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सवेरे उठ कर कम्मो के हाथ से चाय पी कर मज़ा ही आ जाता था। एक तो वो बड़ी ही स्वादिष्ट चाय बनाती थी, दूसरे जब वो चाय ले कर सुबह आती थी तो उसको देख कर मेरे मन में यह भावना पैदा होती थी कि यह एक ऐसी औरत है जो मेरी हर प्रकार से रक्षा कर सकती है और जिस को दुनिया की तकरीबन हर चीज़ के बारे में पूरा ज्ञान था।
सबसे बड़ी तसल्ली यह होती थी कि यह स्त्री मेरी बिना किसी लालच के सेवा करने के लिए हर वक्त तैयार रहती थी। चाय पीकर मैं टहलने के लिए अपने लॉन में चला गया और आधा घंटा मैं वहाँ घूमता रहा। वहाँ अभी घूम ही रहा था कि वहाँ मुझ को दो लड़कियाँ भी घूमती हुई मिल गई।
पता चला कि वो सब पूनम की मौसेरी बहनें थी और उनका नाम सोनिया या छोटा नाम सोनी था और दूसरी का नाम मोनिका यानि मोनी था। मैंने कहा- वाह क्या बात है सोनी और मोनी, क्या करोगी दोनों अपनी सुबह की बोहनी?
मैंने मज़ाक में कह दिया और दोनों ही चहक कर बोल पड़ी- क्यों नहीं करेंगी हम अपनी बोहनी, अगर ग्राहक हो आप जैसा मनमोहिनी, एक नहीं, दोनी दोनी। मैं बोला- थोड़ी देर बाद मेरे बाथरूम में करो अपनी दोहनी, वहीं मिल जायेगी मेरी नोनी। इस तुकबन्दी पर हम सब खूब हंसे।
दोनों लड़कियाँ यह कह कर चली गई कि वो मेरा इंतज़ार मेरे बाथरूम में करेंगी। टहलने का बाद जैसे ही मैं कोठी में घुसा और बैठक में आया तो वहाँ कम्मो मुझको मिल गई और अपने हाथ में पकड़े हुए दूध के गिलास को मुझ को थमा दिया और साथ में सख्त हिदायत भी दी कि जल्दी से पी जाऊँ यह खास दूध!
दूध पीकर मैं अपने कमरे में आ गया और अपने कपड़े उतार कर नहाने के लिए बाथरूम में घुसने लगा कि अंदर से हल्की हल्की फुसफुसाने की आवाज़ें आ रही थी।
मैंने अंदर झाँका तो देखा सोनी और मोनी बिल्कुल वस्त्रहीन हुई आपस में किसिंग और चूमा चाटी कर रही थी। दोनों के होंठ आपस में जुड़े हुए थे और दोनों के हाथ एक दूसरे की चूत पर थे और वो उनको बड़ी तेज़ी से मसल रही थी। गौर से देखा तो दोनों की आँखें बंद थी और वो पूरी तन्मयता से लेस्बो चुदाई में लगी हुई थी।
फिर सोनी मोनी को चूमती हुई उसके स्तनों पर आ गई और मोनी के मम्मों की चूचियों को मुंह में ले कर खूब अच्छी तरह से चूसने लगी।
मोनी इतनी ज़्यादा कामुक हो चुकी थी कि उसकी टांगें काम वासना की अधिकता से थोड़ी कांप रही थी। लेकिन मोनी को आनन्द की तीव्रता बहुत अधिक हो चली थी तो सोनी ने उसको नीचे फर्श पर लिटा दिया और उसकी जांघों पर बैठ कर उस की चूत में अपना मुंह डाल दिया।
जैसे ही सोनी का मुंह मोनी की चूत में गया, वो एकदम से उछल पड़ी और अपनी कमर को उठा कर सोनी के मुंह से जोड़ दिया, दोनों हाथों को सोनी के सर पर रख दिए और पूरी ताकत से वो सर को अपनी चूत में दबाने लगी। सोनी की जीभ मोनी की चूत में घूम रही थी, कभी वो उसके भग को चूसती और कभी वो चूत के काफी अंदर तक चली जाती।
