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मेरा नाम कैफरेन है..दिल्ली से हूँ..
अभी कुछ ही दिन हुए थे कोटा आए हुए.. घर पर रहकर आया था, ट्रेन में बस यही सोच रहा था कि किस तरह से मेरा मन अपने घर से दूर रहकर लगेगा।
मथुरा स्टेशन पर ट्रेन के अन्दर एक फैमिली आई.. उस फैमिली में एक अंकल-आंटी थे और उनके साथ उनकी बेटी भी थी। उन लोगों की सीटें मेरी सीट के साइड में ही थीं.. पर उन लोगों ने जब मुझे देखा तो सामने वाली सीट पर चले गए.. पता नहीं उन लोगों ने क्या सोचा मेरे बारे में..
अभी एक स्टेशन ही निकला था कि हमारी ट्रेन में एक और लड़की आई.. देखने में तो सभी लड़कियाँ मस्त ही लगती हैं.. वो भी कुछ ऐसी ही लगी। जब वो लड़की अपनी सीट पर गई.. तो वहाँ वो ही अंकल उस सीट पर बैठे हुए थे। उन्होंने उस लड़की को अपनी वाली सीट पर जाने के लिए बोला। वो सीट मेरी साइड में ही थी..
पता नहीं उस लड़की ने मेरे पास वाली सीट पर आने से इन्कार भी नहीं किया और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान भी आ गई। मुझे समझ में नहीं आया कि वो क्या चाहती थी.. पर शायद खुदा ने मुझे इतना भी बुरा नहीं बनाया था।
मैं एक मेडिकल स्टूडेंट हूँ.. किस्मत ने उसका साथ दिया या मेरा.. आप जो भी सोचो पर वो मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने अपना चेहरा उसकी तरफ से हटा लिया और बाहर की ओर देखने लगा।
मैं नहीं चाहता था कि वो मुझे बिगड़ा हुआ समझे.. जो लड़कियों को घूरता हो। पर मेरे पास जो बैठी थी वो बर्दाश्त नहीं कर सकी और उसने मुझे ‘हैलो’ बोल दिया।
मैंने भी स्माइल करके उसको ‘हैलो’ बोला। फिर उसने मुझे अपना नाम नीलोफर बताया.. और हो गया शुरू हमारी बातों का सिलसिला। लड़की काफ़ी खुले विचारों वाली थी.. जो किसी बात का बुरा नहीं मानती थी।
बातों-बातों में मैंने उसको बोला- तुम्हारा बॉयफ्रेंड तो तुमसे बहुत परेशान रहता होगा? नीलोफर ने थोड़ा सा गम्भीर होकर बोला- हाँ.. शायद उसको अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बात करना अच्छा नहीं लगा होगा। यह सोच कर मैं चुप हो गया।
फिर शुरू हुई हमारी नॉनवेज बातें.. दूसरी तरफ वो अंकल हम दोनों को ऐसे घूर रहे थे जैसे मैं उनकी लड़की के साथ बातें कर रहा हूँ।
उसके बाद क्या होना था.. ये तो किस्मत ने पहले ही लिख लिया था। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- तुम्हारा हाथ तो लड़कियों की तरह गोरा है। इस पर मैं हँस पड़ा..
थोड़ी देर बाद मैंने अपना मोबाइल जेब से निकाला.. तो देखा कि मेरे मोबाइल में नेटवर्क नहीं आ रहे थे। मैंने उसको बोला- मेरी सिम में नेटवर्क नहीं आ रहे हैं। नीलोफर ने पूछा- कौन सी सिम है तुम्हारी? अब मुझे बताते हुए शर्म आई.. पर फिर भी बोल दिया- मेरी सिम वर्जिन की है साली..
मेरी बातें सुनकर वो हँस पड़ी.. और बोली की वर्जिन तो मैं भी नहीं हूँ.. फिर तुम्हारी सिम कैसे हो गई? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
यह सुनकर मुझे लगा कि लड़की चुदने वाली है.. और मैंने उस चुदासी से पूछ ही लिया- तुमने किस के साथ किया? हंसते हुए बोली- अपने सभी बॉयफ्रेंड के साथ किया है..
अब मैंने उसके सामने शरीफ बन गयाम मैंने कहा- मैंने तो कभी सेक्स किया ही नहीं है। साली तुरंत बोली- इसमें कौन सी बड़ी बात है.. जब चाहो कर लो.. वो ये बात कहते हुए मेरा हाथ दबा कर हँस पड़ी।
मैंने उसको बोला- क्या तुम अभी कर सकती हो? मैंने सोचा कि वो मज़ाक कर रही है.. पर साली बोलती हैं मैं टॉयलेट जा रही हूँ.. तुम भी पीछे से आ जाना..
