया तेरा काम? बोल कर हंस पड़ा। मैं आया, आकर सोफे के किनारे पे बैठ गया। उसने मेरा टॉवल अलग किया और मेरे मलाई और मधु के चूत के पानी में सने हुए मेरे आधे सोये लण्ड को चाटने लगा।
मैंने तेज़ आवाज़ में ही बोला- भाई, तू खुद शादीशुदा आदमी है। तुझे लड़ाई और प्यार की आवाज़ का अंतर समझ नहीं आया? जिससे मेरी बीवी सुन सके कि मैं नीलेश की खबर ले रहा हूँ। इधर नीलेश आधे सोये लण्ड को चाट चाट के पूरा साफ़ करने में भिड़ा हुआ था।
मैं धीरे से बोला- यार, इसमें मेरी मलाई भी मिक्स है। उसने भी धीरे से बोला- इसी कारण और अच्छा लग रहा है टेस्ट। उसने फिर से मेरे लौड़े को इतना चूसा कि मैंने एक बार फिर से नीलेश के मुंह में फव्वारा चला दिया।
मैंने उसको बोला- भाई, आज भी मैंने अपना वादा निभा ही लिया। चल मैं ज़रा मधु के साथ नहा लूँ, और कुत्ते अब मत आना बीच में! मैंने दरवाज़ा खोला बाथरूम में चला गया, वो बाथरूम में ही थी, हमने एक दूसरे को बाँहों में भरा और शावर लिया, एक दूसरे के अंगों को अच्छे से साफ किया, चूमा।फिर हम दोनों ने तौलिये से एक दूसरे को पोंछा, बाथरूम से बाहर निकल कर हमने कपड़े पहने।
मधु जब कपड़े पहन रही थी तो मैंने उसको बोला- सुन… तू अंडर गारमेंट्स मत पहन! बोली- क्यूँ? जब भैया नहीं होते तो मैं आपकी सब बात मानती हूँ, पर अभी वो हैं तो प्लीज यार ऐसा कुछ मत बोलो न! मैंने कहा- वो कौन सा तुम्हें इतने बारीकी से देखेगा। देख तो मैं रहा हूँ। सिर्फ मैक्सी पहन लो, इसमें से वैसे भी कुछ नहीं दिखता इतनी मोटी है।
तो वो मान गई। मैं अब बाहर वाले कमरे में, जहाँ नीलेश बैठा मूवी देख रहा था, आ गया। मधु भी मेरे पीछे पीछे वहीं आ गई।
नीलेश कालीन पर बैठा हुआ था। मैं और मधु दोनों सोफे पर बैठ गए और मूवी देखने लगे। अब हम लोगों के बीच से धीरे धीरे शर्म के धागे टूटते जा रहे थे, अब मधु मुझसे चिपक कर बैठी थी जबकि नीलेश वहीं बैठा था। मैंने भी उसे बाँहों में जकड़ के रखा था और जब तब उसके बूब्स और पीठ सहला रहा था।
नीलेश अंजान बना बैठा था पर कभी कभी कनखियों से देख ही रहा था। मूवी के बीच में ब्रेक आया तो हमारी तरफ मुंह करके बोला- भाभी, I am sorry… मैं थोड़ा सा बेवकूफ हूँ। डिस्टर्बेंस के लिए माफ़ी चाहता हूँ। मुझे अंदर से बहुत बुरा लग रहा है। मेरा मन कर रहा है मैं आज ही यहाँ से चला जाऊँ क्योंकि इतनी बेवकूफाना हरकत के बाद आप लोगों से नज़र मिलाना मुश्किल हो रहा है।
इससे पहले की नीलेश और कुछ बोल पाता मधु बोली- नीलेश भैया, आपकी इन्नोसेंस ही आपकी सबसे बड़ी स्पेशलिटी है। हम सभी लगभग एक ही उम्र के हैं। और उसमें गलती हमारी भी है, पर क्या करें, यहाँ अकेले रहते हैं तो ऐसी हरकतें करते रहते हैं पर आपके होते हुए हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था। आप हमारे कारण अन-कम्फ़र्टेबल होकर यहाँ से जायेंगे तो हम लोगों को बहुत बुरा लगेगा। प्लीज आप जाने के बारे में मत सोचिये।
कमरे में कुछ देर सन्नाटा रहा, फिर मैं बोला- चल छोड़ न, भूल जा… हम भी भूल गए। फिर मधु बोली- भैया, आज मैं बढ़िया पनीर टिक्का और अच्छी सी सब्जी बनाती हूँ। फिर मेरी तरफ देखकर बोली- आप कोई अच्छी सी व्हिस्की ले आइये! हम दोनों को चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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