इस सारे खेल से मोनी बिल्कुल पगला गई और ज़ोर ज़ोर से अपने सर को इधर उधर मार रही थी जिससे पता चलता था कि वो कितनी ज़्यादा उत्तेजित हो चुकी थी और मुझको ऐसा भी लगा कि वो शीघ्र ही स्खलित हो जायेगी जल्दी ही… ऐसा ही हुआ और मोनी ने अपने चूतड़ ऊंचे उठा लिए और सोनी के सर को अपनी उठी हुई जांघों में भींच लिया और ज़ोर से काँपने लगी। और जब मोनी की चूत से अविरल पानी बहने लगा तो सोनी और मैं समझ गए कि मोनी का पानी छूट गया है।
उसी समय सोनी ने मुझ को बाथरूम में नंगा खड़ा देखा तो उसने एक बहुत ही कामुक मुस्कान मेरी तरफ फ़ेंक दी। सोनी अब मोनी को उठाने लगी और जब वो उससे नहीं उठी तो मैंने हाथ लगा कर उस को अपने हाथों में उठा लिया और अपने कमरे में ले आया।
मोनी की बाहें मेरी गर्दन के चारों तरफ थी और जब मैंने उसको बिस्तर पर लिटाने की की कोशिश की तो मोनी मुझको छोड़ने के हक़ में नहीं थी लेकिन मैंने और सोनी ने मिल कर उसको जबरदस्ती उसके बिस्तर पर लिटा दिया।
मैंने भी सोनी को लब किसिंग शुरू कर दी। हालाँकि मेरा लौड़ा उसकी चूत के ऊपर लग रहा था लेकिन मैं भी उसके होटों को चूसता हुआ उसके मम्मों पर आकर टिक गया और मम्मों की चूचियों को एक के बाद एक को चूसता रहा।
अब तक मोनी भी पूरे होश में आ चुकी थी, वो उठी और अपने मुंह को सोनी की चूत पर फिक्स कर दिया और ज़ोर जोर से उसकी भग को और चूत के लबों को चूसने लगी।
अब सोनी की बारी थी, वो अपनी गांड उठा उठा कर मोनी के मुंह पर लगा देती थी और मोनी उसकी चूत चुसाई और मम्मों की हाथ घिसाई करने में बिजी थी। दोनों एक दूसरे में इतनी बिजी थी कि उनको इधर उधर का कोई होश नहीं था।
मैं अब मोनी की चूत पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा क्यूंकि वो ही इस समय खाली मिली थी। थोड़ी देर बाद सोनी भी कंपकपाती हुई झड़ गई और वो भी आँखें बंद करके बिस्तर पर लुढ़क गई।
तब मैंने मोनी की गीली चूत में अपने अकड़े हुए लण्ड को निशाना लगा कर अंदर घुसेड़ दिया। जैसे ही वो सख्त लंड उसकी भट्टी के समान तप रही चूत में घुसा, वो एकदम बिफर उठी क्यूंकि उसको लंड का ज़्यादा एक्सपीरियंस नहीं था, वो तो जीभ की मुलामियत से ज़्यादा वाकिफ थी दोनों।
अब मैं मोनी को धीरे धीरे से चोदने लगा। हालाँकि मुझको कॉलेज में जाने की देरी हो रही थी लेकिन फिर भी मैं मोनी की इच्छा का आदर करते हुए उसको बड़े प्यार से चोदने लगा।
धीरे धीरे मोनी को लण्ड की चुदाई में आनंद आने लगा और वो अब पूरे जोश और खरोश के साथ अपनी चूत को उठा उठा कर मेरे लौड़े का स्वागत करने लगी।
क्यूंकि मोनी काफी स्लिम थी, अब मैंने उसको अपनी बाहों में काफी ज़ोर से कस लिया और अपनी चुदाई की फुल स्पीड शुरू कर दी और ठा ठा की आवाज़ से मेरा लौड़ा मोनी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