शुरू में तो लगा कि यह मज़ाक कर रही है.. पर जब वो अपनी सीट से उठकर गई.. तो मैं हैरान हो गया।
उसके जाने के एक मिनट बाद मैं भी टॉयलेट की तरफ चला गया। मुझे देखते ही नीलोफर टॉयलेट में चली गई.. मैं भी चारों तरफ देख कर उसके अन्दर चला गया। मेरा अन्दर घुसना था कि वो पागलों की तरह मुझ पर टूट पड़ी, मेरे होंठों को बुरी तरह चूसने लगी।
मैंने भी तुरंत अपना हाथ उसके दूधों पर रखा और धीरे से दबाने लगा.. पर शायद उसे इतने धीरे से दबवाने में मज़ा नहीं आया और उसने मेरे हाथ के ऊपर अपना हाथ रखा और अपने दूध ज़ोर-ज़ोर से दबवाने लगी, अपने दूसरे हाथ से उसने मेरा लंड पकड़ लिया.. ऐसा लग नहीं रहा था कि में उसे चोदने आया हूँ.. ऐसा लग रहा था.. जैसे वो मुझे चोदने आई है।
उसने तुरंत मेरी जीन्स की ज़िप खोली और मेरा लंड बाहर निकाल लिया.. और नीचे झुक कर मेरा लंड मुँह में लेकर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।
अब तो साला बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. बस दिल कर रहा था कि अभी साली को झुका इसकी चूत में अपना लंड डाल दूँ। उसने भी तुरंत अपनी जीन्स घुटनों तक नीचे की और बहुत सारा थूक मेरे लंड पर लगा कर आगे को झुक गई।
मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत पर लगा कर ऊपर-नीचे किया और धीरे से अपना लंड अन्दर डाल दिया। लौड़ा चूत में लीलते ही उसको इतना मज़ा आया कि उसने पीछे को मुँह करके मेरे होंठ अपने होंठ में ले लिए और चूसने लगी।
फिर मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में पूरा लंड डालकर धक्के लगाने लगा। ट्रेन भी हिल रही थी.. इससे हमारे धक्कों में और भी मज़ा आ रहा था.. वो तेज़ तो बोल नहीं सकती थी.. पर उसकी चुदास से लबरेज कसमसाहट को देख कर लग रहा था कि वो ज़ोर-ज़ोर चीख कर चुदना चाहती हो।
मेरे धक्कों के साथ वो अपनी गाण्ड भी पीछे कर लेती थी.. मैं आगे को धक्के लगाता और वो पीछे को होकर मेरा पूरा लंड अन्दर लेने की कोशिश करती। इतना मज़ा आ रहा था कि पूछो मत.. तभी वो काँपने लगी और इधर-उधर को अपनी गाण्ड हिलाने लगी। उसने अचानक पूरी पीछे को होकर मेरा लंड अपनी चूत में पूरा लेने की कोशिश की.. फिर वो तेज़-तेज़ साँस लेने लगी।
बोली- आह्ह.. मेरा हो गया.. अब तुम भी अपना जल्दी से कर लो।
पर मेरा इतनी जल्दी होने वाला नहीं लग रहा था। फिर भी मैंने कोशिश की और अपने मोबाइल को निकाल कर उस पर चुदाई वाली फिल्म चला ली.. और उसे देखता हुआ उसकी चूत मारने लगा। यहाँ फिल्म में लड़की चीख रही थी.. उधर नीलोफर मेरे लण्ड से चुदते वक़्त आवाज़ निकाल रही थी, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं उसकी चूत में तेज़-तेज़ धक्के मारने लगा।
उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो दोबारा झड़ गई.. उसके पैर काँपने लगे। अब मेरा भी होने वाले था.. मैं भी तेज़-तेज़ धक्के मारने लगा और उसके दूध को जानवरों की तरह दबाने लगा। तभी एक तेज़ मज़े के साथ मेरा माल उसकी चूत में भर गया और मैं तेज़-तेज़ साँस लेने लगा। थोड़ी देर बाद हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए.. पहले वो टॉयलेट से बाहर निकली और फिर मैं निकला।
उसके बाद ट्रेन का सफ़र खत्म हो गया तब से मैंने उसको कभी नहीं देखा। [email protected]
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