इस आवाज़ को सुन कर सोनी भी अब हमारी चुदाई में इंटरेस्ट लेने लगी और वो भी मोनी के साथ ही लेट गई और मेरे अंडकोष के साथ खेलने लगी।
थोड़ी देर की धक्काशाही में ही मोनी हाय हाय करते हुए बड़े ज़ोर से झड़ गई और मौका अच्छा देख कर मैंने भी अपने गीले लण्ड को मोनी की चूत से निकाल कर सोनी की फैली हुई चूत में डाल दिया, सोनी की चुदाई मैं काफी तेज़ और गहरे ढंग से करने लगा।
सोनी को महसूस होने लगा कि कोई सख्त गरम रॉड उसकी तपती भट्टी में डल गई है और वो उससे पीछा छुड़ाने के लिए अपनी चूत को इधर उधर करने लगी लेकिन मेरे लण्ड की गिरफ़्त साथ में मेरे हाथों की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि सोनी चाह कर भी अपनी चूत को मेरे लंड से अलग नहीं कर सकी।
थोड़ी देर के घमासान युद्ध के बाद पानीपत की तीसरी लड़ाई भी लंड लाल ने जीत ली और अपने दुश्मन को पूरी तरह से धराशाई कर दिया। इस लड़ाई का अंत ऐसा होता है कि हारने वाला भी ख़ुशी के मारे झूम उठता है और अपने को हराने वाले कड़क लौड़े के साथ और ज़्यादा चिपक जाता है।
और यही हाल हुआ सोनी की चूत का और उसके सारे शरीर का! दोनों ही हार जाने के बावजूद भी हँसते हुए, खिलते हुए, प्यार से मिलते हुए अपनी हार में अति प्रसन्न होते हैं। संसार में यही है लंड और चूत का खेल!
दोनों कुंवारी कन्यायें मेरे दोनों तरफ लेटी हुई थी और मैं एक अजीब सी फीलिंग का शिकार हो रहा था। मुझको ऐसा महसूस हो रहा था कि मैं सारे संसार की चूतों को चोद चुका हूँ और मेरे मन में किसी और चूत के दर्शन और उसको भोगने की इच्छा समाप्त होती हुई लग रही थी।
मुझको ऐसा लगा कि मेरे लण्ड का और मेरा मन चुदाई से भर गया हो और यह सोचने के बाद मेरे लौड़ा भी बैठने लगा और वो वाकयी में मुरझा कर मेरे अंडकोष के साथ चिपक गया। ऐसा मेरे जीवन में पहली बार हुआ था।
सो मैं थोड़ा घबराया लेकिन यह जान कर तसल्ली हुई कि 2 लड़कियाँ अभी भी मेरे बगल में हैं, उनके साथ दुबारा लंड को खड़े करने की कोशिश की जा सकती थी। मैं दोनों को अपनी बाहों में लेकर अपने वक्ष स्थल के ऊपर ले आया और दोनों को उनके लबों पर चूमने लगा।
सोनी ने झट से मेरे लौड़े को पकड़ लिया और बैठे हुए शेर के साथ खेलने लगी। जैसे ही उसको जनाना मुलायम हाथ लगे, उसने धीरे धीरे अपना सर उठाना शुरू कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सोनी काफी समझदार लड़की थी, उसने मुंह में मेरे लंड को डाल कर उस को हल्के हल्के चूसना शुरू कर दिया। सोनी के ऐसा करने के बाद लंड फिर अपने पूरे जोबन पर आ गया और उसके मुंह में उछल उछल कर अंदर बाहर होने लगा। बाद में मैंने सोनी की चूत पर हाथ लगाया तो वो काफी पनिया रही थी और सोनी मेरे लण्ड को खींच रही थी अपनी चूत में जाने के लिए।
मैंने सोनी के चूतड़ों से उसको उठाया और अपने खड़े लण्ड पर बिठा दिया क्यूंकि वो काफी गर्म हो चुकी थी, वो स्वयं ही तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगी। मेरे सख्त खड़े लंड के ऊपर नीचे होते हुए वो शीघ्र ही झड़ गई और जैसे ही वो लण्ड के ऊपर से उतरी तो उसकी जगह मोनी ने ले ली और वो भी बड़ी तेज़ी से मेरे को चोदते हुए शीघ्र है ‘यह जा, वो जा…’ हो गई।
इसके बाद मैं थोड़ी तसल्ली में आया और वहाँ से उठ कर फिर जल्दी से नहाने चला गया और मेरे साथ ही वो दोनों लड़कियाँ भी मेरे साथ नहाने चली गई। हम तीनों ने मस्ती करते हुए एक दूसरे को नहलाया और फिर जल्दी से कपड़े पहन कर मैं तैयार हो गया।
वो दोनों अभी अपने कपड़े पहन ही रही थी कि मैं जल्दी से कॉलेज जाने के लिए बैठक में आ गया और वहाँ लगे नाश्ते को खाने के लिए प्लेट उठा ही रहा था कि पूनम की भाभी आ गई।
आते ही भाभी ने बड़ी गर्म जोशी के साथ मुझको एक हल्की सी जफ्फी मारी। मैंने भी उनका थैंक यू किया तब वो बहुत ही धीरे से बोली- सोमू, तुमने सबका काम कर दिया, सिर्फ मेरा नहीं किया?
यह सुन कर मैं एकदम सकते में आ गया और थोड़ी हैरानगी से उनकी तरफ देखने लगा। भाभी मुस्कराते हुए बोली- घबराओ नहीं सोमू, मैं किसी को कुछ बताने वाली नहीं। वो क्या है कि मैंने भी तुम्हारी तारीफ सुनी है चंचल और रश्मि से… और वो शन्नो की करारी हार का किस्सा भी सुना है। इसीलिए पूछती हूँ क्या कुछ मेरे बारे में भी सोचा है तुमने कुछ?
मैंने हँसते हुए कहा- भाभी, आप तो मालकिन हो, आप तो जब चाहो तभी आपके कदमों में लेट जाएँ… आप सिर्फ हुक्म करती और मैं आपके क़दमों में गिर जाता क्यूंकि आप तो जीता जागता हुस्न का मुजस्समा हो।
भाभी यह सुन कर बड़ी खुश हुई लेकिन फिर भी शिकायत भरे लहजे में बोली- रहने दो सोमू, अगर मैं तुमको मुंह चढ़ कर याद ना दिलाती तुम सब तो मुझको भूल चुके थे। मैं बोला- भाभी बात यह है कि हम सब आपसे बहुत ही डरते थे तो किसी की हिम्मत नहीं हुई कि आपसे कोई ऊंची नीची बात करता। बस यही कारण है।
‘और भाभी, मैं चाहता हूँ कि आप एक बार कम्मो से आज अपना चेकअप करवा लो, वो आपकी परेशानी को दूर करने की कोशिश कर सकती है।’ भाभी कुछ सोचते हुए बोली- ठीक है, मैं आज कम्मो को पकड़ती हूँ, तुम यह दो अंडे तो खाओ ना! इतनी मेहनत करते हो, कुछ खाया भी करो। वैसे आज रात तुम्हारे भैया गाँव वापस लौट रहे हैं, आज रात से मेरे पास भी टाइम ही टाइम है।
मैंने कहा- ठीक है भाभी जान, आप जब चाहें मैं हाज़िर हो जाऊँगा। अच्छा मैं अब चलता हूँ, कॉलेज के लिए देर हो रही है। भाभी ने भी इधर उधर देखा और जब मैदान साफ़ मिला तो उसने मुझको पकड़ लिया और मुझको कस कर जफ्फी डाल दी और मेरे होटों पर अपने जलते हुए होंठ भी रख दिये।
मैंने भी उसके मोटे चूतड़ों को हल्के से मसल दिया और भाभी के गोल और उभरे हुए स्तनों को अपनी छाती पर महसूस किया।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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